Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/64

N I Co. Ltd. - Complainant(s)

Versus

Smt Guru Dei - Opp.Party(s)

D Mehrotra

31 Jul 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/64
( Date of Filing : 08 Jan 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. N I Co. Ltd.
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Smt Guru Dei
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 31 Jul 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-64/2007

National Insurance Company Limited

Versus  

Smt. Guru Dei wife of Late Ganesh Prashad

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री दीपक मेहरोत्रा, विद्धान अधिवक्‍ता           

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं

दिनांक :31.07.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.       परिवाद संख्‍या-283/2004, श्रीमती गुरू देई बनाम नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड में विद्वान जिला आयोग, उन्‍नाव द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29.11.2006 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

2.        जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए अंकन 35,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है, साथ ही 12 प्रतिशत की दर से ब्‍याज के लिए भी  आदेशित किया गया है। 02 माह के पश्‍चात ब्‍याज दर 18 प्रतिशत निर्धारित की गयी है।

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसर दिनांक 22.10.2001 को वाहन सं0 35 सी 16914 दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया, जिसमें परिवादिनी के पति की मृत्‍यु हो गयी तथा मोटर साईकिल क्षतिग्रस्‍त हो गयी, जिसकी मरम्‍मत में 35,000/-रू0 खर्च हुए हैं, परंतु बीमा क्‍लेम अदा नहीं किया गया है।

4.         विपक्षी का कथन है कि बीमा पॉलिसी प्रस्‍तुत नहीं की गयी। दुर्घटना के संबंध में कोई सूचना नहीं दी गयी न ही कोई क्‍लेम फार्म प्रस्‍तुत किया गया। वाहन की क्षति के बावत इस्‍टीमेट तथा बिल बाउचर नहीं दिये गये, इसलिए सेवा मे कोई कमी नहीं की गयी।

5.         पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया कि बीमित वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त हुआ है, जिसके कारण क्षति कारित हुई, जिसकी मरम्‍मत में 35,000/-रू0 खर्च हुए हैं। तदनुसार इस राशि को अदा करने के लिए आदेशित किया गया है।

6.        अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि बीमित वाहन में क्षति की सूचना 2 से ढ़ाई वर्ष पश्‍चात दी गयी है, इसलिए सर्वेयर की नियुक्ति नहीं हो सकी तथा क्षति का आंकलन नहीं हो सका। यह भी बहस की गयी है कि क्षतिपूर्ति की राशि अनुचित रूप से निर्धारित की गयी है। परिवाद पत्र में उल्‍लेख है कि दिनांक 28.09.2004 को अधिवक्‍ता के माध्‍यम से नोटिस दिया गया, जबकि दुर्घटना दिनांक 27.05.2002 को हो चुकी थी। नोटिस देने से पूर्व बीमा क्‍लेम प्रस्‍तुत करने का कोई कथन नहीं किया गया है। अत: इस तर्क में बल है कि वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त होने के पश्‍चात बीमा कम्‍पनी को तुरंत सूचना नहीं दी गयी। विधिक नोटिस देना क्‍लेम की सूचना देना नहीं है, परंतु अधिवक्‍ता का नोटिस मिलने के पश्‍चात भी बीमा निस्‍तारण की कोई कार्यवाही बीमा कम्‍पनी द्वारा भी नहीं की गयी न ही उस नोटिस का जवाब दिया गया न ही कोई स्‍पष्‍टीकरण प्रस्‍तुत किया गया, इसलिए माना जा सकता है कि बीमा कम्‍पनी द्वारा भी अपने दायित्‍व का अनुपालन नहीं किया गया। दुर्घटना में परिवादिनी के पति की मृत्‍यु होना साबित है। इस संबंध में जिला उपभोक्‍ता आयोग ने विस्‍तृत दस्‍तावेजी साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात अपना निष्‍कर्ष दिया है। जिला उपभोक्‍ता आयोग ने अधिवक्‍ता के नोटिस को ही क्‍लेम रजिस्‍टर कराना माना है, जो विधिसम्‍मत है, परंतु अंकन 35,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आंकलन स्‍वयं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा नहीं किया गया है। परिवाद पत्र में जिस राशि का कथन किया गया है, वह राशि ज्‍यों का त्‍यों स्‍वीकार कर ली गयी है। इस्‍टीमेट तथा बिल बाउचर पर कोई विचार नहीं किया गया, इसलिए क्षतिपूर्ति का निर्धारण विधिक रूप से नहीं हुआ है। इस पीठ के समक्ष भी क्षतिपूर्ति का निर्धारण करने के लिए कोई सबूत पत्रावली पर मौजूद नहीं है। यह मोटर साईकिल बजाज बॉक्‍सर 2001 में क्रय की गयी थी, जिसका बीमा केवल 25,000/-रू0 की राशि का कराया गया था, इसलिए 25,000/-रू0 से अधिक क्षतिपूर्ति अदा करने का कोई औचित्‍य नहीं था। इस 25,000/-रू0 की राशि में भी 10 प्रतिशत की कटौती किया जाना आवश्‍यक था। अत: प्रतिशत की कटौती के पश्‍चात अंकन 22,500/-रू0 की क्षतिपूर्ति निर्धारित हो सकती थी। इसी प्रकार ब्‍याज दर 06 प्रतिशत की दर से सुनिश्चित की जानी चाहिए थी। 

 

आदेश

           अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता  आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादिनी को बीमित वाहन की क्षतिपूर्ति के मद में केवल 22,500/-रू0 प्राप्‍त होंगे, जिस पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्‍याज भी अदा किया जायेगा।

          उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

         

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

  

 

 

 

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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