Uttar Pradesh

StateCommission

A/2014/905

Maha Prabandhak Uttar railway - Complainant(s)

Versus

Smt Chaya sharma - Opp.Party(s)

P.P.Srivastava

12 Dec 2014

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2014/905
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Maha Prabandhak Uttar railway
-
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज् उपभोक्ता  विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ।

                                सुरक्षित

          अपील संख्‍या-905/2014   

महाप्रबन्‍धक उत्‍तर रेलवे बड़ौदा हाउस नई दिल्‍ली।                                                                         अपीलार्थी

                                  बनाम

1-श्रीमती छाया शर्मा पत्‍नी महेन्‍द्र कुमार शर्मा निवासी-जे0-1209-ए पालम विहार गुड़गांव वर्तमान पता-द्वारा अभय शंकर गौड़, स्‍टेशन रोड, रेलवेगंज थाना-कोतवाली, परगना गोपामऊ तहसील एवं जिला-हरदोई।

2-रेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा-सचिव रेल मंत्रालय रेलवे भवन संसद मार्ग नई दिल्‍ली।                                     प्रोफार्मा पाटी

3-अध्‍यक्ष रेलवे बोर्ड रेल मंत्रालय संसद मार्ग नई दिल्‍ली।

                                              प्रोफार्मा पाटी 

                                              प्रत्‍यर्थीगण                                              

समक्ष:-

1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन सदस्‍य।

2-मा0 श्री संजय कुमार सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0 पी0 श्रीवास्‍तव।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित।           कोई नहीं।

दिनांक 30-12-2014

    मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य द्वारा उदघोषित

   निर्णय

     अपीलकर्ता ने प्रस्‍तुत अपील विद्वान जिला मंच हरदोई द्वारा परिवाद संख्‍या-176/2007 श्रीमती छाया शर्मा बनाम रेल मंत्रालय एवं अन्‍य के विरूद्ध विद्वान जिला मंच द्वारा पारित किये गये निर्णय दिनांक 26-02-2014 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है जिसमें विद्वान जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है।

     परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी संख-3 महाप्रबन्‍धक, उत्‍तर रेलवे नई दिल्‍ली को आदेश दिया जाता है कि वह क्षतिपूर्ति के रूप में रूपया 10,000/-रू0 (दस हजार रू0 मात्र) और वाद व्‍यय के रूप में रूपया 2000/- मात्र (रूपया दो हजार मात्र) की धनराशि आज की तारीख से दो माह के अन्‍दर परिवादिनी श्रीमती छाया शर्मा को अदा करें। क्षतिपूर्ति अथवा वाद व्‍यय की अदायगी निर्धारित अवधि के अन्‍दर न करने की सूरत में उस पर परिवाद करने की तारीख 08-10-2007 से अदायगी की तारीख तक की अवधि के लिए 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्‍याज भी विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा परिवादी श्रीमती छाया शर्मा को देय होगा।

2

     संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादिनी ने अपीलार्थीगण/विपक्षीगण से मुनासिब खर्चे के रूप में 2,000/- एवं शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक कष्‍ट के लिए 98,000/-रू0 इस प्रकार मात्र 1,00,000/-रू0 क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु परिवाद प्रस्‍तुत किया है।  दिनांक 24-08-2007 को परिवादिनी ने ट्रेन नम्‍बर 4258 काशी विश्‍वनाथ एक्‍सप्रेस के 3 ए वातानुकूलित कोच नम्‍बर बी0-1 के ऊपरी बर्थ नं0 14 से नई दिल्‍ली से हरदोई तक की यात्रा की यह ट्रेन नई दिल्‍ली से 13.30 बजे चली। वरिष्‍ठ नागरिक के रूप में परिवादिनी ने उक्‍त यात्रा के लिए आरक्षण दिनांक 10-08-2007 को रूपये 359/- मात्र नगद देकर दिनांक 24-08-2007 के लिए कराया था। यात्रा के दिन जब परिवादिनी ने नई दिल्‍ली से अपनी आरक्षित सीट पर बैठकर यात्रा शुरू किया तो उस समय वह बिल्‍कुल स्‍वस्‍थ थी तथा उसे न तो कोई शारीरिक परेशानी थी और न ही कोई चोट, छाले या कीड़ों के काटने के कोई निशानात थे। रात्रि के समय जब परिवादिनी अपनी आरक्षित बर्थ पर सोने लगी तो उसने पीठ में खुजली महसूस किया। काफी प्रयास के बावजूद उसे नींद नहीं आयी। बर्थ पर देखा तो उस पर तमाम खटमल एवं कीड़े मौजूद थे जिनके काटने से उसे असहनीय पीड़ा हुयी और वह रात में सो न सकी। जब उसने इस बात की मौखिक शिकायत कन्‍डक्‍टर से किया तो कन्‍डक्‍टर ने उपहास उड़ाया और कोई व्‍यवस्‍था नहीं किया। परिवादिनी 63 वर्षीय महिला है और वह सफर में अकेली थी। अधिक पैसे का भुगतान करके अग्रिम आर‍क्षण लेने के बावजूद उसे सफर में तमाम तरह की शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा हुयी। रेलवे विभाग और उसके कर्मचारियों ने परिवादिनी को ठीक से सेवा नहीं दिया। सफाई आदि की समुचित व्‍यवस्‍था न होने और रेलवे विभाग की लापरवाही के कारण बर्थ में कीड़े एवं खटमल वगैरह हो गये। कीड़ों के काटने से परिवादिनी को दिनांक 24-08-2007 को काफी juries आयी। हरदोई पहुंचने पर परिवादिनी ने उसी दिन अपनी चोटों का मुआइना जिला चिकित्‍सालय हरदोई में कराया जिसमें उसको कीड़ों के काटने से चोटे आना पाया गया। चोटों के कारण परिवादिनी कई दिनों तक अपार कष्‍ट में रही, इलाज कराती रही और वह अपने निजी कार्यों को भली प्रकार न देख सकी जिसके कारण उसे अत्‍यधिक क्षति एवं पीड़ा हुर्यी।

     विपक्षीगण की तरफ से प्रतिवाद पत्र में यह बताया गया है कि प्रस्‍तुत परिवाद रेलवे ट्रिब्‍यूनल एक्‍ट की धारा 13 और 15 से बाधित है जिसके कारण इस परिवाद को सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। परिवादिनी रेल प्रशासन पर झूठा आरोप लगा रही है उक्‍त ट्रेन की सफाई दिनांक 24-08-2007 को करायी गयी थी और कोचों में फिनाल का पोछा भी लगवाया गया

 

3

था कोच कन्‍डक्‍टर ने परिवादिनी का उपहास नहीं उड़ाया तथा किसी रेल कर्मी के कृत्‍य से परिवादिनी को कोई कष्‍ट हुआ और न ही किसी रेल कर्मी द्वारा किसी प्रकार की लापरवाही की गयी।

     अपीलकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0 पी0 श्रीवास्‍तव की बहस सुनी गयी प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

     अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क दिया कि परिवादिनी द्वारा प्रस्‍तुत किया गया चिकित्‍सीय प्रमाण पत्र ग्राह्य नहीं है उसका चिकित्‍सकीय परीक्षण दिनांक 25-08-2007 को कराया गया था और चिकित्‍सकीय राय के अनुसार उसकी चोट एक दिन पुरानी है वह साधारण प्रकृति की हैं अर्थात यह चोट दिनांक 24-08-2007 की रात 10 बजे के पश्‍चात की है जब कि प्रत्‍यर्थी की ट्रेन रात्रि 9 बजे हरदोई पहुंच गयी थी इस तथ्‍य पर विद्वान जिला मंच द्वारा विचार नहीं किया गया है और अत्‍यधिक क्षतिपूर्ति की राशि उसे दिलायी गयी है प्रश्‍नगत निर्णय का अवलोकन किया गया एवं पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया। परिवादिनी ने यात्रा के दौरान जो उसे चोटें मच्‍छर व खटमल के काटने से आयी थी उसके समर्थन में उसने चिकित्‍सकीय परीक्षण रिपोर्ट की छायाप्रति दाखिल की है। परिवादिनी ने डाक्‍टरी मुआइना दिनांक 25-08-2007 को कराया था और उसके द्वारा यात्रा दिनांक 24-08-2007 को की गयी थी इस प्रकार मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार उसकी दर्ज रिपोर्ट 24 घण्‍टे पुरानी थी इस प्रकार मेडिकल साक्ष्‍य से यह सिद्ध होता है कि परिवादिनी/प्रत्‍यर्थी को यात्रा के दौरान खटमल या मच्‍छर आदि के काटने से चोटें आयी जिसके लिए रेलवे प्रशासन की लापरवाही परिलक्षित होती है। परिवादिनी के कथन का समर्थन उसके शपथपत्र एवं चिकित्‍सकीय परीक्षण रिपोर्ट से होता है जो शपथपत्र अपीलार्थी द्वारा दाखिल किये गये है उन्‍हें परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है परिवादिनी 63 वर्षीय वरिष्‍ठ महिला है जो सफर में अकेले थी और चोटों के आने से परेशान थी किन्‍तु शिकायत करने के बावजूद कोट कन्‍डक्‍टर ने यदि शिकायत पुस्तिका में शिकायत दर्ज नहीं की तो इसके लिए विभागीय अधिकारी एवं कर्मचारी दोषी हैं। परिवादिनी ने स्‍वयं अपने परिवाद में यह बताया है कि जब उसने खटमल एवं कीड़े के काटने से असहनीय पीड़ा हुई जिससे कि वह रात में सो नहीं सकी तो उसे मौखिक शिकायत कन्‍डक्‍टर से की जिसने की उसने उपहास किया और कोई व्‍यवस्‍था नहीं की, परिवादिनी 63 वर्षीय महिला है और सफर में अकेली थी। अधिक पैसे का भुगतान करके अग्रिम आरक्षण होने के बावजूद उसे सफर में तमाम तरह के शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा हुई सफाई की समुचित व्‍यवस्‍था न होने के कारण रेलवे विभाग की लापरवाही परिलक्षित होती है और उनके द्वारा सेवा

 

4

में कमी की गयी है। विद्वान जिला मंच ने चिकित्‍सकीय रिपोर्ट एवं उभय पक्ष के शपथपत्रों के आधार पर विवेचना करते हुए विधि अनुसार निर्णय पारित किया है जिसमें कि हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है तदनुसार अपील निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।       

                     आदेश

 अपील निरस्‍त की जाती है।

वाद व्‍यय पक्षकार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

     इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये। 

 

 

 (अशोक कुमार चौधरी)                                 (संजय कुमार)

 पीठासीन सदस्‍य                                             सदस्‍य

 मनीराम आशु0-2

 कोर्ट- 3  

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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