Uttar Pradesh

StateCommission

A/1998/730

M/s Ansal Housing - Complainant(s)

Versus

Smt Indu Khanna - Opp.Party(s)

Anil Kumar, Ankit Srivastava

20 Oct 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1998/730
( Date of Filing : 23 Mar 1998 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/s Ansal Housing
New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Indu Khanna
Ghaziabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Oct 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-730/1998

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, गाजियाबाद द्धारा परिवाद सं0-427/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.02.1998 के विरूद्ध)

मैसर्स अंसल हाउसिंग एण्‍ड कंस्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड, रजिस्‍टर्ड आफिस 15-यूजीएफ, इन्‍द्रा प्रकाश 21, बारहखम्‍भा रोड नई दिल्‍ली-110001 द्वारा डायरेक्‍टर।

                                              ........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम              

श्रीमती इन्‍दु खन्‍ना पत्‍नी श्री सुभाष खन्‍ना, निवासी एच.एच. 274, शास्‍त्री नगर, गाजियाबाद।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री अंकित श्रीवास्‍तव के कनिष्‍ठ सहायक

  श्री आदित्‍य श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं।

दिनांक :- 20.10.2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/मैसर्स अंसल हाउसिंग एण्‍ड कंस्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-427/1997 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.02.1998 के विरूद्ध योजित की गई है, जो कि विगत 24 वर्षों से इस न्‍यायालय के सम्‍मुख लम्बित है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने अपीलार्थी/विपक्षी की ग्रुप हाउसिंग स्‍कीम आर्शीवाद होम्‍स चिरंजीव बिहार टाउनशिप गाजियाबाद में एक भवन के लिए आवेदन किया और उसके आवेदन पर भवन संख्‍या-ई 21 आवंटित किया, जिसका मूल्‍य 3,20,000.00 रू0 बताया गया था। अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के पक्ष में आवंटन पत्र जारी किया, पेमेंट शिडयूल के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के भवन के मूल्‍य की राशि व डवलपमेंट

-2-

चार्ज भी जमा कर दिया है, परन्‍तु ढाई वर्ष की निश्चित अवधि में उसे कब्‍जा नहीं दिया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की जानकारी में यह भी आया है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने अभी तक भवन बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण नहीं की है, अत्एव प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी से उसकी जमा धनराशि मय ब्‍याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर प्रश्‍नगत योजना में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को एक भवन आवंटित किया जाना स्‍वीकार किया गया है, परन्‍तु आवंटित भवन 21 सी के स्‍थान पर आर्शीवाद में 43 सी पर कब्‍जा देने के लिए प्रस्‍ताव किया गया था, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी ने उसे स्‍वीकार नहीं किया है, ऐसी स्थिति में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी कोई भी अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने आदेश में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के परिवाद को स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को आदेशित किया कि वे उपरोक्‍त निर्णय/आदेश दिनांक 24.02.1998 के पश्‍चात दो माह की अवधि में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी की जमा धनराशि मय ब्‍याज 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से उसे वापस करे तथा ब्‍याज की गणना जमा की तिथि से अदायगी की तिथि तक की जायेगी। यह भी आदेशित किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को मानसिक उत्‍पीड़न एवं हर्जे-खर्चे के लिए 2,000.00 रू0 मुआवजा भी अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अदा किया जावेगा, अन्‍यथा की स्थिति में 21 प्रतिशत की दर से ब्‍याज देय होगा।

चूंकि प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी/परिवादिनी द्वारा स्‍वयं के पक्ष में पारित निर्णय के विरूद्ध योजित की गई है, अत्एव मेरे विचार से अपील पोषणीय नहीं है, फिर भी विगत 24 वर्षों से इस न्‍यायालय के सम्‍मुख लम्बित है। यहॉ यह तथ्‍य

-3-

उल्लिखित किया जाना उचित प्रतीत होता है कि यदि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 24.02.1998 का अनुपालन सुनिश्‍चित नहीं किया गया है, तब उस दशा में प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी विधि के अनुसार समुचित कार्यवाही सुनिश्चित करें। तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निस्‍तारित की जाती है।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                                            (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)               

                                             अध्‍यक्ष                                                                                                             

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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