(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1393/2008
Punjab National Bank
Versus
Smt. Kranti Devi W/O Shri Ram Bharosey
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री एस0एम0 बाजपेयी, विद्धान
अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री इफ्तेखार हसन, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :23.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-75/2005, श्रीमती क्रांति देवी बनाम शाखा प्रबंधक पंजाब नेशनल बैंक में विद्वान जिला आयोग, ज्योतिबा फूले नगर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 12.06.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2 जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी के खाते से अवैध रूप से निकाली गयी राशि अंकन 12,800/-रू0 अदा करने के साथ-साथ मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 5,000/-रू0, परिवाद व्यय के रूप में अंकन 1,500/-रू0 तथा हस्तलेख एवं अंगुष्ठ चिन्ह रिपोर्ट में खर्च की गयी राशि अंकन 5,500/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि परिवादिनी विपक्षी बैंक की नियमित ग्राहक है तथा उसका बचत खाता सं० 23088 है तथा परिवादिनी के उक्त खाते में मुबलिग 14.815/-रू० जमा था जिसका इन्द्राज परिवादिनी की पास बुक में है। परिवादिनी ने दिनाक 21-7-2003 को एक आहरण आदेश फार्म अंकन 6,000/-रू० निकालने हेतु विपक्षी के सम्बन्धित लिपिक को दिया। सम्बन्धित लिपिक ने परिवादिनी द्वारा भरा गया आहरण आदेश फार्म यह कहकर वापिस कर दिया कि परिवादिनी के खाते में केवल 2,400/-रू० है जबकि परिवादिनी के उक्त खाता स० 23088 की पास बुक में उस समय 14.815/-रू मौजूद थे, जो कि आज भी मौजूद है। परिवादिनी बीमार चल रही थी और इलाज के लिए उक्त धनराशि को निकालना आवश्यक था। विपक्षी द्वारा परिवादिनी को उक्त भुगतान न करने से मानसिक आघात पहुँचा तथा उसकी तबियत और खराब हो गयी तथा धन के अभाव के कारण यह अपना इलाज नहीं करा सकी, विपक्षी की सेवा मे कमी के कारण यह परिवाद दाखिल किया गया है।
4. बैंक ने परिवादी के पक्ष में पासबुक जारी करना स्वीकार किया है। शेष तथ्यों से इंकार किया है तथा यह भी कथन किया है कि बैंक ने परिवादिनी के खाते से पैसे निकालने की कोई फार्म नहीं दिया। परिवादिनी के खाते में दिनांक 06.09.2003 से 02.03.2004 तक केवल 2,545/-रू0 बकाया थे, उसके द्वारा स्वयं धनराशि निकाली गयी।
5. जिला उपभोक्ता आयोग ने धनराशि आहरित करने वाले प्रपत्र पर परिवादिनी के अंगूठे की प्रमाणिकता के संबंध में विशेषज्ञ रिपोर्ट प्राप्त की गयी और यह पाया कि परिवादिनी द्वारा क्रमश: 5,800/-रू0, 4,000/-रू0, 1500/-रू0, 500/-रू0 एवं 1,000/-रू0 आहरित नहीं किये हैं, जबकि इस खाते से धनराशि आहरित हुई है, इस निर्णय एवं आदेश को परिवर्तित करने का कोई आधार इस पीठ के समक्ष मौजूद नहीं है क्योंकि जिला उपभोक्ता आयोग ने विशेषज्ञ साक्षी के साक्ष्य के आधार पर निर्णय पारित किया है, जिससे साबित होता है कि आहरण करने वाले प्रपत्र पर परिवादिनी के अंगूठा निशानी मौजूद नहीं है। अत: अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2