Uttar Pradesh

StateCommission

A/2005/635

U P Electronic Corporetion - Complainant(s)

Versus

Smt Kumudani Srivastva - Opp.Party(s)

Deepak Shukla, Rajesh Chadha

01 Aug 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2005/635
( Date of Filing : 08 Apr 2005 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P Electronic Corporetion
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Kumudani Srivastva
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Aug 2023
Final Order / Judgement

( मौखिक )

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या : 635/2005

 

 

यू0पी0 इलेक्‍ट्रानिक्‍स कार्पोरेशन लिमिटेड, 10 अशोक मार्ग, लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डाइरेक्‍टर।

 

बनाम्

 

1-श्रीमती कुमदिनी श्रीवास्‍तव निवासी-21 गनेशपुरी कालोनी, भवानीगंज, लखनऊ

 

2-अपलीज फाइनेन्सियल सर्विसेज लिमिटेड, खुशनुमा काम्‍प्‍लेक्‍स 7, मीरा बाई मार्ग, लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डाइरेक्‍टर।                          

प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

       

समक्ष  :-

     1-मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,       अध्‍यक्ष।

 

     उपस्थिति :

     अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित-   श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव।

     प्रत्‍यर्थी  की ओर से उपस्थित-        कोई नहीं।

 

दिनांक : 01-08-2023

 

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष  द्वारा उदघोषित निर्णय

     अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का विस्‍तारपूर्वक सुना गया।

 

 

 

-2-

     प्रस्‍तुत अपील बहुत पुरानी है और विगत 18 वर्षों से इस न्‍यायालय के सम्‍मुख सुनवाई हेतु लम्बित है।

     परिवाद संख्‍या-811/2003 कुमदिनी श्रीवास्‍तव बनाम अपलीज फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0 व एक अन्‍य में जिला आयोग प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 28-12-2004 के विरूद्ध यह अपील यू0पी0 इलेक्‍ट्रानिक्‍स कार्पोरेशन लि0 की ओर से इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की गयी है।

     परिवाद पत्र में परिवादिनी द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि परिवाद में विपक्षीगण द्वारा दिनांक 22-04-1999 को परिवादिनी से रू0 16,000/-रू0 की धनराशि जमा कराई गयी, जिस पर पक्षकारों के मध्‍य समझौता अनुसार 200/-रू0 प्रतिमाह की दर से ब्‍याज की अदायगी किया जाना निर्धारित किया गया, उक्‍त संबंध में विपक्षी कम्‍पनी द्वारा छ: पोस्‍ट डेटेज चेक परिवादिनी को प्राप्‍त करायी गयी जो भुगतान हेतु परिवादिनी द्वारा बैंक में जमा की गयी किन्‍तु खाते में धनराशि के अभाव के कारण चेक अनादरित हो गयी अर्थात परिवादिनी द्वारा जमा मूल धनराशि व ब्‍याज परिवादिनी को प्राप्‍त नहीं हो सकी, जिस हेतु उसके द्वारा भुगतान हेतु रू0 17,145/-रू0 व ब्‍याज 15 प्रतिशत व रू0 3,000/- बतौर प्रतिकर दिलाये जाने हेतु यह परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

     जिला आयोग के समक्ष परिवादिनी उपस्थित आईं। विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। जिला आयोग के द्वारा परिवादिनी के परिवाद को विस्‍तार पूर्वक सुनने के उपरान्‍त परिवाद को एकपक्षीय रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न तथ्‍य उल्लिखित करते हुए निस्‍तारित किया गया :-

     ‘’परिवाद संख्‍या-811/2003 में परिवाद पत्र विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से स्‍वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि निर्णय

 

 

-3-

आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि परिवादिनी द्वारा उपलब्‍ध कराये जाने की तिथि से 60 दिवस के अंदर परिवादिनी  को देय परिपक्‍वता धनराशि रू0 17,145/- एवं उस पर दिनांक 22-04-2002 से उक्‍त धनराशि की पूर्ण अदायगी होने की अंतिम तिथि तक की अवधि हेतु उक्‍त धनराशि पर 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज की धनराशि बतौर प्रतिकर व 1000/-रू0 बतौर वाद व्‍यय के रूप में अदा किया जाये।‘’

     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव द्वारा यह तथ्‍य उल्लिखित किया गया कि परिवाद में विपक्षी सं0-2 सर्व श्री यू0पी0 इलेक्‍ट्रानिक्‍स कार्पोरे‍शन लि0 को पक्षकार बनाया गया, जब कि उपरोक्‍त पक्षकार परिवाद में विपक्षी  संख्‍या-1 अपलीज फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0 लखनऊ के शेयर होल्‍डर के रूप में ही कार्यरत रहे थे/नामित थे, अतएव जिला आयोग द्वारा जो यह निर्णय पारित किया गया है कि देय धनराशि विपक्षीगण द्वारा प्रदान की जावेगी, को वर्तमान विपक्षी अर्थात सर्वश्री यू0पी0 इलेक्‍ट्रानिक्‍स कार्पोरे‍शन लि0 के विरूद्ध वसूला नहीं जा सकता।

     मेरे द्वारा श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव को सुना गया।

      निश्चित रूप से परिवाद में विपक्षी संख्‍या-1 व 2 द्वारा सामूहिक रूप से धनराशि प्राप्‍त की गयी व वर्तमान अपीलार्थी द्वारा भी उपरोक्‍त धनराशि का प्रयोग/दुरूपयोग किया गया जिसकी देनदारी से वह अवमुक्‍त नहीं हो सकते हैं।

     यहॉं यह भी तथ्‍य उलिलखित किया जाना आवश्‍यक प्रतीत होता है कि परिवाद पत्र में विपक्षी संख्‍या-1 अपलीज फाइनेन्सियल सर्विसेज लि0 द्वारा कोई अपील प्रस्‍तुत न  किया जाना भी संदेह की परिधि में आता है अर्थात परिवाद में विपक्षीगण द्वारा सामूहिक रूप से विभिन्‍न लोगों से धनराशि वसूल कर दिये गये

 

 

 

 

-4-

 आश्‍वासन के विरूद्ध कार्य किया गया जो निश्चित रूप से उनके द्वारा अनैतिक कार्य की श्रेणी में आता है।

     अत: समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

     अपील निरस्‍त की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।

     इस निर्णय एवं आदेश का अनुपालन निर्णय से 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित किया जावे।

     उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्‍याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्‍तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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