Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/281

L I C - Complainant(s)

Versus

Smt Parvati - Opp.Party(s)

A Mehrotra, Shri Sunjay Jaiswal

01 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/281
( Date of Filing : 20 Feb 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District Lucknow-I)
 
1. L I C
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Parvati
Mahoba
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Aug 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-281/2009

Life Insurance Corporation of  India

Versus

Smt. Parvati, Widow of Late Bal Kishan  

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री संजय जायसवाल, विद्धान अधिवक्‍ता  

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं

दिनांक :01.08.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.         परिवाद संख्‍या-64/2008, श्रीमती पावर्ती बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में विद्वान जिला आयोग, महोबा द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.01.2009 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से तामीला के बावजूद कोई उपस्थित नहीं है।
  2.            जिला उपभोक्‍ता आयोग ने बीमा धारक की मृत्‍यु पर परिवादिनी के पक्ष बीमित राशि अंकन 25,000/-रू0, 09 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
  3.         अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि बीमा धारक के लिए जिस समय बीमा लिया गया था, वह आवश्‍यक था। बीमा का प्रीमियम उनके पिता द्वारा अदा किया गया था, इसलिए उस समय कोई नॉमिनी नियुक्‍त नहीं था। बीमा धारक की मृत्‍यु होने पर उनकी माता को धनराशि का भुगतान किया जा चुका है। स्‍वयं निर्णय में इस तथ्‍य का उल्‍लेख मौजूद है, चूंकि बीमित राशि का एक बार भुगतान बीमा कम्‍पनी द्वारा किया जा चुका है, इसलिए बीमा कम्‍पनी बीमित राशि का दुबारा भुगतान नहीं कर सकती। परिवादिनी को अधिकतम यह अधिकार प्राप्‍त है कि वह उस राशि में से अपना हिस्‍सा क्‍लेम करे, जो बीमा कम्‍पनी द्वारा बीमा धारक की माता को अदा किया गया है और यह क्‍लेम सिविल न्‍यायालय के समक्ष उद्घोषणा एवं आज्ञात्‍मक आदेश की टिप्‍पणी का अनुतोष मांगते हुए किया जा सकता है। बीमे की एक राशि को बीमा कम्‍पनी बार-बार अदा करने के लिए उत्‍तरदायी नहीं है।

आदेश

           अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

       सदस्‍य सदस्‍य

 

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

  

 

  

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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