Uttar Pradesh

StateCommission

A/2006/2593

Dr K S Verma - Complainant(s)

Versus

Smt Mimla - Opp.Party(s)

Sanjay Tripathi

20 Dec 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2006/2593
( Date of Filing : 12 Oct 2006 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Dr K S Verma
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Mimla
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Dec 2023
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2593/2006

Dr. K.S. Verma, Administrator, A.K. Hospital

Versus

Smt. Mimla Alias Momli, Widow Late Sri Malkha Singh

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री संजय त्रिपाठी, विद्धान अधिवक्‍ता                   

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0डी0 क्रांति, विद्धान अधिवक्‍ता

दिनांक :20.12.2023 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.            परिवाद संख्‍या-84/2003, श्रीमती मिमला उर्फ मोमली बनाम डा0 के0एस0 वर्मा में विद्वान जिला आयोग, सहारनपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.09.2006 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया। निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। 
  2.                        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी का पति मलखा सिंह फेफड़े की बीमारी से ग्रसित थे, जिनका इलाज विपक्षी डॉक्‍टर के यहां 01 वर्ष से चल रहा था। इस इलाज में 2,25,000/-रू0 खर्च हुए। दिनांक 03.02.2003 को सांस लेने में बाधा के कारण विपक्षी के अस्‍पताल में दिखाया। परिवादिनी द्वारा 10,000/-रू0 जमा किये गये। शेष रकम अगले दिन देने के लिए कहा गया, परंतु डॉक्‍टर द्वारा मरीज की पट्टियां उखाड़ दी गयी और धक्‍के देकर हॉस्पिटल से बाहर निकाल दिया गया। परिवादिनी के दो लिहाफ, गद्दे, चादर, बर्तन व दवाइयो के पर्चे जब्‍त कर लिये गये। इस दुखद घटना की शिकायत कलेक्‍टर साहब से की गयी। इसके बाद सी0एम0ओ0 सहारनपुर ने वादिनी के पति को 06.02.2003 को सरकारी अस्‍पताल में भर्ती किया और दिनांक 07.02.2003 को पी0जी0आई0 चंडीगढ़ के लिए रेफर कर दिया, परंतु रास्‍ते में ही मरीज ने दम तोड़ दिया।
  3.        लिखित कथन में मरीज के अस्‍पताल में आना तथा विपक्षी डॉक्‍टर द्वारा इलाज करना स्‍वीकार किया गया। आगे कथन किया गया कि 09.11.2002 को दुबारा अस्‍पताल में आया था और दिनांक 11.11.2002 को डिस्‍चार्ज कर दिया गया और इस अवधि में केवल 1300/-रू0 लिये गये थे। परिवादी पुन: दिनांक 03.02.2003 को अस्‍पताल में आया, तत्‍समय मरीज को पायरोथोराक्‍स नामक बीमारी थी, उसे भर्ती नहीं किया गया, बल्कि प्रतिदिन अस्‍पताल आने के लिए कहा गया था। विपक्षी ने मिलखा सिंह को अस्‍पताल से नहीं निकाला और न पट्टी उखाड़ी थी। किसी असावधानी एवं अमानवीय आचरण से मरीज की मृत्‍यु नहीं हुई है।
  4.        पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि दिनांक 03.02.2003 को धनराशि अदा न करने के कारण दिनांक 05.02.2003 को मरीज को अस्‍पताल से निकाल दिया गया। इस प्रकार अमानवीकृत किया गया। तदनुसार डॉक्‍टर की रिपोर्ट के तथ्‍य को साबित मानते हुए अंकन 1,00,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।
  5.         अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि उनके द्वारा कभी भी मरीज को अस्‍पताल से नहीं निकाला गया, उनकी पट्टी नहीं उखाड़ी गयी, केवल अखबार की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय पारित किया गया है, परंतु निर्णय के अवलोकन से जाहिर होता है कि यह निर्णय केवल अखबार की रिपोर्ट के आधार पर पारित नहीं किया गया, अपितु मरीज की पत्‍नी के शपथ पत्र पर विचार किया गया। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत प्रस्‍तुत किये गये परिवादों में साक्ष्‍य का स्‍तर उस प्रकार का नहीं है, जो भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम के अंतर्गत वर्णित है। उपभोक्‍ता परिवाद में वर्णित तथ्‍य शपथ पत्र से साबित किये जा सकते हैं। वादिनी तथा मरीज के भाई द्वारा शपथ पत्र दिया गया है कि दिनांक 05.02.2003 को डॉक्‍टर द्वारा पर्याप्‍त धनराशि अदा न होने के कारण मरीज की पट्टी उखाड़ दी गयी और अस्‍पताल से निकाल दिया गया। लिखित कथन में डॉक्‍टर द्वारा इस सीमा तक तथ्‍य को स्‍वीकार किया गया है कि वादिनी का पति इलाज के लिए भर्ती हुआ था और पुन: अस्‍पताल में आया था। इसके बाद के तथ्‍यों को शपथ पत्र द्वारा स्‍वयं परिवादिनी ने साबित किया है। अत: जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्‍तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।   
  6.  

           अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

         

      (सुधा उपाध्‍याय)                         (सुशील कुमार)                           

          सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

  

        संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3

 

 

 

 

 

         

  

           

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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