Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/2513

S B I - Complainant(s)

Versus

Smt Raj Kumari - Opp.Party(s)

D P Dwivedi

18 Nov 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/2513
( Date of Filing : 19 Nov 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. S B I
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Raj Kumari
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Nov 2024
Final Order / Judgement

(सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :- 2513/2007

           (जिला उपभोक्‍ता आयोग, (द्वितीय) आगरा द्वारा परिवाद सं0-05/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11/10/2007 के विरूद्ध)

  1. State Bank of India, Main Branch, Chipitola, Agra through its Assistant General Manager (Principal Officer).
  2. State Bank of India (SIB Branch), 38/4, Sanjay Palace, Agra through its Branch Manager.
  3.                                                                          Appellants 

Versus

Smt. Rajkumari W/O Late Sri Satish Shankar Vashistha resident of 9/429, Moti Katra, Agra.

  •                                                                   Respondent

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

 

उपस्थिति:

             अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री शरद द्विवेदी

             प्रत्‍यर्थी की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री उमेश कुमार श्रीवास्‍तव

                                 एवं श्री एस.पी. पाण्‍डेय

            दिनांक:- 18.11.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           यह अपील जिला उपभोक्‍ता आयोग, (द्वितीय) आगरा द्वारा परिवाद सं0-05/2005 श्रीमती राजकुमारी बनाम भारतीय स्‍टेट बैंक व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11/10/2007 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया। बहस की सुनवाई करते समय खाताधारक श्री सतीश शंकर वशिष्‍ठ एवं श्रीमती राजकुमारी के खाता विवरण की प्रमाणित प्रतिलिपि 10 दिन के अंदर प्रस्‍तुत किये जाने का आदेश दिया गया था, परंतु इस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। इंजतार करने के पश्‍चात निर्णय घोषित किया जा रहा है।
  2.         परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी का खाता सं0 01190-065765 एवं परिवादिनी के पति का खाता सं0 01190-3050 संजय पैलेस स्थित एसबीआई की शाखा में मौजूद है। परिवादिनी के पति का देहांत 02.02.1995 को हो गया। तत्‍समय परिवादिनी के पति के खाते में 2,27,392/-रू0 38 पैसे बकाया थे। यह राशि बैंकर्स चेक दिनांक 24.12.1996 को परिवादिनी के खाते में जमा की गयी। यह चेक विपक्षी सं0 1 में जमा किया गया, परंतु विपक्षी सं0 1 द्वारा यह राशि जमा नहीं की गयी। शिकायत पर बताया गया कि जांच चल रही है, जांच पूर्ण होने पर भुगतान किया जायेगा। जिला उपभोक्‍ता  आयोग ने इसी राशि को अदा करने का आदेश जिसका मूल्‍य 2,55,182/-रू0 हो चुका है, अदा करने का आदेश पारित किया गया।
  3.          इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर बैंक का कथन है कि बैंक बैंकर्स चेक सं0 002716 का भुगतान दिनांक 24.12.2006 को किया जा चुका है, इसलिए बैंक के स्‍तर से कोई लापरवाही नहीं की गयी।
  4.         विपक्षी सं0 1 का कथन है कि दस्‍तावेज अत्‍यधिक पुराना है, जिसे खोजा नहीं जा सकता, जिस समय परिवादी के खाते में धन जमा किया गया है, उस समय खाता सं0 आर-4765 था। पासबुक की कॉपी परिवादी द्वारा नहीं दी गयी और अनेक बार इस राशि को एफ0डी0आर0 में परिवर्तित कराया। परिवादिनी अंकन 2,27,329/-रू0 98 पैसे प्राप्‍त कर चुके हैं। मौखिक बहस के दौरान उपरोक्‍त वर्णित तथ्‍य पुन: दोहराये गये हैं, जबकि प्रत्‍यर्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि यह राशि कभी भी प्राप्‍त नहीं हुई है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधिसम्‍मत है।
  5.           विपक्षी का लिखित कथन में यह उल्‍लेख है कि एफडी बैंकर्स चेक सं0 934650 में अंकन 2,55,182/-रू0 अदा करने का उल्‍लेख किया है, परंतु इस बैंकर्स चेक पर यह अंकित नहीं है कि यह धनराशि किस तिथि को बैंक खाते में जमा की गयी है। इस राशि की एकमुश्‍त इण्‍ट्री कभी भी परिवादिनी के खाते में नहीं हुई। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने एक्‍सपर्ट रिपोर्ट पर भी विचार किया है, जिसमें राजकुमारी के हस्‍ताक्षरों का मेल होना बताया गया है, जिसके आधार पर जिला उपभोक्‍ता आयोग ने इस तथ्‍य को स्‍थापित माना है कि बैंक कर्मियों ने परिवादिनी के साथ धोखाधड़ी किया है और तदुनसार देय राशि अदा करने का आदेश पारित किया है। इस निर्णय/आदेश को परिवर्तित करने की कोई साम‍ग्री बैंक की ओर से प्रस्‍तुत नहीं की गयी।
  6.           इस आयोग ने स्‍वयं बहस सुनते समय दिनांक 11.09.2024 को 10 दिन के अंदर पुन: खाता का विवरण जिस पर बैंक मैनेजर के हस्‍ताक्षर मौजूद हों, प्रस्‍तुत करने का आदेश दिया था, परतु इस आदेश का भी अनुपालन नहीं किया गया, इसलिए माना जा सकता है कि यह दस्‍तावेज अपीलार्थी बैंक को मदद नहीं करने वाले थे, इसलिए इन दस्‍तावेजों को प्रस्‍तुत नहीं किया गया। अत: अपील खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

          अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।  

               उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे। 

         प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।         

 

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

 

 

 

  

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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