Uttar Pradesh

StateCommission

A/2007/1975

Union of India Post office - Complainant(s)

Versus

Smr Ram Vishakhi Devi - Opp.Party(s)

Dr. Uday Veer Singh

17 Apr 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2007/1975
( Date of Filing : 07 Sep 2007 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Union of India Post office
New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. Smr Ram Vishakhi Devi
Deoria
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 17 Apr 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1975/2007

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, देवरिया द्धारा परिवाद सं0-84/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 03.5.2007 के विरूद्ध)

1-     Union of India through The Secretary, Ministry of Post and Telegraph, New Delhi.

2-     Senior Superintendent of Post Office, Deoria, District Deoria.

                                                 ........... Appellants/Opp. Parties

Versus    

Smt. Ram Vishakhi Devi, W/o Krishna Gopal Tewari, R/o Village and Post-Nariyanw Tappa Bhagalpur, Pargana- Salempur Majholi, District- Deoria.

      ……..…. Respondent/Complainant 

समक्ष :-

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य

मा0 गोवर्धन यादव, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता     : डॉ0 उदय वीर सिंह

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता       : श्री दीप कमल

दिनांक :-29-5-2007                                          

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय    

प्रस्‍तुत अपील परिवाद संख्‍या-84/2004 में जिला मंच, देवरिया द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांकित 03.5.2007 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के कथनानुसार परिवादिनी के पुत्र सुनील कुमार त्रिपाठी ने टाइम डिपाजिट स्‍कीम के अन्‍तर्गत खाता सं0-45130 सन् 1999 में 20,000.00 रू0 भागलपुर पोस्‍ट आफिस में जमा किया। उक्‍त टाइम डिपाजिट खाता खोले जाने के उपरांत सुनील कुमार त्रिपाठी का सितम्‍बर, 1999 में देहांत हो गया। तत्‍पश्‍चात विभागीय प्रक्रिया के अन्‍तर्गत परिवादिनी ने उपरोक्‍त सुनील कुमार त्रिपाठी की माता होने के नाते सभी विभागीय औपचारिकतायें पूर्ण करते हुए खाते में जमा धनराशि की मॉग की, किन्‍तु परिवादिनी को इस खाते की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। परिवादिनी खाताधारक स्‍व0 सुनील कुमार त्रिपाठी की मॉ एवं संरक्षिका थी,

-2-

अत: परिवादिनी उक्‍त खोले गये खाते में जमा धनराशि प्राप्‍त करने की अधिकारिणी थी। इसके बावजूद उक्‍त खाते की धनराशि का भुगतान परिवादिनी को नहीं किया गया, तदोपरांत परिवादिनी द्वारा अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से नोटिस भी भिजवाया गया, फिर भी खाते की धनराशि का भुगतान परिवादिनी को न किए जाने पर परिवाद जिला मंच के समक्ष 20,000.00 रू0 खाते की धनराशि मय ब्‍याज की अदायगी हेतु जिला मंच के समक्ष योजित किया गया है।

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार श्री सुशील कुमार त्रिपाठी के नाम भागलपुर पोस्‍ट आफिस में एक वर्षीय प्रश्‍नगत सावधि जमा खाता खोला जाना तथा इस खाते में 20,000.00 रू0 जमा होना स्‍वीकार किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार उक्‍त जमा खाते के लेजर पर जमाकर्ता की मृत्‍यु का विवरण अंकित नहीं था, जिससे खाते के वास्‍तविक हकदार को ही रकम उपलब्‍ध करायी जा सके। प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों के अनुसार खाते में जॉच के पश्‍चात खाताधारक मृतक के उत्‍तराधिकारियों ने जमा रूपये पर उच्‍चतम ब्‍याज की मॉग करते हुए परिवाद प्रस्‍तुत किया है, जबकि नियमत: खाते की अवधि पूरी होने के बाद दो साल की अवधि के लिए साधारण ब्‍याज की दर से नियमानुसार ब्‍याज देय होता है। जिसको देने के लिए अपीलार्थी तैयार है। अपीलार्थी का कथन है कि उपरोक्‍त खाते में ब्‍याज सहित भुगतान हेतु धनराशि भागलपुर उप डाक घर को प्रेषित कर दी गई। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि परिवाद में परिवादी को सबूत के साथ नियमानुसार भुगतान प्रदान करने हेतु अपीलार्थी तैयार है।

विद्वान जिला मंच ने परिवादिनी का परिवाद स्‍वीकार करते हुए आदेशित किया कि परिवादिनी अपीलार्थी से जमा धन 20,000.00 रू0 पर वर्ष 1999 में जो एफ0डी0आर0 पर ब्‍याज देय था, उस दर से ब्‍याज पाने की अधिकारिणी होगी तथा उक्‍त आदेश का अनुपालन एक माह में किए जाने हेतु आदेशित किया गया।

इस निर्णय से क्षुब्‍ध होकर अपील योजित की गई है।

 

-3-

हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता डॉ0 उदय वीर सिंह तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री दीप कमल के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थी ने जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत प्रतिवाद पत्र में यह अभिकथित किया कि अपीलार्थी परिवादिनी के प्रश्‍नगत खाते में जमा धनराशि पर विभागीय नियमों के अनुसार ब्‍याज अदा करने के लिए तैयार है। विभागीय नियमों के अनुसार प्रश्‍नगत सावधि जमा खाते में दो वर्ष तक बचत खाते की दर से ब्‍याज की अदायगी की जा सकती है। परिवादिनी को उपरोक्‍त विभागीय नियमों के अनुसार देय धनराशि की अदायगी प्रस्‍तावित की गई, किन्‍तु परिवादिनी ने यह प्रस्‍ताव स्‍वीकार न करके परिवाद योजित कर दिया। सावधि जमा खाते के अन्‍तर्गत सावधि जमा खाते की दर पर जमा खाते की अवधि समाप्‍त होने के उपरांत ब्‍याज की अदायगी नहीं की जा सकती। इस संदर्भ में अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने नियमावली के नियम 139 की ओर हमारा ध्‍यान आकृष्‍ठ किया गया, जिसके अनुसार सावधि जमा खाते का भुगतान देय होने पर देय तिथि के बाद अधिकत्‍म दो वर्ष की अवधि तक बचत खाते के अन्‍तर्गत समय-समय पर निर्धारित साधारण ब्‍याज देय होगा।

जहॉ तक प्रस्‍तुत प्रकरण का प्रश्‍न है प्रश्‍नगत परिवाद की फोटो प्रति अपील मेमो के साथ संलग्‍नक-2 के रूप में दाखिल की गई है। परिवाद के अभिकथनों में परिवादिनी का मात्र यह अभिकथन है कि उसके नाबालिग पुत्र के नाम सावधि जमा खाता सं0-45130 में सन् 1999 में जमा 20,000.00 रू0 की मय ब्‍याज अदायगी उसे नहीं की जा रही है, जबकि उसके खाताधारक पुत्र सुनील कुमार त्रिपाठी का देहांत वर्ष-1999 में हो गया और उसकी मृत्‍यु के उपरांत बतौर संरक्षिका समस्‍त औपचारिकतायें उसके द्वारा पूर्ण की गई। परिवाद में अनुतोष भी परिवादिनी ने उक्‍त खाते के अन्‍तर्गत जमा की गई धनराशि 20,000.00 रू0 मय ब्‍याज अदायगी चाहा है। परिवाद के अभिकथनों में परिवादिनी का यह कथन नहीं है कि उसे अपीलार्थी द्वारा कम ब्‍याज दिया जा रहा है, जबकि वह अधिक ब्‍याज प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है। अपीलार्थी की ओर से जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किए गये प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों

-4-

में स्‍वयं अपीलार्थी द्वारा यह उल्लिखित किया गया है कि प्रश्‍नगत जमा खाता के लेजर पर जमाकर्ता की मृत्‍यु का विवरण अंकित नहीं था, जिससे खाते के वास्‍तविक हकदार को ही रकम उपलब्‍ध करायी जा सके। प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी के परिवाद के अभिकथनों एवं अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तुत किए गये प्रतिवाद पत्र के उक्‍त अभिकथनों के अवलोकन से यह विदित होता है कि वस्‍तुत: परिवादिनी के खाताधारक पुत्र की मृत्‍यु के उपरांत खाते में कथित रूप से मृत्‍यु की प्रविष्टि न होने के कारण खाते में जमा धनराशि की अदायगी परिवादिनी को नहीं की गई, जबकि परिवादिनी के कथनानुसार इस सम्‍बन्‍ध में समस्‍त औपचारिकतायें उसके द्वारा पूर्ण की गई थी। परिवाद के अभिकथनों में ऐसा कोई अभिकथन न होने के बावजूद कि परिवादिनी अधिक ब्‍याज की अधिकारिणी है, प्रतिवाद पत्र में यह अभिकथित किया गया है कि परिवादिनी द्वारा अधिक ब्‍याज की मॉग की गई। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से प्रश्‍नगत खाते की धनराशि का भुगतान परिवादिनी को उसके पुत्र खाताधारक की मृत्‍यु के उपरांत परिवादिनी द्वारा समस्‍त औपचारिकतायें पूर्ण करने के बावजूद भी न करके अपीलार्थी द्वारा सेवा में त्रुटि की गई है।

     महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न यह है कि प्रश्‍नगत सावधि जमा खाते में जमा धनराशि के संदर्भ में कुल कितनी धनराशि मय ब्‍याज प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है।

     अपीलार्थी की ओर से प्रस्‍तुत की गई नियमावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि सावधि जमा खाते की परिपक्‍वता अवधि समाप्‍त होने के उपरांत कुल देय धनराशि पर दो वर्ष तक तत्‍समय बचत खाते में देय ब्‍याज की दर के अनुसार ब्‍याज की अदायगी की जायेगी।

     प्रस्‍तुत प्रकरण में परिवादिनी द्वारा उसके पुत्र के नाम सावधि खाते में जमा धनराशि उसके द्वारा समस्‍त औपचारिकतायें पूर्ण करने के बावजूद भुगतान नहीं की गई। अंतत: उसे इस सावधि खाते में जमा धनराशि के भुगतान हेतु परिवाद योजित करना पड़ा। ऐसी परिस्थिति में हमारे विचार से प्रश्‍नगत सावधि जमा खाते में परिपक्‍वता तिथि पर कुल देय धनराशि पर परिपक्‍वता तिथि से दो वर्ष तक परिवादिनी बचत खाते में तत्‍समय देय ब्‍याज की दर से ब्‍याज प्राप्‍त करने की अधिकारिणी होगी। उसके उपरांत सेवा में त्रुटि

-5-

के कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को देय सम्‍पूर्ण धन पर परिवाद योजित किए जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक 09 प्रतिशत साधारण ब्‍याज भी दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा। प्रश्‍नगत निर्णय तद्नुसार संशोधित किए जाने योग्‍य है।

आदेश

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त किया जाता है। अपीलार्थी को निर्देशित किया जाता है कि प्रश्‍नगत सावधि जमा खाते में जमा 20,000.00 रू0 की धनराशि पर इस सावधि जमा खाते की परिपक्‍वता तिथि के उपरांत परिपक्‍वता तिथि पर देय धनराशि पर परिपक्‍वता की तिथि से दो वर्ष तक का तत्‍समय बचत खाते में देय ब्‍याज की दर से ब्‍याज भुगतान, उसके उपरांत सम्‍पूर्ण देय धनराशि पर परिवाद की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर अदा करें, इसके अतिरिक्‍त अपीलार्थी प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी को 5,000.00 रू0 वाद व्‍यय के रूप में भी निर्धारित अवधि के मध्‍य अदा करें।

उभय पक्ष अपीलीय व्‍यय भार स्‍वयं वहन करेंगे।

 

    (उदय शंकर अवस्‍थी)                  (गोवर्धन यादव)

     पीठासीन सदस्‍य                        सदस्‍य

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-3

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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