(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1686/2008
ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी, ब्रांच आफिस नजीबाबाद, द्वारा रिजनल मैनेजर, रिजनल आफिस एलआईसी इन्वेस्टमेंट बिल्डिंग, तृतीय तल, 43, हजरतगंज, लखनऊ
बनाम
श्रीमती अनीता पत्नी स्व0 श्री कामेन्द्र सिंह, निवासी ग्राम गंगदासपुर, तहसील व जिला बिजनौर तथा एक अन्य
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आशुतोष कुमार सिंह।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 07.02.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-220/2006, श्रीमती अनीता बनाम ब्रांच मैनेजर, यू.पी. ग्रामीण बैंक तथा ब्रांच मैनेजर ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी में विद्वान जिला आयोग, बिजनौर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 31.10.2007 के विरूद्ध बीमा कंपनी द्वारा प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आशुतोष कुमार सिंह तथा प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
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2. विद्वान जिला आयोग ने सामुहिक बीमा योजना के अंतर्गत नामिनी परिवादिनी को अंकन 50,000/-रू0 बीमित राशि 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पति द्वारा एक सामुहिक बीमा योजना के अंतर्गत बीमा पालिसी प्राप्त की गयी थी। बीमित अवधि के दौरान बीमाधारक की मृत्यु हो गयी, इसलिए बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, परन्तु बीमा क्लेम इस आधार पर नकार दिया गया कि मृत्यु की तिथि को बीमा पालिसी का अस्तित्व नहीं था।
4. विद्वान जिला आयोग द्वारा पक्षकारों की साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात यह निष्कर्ष दिया गया कि बीमाधारक की मृत्यु पर बीमा पालिसी अस्तित्व में मानी जाएगी। तदनुसार बीमा राशि 12 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करने का आदेश पारित किया गया।
5. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि दिनांक 31.1.2005 को चेक जारी किया गया, इस तिथि को रविवार था और चेक डाक के माध्यम से दिनांक 1.2.2005 को प्राप्त हुआ है, इसलिए दिनांक 1.2.2005 को चेक प्राप्त होने पर ही बीमा पालिसी अस्तित्व मानी जाएगी, जबकि बीमाधारक की मृत्यु दिनांक 1.2.2005 को हो चुकी है, इसलिए इस तिथि को बीमा पालिसी अस्तित्व में नहीं थी।
6. प्रत्यर्थी सं0-1 के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नजीर, Delhi Electric Supply Undertaking vs Basanti Devi and Anr में यह व्यवस्था दी गयी
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है कि जब नियोक्ता द्वारा वेतन से बीमा प्रीमियम काट लिया जाता है तब सामुहिक बीमा योजना के अंतर्गत प्रीमियम की राशि बीमा कंपनी को देरी से प्राप्त होने के बावजूद बीमा कंपनी बीमाधारक की मृत्यु पर बीमा क्लेम अदा करने के लिए उत्तरदायी है। इस पीठ द्वारा उपरोक्त वर्णित नजीर के तथ्यों तथा प्रतिपादित सिद्धान्तों का अवलोकन किया गया, जो प्रस्तुत केस के समतुल्य हैं। इस नजीर के तथ्यों के अनुसार दिनांक 29.3.1992 को प्रीमियम देय था, इस प्रीमियम की राशि की कटौती DESU द्वारा बीमाधारक भीम सिंह के वेतन से काट ली गयी थी, इसलिए बीमा कंपनी को यह राशि प्रेषित नहीं की गयी, इसी मध्य बीमाधारक की मृत्यु हो गयी तब यह निष्कर्ष दिया गया कि सामुहिक बीमा योजना के अंतर्गत नियोक्ता को धारा 182 कान्ट्रेक्ट एक्ट के अंतर्गत एजेंट माना जा सकता है, इसलिए एजेंट द्वारा प्रीमियम की राशि की कटौती करने के पश्चात यदि बीमा कंपनी में देरी से प्रेषित की जाती है तब बीमाधारक पर इसका कोई विपरीत प्रभाव नहीं है और वह बीमा से सुरक्षित माना जाएगा। अत: उपरोक्त वर्णित नजीर में दी गयी व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत केस में भी बीमित राशि अदा करने का आदेश विधिसम्मत है, परन्तु ब्याज दर 12 प्रतिशत के स्थान पर 08 प्रतिशत की दर से देना उचित है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक
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31.10.2007 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि बीमित राशि पर ब्याज 12 प्रतिशत के स्थान पर 08 प्रतिशत की दर से देय होगा। शेष निर्णय/आदेश यथावत् रहेगा।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3