राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-458 /2008 मौखिक
(जिला उपभोक्ता फोरम, मेरठ द्वारा परिवाद सं0-20/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24-01-2008 के विरूद्ध)
मेरठ डेव्लपमेंट अथारिटी, मेरठ, द्वारा वाइस चेयरमैन।
.अपीलार्थी/ विपक्षी
बनाम
श्रीमती राजेश देवी, पत्नी श्री प्रमोद त्यागी, निवासी- ग्राम व डा0 चन्दसारा, जिला- मेरठ।
...प्रत्यर्थी/परिवादिनी
समक्ष:-
1- माननीय श्री आर0सी0 चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- माननीय श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य,
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री राम राज के सहयोगी श्री सर्वेश कुमार
शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:15-04-2015
माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य, द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी द्वारा यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम मेरठ द्वारा परिवाद सं0-20/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24-01-2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसके द्वारा यह आदेश पारित किया गया है कि एतद्द्वारा परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वे परिवादी को आवंटित प्रश्नगत भूखण्ड का पूर्ण विकास करके वास्तविक कब्जा तीन माह के अन्दर प्रदान करें, इसके अलावा किस्तों की राशि पर कोई दण्ड ब्याज वसूल न करें, तथा परिवादी द्वारा जमा राशि पर जमा की अन्तिम तिथि से कब्जे की तिथि तक बारह प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करें, इसके अतिरिक्त पांच हजार रूपये बतौर क्षतिपूर्ति एवं तीन हजार रूपये इस परिवाद का व्यय अदा करें। अन्यथा परिवादी विपक्षी के विरूद्ध धारा-25/27 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र होगा।
(2)
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार से हैं कि परिवादी ने विपक्षी की राम मनोहर लोहिया नगर आवासीय योजना के अर्न्तगत भूखण्ड लेने के लिए विपक्षी के निर्देशानुसार दिनांक 22-12-2001 को अंकन 11,100-00 रूपये जमा किया, जिस पर विपक्षी ने दिनांक 18-01-2002 को पत्र जारी कर परिवादी को सूचित किया कि 20 प्रतिशत नगद भुगतान पर 120 वर्गमीटर का भूखण्ड संख्या- सी-316 एम.आई.जी. आवंटित कर दिया गया, जिसकी कीमत 111,000-00 रूपये बताई गई थी। परिवादी ने मौके पर जाकर देखा तो पाया कि वहॉ पर किसी प्रकार का कोई विकास कार्य पूर्ण नहीं है। परिवादी द्वारा रूपया जमा करने के बाद भी कोई विकास कार्य नहीं कया गया था। शिकायत करने पर विपक्षी टालमटोल करते रहे, किसानों से विवाद होने के कारण निकट भविष्य में मौके पर विकास कार्य पूर्ण करके कब्जा दिया जाना सम्भव नहीं लग रहा था। विपक्षी द्वारा घोर लापरवाही एवं सेवा में कमी की गई। अत: मौजूदा वाद योजित करना पड़ा।
विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें यह कथन किया है कि विपक्षी का किसानों से कोई विवाद नहीं है। विपक्षी ने परिवादी को कोई धोखा नहीं दिया है और न ही सेवा में कोई कमी की है। परिवादी ने अपनी इच्छा से इच्छित आवंटन कराया था। परिवादी कोई प्रतिकरपाने का हकदार नहीं है। परिवादी का परिवाद खण्डित होने योग्य है।
इस सम्बन्ध में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा, उपस्थित है। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया तथा जिला उपभोक्ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांकित-24-01-2008 का अवलोकन किया गया।
जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 24-01-2008 का अवलोकन करने एवं अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने
(3)
के उपरान्त हम यह पाते है कि जिला उपभोक्ता द्वारा जो निर्णय
/आदेश पारित किया गया है, वह न्यायसंगत है, उसमें कोई त्रुटि नहीं पाया जाता है। अत: अपीलकर्ता की अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील खारिज की जाती है तथा जिला उपभोक्ता फोरम मेरठ द्वारा परिवाद सं0-20/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24-01-2008 की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(आर0सी0 चौधरी) ( राज कमल गुप्ता )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर.सी.वर्मा, आशु. ग्रेड-2
कोर्ट नं0-5