राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या :1566/1998
(जिला मंच, गाजियाबाद द्धारा परिवाद सं0-175/1996 में पारित निर्णय/ आदेश दिनांक 04.5.1998 के विरूद्ध)
Ansal Housing & Construction Limited, 15 U.G.F., Indra Prakash 21, Barakhamba Road, New Delhi. 110001 through its Director.
........... Appellant/Opp. Party
Versus
1 Smt. Padma Gupta W/o Sri Pramod Kumar Gupta
2 Smt. Daya Rani W/o Sri Ram Gupta
3 Rajeev Kumar Gupta S/o Sri Ram Gupta, All R/o 51, Ahata Mandumal G.T. Road, Ghaziabad.
……..…. Respondents/Complainants.
समक्ष :-
मा0 श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री वी0एस0 बिसारिया
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :09.11.2016
मा0 श्री जे0एन0 सिन्हा, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0-175/1996 श्रीमती पदमा गुप्ता आदि बनाम अंसल हाउसिंग फाइनेश एण्ड लीजिंग कम्पनी में जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा दिनांक 04.5.1998 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया कि,
"परिवादी की शिकायत को स्वीकार करते हुए विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह निर्णय के पश्चात दो माह के भीतर परिवादीगण की कुल जमा राशि पर जमा करने की तिथि से 23.01.1996 तक की अवधि के लिए 18, प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज अदा करें। जो राशि परिवादीगण की काटी गई है वह भी उसे 18, प्रतिशत ब्याज सहित वापिस लौटा दें। ब्याज की गणना जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक की जाए। साथ ही परिवादी के मानसिक उत्पीडन और वाद के हर्जे खर्चे के लिए 1000.00 रूपये (एक हजार रूपये) मुआवजा अदा करें।"
-2-
उपरोक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी पक्ष की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी0एस0 बिसारिया उपस्थित आये। प्रत्यर्थी की ओर से नोटिस तामील के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं है। यह अपील वर्ष-1998 से पीठ के समक्ष विचाराधीन है, अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
अविवादित रूप से प्रत्यर्थी/परिवादी पक्ष को भूखण्ड पर कब्जा प्रदान नहीं किया गया और ऐसी स्थिति में प्रत्यर्थी/परिवादी पक्ष जमा की गई धनराशि मय ब्याज पाने का अधिकारी है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि ब्याज की दर 18 प्रतिशत जो जिला मंच द्वारा निर्धारित की गई है, जो किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है एवं अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कटौती करने के पश्चात अभिवचित धनराशि वापस भी कर दी गई थी और इस प्रकार मुकदमें की सम्पूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए पीठ इस मत की है कि 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के स्थान पर 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज संशोधित किया जाना न्यायोचित होगा।
आदेश
प्रस्तुत अपील अंशत: स्वीकार करते हुए जिला मंच, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-175/1996 श्रीमती पदमा गुप्ता आदि बनाम अंसल हाउसिंग फाइनेश एण्ड लीजिंग कम्पनी में पारित आदेश दिनांक 04.5.1998 में ब्याज की दर 18 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत संशोधित की जाती है तथा निर्णय/आदेश के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।
(जे0एन0 सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-2