राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण संख्या-31/2016
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता फोरम, गाजीपुर द्वारा परिवाद संख्या 17/2015 में पारित आदेश दिनांक 04.01.2016 के विरूद्ध)
INDUSIND BANK LTD. State Office at Saran Chamber-II, Park Road, Hazratganj, Lucknow though it’s Manager Legal, interalia Registered office at 2401, General Thimaiya Road, Cantonment, Pune.
...................पुनरीक्षणकर्ता
बनाम
1. SMT. SAVITRI MISHRA W/o Ashok Kumar Mishra,
R/o-Village-Chak Daowd Urf Babhnauli, Post-Mala,
P.S.- Nonhara, District-Gazipur.
2. THE NEW INDIA ASSURANCE COMPANY
LIMITED through Branch Manager, Branch-Gazipur.
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री बृजेन्द्र चौधरी,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी/परिवादिनी की ओर से उपस्थित : श्री एस0पी0 पाण्डेय,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 18-04-2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान पुनरीक्षण याचिका धारा-17 (1) (बी) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत परिवाद संख्या-17/2015 सावित्री मिश्रा बनाम इण्डसइण्ड बैंक लि0 व एक अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, गाजीपुर द्वारा पारित आदेश दिनांक 04.01.2016 के विरूद्ध उपरोक्त परिवाद के विपक्षी
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संख्या-1 इण्डसइण्ड बैंक लि0 की ओर से आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी और विपक्षी/परिवादिनी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्ता श्री एस0पी0 पाण्डेय उपस्थित आए हैं।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने उपरोक्त परिवाद में पारित अंतरिम आदेश दिनांक 15.01.2015 के द्वारा पुनरीक्षणकर्ता बैंक को निर्देशित किया कि वह 4,00,000/-रू0 प्राप्त कर वाहन को अवमुक्त करेगा और उसके बाद विपक्षी/परिवादिनी किश्तों का नियमित भुगतान करेगी। तदोपरान्त विपक्षी/परिवादिनी ने पुनरीक्षणकर्ता बैंक को कुल 6,00,000/-रू0 का भुगतान किया। तब वाहन उसे पुनरीक्षणकर्ता द्वारा अवमुक्त किया गया।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विपक्षी/परिवादिनी ने ऋण की सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान अभी नहीं किया है। अभी ऋण का भुगतान होना शेष है। अत: आक्षेपित आदेश के द्वारा जिला फोरम ने पुनरीक्षणकर्ता बैंक को जो एन0ओ0सी0 जारी करने का आदेश दिया है, वह अवैधानिक और अधिकार रहित है। ऐसा आदेश परिवाद के अंतिम निस्तारण पर ही पारित किया जा सकता है।
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विपक्षी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश अधिकार युक्त और उचित है। इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
निर्विवाद रूप से परिवाद अभी जिला फोरम के समक्ष विचाराधीन है और उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि प्रश्नगत वाहन जिला फोरम द्वारा पारित अंतरिम आदेश के अनुक्रम में पुनरीक्षणकर्ता द्वारा विपक्षी/परिवादिनी को दिया गया है। अत: हम इस मत के हैं कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश को परिवाद में पारित किए जाने वाले अंतिम आदेश के अधीन रखा जाए और तदनुसार पुनरीक्षण याचिका निस्तारित की जाए।
उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश को जिला फोरम द्वारा परिवाद में पारित किए जाने वाले अंतिम आदेश के अधीन रखा जाता है और तदनुसार वर्तमान पुनरीक्षण याचिका अंतिम रूप से निस्तारित की जाती है।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1