Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/1191

Punjab National Bank - Complainant(s)

Versus

Smt Kela Devi - Opp.Party(s)

S M Bajpai

21 Nov 2014

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/1191
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Punjab National Bank
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Kela Devi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Chandra Bhal Srivastava PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ

                   अपील संख्‍या  1191 सन  2008        सुरक्षित

 (जिला उपभोक्‍ता फोरम, रामपुर, के  परिवाद केस संख्‍या-27/2007 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक-23-05-2008 के विरूद्ध)

पंजाब नेशनल बैंक, ब्रान्‍च बिजनौर, जिला बिजनौर द्वारा चीफ मैनेजर।

                                         ...अपीलार्थी/विपक्षी                                                                                                                                                  

                             बनाम

श्रीमती केला देवी पत्‍नी सत्‍यवीर सिंह, निवासी-  कार्यालय पुलिस अधीक्षक, जिला- रामपुर।                               .....प्रत्‍यर्थी/परिवादी                                  

समक्ष:-

   1-मा0 श्री चन्‍द्रभाल श्रीवास्‍तव, पीठासीन सदस्‍य।

   2-मा0 श्री आर0सी0 चौधरी, सदस्‍य।                            

अधिवक्‍ता  अपीलार्थी       : श्री एस0एम0 बाजपेई, विद्वान अधिवक्‍ता।

अधिवक्‍ता प्रत्‍यर्थी          : श्री एस0के0 शुक्‍ला, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 19-12-2014

मा0 श्री  आर0सी0 चौधरी, सदस्‍य द्वारा उदघोषित।

निर्णय

मौजूदा अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, रामपुर, के  परिवाद केस संख्‍या-27/2007 में  पारित निर्णय/आदेश दिनांक-23-05-2008 के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया गया है। उपरोक्‍त निर्णय द्वारा परिवादिनी केला देवी का परिवाद 500-00 रूपये हर्जाने के साथ स्‍वीकार किया गया है और विपक्षी/अपीलकर्ता पंजाब नेशनल बैंक को आदेशित किया गया है कि वह 20,124-00 रूपये 8 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से दिनांक-29-01-1990 से उसकी अदायगी तक अदा करें और हर्जाना भी 5,000-00 रूपये अदा करें।

संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि श्रीमती केला देवी ने पंजाब नेशनल बैंक के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता फोरम, रामपुर में परिवाद दायर किया, जिसमें कहा गया है कि परिवादिनी ने विपक्षी के बैंक में दिनांक-29-01-1990 को बचत खाता संख्‍या-23424 मु0 5-00 रूपये से खोला था और उसी दिन

(2)

15,169-00 रूपये व 4840-00 जमा किया। इस प्रकार परिवादिनी का उपरोक्‍त बचत खाता में कुल 20,124-60 पैसे जमा हो गया है। परिवादिनी के पति सत्‍यवीर सिंह, पुलिस विभाग में सिपाही के पद पर कार्यरत है और वर्ष 1990 में खाता खोलने के पश्‍चात पहाड़ पर ट्रांसफर हो गया और बार-बार इधर-उधर स्‍थानान्‍तरण में परिवादिनी के बचत खाता की पासबुक कहीं गुम हो गई और परिवादिनी को अपना खाता संख्‍या याद नहीं रहा। परिवादिनी विपक्षी के कार्यालय जाती रही, लेकिन विपक्षी यही कहते रहे कि खाता संख्‍या लेकर आवो तब आपका रूपया नई किताब बनाकर निकाला जायेगा। सौभाग्‍यवश परिवादिनी की पासबुक अपने पति के सर्टिफिकेट की फाइल में रखी मिली तब परिवादिनी ने माह अगस्‍त 2006 में विपक्षी से सम्‍पर्क किया और रूपया निकालने गई, लेकिन विपक्षी बोले कि 15 वर्ष पहले का खाता अब आप यदि अपना खाता संख्‍या दिखवाना चाहती है तो उसके लिए फीस रूपया 1000-00 रूपये जमा करो। परिवादिनी ने दिनांक-22-08-2006 को एक हजार रूपये विपक्षी बैंक में जमा कर रसीद प्राप्‍त कर लिया, जिसकी फोटो कापी नत्‍थी है, फिर भी विपक्षी ने कोई कार्यवाही नहीं की है, तब परिवादिनी ने दिनांक-16-10-2006 को विपक्षी को पत्र लिखा, लेकिन फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो मजबूरन परिवादिनी ने परिवाद प्रस्‍तुत किया। परिवादिनी को मानसिक कष्‍ट हुआ उसके लिए 15,000-00 रूपये पाने की हकदार है। अत: विपक्षी से रूपया 20,124-60 पैसे और उस पर दिनांक-29-01-1990 से भुगतान की तिथि तक 8 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज तथा एक हजार रूपये तथा उस पर दिनांक-22-08-2006 से भुगतान की तिथि तक 08 प्रतिशत ब्‍याज तथा मानसिक पीड़ा के लिए 15000-00 और परिवाद खर्च के लिए 1100-00 रूपये दिलाया जाय।

प्रतिवादी के तरफ से प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया, जिसमें कहा गया है कि बैंक के नियमावली के अनुसार रिकार्ड का रख-रखाव केवल 8 वर्ष तक के लिए होता है, जो कि बाउचर व लेजर के सम्‍बन्‍ध में होता है। रिर्जव बैंक आफ इंडिया गाइड लाइन रिकार्ड मेंटीनेंस (रिवाइज्‍ड) 2002 पारित किया है,

(3)

 उसके अनुसार रिकार्ड कीपिंग रिकार्ड रीटेन्‍शन व रिकार्ड मीडिया के सम्‍बन्‍ध में नियमों का पालन किया जाता है। मौजूदा केस में 10 वर्ष पुराना मामला था, इसलिए विपक्षी बैंक ने कोई रिकार्ड ढूंढने में असमर्थ था, हर ग्राहक का काम है कि पासबुक को सही रूप से मेनटेन करें और उसमें निकाले हुए धनराशि, दिये हुए धनराशि का मौजूदा पासबुक में कोई इन्‍ट्री जमा की नहीं है और निकालने की नहीं है और एकाउन्‍ट क्‍लोज का रिकार्ड 5 साल से ज्‍यादा नहीं रखा जाता है। विपक्षी बैंक राष्‍ट्रीयकृत बैंक है और उसके कर्मचारी बैंक के सरकुर्लर व रिर्जव बैंक आफ इंडिया के गाइड लाइन से बंधे हुए है। उपभोक्‍ता फोरम अधिनियम के अर्न्‍तगत समरी प्रोसीडिंग होती है और उसमें कोई जिरह का मौका नहीं मिलता है। विपक्षी बैंक 1,000-00 रूपये जो परिवादिनी से प्राप्‍त किया था, उसको दे रहा है, उसे मना नहीं किया और विपक्षी बैंक रिकार्ड ढूंढने में असमर्थ है।

इस सम्‍बन्‍ध में जिला उपभोक्‍ता फोरम का निर्णय/आदेश दिनांकित-23-05-2008 का अवलोकन किया गया तथा अपील के आधार का अवलोकन किया गया व अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0एम0 बाजपेई व प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0के0 शुक्‍ला की बहस सुनी गई।

परिवादिनी ने पासबुक की एक फोटो कापी दाखिल की है, जो क्रमांक संख्‍या-21 पर है, जिसमें खाता संख्‍या-23424 अंकित है और 5-00 रूपये दिनांक-29-01-1990 को अंकित है और 29-01-1990 को ही 15,169-60 पैसे दर्ज है और उसी तिथि को 4800-00 रूपये भी दर्ज है, इसके अलावा उक्‍त पासबुक का कोई इन्‍द्राज निकालने अथवा जमा करने का नहीं है। इसके विरूद्ध पासबुक के इंट्री का कोई अन्‍य लेखा विपक्षी के तरफ से नहीं दाखिल किया गया है। जिला उपभोक्‍ता फोरम ने अपने निर्णय में कहा है कि विपक्षी ने परिवादिनी के द्वारा बार-बार जाने पर भी कोई ध्‍यान नहीं दिया गया और उसको खाता नम्‍बर याद नहीं था, क्‍योंकि उसको पासबुक नही मिल रहा था। यह कहना गलत है कि परिवादिनी ने अपना पूरा रकम निकाल लिया था और उसका खाता वर्ष 1999 में बन्‍द हो गया। इस सम्‍बन्‍ध में प्रतिवादी के पास

(4)

कोई‍ रिकार्ड नहीं है, जिससे कि रकम निकालने का कोई साक्ष्‍य हो। विपक्षी बैंक के तरफ से केवल एक ही सहारा लिया गया है कि 8 साल का पुराना रिकार्ड नष्‍ट हो जाता है और जिला उपभोक्‍ता फोरम ने यह पाया कि बिना पासबुक के जमा हो ही नहीं सकता है और यदि कोई रकम निकाली गई होती तो उसका इन्‍द्राज होता, लेकिन इस प्रकार की कोई इन्‍ट्री पासबुक की जो कापी दाखिल की गई है, उसमें नहीं है और 8 वर्ष के बाद जो रिकार्ड नष्‍ट किया गया है, वह परिवादिनी को नही पता था और इस प्रकार से नियमावली को कोई पब्लिक आदमी आसानी से नहीं जान सकता है और जिला उपभोक्‍ता फोरम ने यही निष्‍कर्ष दिया है कि कोई रकम अगस्‍त 2006 तक परिवादिनी के द्वारा नहीं निकाली गई और कोई उसका ट्रांजक्‍शन नहीं हुआ और यदि परिवादिनी का खाता डेड हो चुका है तो पुन: उसको जीवित किया भी जा सकता है। परिवादिनी को 20124-60 मिलने का कोई अभिलेख नहीं है और परिवादिनी ने अपने शपथ पत्र से पासबुक दाखिल कर अपने मामले को साबित कर दिया है और उसके विरोध में कोई साक्ष्‍य बैंक ने दाखिल नहीं किया है और इसलिए कानूनी मान्‍यता यही होगी कि 20,124-60 पैसे विपक्षी के पास अभी भी है और उस पर परिवादिनी ब्‍याज भी पाने की हकदार है।

केस के तथ्‍यों परिस्थितियों को देखते हुए और विपक्षी बैंक के तरफ से कोई साक्ष्‍य इस सम्‍बन्‍ध में न होने और विपक्षी का कोई शपथ पत्र न होने से जिला उपभोक्‍ता फोरम ने जो निर्णय रूपया दिये जाने के सम्‍बन्‍ध में पारित किया है, वह विधि सम्‍मत है, लेकिन हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचते है कि मामला अति पुराना होने के कारण उसका रिकार्ड बैंक के पास नहीं रहा और इसलिए 5,000-00 हर्जाना बैंक के ऊपर आरोपित किया गया है, वह समाप्‍त किये जाने योग्‍य है और 500-00 रूपये जो वाद व्‍यय लगाया गया है, वह भी समाप्‍त किये जाने योग्‍य है और इसी संशोधन के साथ अपीलकर्ता की अपील निस्‍तारित किये जाने योग्‍य है।

आदेश

अपीलकर्ता की अपील ऑशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा अपीलकर्ता पंजाब नेशनल बैंक पर 5000-00 रूपये हर्जाना

(5)

व 500-00 रूपये वाद व्‍यय लगाया गया है, उसे समाप्‍त किया जाता है। जिला उपभोक्‍ता फोरम के शेष निर्णय/आदेश दिनांकित-23-05-2008 की पुष्टि की जाती है।

उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्‍यय स्‍वयं वहन करेगें।

 

     ( सी0बी0 श्रीवास्‍तव )                     (राम चरन चौधरी)                        

       पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2

कोर्ट नं0-2

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'ABLE MR. Chandra Bhal Srivastava]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Ram Charan Chaudhary]
MEMBER

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