जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 200/2014
भंवरसिंह पुत्र श्री मोहनसिंह, जाति-राजपूत, निवासी-रघुनाथ चैक, जूसरी, वाया-मकराना, जिला-नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. सिस्टेमा ष्याम टेली सर्विसेज लिमिटेड (डज्ै) और कम्पनी के एक्सपर्ट व कस्टमर केयर अधिकारी, आॅफिस-एमटीएस टावर, 3, आम्रपाली सर्किल, वैषालीनगर, जयपुर, राजस्थान-302021
2. भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (टेलीकाॅम रेगुलेटरी आॅथरिटी आॅफ इंडिया, ट्राई) (ज्त्।प्) महानगर दूरसंचार भवन, जवाहर लाल नेहरू मार्ग, नई दिल्ली-110002
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. परिवादी स्वयं उपस्थित।
2. श्री लालाराम ज्याणी, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थीगण।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे ष दिनांक 09.06.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से दूरसंचार सेवाओं के लिए एक स्मार्ट फोन स्कीम मोबाइल संख्या 9214833227 ले रखा है। जिसके तहत परिवादी अप्रार्थी संख्या 1 से दूरसंचार सेवाओं को जारी रखने के लिए व वैधता की जांच के लिए कम्पनी को संलग्न मैसेज संख्या 1 करता है तो उसे संलग्न मैसेज संख्या 2 प्राप्त होता है। जिसमें वैलेडिटी 1 अक्टूबर, 2014 तक बताई हुई भी है। इस मैसेज के अनुसार परिवादी ने 01 अक्टूबर, 2014 को अपना नियमित रिचार्ज 195 रूपये का सुबह 10ः45 पर ही करवा लिया था। मगर अप्रार्थी संख्या 1 ने सेवाएं षुरू नहीं की तो उसने अप्रार्थी संख्या 1 कम्पनी से बात की तो वहां से बताया गया कि परिवादी के सिम की वेलेडिटी अप्रार्थी संख्या 1 ने उसे तारीख से पहले ही 30 सितम्बर 2014 को समय 23ः59ः59 पर ही समाप्त कर दी है और रिचार्ज परिवादी ने 01 अक्टूबर 2014 को करवाया है। जबकि अप्रार्थी संख्या 1 कम्पनी के मैसेज के अनुसार परिवादी ने रिचार्ज सही समय एवं तारीख के भीतर ही करवाया है। इस पर परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 कम्पनी के एक्सपर्टस और उनके उच्च अधिकारी से भी बात की तो उन्होंने उसकी बात का मौखिक समर्थन भी किया तथा कई बार परिवादी के फोन को काटा भी। इस दौरान अपनी झूठ को छिपाने के लिए अप्रार्थी संख्या 2 ट्राई के नियमों को भी हवाला दिया। लेकिन आखिरकार अप्रार्थी संख्या 1 ने उसकी व्यथा पर कोई ध्यान नहीं दिया। अप्रार्थी का यह कृत्य सेवा में कमी एवं अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की श्रेणी में आता है। अतः परिवादी के मोबाइल संख्या 9214833227 पर जो रिचार्ज हुआ है उसे जारी रखा जावे अन्यथा 195 रूपये वापस परिवादी को लौटाये जावे। इसके अलावा परिवाद में अंकितानुसार अन्य परितोश दिलाये जावे।
2. अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से परिवादी के स्मार्ट मोबाइल फोन के नम्बर सही होना स्वीकार करते हुए अन्य तथ्यों को गलत बताते हुए अपने जवाब में कथन किया है कि अप्रार्थी संख्या 1 ट्राई एवं केन्द्र सरकार के दिषा निर्देषों अनुसार कार्य करता है एवं परिवादी को जरिये मैसेज सूचित कर दिया गया था कि आपकी सेवाएं 01 अक्टूबर तक ही चालू है अर्थात् 01 अक्टूबर को किसी भी समय सेवाएं अस्थायी रूप से बंद की जा सकती है। अप्रार्थी ने यह भी बताया है कि परिवादी द्वारा दिनांक 01.09.2014 को 195 रूपये का रिचार्ज करवाया गया था, जिसमें परिवादी को 30 दिवस की समयावधि दी गई थी, जो कि नियमित रूप से आज तक चालू है लेकिन परिवादी द्वारा अप्रार्थी पर अनुचित दबाव बनाने के लिए अपने हितानुसार तथ्यों को तोड मरोडकर यह परिवाद पेष किया गया है, जो मय खर्चा खारिज किया जावे। यह भी बताया गया है कि यदि परिवादी को रिचार्ज के सम्बन्ध में किसी प्रकार की कोई षिकायत थी तो वह इसकी लिखित षिकायत अप्रार्थी संख्या 1 के कार्यालय में या कस्टमर केयर में दर्ज करवाता लेकिन परिवादी द्वारा ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई, बल्कि महज अप्रार्थी को परेषान करने के लिए यह परिवाद पेष किया गया है जो मय खर्चा खारिज किया जावे।
3. अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से जवाब पेष कर बताया गया है कि अप्रार्थी संख्या 2 परिवादी का सेवा प्रदाता नहीं है तथा परिवादी उसका उपभोक्ता भी नहीं है, बल्कि अप्रार्थी संख्या 2 टेलीकाॅम रेगूलेटरी आॅथरिटी आॅफ इंडिया एक्ट, 1997 (ज्त्।प् ।ब्ज् 1997) के तहत एक वैधानिक निकाय है, ऐसी स्थिति में अप्रार्थी संख्या 2 के विरूद्ध परिवाद चलने योग्य न होने से खारिज किया जावे।
4. बहस सुनी गई। परिवादी ने परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही वैद्यता जानने हेतु अप्रार्थी कम्पनी को दिया गया मैसेज प्रदर्ष 1, अप्रार्थी कम्पनी से वैद्यता हेतु प्राप्त मैसेज प्रदर्ष 2, 195 रूपये का रिचार्ज होने का मैसेज प्रदर्ष 3, रिचार्ज के पष्चात् कम्पनी से प्राप्त मैसेज प्रदर्ष 4 एवं कम्पनी के उच्च अधिकारी से बात करने बाबत् काॅल डिटेल प्रदर्ष 5 की प्रतियां पेष की है। परिवादी का तर्क रहा है कि अप्रार्थी कम्पनी द्वारा रिचार्ज की वैद्यता बाबत् जो तारीख बताई गई थी उससे पहले ही खाता समाप्त कर सेवा दोश किया जाता है। परिवादी ने बताया है कि उसके द्वारा करवाये गये रिचार्ज की अवधि 01.10.2014 बताई गई थी, लेकिन उसकी वैद्यता अवधि 30.09.2014 की मध्य रात्रि में ही समाप्त कर दी गई। ऐसी स्थिति में परिवाद स्वीकार कर रिचार्ज राषि 195 रूपये वापिस लौटाये जावे तथा अन्य अनुतोश भी दिलाये जावे।
5. उक्त के विपरित अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से जवाब के समर्थन में षपथ-पत्र प्रस्तुत किया गया है एवं तर्क दिये गये हैं कि परिवादी द्वारा करवाये गये रिचार्ज की अवधि 30 दिवस की थी एवं 01.10.2014 को किसी भी समय सेवाएं अस्थायी रूप से बंद की जा सकती, जबकि परिवादी ने तथ्यों को तोड मरोडकर महज अप्रार्थी को परेषान करने के लिए यह परिवाद पेष किया है जो मय खर्चा खारिज किया जावे।
6. पक्षकारान द्वारा दिये तर्कों पर मनन कर पत्रावली का अवलोकन किया गया। यह स्वीकृत स्थिति है कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 1 से अपने मोबाइल नम्बर 9214833227 पर स्मार्ट फोन स्कीम के तहत सितम्बर 2014 के माह हेतु 195 रूपये का रिचार्ज करवाते हुए दूरसंचार सेवा ले रखी थी, इस प्रकार परिवादी अप्रार्थी संख्या 1 का उपभोक्ता रहा है। परिवादी मुख्य रूप से इस आधार पर अपना परिवाद लेकर आया है कि उसके द्वारा करवाये गये रिचार्ज की वैद्यता अवधि 01 अक्टूबर, 2014 बताई गई थी, लेकिन अप्रार्थी संख्या 1 ने उस तारीख से पहले ही 30 सितम्बर, 2014 को ही 23ः59ः59 पर समाप्त कर दी जो कि अप्रार्थीगण का सेवा दोश है। परिवादी ने इस सम्बन्ध में कुल पांच प्रलेख पेष किये हैं। इनमें से प्रदर्ष 1 अनुसार कम्पनी को मैसेज करना बताया गया है लेकिन इसमें यह स्पश्ट नहीं है कि परिवादी द्वारा क्या मैसेज किये गये थे। प्रदर्ष 2 अप्रार्थी एम.टी.एस. कम्पनी के आया मैसेज है, जिसमें खाता की वैद्यता 01 अक्टूबर, 2014 बताई गई है, यह मैसेज 30 सितम्बर को प्राप्त होना बताया गया है तथा इसमें बैलेंस षून्य बताया हुआ है। प्रदर्ष 3 अप्रार्थी एम.टी.एस. कम्पनी से प्राप्त मैसेज है, जिसमें 195/- रूपये का रिचार्ज करवाने पर धन्यवाद दिया गया है, लेकिन यह मैसेज किस दिनांक का है, इसे स्पश्ट नहीं किया गया है। प्रदर्ष 4 भी अप्रार्थी एम.टी.एस. कम्पनी से प्राप्त मैसेज है, जिसमें बैलेंस षून्य बताया गया है, लेकिन यह स्पश्ट किया गया है कि 3 जी प्लस नेटवर्क एम.टी.एस. पर चालू है, इस मैसेज में भी कोई दिनांक अंकित नहीं है। अन्य प्रलेख प्रदर्ष 5 परिवादी द्वारा अप्रार्थी एम.टी.एस. कम्पनी के उच्चाधिकारियों से बातचीत करने की काॅल डिटेल बताई गई है, लेकिन क्या वार्ता हुई, यह स्पश्ट नहीं है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद में अंकित किया गया है कि सम्पूर्ण बातचीत की रिकाॅर्डिंग की सी.डी. संलग्न है लेकिन परिवादी द्वारा ऐसी कोई सी.डी. पेष नहीं की गई है। परिवादी द्वारा यह भी नहीं बताया गया है कि उसके द्वारा 195/- रूपये का रिचार्ज अप्रार्थी कम्पनी के किस प्लान या स्कीम के तहत करवाया गया था तथा ऐसे प्लान की क्या षर्तें थी। अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा अपने जवाब में स्पश्ट किया गया है कि परिवादी द्वारा दिनांक 01.09.2014 को 195/- रूपये का रिचार्ज करवाया गया था, जिसमें 30 दिवस की समयावधि दी गई थी तथा परिवादी को जरिये मैसेज सूचित कर दिया गया था कि आपकी सेवाएं 01 अक्टूबर तक ही चालू है अर्थात् 01 अक्टूबर को किसी भी समय सेवाएं अस्थायी रूप से बंद की जा सकती है। परिवादी ने भी अपने परिवाद में यही बताया है कि अप्रार्थी कम्पनी ने 30 सितम्बर, 2014 की मध्य रात्रि में सेवाएं समाप्त कर दी। यद्यपि परिवादी का यह तर्क है कि 01 अक्टूबर, 2014 की तारीख 02 अक्टूबर की षुरूआत होने से पहले तक रहती है, लेकिन इस सम्बन्ध में अप्रार्थी संख्या 1 ने स्पश्ट किया है कि रिचार्ज दिनांक 01 सितम्बर 2014 को करवाया गया था, जिसकी समयावधि 30 दिवस की थी। परिवादी द्वारा भी यह कहीं नहीं बताया गया है कि रिचार्ज की समयावधि 30 दिवस से अधिक रही हो। ऐसी स्थिति में अप्रार्थी कम्पनी द्वारा 30 सितम्बर, 2014 की मध्य रात्रि में समय 23ः59ः59 पर सेवा समाप्त कर किसी प्रकार का सेवा दोश नहीं किया है। जहां तक अप्रार्थी संख्या 1 के उच्चाधिकारियों एवं विषेशज्ञों द्वारा वार्ता के समय संतोशजनक जवाब न देने का प्रष्न है तो इस सम्बन्ध में परिवादी द्वारा बताई गई रिकाॅर्डिंग की कोई सी.डी. पेष नहीं हुई है, ऐसी स्थिति में स्पश्ट नहीं है कि पक्षकारान में क्या वार्ता हुई थी।
7. जहां तक अप्रार्थी संख्या 2 का प्रष्न है तो इस सम्बन्ध में पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री से स्पश्ट है कि अप्रार्थी संख्या 2 इस मामले में सेवा प्रदाता नहीं रहा है तथा न ही परिवादी इस मामले में अप्रार्थी संख्या 2 का उपभोक्ता ही रहा है। ऐसी स्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि अप्रार्थी संख्या 2 का इस मामले में कोई सेवा दोश रहा हो।
8. उपर्युक्त विवेचन के आधार पर स्पश्ट है कि परिवादी इस मामले में किसी प्रकार का अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है, ऐसी स्थिति में परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
9. परिणामतः परिवादी भंवरसिंह द्वारा प्रस्तुत यह परिवाद धारा-12 अन्तर्गत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का विरूद्ध अप्रार्थीगण खारिज किया जाता है। पक्षकारान खर्चा अपना-अपना वहन करें।
10. आदेष आज दिनांक 09.06.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। ।राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या