Uttar Pradesh

Faizabad

CC/168/2008

SMT RAJ SRIVASTAVA - Complainant(s)

Versus

SINGH BANDHU CELULAR - Opp.Party(s)

25 May 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/168/2008
 
1. SMT RAJ SRIVASTAVA
396 RIKABGANJ FZD
...........Complainant(s)
Versus
1. SINGH BANDHU CELULAR
STATION ROAD FZD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 


उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

 

              परिवाद सं0-168/2008

 

श्रीमती राजश्री श्रीवास्तव एडवोकेट पत्नी श्री सुधीर चन्द्र श्रीवास्तव, 396, बल्लाहाता, रिकाबगंज फैजाबाद अस्थाई पता-शेड नं0-21 सिविल कोर्ट फैजाबाद।
      .................परिवादिनी          
                    बनाम


सिंह बन्धु सेलुलर सर्विसेज स्टेशन रोड, सिविल लाइन्स फैजाबाद  ................. विपक्षी


निर्णय दिनाॅंक 25.05.2015    


                    
                        निर्णय 


    उद्घोषित द्वारा: श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या

परिवादिनी ने यह परिवाद विपक्षी के विरूद्ध मोबाइल फोन सेट सोनी एरिकसन मु0 10,000=00 के सम्बन्ध में योजित किया है।

संक्षेप में परिवादिनी का केस इस प्रकार है, कि परिवादिनी ने दि0 10.10.2007 को विपक्षी की दुकान से एक मोबाइल फोन सेट सोनी एरिकसन मु0 10,000=00 नकद देकर खरीदा था। विपक्षी ने कहा था फोन सेट की वारन्टी एक वर्ष की दे रहा हूॅं। फोन सेट में किसी भी प्रकार की कमी होने पर उसे बदल दिया जायेगा या आपको पैसा वापस कर दिया जायेगा। इसी विश्वास पर परिवादिनी ने फोन खरीदा। दि0 25.04.2008  को  क्रयशुदा  उक्त फोन सेट की स्क्रीनिंग ने काम करना बन्द कर 


                    (  2  )

दिया तब उसी दिन मूल रसीद के साथ विपक्षी को फोन सेट के काम न करने की शिकायत की। विपक्षी ने मूल रसीद रख ली और फोन सेट को ठीक कराकर 20 दिन बाद देने को कहा। मूल रसीद की फोटो कापी और फोन सेट मुझे वापस कर दी। दि0 20.05.2008 को पुनः परिवादिनी ने विपक्षी को फोन सेट के काम न करने के सम्बन्ध में शिकायत किया और फोन सेट को मरम्मत हेतु दे दिया। 25 दिन बाद आने को कहा। जून माह में पुनः उक्त फोन सेट खराब हो गया और शिकायत की गयी, तो उसने कहा कि इसका सिम खराब हो गया है और अपनी दुकान से मु0 150=00 मुझसे लेकर दूसरा सिम दिया। इस प्रकार परिवादिनी ने दि0 30.07.2008 को बिना फोन सेट ठीक कराये वापस कर दिया।

विपक्षी ने अपनी आपत्ति में परिवादिनी के कथन को निराधार बताया और कहा कि परिवादिनी द्वारा जिस मोबाइल सेट की बिक्रय उत्तरदाता विपक्षी के संस्थान से होना कहा जाता है उक्त विवरण का मोबाइल सेट उत्तरदाता विपक्षी के संस्थान में जब क्रय ही नहीं किया गया, तो बिकय का कोई प्रश्न नहीं उठता है। विपक्षी के संस्थान पर विभिन्न कम्पनियों द्वारा निर्मित मोबाइल सेटों के विक्रय का कार्य किया जाता है और बिक्रय होने वाले सेट को सम्बन्धित कम्पनी के डीलरों से प्राप्त किया जाता है। परिवादिनी का पुत्र वकालत के व्यवसाय में है। इस प्रकार पूरा परिवार कानूनी जानकारी रखता है और अपने इसी ज्ञान का नाजायज फायदा उठाकर जबरदस्ती उत्तरदाता विपक्षी को कानूनी दावपेंच में फंसाकर नाजायज रूप से लाभ लेने की गरज से निराधार मुकदमें में फंसाकर हैरान व परेशान किया जा रहा है। 

परिवादिनी ने अपने परिवाद के समर्थन में मोबाइल सेट की रसीद की छायाप्रति कागज सं0-1/9 प्रेषित किया है। अन्य कोई साक्ष्य नहीं दिया है। शपथीय साक्ष्य परिवादिनी ने नहीं दिया है। 

विपक्षी ने अपने जवाबदावे के साथ शपथ-पत्र प्रेषित किया है।

मैं पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। सिंह बन्धु सेलुलर सर्विसेज की रसीद की छायाप्रति सूची कागज सं0-1/8 से 1/9 प्रेषित की गयी है। यह रसीद श्रीमती राजश्री  श्रीवास्तव के नाम है जो दि0 10.10.2007 को विपक्षी के यहाॅं से मोबाइल सेट सोनी एरिकसन आई.एम.ई.आई. नं0-354893010664977 मूल्य 10,000=00  की दाखिल किया है। इस प्रकार मोबाइल सेट ठीक कराने के सम्बन्ध में 


                    (  3  )

रसीद के पुश्त में दि0 25.4.2008 और दि0 20.5.2008 अंकित है। रसीद के अनुसार पेमेन्ट टर्म्स में चार शर्ते लिखी हुई हैं। प्रथम शर्त के अनुसार बिका हुआ माल वापस नहीं होगा। वारन्टी गारन्टी के शर्त स्पष्ट रूप से पठनीय नहीं है। परिवादिनी द्वारा असल रसीद प्रेषित नहीं की गयी है कि सेट ठीक न होने पर मोबाइल फोन की कीमत विपक्षी अदा करेगा, यह स्पष्ट रूप से नहीं लिखा है। इस प्रकार परिवादिनी ने साक्ष्य जो पत्रावली में प्रेषित किया है, उसके अनुसार परिवाद विपक्षी के विरूद्ध खारिज किये जाने योग्य है। 

                             आदेश

परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।

         (विष्णु उपाध्याय)           (माया देवी शाक्य)            ( चन्द्र पाल )            
               सदस्य                   सदस्या                    अध्यक्ष    
            
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 25.05.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

           (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)              ( चन्द्र पाल )
               सदस्य                 सदस्या                      अध्यक्ष

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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