(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1095/2006
मैनेजर, सेंट फ्रांसिस स्कूल तथा एक अन्य
बनाम
श्रीमती मंजू देवी तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री आर.के. मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री रवि रावत,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 06.07.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-171/2003, श्रीमती मंजू देवी बनाम शाखा प्रबंधक, शाखा रसड़ा, भारतीय जीवन बीमा निगम तथा दो अन्य में विद्वान जिला आयोग, बलिया द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19.04.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर केवल अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 व 3 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आर.के. मिश्रा तथा प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादिनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री रवि रावत को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी संख्या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि प्रत्यर्थी संख्या-2, बीमा कंपनी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है, परन्तु बीमा
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कंपनी के ऊपर कोई उत्तरदायितव अधिरोपित नहीं किया गया है। अत: बीमा कंपनी को सुनना आवश्यक नहीं है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पति विपक्षी संख्या-2 एवं 3 के स्कूल में तैनात थे। विपक्षी संख्या-2 व 3 द्वारा अपने कर्मचारियों का सामूहिक बीमा कराया गया था, जिसके प्रीमियम की कटौती कर्मचारियों के वेतन से होती थी। परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनांक 26.4.2001 को हो गई, परन्तु बीमा क्लेम अदा नहीं किया गया, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षी संख्या-1 का कथन है कि मार्च 2001 का प्रीमियम प्राप्त नहीं हुआ, इसलिए पालिसी कालातीत हो गई थी।
5. विपक्षी संख्या-2 व 3 का कथन है कि वेतन देरी से बनने के कारण किश्त समय पर नहीं भेजी जा सकी।
6. सभी पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि चूंकि विद्यालय का यह दायित्व था कि प्रीमियम का भुगतान समय पर किया जाता और विद्यालय इस दायित्व का पालन करने में विमुख रहा है, इसलिए पालिसी कालातीत होने के लिए विद्यालय प्रशासन उत्तरदायी है। तदनुसार बीमित धनराशि विद्यालय/अपीलार्थी द्वारा अदा करने का आदेश विद्वान जिला आयोग द्वारा दिया गया।
7. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि वेतन देरी से प्राप्त हुआ, परन्तु चूंकि वेतन के बिल तैयार करने एवं वितरित करने का उत्तरदायित्व विद्यालय प्रशासन पर ही है, इसलिए यदि विद्यालय प्रशासन द्वारा वेतन देरी से वितरित किया गया तब पालिसी कालातीत होने के लिए विद्यालय प्रशासन ही उत्तरदायी है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि उन्हें वेतन राज्य सरकार द्वारा
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प्रदत्त किया जाता है। इस स्थिति के बावजूद कि वेतन राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त किया जाता है, वेतन बिल समय पर तैयार करना तथा वेतन वितरित करने का उत्तरदायित्व विद्यालय प्रशासन का ही है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधिसम्मत है। प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3