Uttar Pradesh

StateCommission

A/1154/2015

Central Bank Of India - Complainant(s)

Versus

Smt Kusum Lata - Opp.Party(s)

Zafar Aziz

22 Mar 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1154/2015
(Arisen out of Order Dated 13/05/2015 in Case No. C/228/2014 of District Auraiya)
 
1. Central Bank Of India
Auraiya
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Kusum Lata
Auraiya
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 22 Mar 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-1154/2015

                                              (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, औरैया द्वारा परिवाद संख्‍या 228/2014 में पारित आदेश दिनांक 13.05.2015 के विरूद्ध)

सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया शाखा मिहौली, परगना, तहसील व जिला औरैया द्वारा शाखा प्रबन्‍धक                   ...................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

श्रीमती कुसुम लता पत्‍नी जयचन्‍द्र निवासिनी ग्राम व पोस्‍ट बखरिया परगना व जिला औरैया                 .................प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

माननीय श्री राम चरन चौधरी, सदस्‍य।

माननीय श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री जफर अजीज,                  

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री शिव प्रकाश गुप्‍त,

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 07-10-2017         

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-228/2014 श्रीमती कुसुम लता बनाम सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया व एक अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, औरैया द्वारा पारित निर्णय और आदेश  दिनांक  13.05.2015 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध 12,000 रू0 की बसूली हेतु स्‍वीकार किया जाता है। इस धनराशि पर वाद योजन की तिथि से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी  देना  होगा।

-2-

विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि उपरोक्‍तानुसार धनराशि निर्णय के एक माह में परिवादी को अदा करें।''

जिला फोरम के आक्षेपित निर्णय और आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षीगण सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री जफर अजीज और प्रत्‍यर्थी की ओर से  विद्वान  अधिवक्‍ता श्री शिव प्रकाश गुप्‍त उपस्थित आए हैं।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी श्रीमती कुसुम लता ने उपरोक्‍त परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि उसका बचत खाता विपक्षी सेन्‍ट्रल बैंक आफ इण्डिया की शाखा मिहौली में है। शाखा के कैशियर द्वारा गबन किए जाने की सूचना पाने पर वह बैंक गयी तो उसके खाते में 10,000/-रू0 गायब पाया गया, जबकि पासबुक में इसकी प्रविष्टि है। उसने बैंक से इस धनराशि की मांग की तो बैंक ने उसे देने से इन्‍कार किया। तब उसने परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

     अपीलार्थी बैंक की ओर से विपक्षीगण ने जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है, जिसमें प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी का खाता बैंक में होना स्‍वीकार किया गया है, परन्‍तु बैंक की ओर से कहा गया है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने 10,000/-रू0 बैंक में जमा नहीं किया है।

     जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार  करने  के  उपरान्‍त  यह  माना  है  कि  प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी   ने             

-3-

10,000/-रू0 जमा करना प्रमाणित किया है, परन्‍तु उसे बैंक ने उसके खाते में जमा नहीं किया है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

     अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है।     प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है और इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

     हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने 10,000/-रू0 अपने खाते में जमा करने के प्रमाण स्‍वरूप पासबुक और जमा रसीद प्रस्‍तुत किया है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि उसने यह धनराशि अपने खाते में जमा की है, परन्‍तु बैंक द्वारा उसके खाते में यह धनराशि जमा नहीं की गयी है। अत: जिला फोरम ने यह धनराशि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को वापस करने का जो आदेश दिया है वह उचित है। जिला फोरम ने जो 1000/-रू0 वाद व्‍यय दिलाया है वह भी उचित है, परन्‍तु जिला फोरम ने जो 1000/-रू0 मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति दिलाया है हमारी राय में वह अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। 

इसके साथ ही उचित प्रतीत होता है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को उसकी प्रश्‍नगत धनराशि पर ब्‍याज उसी दर पर दिया जाए जिस दर पर उसके खाते में जमा धनराशि पर ब्‍याज देय है।

     उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को मानसिक कष्‍ट हेतु

-4-

प्रदान की गयी 1000/-रू0 क्षतिपूर्ति की धनराशि अपास्‍त की जाती है तथा जिला फोरम का आक्षेपित निर्णय और आदेश संशोधित करते हुए अपीलार्थी बैंक को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की प्रश्‍नगत धनराशि 10,000/-रू0 उसके खाते में जमा धनराशि पर देय ब्‍याज की दर से परिवाद की तिथि से अदायगी की तिथि तक ब्‍याज सहित प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को अदा करे। इसके साथ ही अपीलार्थी बैंक प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गयी 1000/-रू0 वाद व्‍यय की धनराशि भी अदा करेगा।

     अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 

                 

  (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)   (राम चरन चौधरी)    (संजय कुमार)        

        अध्‍यक्ष             सदस्‍य             सदस्‍य

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1    

      

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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