राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या:-2150/2014
(जिला फोरम, दि्वतीय लखनऊ द्धारा परिवाद सं0-1008/2012 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 16.9.2014 के विरूद्ध)
Future Generali India Insurance Company Ltd. Branch office, Unit No.404, Ratan Square, Vidhan Sabha Marg, Lko. through its Senior Executive (Legal Claim)
........... Appellant/ Opp. Party
Versus
M/s Singhania Food Products Pvt. Ltd. Hardoi Road, Near Naveen Chowk District Sitapur through its Director Ashish Singhania.
…….. Respondent/ Complainant
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता :- श्री टी0के0 मिश्रा
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता :- श्री सर्वेश कुमार शर्मा के सहयोगी
श्री पियुष मणि त्रिपाठी
दिनांक :-25-11-2020
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या-1008/2012 मै0 सिंघानिया फूड प्रोडक्ट्स प्रा0लि0 बनाम मै0 फ्यूचर जनरली इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, दि्वतीय लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 16.9.2014 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
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आक्षेपित निर्णय के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
“परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित है कि वह इस निर्णय की तिथि से छ: सप्ताह के अन्दर परिवादी की संतुष्टि पर अपने सर्वेयर एवं जॉचकर्ता के द्वारा आंकलित की गयी क्लेम की धनराशि के आधार पर दुर्घटनागस्त प्रश्नगत वाहन की मरम्मत करवायें, यदि विपक्षी सेवा करते है तो परिवादी द्वारा क्लेम की गयी धनराशि स्वत: निरस्त समझी जायेगी, अगर विपक्षी ऐसा करने में असमर्थता प्रकट करते है तो विपक्षी परिवादी को उसके द्वारा मॉगी गयी बीमित धनराशि रू0 6,45,000.00 (छ: लाख पैतालिस हजार) मय ब्याज दौरान वाद व आइंदा बशरह 09 (नौ) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करेंगे। इसके अतिरिक्त विपक्षी परिवादी को मानसिक क्लेश हेतु रू0 15000.00 (पन्द्रह हजार) तथा रू0 5000.00 (पॉच हजार) वाद व्यय अदा करगें।”
जिला आयोग के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी मै0 फ्यूचर जनरली इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड ने यह अपील प्रस्तुत की है।
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अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री टी0के0 मिश्रा उपस्थित आये है। प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा के सहयोगी श्री पियूष मणि त्रिपाठी उपस्थित आये है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने Skoda Octavia Company की Diesel Model कार 11,50,615.00 रू0 में दिनांक 04.12.2007 को कामर्शियल आटो लखनऊ से क्रय किया था जिसका दिनांक 01.12.2011 को बीमा उसने अपीलार्थी बीमा कम्पनी से दिनांक 03.12.2011 से दिनांक 02.12.2012 तक के लिए 6,45,000.00 रू0 बीमित मूल्य पर प्रीमियम धनराशि 19,345.00 रू0 का भुगतान कर कराया था। मास अप्रैल, 2012 में प्रत्यर्थी/परिवादी का यह वाहन ट्रक को ओवरटेक करते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसकी सूचना अपीलार्थी बीमा कम्पनी को दी गई और वाहन को क्रेन के माध्यम से अधिकृत सर्विस सेंटर विशाल मोटर्स कानपुर दिनांक 06.4.2012 को भेजा गया। क्रेन का भाड़ा 6800.00 रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी ने अदा किया। तदोपरांत अधिकृत सर्विस सेंटर ने वाहन की मरम्मत हेतु अनुमानित लागत रू0 8,54,029.29 बताया
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और पुन: यह बताया कि बाडी सेल को बदलने के स्थान पर उसकी मरम्मत कर दी जायेगी। ऐसी स्थिति में मरम्मत की अनुमानित लागत रू0 7,11,443.23 होगी।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने वाहन की अनुमानित क्षति 3.48.400.00 रू0 बतायी जिसके सम्बन्ध में प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी बीमा कम्पनी से पत्राचार किया, परन्तु उसे कोई औपचारिक उत्तर नहीं दिया गया। तब दिनांक 27.7.2012 को प्रत्यर्थी/परिवादी ने औपचारिक नोटिस अपीलार्थी बीमा कम्पनी को भेजा और अनुस्मारक दिनांक 20.8.2012 को भेजा। फिर भी अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने कोई ध्यान नहीं दिया। तब क्षुब्ध होकर प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत कर वाहन की बीमित धनराशि ब्याज सहित दिलाये जाने का अनुरोध किया है। साथ ही क्षतिपूर्ति भी मॉगा है।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है और कहा गया है कि परिवाद जिला फोरम के क्षेत्राधिकार से बाहर है। लिखित कथन में यह भी कहा गया है कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने सर्वेयर रिपोर्ट के आधार पर प्रत्यर्थी/परिवादी का क्लेम सेंटिल किया है, जो अण्डर प्रोसेस है। अत: परिवाद प्रीमेच्योर है। लिखित कथन में अपीलार्थी बीमा कम्पनी की ओर से यह भी कहा गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन की क्षति की
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धनराशि 3,57,115.00 रू0 अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने माना है और इस संदर्भ में बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी को पत्र दिनांक 05.6.2012, 20.6.2012 और 21.6.2012 प्रेषित किये हैं। परन्तु उसका प्रत्यर्थी/परिवादी ने कोई उत्तर नहीं दिया है। अपीलार्थी बीमा कम्पनी की सेवा में कोई कमी नहीं है। परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
जिला आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित है।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के विरूद्ध है।
अपीलार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि सर्वेयर ने वाहन की क्षति का आंकलन 3,57,115.00 रू0 किया है, जिसका भुगतान अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने अपील में राज्य आयोग द्वारा पारित आदेश दिनांक 16.4.2015 के अनुपालन में प्रत्यर्थी/परिवादी को कर दिया है, फिर भी उसने वाहन की मरम्मत नहीं करायी है और ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है कि वह वाहन की मरम्मत कराने का प्रयास कर रहा है। उसने बीमा कम्पनी को यह सूचित भी नहीं किया है कि वाहन मरम्मत योग्य नहीं है।
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अपीलार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति की धनराशि बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा कर दिया है और अब बीमा कम्पनी कोई और धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को देने हेतु उत्तरदायी नहीं है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने 15,000.00 रू0 मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति और 5,000.00 रू0 वाद व्यय देने हेतु जो अपीलार्थी बीमा कम्पनी को आदेशित किया है वह उचित नहीं है। जिला फोरम ने जो 09 प्रतिशत की दर से ब्याज दिलाया है वह भी उचित नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश तथ्य और विधि के अनुसार उचित है। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि वाहन की मरम्मत हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी ने जो एस्टीमेट प्राप्त किया है, उसके अनुसार वाहन की मरम्मत की अनुमानित लागत 7,11,443.23 रू0 है जो वाहन के बीमित मूल्य से अधिक है। अत: वाहन की क्षति टोटल लॉस की श्रेणी में आती है। जिला फोरम ने वाहन की पूर्ण क्षति मानते हुए जो वाहन की बीमित धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने हेतु आदेशित किया है वह उचित है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरमने जो मानसिक कष्ट हेतु 15,000.00 रू0 क्षतिपूर्ति और
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5,000.00 रू0 वाद व्यय प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया है वह उचित है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने जो 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया है वह भी उचित है, उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क पर विचार किया है।
प्रत्यर्थी/परिवादी का प्रश्नगत वाहन अपीलार्थी बीमा कम्पनी से संगत अवधि में बीमित होना एवं वाहन का बीमित मूल्य 6,45,000.00 रू0 होना तथा वाहन दुर्घटनाग्रस्त होना अविवादित है। सर्वेयर ने वाहन में हुई क्षति का आंकलन 3,57,115.00 रू0 किया है, जबकि प्रत्यर्थी/परिवादी ने वाहन की मरम्मत हेतु जो एस्टीमेट प्राप्त किया है उसके अनुसार मरम्मत की अनुमानित धनराशि 7,11,443.23 रू0 है जो वाहन के बीमित मूल्य से अधिक है। जिला फोरम ने सर्वेयर आख्या एवं प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत एस्टीमेट पर विचार करते हुए यह आदेशित किया है कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी, प्रत्यर्थी/परिवादी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन की अपने सर्वेयर एवं जॉचकर्ता के द्वारा आंकलित की गई क्लेम की धनराशि के आधार पर प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रश्नगत वाहन की मरम्मत कराये। यदि वह ऐसा करती है तो प्रत्यर्थी/परिवादी का क्लेम निरस्त माना जायेगा, यदि अपीलार्थी बीमा
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कम्पनी ऐसा करने में असमर्थता प्रकट करती है तो वह प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन का बीमित मूल्य 6,45,000.00 रू0 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ उसे अदा करेगी। जिला फोरम का आक्षेपित आदेश दिनांक 16.9.2014 को पारित किया गया है। अपीलार्थी बीमा कम्पनी ने सर्वेयर द्वारा किये गये आंकलन के अनुसार वाहन की मरम्मत नहीं करायी है और इस अपील में पारित अंतरिम आदेश दिनांक 16.4.2015 के अनुपालन में वाहन की बीमित धनराशि 6,45,000.00 रू0 से अपील में धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत जमा धनराशि 25,000.00 रू0 घटाकर शेष धनराशि जिला आयोग के समक्ष जमा की है, जिसमें सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षतिपूर्ति की धनराशि 3,57,115.00 रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को अन्तरिम आदेश के अनुसार अवमुक्त की जा चुकी है।
उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी सर्वेयर के आंकलन के अनुसार वाहन की मरम्मत कराने में असफल रही है और उसने वाहन की बीमित धनराशि अपील में पारित अंतरिम आदेश के अनुपालन में जमा कर दिया है। ऐसी स्थिति में वाहन की पूर्ण क्षति मानते हुए वाहन की सम्पूर्ण बीमित धनराशि 6,45,000.00 रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी बीमा कम्पनी से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से यह धनराशि अपील में पारित अंतरिम आदेश के
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अनुपालन में जिला आयोग के समक्ष जमा करने की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ दिलाया जाना उचित है और जिला आयोग के समक्ष यह धनराशि जमा किये जाने की तिथि से अदायगी की तिथि तक इस धनराशि पर जो ब्याज अर्जित किया जायेगा उसे प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया जाना उचित है। चूंकि वाहन की पूर्ण क्षति मानते हुए वाहन का पूर्ण बीमित मूल्य प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी बीमा कम्पनी से दिलाया जा रहा है, ऐसी स्थिति में अवशेष बीमित धनराशि प्राप्त करने के पूर्व प्रत्यर्थी/परिवादी से वाहन अपीलार्थी बीमा कम्पनी को दिलाया जाना और वाहन के अंतरण के सम्बन्ध में अभिलेख बीमा कम्पनी के हक में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा निष्पादित किया जाना एवं आवश्यक औपचारिकतायें पूरी किया जाना आवश्यक है।
बीमित धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से जमा करने की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया जा रहा है ऐसी स्थिति में जो जिला फोरम ने 15,000.00 रू0 मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रदान की है वह उचित नहीं है। उसे अपास्त किया जाना आवश्यक है। जिला फोरम ने जो 5,000.00 रू0 वाद व्यय प्रदान किया है वह उचित है, उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और
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आदेश संशोधित करते हुए आदेशित किया जाता है कि अपीलार्थी बीमा कम्पनी प्रत्यर्थी/परिवादी को उसके प्रश्नगत वाहन की बीमित धनराशि 6,45,000.00 रू0 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से इस अपील में पारित अंतरिम आदेश दिनांक 16.4.2015 के अनुपालन में राज्य आयोग के समक्ष आदेशित धनराशि जमा करने की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ अदा करेगा।
यह धनराशि जमा करने की तिथि से जमा धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को अवमुक्त किये जाने की तिथि तक इस धनराशि पर अर्जित ब्याज की सम्पूर्ण धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी पाने का अधिकारी होगा।
उपरोक्त के अतिरिक्त अपीलार्थी बीमा कम्पनी प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा आदेशित 5,000.00 रू0 वाद व्यय की धनराशि भी अदा करेगी।
प्रत्यर्थी/परिवादी जिला फोरम के समक्ष अवशेष जमा धनराशि प्राप्त करने के पूर्व अपना प्रश्नगत वाहन अपीलार्थी बीमा कम्पनी के सुपुर्द करेगा और उसके अंतरण के सम्बन्ध में कागजात बीमा कम्पनी के पक्ष निष्पादित करेगा तथा अन्य औपचारिकतायें पूरी करेगा।
जिला फोरम ने जो 15,000.00 रू0 मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति प्रदान किया है, उसे अपास्त किया जाता है।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं बहन करेंगे।
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इस अपील में अंतरिम आदेश दिनांक 16.4.2015 के अनुपालन में जिला फोरम के समक्ष जो धनराशि अपीलार्थी ने जमा किया है, उसका निस्तारण इस अपील में पारित इस निर्णय एवं उपरोक्त अंतरिम आदेश दिनांक 16.4.2015 के अनुसार किया जायेगा।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000.00 रू0 भी अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को प्रेषित की जायेगी और इस धनराशि का भी निस्तारण इस निर्णय के अनुसार जिला फोरम द्वारा किया जायेगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (राजेन्द्र सिंह)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1