राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-१२९९/२००८
(जिला मंच (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-१८६/२००६ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०५-२००८ के विरूद्ध)
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा एक्जक्यूटिव इंजीनियर अर्बन इलैक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीबूशन डिवीजन (पंचम), आगरा।
............. अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
श्रीमती कैलाश कुन्द्रा पत्नी श्री प्राण नाथ निवासी १३/३९ चारबाग, शाहगंज, आगरा।
............ प्रत्यर्थी/परिवादिनी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एम0एन0 मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- ०६-०२-२०१८.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-१८६/२००६ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०५-२००८ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार परिवादिनी के पास विद्युत कनेक्शन नम्बर १७१/१३३२०८ अपीलार्थी द्वारा स्वीकृत था। परिवादिनी के परिसर में एफ0आई0एस0 ०७९ इलैक्ट्रॉनिक मीटर लगाया गया। परिवादिनी समय-समय पर अपना विद्युत बिल जमा करती रही। दिनांक ३१-१२-२००५ से १६-०३-२००६ तक का विद्युत बिल दिनांक ३१-०३-२००६ को जमा किया गया। उपरोक्त मीटर में कमियॉं थीं जिनको दूर करने के लिए अपीलार्थी के यहॉं शिकायत की गई तथा दिनांक २७-०९-२००५ को १००/- रू० रीसीलिंग के लिए जमा किए गये। दिनांक ३१-०३-२००६ को परिवादिनी के परिसर में चैकिंग की गई। अपीलार्थी ने चैकिंग रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि मीटर की
-२-
सील टूटी हुई है। परिवादिनी ने इस सन्दर्भ में अपीलार्थी के कार्यालय में आपत्ति प्रस्तुत की। दिनांक ३०-०६-२००६ को अपीलार्थी के कार्यालय से पुन: दूसरा नोटिस प्राप्त हुआ जिसमें असेसमेण्ट की धनराशि अदा करने के लिए कहा गया। परिवादिनी पुन: अपीलार्थी से मिली तथा अपनी आपत्ति दर्ज कराई तथा कहा कि परिवादिनी मात्र उसी रूपये को अदा करने की जिम्मेदार है जो दिनांक ३१-०३-२००६ को लोड परिसर में पाया गया। परिवादिनी द्वारा कोई विद्युत चोरी नहीं की गई। अपीलार्थी, परिवादिनी से मिनीमम लोड का चार्ज प्राप्त करने का अधिकारी है। परिवादिनी द्वारा पुन: शिकायत करने पर जब कोई कार्यवाही नहीं की गई तब चैकिंग रिपोर्ट संख्या १५/६४७४ दिनांक २१-०३-२००६ व इस पर आधारित ३,४८,०२९/- रू० के असेसमेण्ट बिल को निरस्त करने तथा ८,०००/- रू० व ८०,०००/- रू० कम्पाउण्डिंग चार्जेज वापस प्राप्त करने हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थी के कथनानुसार दिनांक ३१-०३-२००६ को चैकिंग के दौरान् परिवादिनी के विद्युत कनेक्शन से सम्बन्धित मीटर की सील टूटी पायी गई तथा परिवादिनी बाईपास करके विद्युत चोरी कर रही थी। मु0 ८०,०००/- रू० दिनांक ०५-०४-२००६ को शमन शुल्क के रूप में जमा किया गया तथा प्रोविजनल असेसमेण्ट बिल ३,४८,०२९/- रू० का तैयार किया गया। तदोपरान्त परिवादिनी के विरूद्ध विद्युत व्यवस्था देय बसूली अधिनियम १९५८ की धारा-३ के अन्तर्गत नोटिस जारी की गई। अपीलार्थी ने परिवाद धारा-१२६ एवं १२७ इलैक्ट्रिसिटी एक्ट २००३ से बाधित होना भी अभिकथित किया।
विद्वान जिला मंच ने परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए चैकिंग रिपोर्ट दिनांक ३१-०३-२००६ व इस पर आधारित असेसमेण्ट ३,४८,०२९/- रू० निरस्त कर दिया तथा अपीलार्थी को आदेशित किया कि वह परिवादिनी के परिसर का विद्युत मीटर खराब होने के दिनांक से तथा विद्युत कनेक्शन काटे जाने के दिनांक तक का विद्युत बिल लोड के आधार पर बनाकर दें तथा विद्युत बिल प्राप्त करने के उपरान्त बिल भुगतान प्रापत कर लेने के दिनांक से १५ दिन के अन्दर विद्युत विच्छेदन को संयोजित करे। साथ ही आदेश के दिनांक से ३० दिन के अन्दर उपरोक्त आदेश जो बिल उपलब्ध कराने
-३-
के सम्बन्ध में है, परिवादिनी को दें। साथ ही १,५००/- रू० बतौर परिवाद व्यय अदा करें। यह भी आदेशित किया गया कि अवहेलना करने पर उक्त १,५००/- रू० की धनराशि पर आदेश के दिनांक से वास्तविक भुगतान की तिथि ०९ प्रतिशत ब्याज भी देय होगा। अपीलार्थी को यह भी आदेशित किया गया कि अपीलार्थी जमा धनराशि को भविष्य के बिलों में समायोजित करे। परिवाद के विपक्षी सं0-२ व ३ के विरूद्ध परिवाद खण्डित किया गया।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई।
हमने अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एन0 मिश्रा तथा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रस्तुत प्रकरण में विवाद, निर्विवाद रूप से प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा कथित विद्युत चोरी तथा इस सन्दर्भ में अपीलार्थी द्वारा तैयार किया गया ३,४८,०२९/- रू० के असेसमेण्ट बिल का है, जिसे परिवादिनी ने अवैध बताया है।
विद्युत अधिनियम की धारा-१२६ के अन्तर्गत अनधिकृत विद्युत उपयोग किया जाना पाए जाने की स्थिति में अनधिकृत विद्युत उपयोग के सन्दर्भ में असेसमेण्ट बिल अपीलार्थी द्वारा तैयार किया जा सकता है जिसकी अदायगी का दायित्व उपभोक्ता का होगा। धारा-१२७ विद्युत अधिनियम के अन्तर्गत इस असेसमेण्ट बिल के विरूद्ध उपभोक्ता अपील, अपीलार्थी के कार्यालय में सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है। विद्युत अधिनियम की धारा-१४५ इस सन्दर्भ में परिवाद उपभोक्ता मंच में योजित किया जाना प्रतिबन्धित करती है। यू0पी0पी0सी0एल0 व अन्य बनाम अनीस अहमद, III (2013) CPJ 1 (SC) के मामले में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्णीत किया गया है कि विद्युत अधिनियम की धारा-१२६ के अन्तर्गत की गई कार्यवाही के विरूद्ध उपभोक्ता मंच में परिवाद पोषणीय नहीं है।
उपरोक्त तथ्यों के आधार पर हमारे विचार से प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई का
-४-
क्षेत्राधिकार जिला मंच को प्राप्त नहीं था, अत: प्रश्नगत निर्णय क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित किए जाने के कारण अपास्त किए जाने योग्य है। अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-१८६/२००६ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २८-०५-२००८ अपास्त करते हुए परिवाद निरस्त किया जाता है।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-३.