राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-१४७०/२००९
(जिला मंच, मुजफ्फरनगर द्वारा परिवाद सं0-११७/२००८ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २७-०७-२००९ के विरूद्ध)
इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कं0लि0, द्वारा मैनेजर, इफको हाउस, तृतीय तल, ३४, नेहरू प्लेस, नई दिल्ली-११००१९.
............. अपीलार्थी/विपक्षी सं0-२.
बनाम
१. श्रीमती बस्सो पत्नी स्व0 अकबर अली निवासी ग्राम शोरो थाना शाहपुर परगना शिकारपुर, तहसील बुढ़ाना, जनपद मुजफ्फरनगर।
............ प्रत्यर्थी/परिवादिनी।
२. सचिव किसान सहाकारी सेवा समिति, ग्राम शाहपुर, ब्लाक शाहपुर, जिला मुजफ्फरनगर।
............ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-१.
समक्ष:-
१- मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
२- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अशोक मेहरोत्रा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री उमेश शर्मा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- २०-०२-२०१९.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, मुजफ्फरनगर द्वारा परिवाद सं0-११७/२००८ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २७-०७-२००९ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार परिवादिनी के पति स्व0 अकबर अली ने प्रत्यर्थी सं0-२ के यहॉं से दिनांक १४-१२-२००६ को यूरिया खाद ०५ कट्टा १२९२.५० रू० में, ०५ कट्टा एन0पी0के0 खाद २१४२.५० रू० में क्रय किया, जिसका भुगतान चेक सं0-७०६३ द्वारा किया गया, जिसके बाबत् प्रत्यर्थी सं0-२ द्वारा कैशमेमो दिनांक १४-१२-२००६ जारी किया गया। उक्त क्रय पर प्रत्यर्थी सं0-२ संकट हरण
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बीमा योजना के अन्तर्गत परिवादिनी के पति का बीमा अपीलार्थी द्वारा ०१.०० लाख रू० का क्रय के दिनांक से किया गया। परिवादिनी के पति अकबर अली दिनांक ८/९-१२-०७ को अपने गन्ने की पेराई कर रह थे तब रात ११.०० बजे विद्युत लाइन का तार टूटकर उसके ऊपर गिर गया तथा उसकी घटना स्थल पर मृत्यु हो गई। मृत्यु की सूचना पर थाना शाहपुर द्वारा मृतक अकबर अली का पंचानामा आदि भरने के बाद पोस्टमार्टम जिला चिकित्सालय मुजफ्फरनगर में कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु विद्युत करेण्ट लगने से पायी गयी। परिवादिनी की ओर से समस्त अभिलेखों सहित दावा अपीलार्थी बीमा कम्पनी में प्रस्तुत किया गया किन्तु बीमा कम्पनी ने परिवादिनी का बीमा दावा स्वीकार नहीं किया गया। अत: परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थी की ओर से प्रतिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर योजित किया गया। बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार मूल क्रय रसीद पर वांछित विवरण अंकित नहीं किया गया। मूल रसीद पर मृतक के हस्ताक्षर नहीं हैं। बीमा कम्पनी द्वारा बीमा पालिसी के नियमों के अनुसार बीमा दावा स्वीकार नहीं किया गया।
जिला मंच ने परिवादिनी का परिवाद अपीलार्थी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अपीलार्थी बीमा कम्पनी को निर्देशित किया कि वह परिवादिनी को संकट हरण पालिसी के अन्तर्गत बीमित धनराशि ०१.०० लाख रू० ०८ प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित परिवादिनी के पति मृतक अकबर अली की मृत्यु के दिनांक से अन्तिम भुगतान के दिनांक तक अदा करे। इसके अतिरिक्त वाद व्यय के मद में २,०००/- रू० एवं मानसिक सन्ताप के मद में २,०००/- रू० निर्णय के दिनांक से एक माह के अन्दर अदा करे।
इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गई।
हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री अशोक मेहरोत्रा तथा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता श्री उमेश शर्मा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से श्री विनीत कुमार शर्मा, सचिव दिनांक ०८-११-२०१६ को स्वयं
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उपस्थित हुए किन्तु अन्तिम सुनवाई के समय प्रत्यर्थी सं0-२ की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत प्रकरण में प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने मूल खरीद का बिल अपीलार्थी को प्रेषित नहीं किया, अत: बीमा दावा अस्वीकार किया गया। खरीद के बिल की जो फोटोप्रति प्रस्तुत की गई उसमें बीमा पालिसी की शर्तों के अन्तर्गत वांछित सभी औपचारिकताऐं पूर्ण नहीं की गईं। अपीलार्थी की ओर से यह तर्क भी प्रस्तुत किया गया कि प्रश्नगत प्रकरण के सन्दर्भ में मात्र १० बोरा खाद क्रय किया जाना अभिकथित किया गया है। यह तथ्य निर्विवाद है कि संकट हरण बीमा योजना के अन्तर्गत ०१ बोरा खाद की खरीद पर क्रेता की दुर्घटना में मृत्यु हो जाने की स्थिति में ४,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान किया जाना था। क्षतिपूर्ति की यह अदायगी अधिकतम ०१.०० लाख रू० तक की जानी थी किन्तु जिला मंच ने इस तथ्य पर ध्यान न देते हुए कि मात्र १० बोरा खाद ही निर्विवाद रूप से क्रय किया गया, अत: क्षतिपूर्ति के रूप में अधिकतम ४०,०००/- रू० का दायित्व हीं बीमा कम्पनी का माना जा सकता किन्तु जिला मंच ने ०१.०० लाख रू० क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान किए जाने हेतु आदेशित किया।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि यह तथ्य निर्विवाद है कि परिवादिनी के पति द्वारा कुल १० बोरा खाद क्रय किया गया तथा क्रय की धनराशि का भुगतान चेक द्वारा किया गया। परिवादिनी ने जिला मंच के समक्ष खरीद से सम्बन्धित कैश मेमो दिनांकित १४-१२-२००६ जो सहकारी संघ लि0, शाहपुर, मुजफ्फरनगर द्वारा जारी की गई दाखिल किया गया। इस कैश मेमो पर परिवादिनी के पति स्व0 अकबर अली पुत्र श्री कन्नू निवासी शोरो एवं सोसायटी द्वारा क्रय किए गये खाद का विवरण अंकित है। यह कैश मेमो सहकारी संघ लि0 शाहपुर मुजफ्फरनगर द्वारा प्रति प्रमाणित है। इस कैश मेमो पर सहकारी संघ लि0 शाहपुर मुजफ्फरनगर की मुहर अंकित है। परिवादिनी द्वारा सहकारी संघ लि0 शाहपुर मुजफ्फरनगर के दैनिक बिक्री रजिस्टर खाद (रासायनिक) की छायाप्रति दाखिल की गई जिसमें क्रम सं0-१३६३
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अकबर अली पुत्र कन्नू ग्राम शोरो, चेक सं0-७०६३ यूरिया ०५ कट्टा मूल्य १२९२.५० रू० एवं डी0ए0पी0 ०५ क्ट्टा मूल्य २१४२.५० रू० तथा चेक की धनराशि ३४३५/- रू० अंकित है। यह छायाप्रति सहकारी संघ लि0 शाहपुर मुजफ्फरनगर द्वारा प्रमाणित है। यह भी उल्लेखनीय है कि परिवाद में सचिव किसान सहाकारी सेवा समिति, ग्राम शाहपुर, ब्लाक शाहपुर, जिला मुजफ्फरनगर को भी पक्षकार बनाया गया किन्तु उसकी ओर से परिवाद के अभिकथनों के विरूद्ध प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। अत: परिवादी की सुनवाई उसके विरूद्ध एक पक्षीय की गई। ऐसी परिस्थिति में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है कि परिवादिनी द्वारा उसके पति द्वारा खाद क्रय किए जाने के सन्दर्भ में वांछित अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गये किन्तु इस सन्दर्भ में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क स्वीकार किए जाने योग्य है कि प्रस्तुत प्रकरण में निर्विवाद रूप से कुल १० बोरा खाद किया जाना अभिकथित किया गया है। प्रश्नगत बीमा पालिसी के अन्तर्गत ०१ बोरा खाद सहकारी संघ के माध्यम से क्रय जाने पर क्रेता की दुर्घटना में मृत्यु हो जाने की स्थिति में ४,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में प्रति बोरा भुगतान किया जायेगा तथा भुगतान हेतु धनराशि अधिकतम ०१.०० लाख रू० होगी। ऐसी परिस्थिति में जब मात्र १० बोरा ही खाद निर्विवाद रूप से क्रय किया गया तब अधिकतम ४०,०००/- रू० क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादिनी प्रश्नगत बीमा पालिसी के अन्तर्गत प्राप्त करने की अधिकारिणी मानी जा सकती है। जिला मंच द्वारा ४०,०००/- रू० के स्थान पर ०१.०० लाख रू० क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान किए जाने हतु पारित आदेश तद्नुसार त्रुटिपूर्ण है। यह भी उल्लेखनीय है कि क्षतिपूर्ति की धनराशि पर ०८ प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज दिलाए जाने हेतु भी अपीलार्थी को आदेशित किया गया है। क्षतिपूर्ति की धनराशि की मय ब्याज अदायगी हेतु आदेशित किए जाने के उपरान्त क्षतिपूर्ति के लिए मानसिक सन्ताप की मद में अतिरिक्त धनराशि के भुगतान हेतु आदेशित किया जाना न्यायोचित नहीं होगा। अपील तद्नुसार आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला मंच, मुजफ्फरनगर द्वारा
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परिवाद सं0-११७/२००८ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक २७-०७-२००९ अपास्त किया जाता है। परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। अपीलार्थी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादिनी को संकट हरण पालिसी के अन्तर्गत ४०,०००/- रू० निर्णय की तिथि से एक माह के अन्दर अदा करे। इस धनराशि पर परिवादिनी परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि की अदायगी तक ०८ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी प्राप्त करने की अधिकारिणी है। अपीलार्थी को यह भी निर्देशित किया जाता है कि परिवादिनी को ५,०००/- रू० वाद व्यय के रूप में भी निर्धारित अविध के मध्य अदा करे।
इस अपील का व्यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(उदय शंकर अवस्थी)
पीठासीन सदस्य
(गोवर्द्धन यादव)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट नं.-१.