Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/50/2015

RADHESHYAM CHAURASIYA - Complainant(s)

Versus

SINGHAL MOTERS - Opp.Party(s)

SHASHI BHUSHAN CHAUBEY

05 Aug 2019

ORDER

1

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 50 सन् 2015

प्रस्तुति दिनांक 11.03.2015

                                                                                         निर्णय दिनांक  05.08.2019      

राधेश्याम चौरसिया पुत्र अपरबल चौरसिया, साकिन- जेहरापिपरी, पोस्ट- तेरही, जनपद- आजमगढ़।

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1.  प्रबन्धक सिंघल मोटर्स केदार पुरम हर्रा की चुंगी, आजमगढ़।
  2. टाटा मोटर्स फाइनेन्स लिo 2 फ्लोर लोढ़ा आई टैक टेक्नों कैम्पस पोरखन रोड- 2 थाने (वेस्ट) 400607
  3. प्रबन्धक नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, आजमगढ़।

......................................................................................विपक्षीगण।

उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा राम चन्द्र यादव “सदस्य”

  •  

कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

परिवादी ने परिवाद पत्र प्रस्तुत कर यह कहा है कि वह सिंघल मोटर्स से एक टाटा मैजिक 4,08,180/- रुपये में दिनांक 16.02.2012 को खरीदा था। जिसका फाइनेन्स टाटा मोटर्स फाइनेन्स लिमिटेड द्वारा किया गया था। जिसमें 8,900/- की एक किस्त और 8,680/- रुपये की किस्तें कुल 46 किस्तों में जमा करना था और परिवादी को 4,08,,180/- देना था। परिवादी ने कुल 25 किस्तों में 1,85,410/- रुपया टाटा मोटर्स फाइनेन्स लिमिटेड आजमगढ़ को भुगतान किया एवं एक लाख रुपया नकद गाड़ी निकालते समय भुगतान किया। इस प्रकार कुल उसने 2,85,410/- रुपया का भुगतान टाटा मोटर्स को दिनांक 31.01.2014 तक कर दिया। दिनांक 07.02.2014 को गाड़ी में आग लग गयी जिसके कारण गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गयी और गाड़ी को परिवादी ने सिंघल मोटर्स एजेन्सी में रिपेयरिंग के लिए खड़ा कर दिया तथा प्रबन्धक के कहने पर रिपेयरिंग के लिए 15,000/- रुपया जमा कर दिया। रिपेयरिंग के बावजूद भी सिंघल मोटर्स ने गाड़ी वापस नहीं किया तथा अन्तिम रूप से 10.03.2014 को गाड़ी देने से इन्कार कर दिया। याची ने दिनांक 13.01.2015 को विपक्षीगण को विधिक नोटिस भेजी गयी। अतः विपक्षी संख्या 01 को निर्देशित किया जाए कि वह परिवादी को तुरन्त गाड़ी सुपुर्द करें और फरवरी 2014 से गाड़ी सुपुर्द करने के दिनांक तक 24,000/- रुपया प्रतिमाह के हिसाब से 3,00,000/- रुपये परिवादी को हुए नुकसान की धनराशि अदा करें। विपक्षी संख्या 02 को आदेशित किया जाए कि फरवरी 2014 से गाड़ी मिलने के दिनांक तक का ब्याज माफ करें। इस अवधि के भीतर किस्त न जमा होने के कारण विलम्ब होने की कोई कार्यवाही न करें। विपक्षी संख्या                                                       P.T.O.

 

2

03 को यह निर्देशित किया जाए कि वह परिवादी के क्लेम की धनराशि 3,00,000/- रुपये अदा करें और 12, 000/- रुपया आर्थिक व मानसिक कष्ट के लिए अदा करें।

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के समर्थन में कोई भी शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में कागज संख्या 5/1 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 5/3 नोटिस की छायाप्रति, कागज संख्या 5/4 नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड को बीमा का सर्टिफिकेट, कागज संख्या 5/5 कस्टमर कैश रिसिप्ट, कागज संख्या 5/7 थाने पर दी गयी सूचना, कागज संख्या 5/8 प्रीमियम की धनराशि व कुल देय धनराशि का प्रमाणपत्र, कागज संख्या 5/9 व 5/10 किस्त रसीदें प्रस्तुत किया है।

कागज संख्या 13 क विपक्षी संख्या 03 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है। जिसमें परिवादी के कुछ अंशों को स्वीकार किया गया है तथा शेष अंशों को अस्वीकार किया गया है। अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि दावा पोषणीय नहीं है। दुर्घटना दिनांक 07.02.2014 के उपरान्त विपक्षी को याची द्वारा सूचित किया गया। मुख्य रूप से याची द्वारा जानकारी दे दिए जाने पर विपक्षी ने स्थल सर्वेक्षण सर्वेयर से करवाया जिसमें अपनी आंकलन रिपोर्ट 12.11.2014 को प्रस्तुत किया। आंकलन के अनुसार 57,410/- रुपये की क्षति पायी गयी। याचिका प्रस्तुत करने के पूर्व याची द्वारा दिए गए क्लेम फॉर्म, बिल बाउचर, सर्वेयर की रिपोर्ट के मुताबिक अदायगी सुनिश्चित होने की जानकारी के बावजूद उपरोक्त परिवाद प्रस्तुत किया गया है। याचिका में विपक्षी के विरूद्ध कोई कथन अथवा ग्रीवांस याची द्वारा व्यक्त न किए जाने के कारण हम विपक्षी के किसी कार्य व व्यवहार से याची का कोई शारीरिक व मानसिक नुकसान नहीं हुआ है। अतः परिवाद खारिज किया जाए।

विपक्षी संख्या 03 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत कर परिवाद पत्र की धारा 01 को स्वीकार किया है तथा शेष धाराओं से इन्कार किया गया है। परिवादी की गाड़ी की दुर्घटना होने के पश्चात् क्षतिग्रस्त हालत में विपक्षी संख्या 01 के वर्कशॉप पर मरम्मत के लिए लायी गयी। चूंकि परिवादी ने अपने वाहन का बीमा करा रखा था। लेहाजा परिवादी ने बीमा कम्पनी को स्वयं प्रथम सूचना रिपोर्ट जिसे प्रार्थी ने स्वयं दर्ज करायी थी कि प्रतिलिपि के साथ बीमा कम्पनी विपक्षी संख्या 03 को परिवादी ने स्वयं सूचित किया था। परिवादी ने कभी भी विपक्षी संख्या 03 द्वारा दिए गए हिदायत व वांछित कागजातों को विपक्षी संख्या 03 को उपलब्ध नहीं कराया। अतः विपक्षी संख्या 03 ने क्लेम की धनराशि अवमुक्त नहीं किया। गाड़ी मरम्मत कराके उसके वर्कशॉप में पड़ी हुई है, लेकिन परिवादी गाड़ी नहीं ले जा रहा है। उसके लिए उसकी कोई                                                                   P.T.O.

 

3

जिम्मेवारी नहीं है।

विपक्षी संख्या 01 अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी द्वारा कागज संख्या 16 मोटर दावा प्रपत्र प्रस्तुत करने के फॉर्म की छायाप्रति, कागज संख्या 16/03 सर्वे रिपोर्ट, कागज संख्या 16/07 मोटर दावा प्रकमण प्रपत्र उसके बाद चेक रसीद की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है।

सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। कागज संख्या 5/4 सर्टिफिकेट ऑफ इन्श्योरेन्स कम पॉलिसी सेड्यूल उसके बाद कैश कस्टमर रिकार्ड, अखबार की छायाप्रति, थानाध्यक्ष को दी गयी सूचना की छायाप्रति, कागज संख्या 16ग से यह प्रमाणित होता है कि परिवादी ने मोटर दावा प्रस्तुत किया था जिस पर उसका हस्ताक्षर है। इसके पश्चात् बीमा कम्पनी ने सर्वे रिपोर्ट मंगवाई, जिसमें सर्वेयर ने कुल क्षति 57,753/- रुपये प्रदर्शित किया। जिसे परिवादी ने प्राप्त कर लिया है। इस प्रकार परिवादी को पुनः यह परिवाद प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं थी। चूंकि परिवादी ने बीमा क्लेम प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर धनराशि प्राप्त कर लिया है। ऐसी स्थिति में यह परिवाद संधार्य नहीं है।

आदेश

परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

 

 

 

 

                                                   राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                       (सदस्य)                         (अध्यक्ष)

 

                          दिनांक 05.08.2019

                                                   यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

                                         राम चन्द्र यादव                  कृष्ण  कुमार सिंह

                                                          (सदस्य)                          (अध्यक्ष)

 

 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.