Uttar Pradesh

StateCommission

A/1187/2016

M/S Dynamic Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Smt Neelam and others - Opp.Party(s)

Anurag Srivastava

15 Apr 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1187/2016
( Date of Filing : 13 Jun 2016 )
(Arisen out of Order Dated 28/04/2016 in Case No. C/229/2014 of District Mathura)
 
1. M/S Dynamic Cold Storage
Mathura
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Neelam and others
Mathura
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 15 Apr 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1187/2016

(जिला फोरम, मथुरा द्धारा परिवाद सं0-229/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.4.2016 के विरूद्ध)

Dynamic Cold Storage Pvt. Ltd., Baldev, Hathras Road, Rasmai Naseerpur, Sadabad, Hathras, District-Mahamaya Nagar (Hathras) through its Director Sri Dinesh Sharma.

                                          ........... Appellant/ Opp. Party No.2

Versus    

1-    Smt. Neelam, W/o Sri Brijmohan Sharma, R/o Anora, P.S.-Raya, Tahsil Mant, District-Mathura.

       …….. Respondent/ Complainant

2-    Sri Amit Kumar, S/o Sri Hari Mohan, R/o Anora, P.S. Raya, Tahsil-Mant, District-Mathura.

       …….. Respondent/ Opp. Party No.1

 

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता    : श्री अनुराग श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थी सं0-1 के अधिवक्‍ता : श्री नवीन तिवारी

दिनांक :-31-5-2019     

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय   

परिवाद संख्‍या-229/2014 श्रीमती नीलम बनाम अमित कुमार व एक अन्‍य में जिला फोरम, मथुरा द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 28.4.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

-2-

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

“परिवादिनी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-2 को आदेशित किया जाता है कि वह परि‍वादिनी को उसके द्वारा रखे गये 3389 बोरे को वापस करें। यदि आलू वापस नहीं करता है तो आलू के कीमत के रूप में मु0 7,48,969.00 आदेश की तिथि से एक माह के अन्‍दर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत साधारण ब्‍याज की दर से भुगतान, इसके साथ ही साथ उक्‍त अवधि के अन्‍दर मानसिक संताप व वाद व्‍यय के मद में मु0 50,000.00 का भी भुगतान करें।”

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी मैसर्स डायनेमिक कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0 ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनुराग श्रीवास्‍तव उपस्थित हुए है। प्रत्‍यर्थी सं0-1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री नवीन तिवारी उपस्थित आये हैं। प्रत्‍यर्थी सं0-2 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अशोक मेहरोत्रा ने वकालतनामा प्रस्‍तुत किया है, परन्‍तु वह सुनवाई के समक्ष उपस्थित नहीं हुए है।

-3-

मैंने अपीलार्थी/विपक्षी और प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

मैंने अपीलार्थी/विपक्षी और प्रत्‍यर्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत लिखित तर्क का भी अवलोकन किया है। 

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी मैसर्स डायनेमिक कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0 व प्रत्‍यर्थी/विपक्षी अमित कुमार के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसने अपनी भूमि व दूसरों की भूमि लेकर उसमें आलू बोया था और आलू की उपज प्राप्‍त की थी। इसी बीच प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 अमित कुमार, विपक्षी सं0-2 मैसर्स डायनेमिक कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0 के मालिक को उसके पास लेकर आया तब विपक्षी सं0-2 के मालिक ने उससे कहा कि नया कोल्‍ड स्‍टोरेज लगाया है, उसमें आलू रख दो। उपरोक्‍त विपक्षी सं0-1 ने भी उसका समर्थन किया और उपरोक्‍त अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 ने आलू अपने साधन से मंगाने की बात कही। तदोपरांत अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 ने परिवादिनी के घर से दिनांक 02.3.2011 से 19.3.2011 के मध्‍य विभिन्‍न तारीखों में 3389 बोरा आलू अपने कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखने के लिये ले गया, जिनमें

-4-

से कुछ की पर्चियां उनके द्वारा दी गयी और कुछ की नहीं दी गयी। शेष पर्चियों को बाद में देने का कथन किया गया, परन्‍तु बाद में जो पर्चियां दी गई उसमें श्रीमती नीलम पत्‍नी अमित कुमार लिखा हुआ था, जिस पर प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के आपत्ति करने पर अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 ने अमित कुमार का नाम काट कर बी0एन0 शर्मा लिख दिया और अपने यहॉ खाता श्रीमती नीलम शर्मा पत्‍नी श्री बी0एल0 शर्मा निवासी राया के नाम से खोल दिया।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण एवं उपरोक्‍त प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 ने दुरभि संधि करके दिनांक 05.3.2011 व दिनांक 16.3.2011 को क्रमश: 59,775.00 रू0 व 1,00,000.00 रू0 के बेयरर चेक के द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के नाम से भारतीय स्‍टेट बैंक की ए0डी0वी0 शाखा से निकाल लिया जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने न तो कोई धनराशि प्राप्‍त की और न ही वारदाना प्राप्‍त किया।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि दोनों चेक अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 के यहॉ कार्यरत कर्मचारी राजेन्‍द्र कुमार रावत द्वारा तैयार किये गये हैं और जब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी दिनांक 12.10.2011 को अपना आलू निकालने विपक्षी सं0-2 के यहॉ गयी, तो उसे मात्र 2 बोरी आलू निकालने को कहा गया और

-5-

शेष आलू निकालने से मना कर दिया गया। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 द्वारा उससे हिसाब करने को कहा गया, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को जो हिसाब दिया उसमें नीलम पत्‍नी अमित कुमार दिखाया गया जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति बी0एन0 शर्मा है।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के नाम से 1,00,000.00 रू0 का भुगतान गलत दिखाया है। इस प्रकार उसने छलकपट कर अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस किया है और उसका 9,00,000.00 रू0 का आलू हड़प लिया है। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का कथन है‍ कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 की पत्‍नी सविता ने उसके नाम के तीनों चेकों का भुगतान उसके नाम का हस्‍ताक्षर बना कर प्राप्‍त किया है।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 ने जिला फोरम के समक्ष अपनी प्रारम्भिक आपत्ति प्रस्‍तुत की कि जिला फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 ने भी लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है और कहा है कि उसके पिता तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति में काफी मेलजोल था। करीब 35 वर्ष पूर्व जब प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति ने अपने गॉव का रिहायसी

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मकान बेचा, तो उसे वह प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 के पिता हरीमोहन अग्रवाल को बेचा था। लिखित कथन में प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-1 ने कहा है कि उसके पिता हरीमोहन और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति बी0एन0 शर्मा में मेल था, अत: प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पति ने  ट्रैक्‍टर उपलब्‍ध कराने को कहा, तो उसने ट्रैक्‍टर उपलब्‍ध करा दिया। इसके अलावा उसका कोई सरोकार नहीं है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि परिवाद जिला फोरम मथुरा में ग्राह्य है और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 से उसके कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखे अपने आलू या उसका मूल्‍य ब्‍याज के साथ प्राप्‍त करने की अधिकारी है। जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी माना है कि परिवादिनी को वाद व्‍यय और मानसिक कष्‍ट के मद में 50,000.00 रू0 दिलाया जाना उचित है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए आक्षेपित आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद गलत कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है। परिवाद जिला फोरम, मथुरा के स्‍थानीय क्षेत्राधिकार से परे है। अत: जिला फोरम ने परिवाद पर संज्ञान लेकर जो आदेश पारित किया है वह अधिकार रहित एवं विधि विरूद्ध है। अपीलार्थी के

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विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य के विरूद्ध है अत: निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। अपीलार्थी/विपक्षी के मालिक स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के घर पर आये हैं और उसे आलू अपने कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखने हेतु कहा है, जिस पर उसने आलू अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में भेजा है। अत: वाद हेतुक जिला फोरम, मथुरा में उत्‍पन्‍न हुआ है और जिला फोरम मथुरा को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश में किसी हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

अपील मेमो की धारा-8 में अपीलार्थी की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की नोटिस का जवाब अपीलार्थी/विपक्षी ने दिया है और उसमें उल्‍लेख किया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने 59,775.00 रू0 वारदाना के लिए उससे लिया है। इसके साथ ही उसने 1,00,000.00 रू0 दिनांक 05.3.2011 को, 1,00,000.00 रू0 दिनांक 13.3.2011 को और 1,00,000.00 रू0 दिनांक

-8-

18.3.2011 को चेक के माध्‍यम से लिया है, इस प्रकार उसने कुल 3,59,775.00 रू0 उससे उधार लिया और उसके जिम्‍मा 3389 बैग आलू का 68.00 रू0 प्रति बैग की दर से कोल्‍ड स्‍टोरेज का कराया भी देय है, जो 2,30,452.00 रू0 होता है, इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी का प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के जिम्‍मा 5,90,227.00 रू0 देय धनराशि अवशेष है, जिसका भुगतान प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने नहीं किया है और मॉग करने पर गलत कथन के साथ परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

    अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपील मेमो में किये गये कथन से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का 3389 बैग आलू भन्‍डारित किया जाना अपीलार्थी/विपक्षी को स्‍वीकार है। अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने उससे 3,59,775.00 रू0 उधार चार चेक के माध्‍यम से लिया है तथा 2,30,452.00 रू0 कोल्‍ड स्‍टोरेज का भाड़ा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के जिम्‍मा देय है, जिसकी मॉग करने पर परिवादिनी ने गलत कथन के साथ परिवाद प्रस्‍तुत किया है। अपीलार्थी/विपक्षी ने यह नहीं कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी अपना आलू ले गयी है। अत: जिला फोरम ने आलू तथा उसका मूल्‍य देने हेतु जो अपीलार्थी को आदेशित किया है वह उचित है।

   

-9-

जिला फोरम ने आलू का मूल्‍य 442.00 रू0 प्रति कुन्‍तल माना है, जो उचित प्रतीत होता है।

    परिवाद पत्र के कथन एवं प्रस्‍तुत शपथपत्रों से स्‍पष्‍ट है कि आलू अपीलार्थी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखने की बात प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी और अपीलार्थी/विपक्षी के मालिक के बीच प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के घर जनपद मथुरा में हुई है और वही अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को आलू अपने कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखने हेतु प्रोत्‍साहित किया है। अत: वाद हेतुक आंशिक रूप से जनपद मथुरा में उत्‍पन्‍न हुआ है और जिला फोरम, मथुरा को परिवाद का संज्ञान लेने का अधिकार प्राप्‍त है। अत: यह कहना उचित नहीं है कि जिला फोरम, मथुरा का आक्षेपित निर्णय व आदेश अधिकार रहित है।

    प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने कोल्‍ड स्‍टोरेज के भाड़ा के भुगतान के सम्‍बन्‍ध में कथन नहीं किया है जबकि अपीलार्थी/विपक्षी के अनुसार कोल्‍ड स्‍टोरेज का भाड़ा 2,30,452.00 रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के जिम्‍मा है। आलू के मूल्‍य से कोल्‍ड स्‍टोरेज का भाड़ा घटाकर अवशेष धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को दिया जाना उचित है।

    अपीलार्थी/विपक्षी के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने उससे 3,59,775.00 रू0 के चार चेक के माध्‍यम से उधार लिया है।

-10-

प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपीलार्थी/विपक्षी से यह धनराशि पाना स्‍वीकार नहीं किया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद पत्र में कहा है कि चेक दिनांक 05.3.2011 और दिनांक 16.3.2011 के द्वारा क्रमश: 59,775.00 रू0 और 1,00,000.00 रू0 उसके नाम से भारतीय स्‍टेट बैंक से निकाला गया है, जबकि उसे कोई धनराशि प्राप्‍त नहीं हुई है। अपीलार्थी/विपक्षी ने भुगतान गलत दिखाया है। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद पत्र में निम्‍न अनुतोष चाहा है:-

1-   यह कि प्रार्थिया के जो आलू प्रतिपक्षी संख्‍या-2 के कोल्‍ड स्‍टोर में 3389 बोरे जो आलू रखे है उन्‍हें सही हालत में दिलाया जावे व विकल्‍प में निवेदन है कि आलू प्रदान न करने की अवस्‍था में प्रार्थिया को उनकी कीमत 9,00,000.00 रू0 मय ब्‍याज दिलाया जाये।

2-   यह कि प्रतिपक्षीगण ने साजतन प्रार्थिया के साथ अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करते हुए तीन लाख रूपये दिया जाना जाहिर किया जा रहा है, उसे रद्द किया जावे।

3-   यह कि प्रतिपक्षीगण के द्वारा अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस की जो बकाया धनराशि दिखायी जा रही है उससे प्रार्थिया को मुक्‍त किया जावे।

 

 

-11-

4-   यह कि प्रार्थिया अगर इन आलूओं को बाजार में बेचकर जो लाभ एक लाख रूपये का लाभ अर्जित होता उस एक लाख रूपये को प्रार्थिया को दिलाया जावे।

5-   यह कि प्रार्थिया को प्रतिपक्षीगण के द्वारा जो छल कपट कर एवं अनफेयर ट्रेड प्रेक्ट्रिस करते हुए मानसिक प्रताड़ना की है उसके एवज में 50,000.00 रू0 दिलाया जावे।

6-   यह कि खर्चा परिवाद रूप फीस वकील मु0 11,000.00 रू0 परिवादिनी को प्रतिपक्षीगण से दिलायी जावे।

7-   यह कि अन्‍य कोई सुविधा राय अदालत प्रार्थिया के हक में पायी जावे वह सुविधा भी प्रार्थिया को दिलाया जावे।

    उपरोक्‍त विवरण से स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी और अपीलार्थी/विपक्षी के बीच 3,59,775.00 रू0 पूर्व में प्राप्‍त करने का विवाद है और प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के अनुसार उपरोक्‍त धनराशि के चेकों का भुगतान प्रत्‍यर्थी विपक्षी सं0-1 की पत्‍नी सविता ने उसके नाम का हस्‍ताक्षर बनाकर प्राप्‍त किया है। अत: चेकों का भुगतान कपट एवं कूटरचना द्वारा प्रत्‍यर्थी विपक्षी सं0-1 की पत्‍नी द्वारा प्राप्‍त किया जाना अभिकथित है। कूटरचना व कपट से सम्‍बन्धित जटिल प्रश्‍न उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत सरसरी कार्यवाही में निर्णीत किया जाना सम्‍भव नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को कथित रूप से दी गयी ऋण धनराशि

-12-

3,59,775.00 रू0 के विवाद के सम्‍बन्‍ध में निर्णय हेतु दीवानी न्‍यायालय ही सक्षम है। अत: यह विवादित धनराशि 3,59,775.00 रू0 और कोल्‍ड स्‍टोरेज भाड़ा की धनराशि 2,30,452.00 रू0 कुल धनराशि 5,90,229.00 रू0 आलू के मूल्‍य 7,48,969.00 रू0 से घटाकर 1,58,742.00 रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को दिया जाना उचित है। कथित ऋण धनराशि 3,59,775.00 रू0 का सक्षम व्‍यवहार न्‍यायालय से निर्णय होने पर यह 3,59,775.00 रू0 धनराशि व्‍यवहार न्‍यायालय के निर्णय के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी आलू के मूल्‍य की धनराशि से पाने की अधिकारी होगी।

    उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर परिवाद पत्र में याचित अनुतोष-2 व 3 सक्षम व्‍यवहार न्‍यायालय के निर्णय के अधीन रखी जाती है।

    उपरोक्‍त विवेचना एवं सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं साक्ष्‍यों पर विचार कर मैं इस मत का हॅू कि जिला फोरम ने जो मानसिक संताप व वाद व्‍यय के मद में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को जो 50,000.00 रू0 दिया है उसे कम कर वाद व्‍यय 10,000.00 रू0 दिलाया जाना उचित है।

    उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम का निर्णय संशोधित करते

-13-

हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को 1,58,742.00 रू0 परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज के साथ अदा करें। साथ ही 10,000.00 रू0 परिवाद व्‍यय भी उसे प्रदान करें।

    आलू मूल्‍य की धनराशि 3,59,775.00 रू0 का भुगतान सक्षम न्‍यायालय के निर्णय के अनुसार होगा। उभय पक्ष इस सम्‍बन्‍ध में अपना दावा सक्षम न्‍यायालय में प्रस्‍तुत करने हेतु स्‍वतंत्र हैं।

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं बहन करेगें।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनिमय के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये। 

 

                        (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)               

                                  अध्‍यक्ष                           

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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