(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2392/2008
यूनियन आफ इंडिया, द्वारा सेक्रेटरी, डिपार्टमेंट आफ पोस्ट्स एंड टेलीग्राफ्स, नई दिल्ली तथा तीन अन्य
बनाम
श्रीमती दुर्गावती देवी पत्नी श्री ओम प्रकाश तथा चार अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : डा0 उदय वीर सिंह के
सहायक श्री श्रीकृष्ण पाठक।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 22.07.2024
माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-508/1998, श्रीमती दुर्गावती देवी तथा अन्य बनाम भारत संघ द्वारा सेक्रेटरी भारत संघ पोस्टल एंड टेलीग्राफ डिपार्टमेंट तथा अन्य में विद्वान जिला आयोग, देवरिया द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20.09.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता डा0 उदय वीर सिंह के सहायक अधिवक्ता श्री श्रीकृष्ण पाठक को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अंकन 1500/-रू0 की क्षतिपूर्ति अंकन 1,000/-रू0 वाद व्यय के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
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3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पति ने अपने गांव के पोस्ट आफिस में एक रजिस्टर्ड पत्र परिवादिनी के पास भेजा था और बैंक ड्राफ्ट के जरिए रूपये भी भेजे थे, परन्तु परिवादिनी के अनपढ़ होने पर प्राप्तकर्ता के स्थान पर याची संख्या-2 का नाम लिखवाया गया था, इसके बाद परिवादिनी का नाम भी लिखवाया गया था। रजिस्ट्री प्राप्त हुई, परन्तु परिवादिनी को रजिस्ट्री उपलब्ध नहीं कराई गई। परिवादिनी के पति द्वारा डाक विभाग को शिकायत की गई, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन में उल्लेख किया गया कि पंजीकृत डाक संख्या 2768 दिनांक 17.8.1998 को श्री राम बड़ाई प्रसाद चौरसिया के पते पर प्राप्त हुई थी। प्राप्तकर्ता के न मिलने के कारण इस डाक को वापस कर दिया गया। परिवादिनी डाक की प्राप्तकर्ता नहीं थी, इसलिए उन्हें डाक प्राप्त नहीं कराई गई।
5. पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात विद्वान जिला आयोग ने यह निष्कर्ष दिया है कि पंजीकृत डाक पत्र पर सुबेदार राम बड़ाई प्रसाद चौरसिया एवं श्रीमती दुर्गावती देवी दोनों का नाम अंकित था, इसलिए दोनों में से किसी एक को डाक प्राप्त कराई जा सकती थी, परन्तु परिवादिनी के शपथ पत्र के अनुसार मांगे जाने के बावजूद भी परिवादिनी को डाक प्राप्त नहीं कराई गई, जिसमें एक ड्राफ्ट भी मौजूद था, इस आधार पर अंकन 1500/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया गया।
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6. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता के सहायक अधिवक्ता का यह तर्क है कि जिस व्यक्ति अर्थात् श्री राम बड़ाई प्रसाद चौरसिया के नाम डाक थी, वह उपलब्ध नहीं हो सके, इसलिए डाक वापस हुई है, परन्तु विद्वान जिला आयोग द्वारा दिए गए निष्कर्ष को परिवर्तित करने लायक कोई सामग्री अपीलार्थीगण की ओर से प्रस्तुत नहीं की गई है। यथार्थ में अपीलार्थीगण द्वारा वह डाक लिफाफा प्रस्तुत किया जाना चाहिए था, जिस पर प्राप्तकर्ता का नाम अंकित था, जबकि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्राप्तकर्ता के नाम को दृष्टिगत रखते हुए उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया है, जिसमें कोई हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2