Uttar Pradesh

StateCommission

A/2405/2015

Cholamandalam MS General Insurance C. Ltd - Complainant(s)

Versus

Smt Raj Kumari - Opp.Party(s)

Tarun Kumar Misra

09 Oct 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2405/2015
(Arisen out of Order Dated 11/09/2015 in Case No. C/14/2014 of District Kanpur Dehat)
 
1. Cholamandalam MS General Insurance C. Ltd
Kanpur Dehat
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Raj Kumari
Kanpur Dehat
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 09 Oct 2017
Final Order / Judgement

सुरक्षि‍त

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                            अपील संख्‍या 2405/2015

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम कानपुर देहात, द्वारा परिवाद संख्‍या- 14/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11-09-2015 के विरूद्ध)

 

चोलामण्‍डलम एम०एस० जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0, रीजनल आफिस सेकेण्‍ड फ्लोर, 4 मैरी गोल्‍ड, शाहनजफ रोड, सप्रू मार्ग, लखनऊ द्वारा असिस्‍टेंट जनरल मैनेजर।

  अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

1- श्रीमती राजकुमारी पत्‍नी श्री राजकुमार, निवासी वार्ड नं0 8, अशोक नगर, अकबरपुर, कानपुर देहात।

2- राम स्‍वरूप आटो ट्रैक्‍टरर्स, प्रोपराइटर, नियर चेक पोस्‍ट, पुखराया, कानपुर देहात।

                                                                                                                                                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

 

समक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :   विद्वान अधिवक्‍ता, श्री तरूण कुमार मिश्रा।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता, श्री अखिलेख त्रिवेदी।

 

दिनांक: 18-01-2018

 

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                                                निर्णय

 

परिवाद संख्‍या 14 सन् 2014 श्रीमती राज कुमारी बनाम चोलामण्‍डलम एम०एस० जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद  प्रतितोष फोरम,  कानपुर देहात  द्वारा  पारित निर्णय और आदेश दिनांक 11-09-2015 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

2

 

आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुये निम्‍न आदेश पारित किया है:- ‍  

     "परिवादिनी का यह परिवाद विपक्षी सं0 1 विरूद्ध 350000/-रू० प्रतिकर के रूप में स्‍वीकार किया जाता है। इसकी अदायगी बीमा कम्‍पनी विपक्षी संख्‍या 1 द्वारा निर्णय के दो माह के अन्‍दर परिवादिनी को की जाएगी। अदायगी किये जाने पर परिवादिनी अपना आर0सी0 व अन्‍य कागजात बीमा कम्‍पनी को स‍मर्पित करेगी और इसकी सूचना आर0टी0ओ0 कार्यालय को देगी। परिवादिनी विपक्षी संख्‍या 1 से वाद व्‍यय के रूप में 2000/- रू० प्राप्‍त करने की अधिकारी होगी। कभी टैक्‍टर के मिलने पर टैक्‍टर का स्‍वामित्‍व विपक्षी संख्‍या 1 बीमा कम्‍पनी का होगा। समय से अदायगी न करने पर परिवादिनी को वसूल पाने का अधिकार होगा। विपक्षी संख्‍या 2 के विरूद्ध परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी, चोलामण्‍डलम एम०एस० जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री तरूण कुमार मिश्रा और प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अखिलेख त्रिवेदी उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। प्रत्‍यर्थी संख्‍या 3 मात्र औपचारिक पक्षकार हैं। अत: अपीलार्थी और और प्रत्‍यर्थी संख्‍या 1 विद्वान अधिवक्‍ता को सुनकर अपील का निस्‍तारण किया जा रहा है।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

3

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है उसने एक नया ट्रैक्‍टर रामस्‍वरूप आटो मोबाइल ट्रैक्‍टर पुखराया कानपुर देहात से जनवरी 2013 में खरीदा था जिसका अनुमानित मूल्‍य लगभग 5,00,000/- रू० था। ट्रैक्‍टर खरीदने के बाद उसने विपक्षी संख्‍या 2 राम स्‍वरूप आटो मोबाइल ट्रैक्‍टर प्रोपराइटर से सम्‍बद्ध विपक्षी संख्‍या 1 चोला एम0एस0 जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 से ट्रैक्‍टर का बीमा कराया जिसका कवर नोट संख्‍या 9113994 इनटरमिडरी कोड नं० 202001718372 था। ट्रैक्‍टर का चेचिस नम्‍बर डब्‍ल्‍यू०ए०टी०एन० 35625089661 था।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि उसके ट्रैक्‍टर का पंजीयन परिवहन विभाग द्वारा किया गया था और ट्रैक्‍टर का पंजीयन नं० यू0पी0 77 एल0 0442 आवंटित किया गया था। पंजीयन प्रमाण पत्र प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के नाम है। परिवाद पत्र के अनुसार दिनांक 17-10-2013 को उसका ट्रैक्‍टर ग्राम अशोक नगर अकबरपुर देहात में उसके आवास पर खड़ा था और दूसरे दिन जब परिवादिनी व उसके परिवार के सदस्‍य सुबह करीब 5.00 बजे घर के बाहर निकले तो टैक्‍टर नहीं था। परिवादिनी ने अपने ट्रैक्‍टर का पता लगाया और खोज-बीन की उसके बाद दिनांक 19-10-2013  को थाना अकबरपुर कानपुर देहात में रिपोर्ट दर्ज करायी जिस पर अपराध संख्‍या 847/2013 पंजीकृत किा गया। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि‍ ट्रैक्‍टर चोरी की सूचना उसने बीमा कम्‍पनी को दी तो बीमा कम्‍पनी ने कागजात की मांग की। तब उसने प्रथम सूचना रिपोर्ट व बीमा कवर नोट संबंधित मैनेजर को दिया परन्‍तु उन्‍होंने उसे क्‍लेम के सम्‍बन्‍ध में कोई

 

4

 

समुचित उत्‍तर नहीं दिया। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि वाहन का पंजीयन उसके नाम है और बीमा कवर नो‍ट उसके नाम दर्ज है फिर भी विपक्षी एम०एस० चोला जनरल इंश्‍योरेंश कम्‍पनी द्वारा क्षतिपूर्ति उसे नहीं दी गयी है। अत: उसने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विपक्षी बीमा कम्‍पनी को नोटिस भेजा जिसका जवाब विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा नहीं दिया। अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने विवश होकर परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

जिला फोरम के समक्ष विपक्षी बीमा कम्‍पनी ने लिखित कथन प्रस्‍तुत कर कहा है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत बीमा कवर नोट जो दिनांक  22-01-2013 से 21-01-2014 तक की अवधि का है उसे स्‍वीकार नहीं है। वास्‍तव में यह कवर नोट बीमा कम्‍पनी ने अपने एजेण्‍ट अजय राजपूत को जारी किया था जो दिनांक 16-03-2013 को उनसे खो गया है और इसकी सूचना उन्‍होंने पुलिस स्‍टेशन भोगनीपुर में उसी दिन दिनांक 16-03-2013 को दर्ज कराया है। अत: यह कवर नोट प्रत्‍यर्थी/परिवादी के प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर को जारी नहीं किया जा सकता है और इस कवर नोट के सम्‍बन्‍ध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा किया गया कथन असत्‍य है। लिखित कथन में विपक्षी बीमा कम्‍पनी की ओर से कहा गया है कि‍ उसके विरूद्ध प्रस्‍तुत परिवाद ग्राह्य नहीं है।

जिला फोरम के समक्ष विपक्षी संख्‍या 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है और न लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है। अत: उसके विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से की गयी है।

 

 

5

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन पर विचार करने के उपरान्‍त अपने निर्णय में यह उल्‍लेख किया है कि‍ बीमा कवर नोट 9113994 दिनां‍कित

22-01-2013 प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने प्रस्‍तुत किया है जो दिनांक 22-01-2013 को 11:20 बजे जारी किया जाना दर्शाया गया है इस पर हस्‍ताक्षरकर्ता के रूप में अभिषेक का नाम दर्ज है। इस कवर नोट में कैश द्वारा 6786/- रू० प्रीमियम अदा करना दर्शाया गया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्लिखित किया है कि‍ ट्रैक्‍टर का इंजन नं0, चेचिस नं0 दोनों का आर0सी0 से मिलान करने पर सही पाया गया है। कवर नोट में ट्रैक्‍टर का नाम विक्रेता कम्‍पनी का नाम तथा उसकी वैधानिकता पंजीकृत स्‍वामी का नाम अंकित है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह उल्‍लेख किया है यदि यह कवर नोट कम्‍पनी के अधिकृत विक्रेता द्वारा दिनांक 22-01-2013 को जारी किया गया तो फिर से कवर नोट दिनांक 16-03-2013 को खोने का कोई विश्‍वसनीय साक्ष्‍य नहीं है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्‍लेख किया है कि‍ कवर नोट खोने की जो सूचना दी गयी है उसके आधार पर एफ०आई०आर० दर्ज नहीं हुयी है न कोई कार्यवाही हुयी है। जिला फोरम ने यह भी उल्‍लेख किया है कि‍ इसका कोई प्रमाण नहीं पाया जाता है कि यह सूचना किसको कहॉं प्राप्‍त करायी गयी है। इस पर कोई पदनाम या मोहर नहीं है। अंत में जिला फोरम ने अपने निर्णय और आदेश में यह निष्‍कर्ष निकाला है कि‍ बीमा कवर नोट विपक्षी बीमा कम्‍पनी द्वारा ही प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को जारी किया गया है। जिला फोरम ने अपने निर्णय और आदेश में उल्‍लेख किया है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने विधिक औपचारिकताऍं पूरी की है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से निर्णय और आदेश पारित किया है।

6

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत बीमा कवर नोट वास्‍तव में एजेण्‍ट

अजय राजपूत से दिनांक 16-03-2013 को खो गया था जिसकी सूचना भोगनीपुर थाना अकबरपुर में दी गयी थी।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने प्रश्‍नगत कवर नोट  9113994 का कपटपूर्ण ढंग से प्रयोग किया है। वास्‍तविकता यह है कि‍ इस कवर नोट पर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का ट्रैक्‍टर बीमित नहीं रहा है। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि‍ कवर नोट की वैधता 60 दिन के बाद समाप्‍त हो जाती है और इस कवर नोट पर अधिकृत व्‍यक्ति का हस्‍ताक्षर नहीं है। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ जिस अभिषेक का हस्‍ताक्षर है वह अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी का एजेण्‍ट नहीं है। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है। अत: निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने विपक्षी संख्‍या 2 राम स्‍वरूप आटो ट्रैक्‍टर से ट्रैक्‍टर क्रय करने के बाद विपक्षी संख्‍या 1 से अपने ट्रैक्‍टर का बीमा कराया है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

 

 

7

    अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा लिखित कथन में किये गये कथन के आधार पर यह स्‍पष्‍ट है कि कवर नोट संख्‍या 9113994  अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी का है और अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के अनुसार उसने यह कवर नोट अपने एजेण्‍ट अजय राजपूत को जारी किया था जो उनसे दिनांक 16-03-2013 को खो गया था जिसकी सूचना उन्‍होंने पुलिस थाने में दी है। जिला फोरम के निर्णय से स्‍पष्‍ट है कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के ट्रैक्‍टर का पंजीयन दिनांक     23-01-2013  को परिवहन विभाग में हुआ है और पंजीयन के पूर्व वाहन का बीमा होना आवश्‍यक है। ऐसी दशा में जिला फोरम ने यह माना है कि‍ पंजीयन की तिथि दिनांक 23-01-2013 को प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत बीमा कवर नोट अस्तित्‍व में था। यह बीमा कवर नोट बीमा कम्‍पनी के अनुसार उसके एजेण्‍ट अजय राजपूत से दिनांक  16-03-2013 को खोया है जिसकी सूचना उसने उसी दिन थाने में दर्ज कराया है। ऐसी स्थिति में यह मानने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार है कि‍ यह कवर नोट दिनांक 16-03-2013 के पूर्व प्रत्‍यर्थी/परिवा‍दिनी को कवर नोट जारी करने की तिथि दिनांक 22-01-2013 को बीमा कम्‍पनी या उसके एजेण्‍ट की अभिरक्षा में रहा है और दिनांक         22-01-2013 को यह कवर नोट प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी  को उसके ट्रैक्‍टर हेतु दिया गया है। बीमा कम्‍पनी की ओर से यह नहीं कहा गया है कि‍ कवर नोट उसकी कम्‍पनी का नहीं है वरन् डुप्‍लीकेट तैयार किया गया है। ऐसी स्थिति में यह मानने हेतु उचित और युक्ति संगत आधार है कि‍ अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी का यह कवर नोट दिनांक 22-01-2013 को किसी अभिषेक नाम के व्‍यक्ति द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी से बीमा प्रीमियम की धनराशि 6786/- रू० प्राप्‍त कर दिया गया  है।  इस  अभिषेक  का  सम्‍बन्‍ध  बीमा कम्‍पनी से नहीं है और वह

 

8

इस कवर नोट पर हस्‍ताक्षर करने हेतु अधिकृत  नहीं था, यह बीमा कम्‍पनी द्वारा साबित नहीं किया गया है। इसके साथ ही उल्‍लेखनीय है कि‍ यदि यह माना भी जाए कि‍ प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का यह कवर नोट अनाधिकृत व्‍यक्ति द्वारा जारी किया गया है तो भी इतना स्‍पष्‍ट है कि‍ यह कवर नोट उसी अवधि में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को जारी किया गया है जब यह कवर नो‍ट बीमा कम्‍पनी की अभिरक्षा में होना निर्विवाद है। यह कवर नोट बीमा कम्‍पनी का है अत: बीमा कम्‍पनी पर यह दायित्‍व था कि‍ इस बात की वह व्‍यवस्‍था करें कि‍ बीमा कवर नो‍ट अनाधिकृत व्‍यक्ति की अभिरक्षा में न जाए और उसका दुरूपयोग न हो। अत: ऐसी स्थिति में यदि अभिषेक बीमा कम्‍पनी की ओर से कवर नोट  पर हस्‍ताक्षर करने हेतु अधिकृत नहीं था तो भी बीमा कम्‍पनी की चूक प्रमाणित होती है क्‍योंकि‍  यह कवर नोट उसका है और उसका दुरूपयोग रोकने की जिम्‍मेदारी उसकी है। अत: बीमा कम्‍पनी द्वारा मात्र यह कह देने से कि‍  यह कवर नोट उसके एजेण्‍ट से दिनांक 16-03-2013 को खोया है, बीमा कम्‍पनी अपने दायित्‍व से बच नहीं सकती है। बीमा कम्‍पनी ने अपने कथित एजेण्‍ट का कोई शपथ पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया है और यह साबित नहीं किया है कि‍ यह कवर नोट उसकी अभिरक्षा में दिनांक 16-03-2013 तक रहा है।

उपरोक्‍त विवेचना एवं सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और साक्ष्‍यों पर विचार करते हुए मैं इस मत का हॅूं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के ट्रैक्‍टर के बीमा हेतु उसे जो कवर नोट जारी किया गया है वह  बीमा कम्‍पनी अथवा उसके एजेण्‍ट की सेवा में त्रुटि परिणाम है। अत: जिला फोरम ने जो इस कवर नोट के सम्‍बन्‍ध में अपने आक्षेपित निर्णय में निष्‍कर्ष निकाला है वह उचित और युक्तिसंगत है। उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नही है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी प्रश्‍नगत ट्रैक्‍टर की

 

9

 

पंजीकृत स्‍वामिनी है और उसका ट्रैक्‍टर चोरी गया है यह तथ्‍य निर्विवाद है। उसने घटना की रिपोर्ट थाने में, ट्रैक्‍टर न मिलने पर दर्ज कराया है जिस पर पुलिस ने अपराध पंजीकृत किया

है। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने बीमा कम्‍पनी को भी चोरी की सूचना दी है। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हॅूं कि‍ जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा  प्रस्‍तुत परिवाद स्‍वीकार कर कोई गलती नहीं की है।

उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर जिला फोरम के निर्णय और आदेश में हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं प्रतीत होता है। अत: अपील निरस्‍त की जाती है।

उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

           

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                                                                                                    अध्‍यक्ष                                                            

         

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट नं01

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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