जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-374/2009
डा0 हरिओम श्रीवास्तव आयु लगभग 50 साल पुत्र स्व0 श्री रघुवीर सहाय निवासी 1528 दिल्ली दरवाजा (ढ़ाल पर) परगना हवेली अवध तहसील सदर जिला फैजाबाद। ...... परिवादी
बनाम
1. सिंह बन्धु सेलुलर सर्विस, स्टेषन रोड, सिविल लाइन्स फैजाबाद।
2. नोकिया केयर सागर कम्युनीकेषन सागर बिल्डिंग फस्र्ट फ्लोर फतेहगंज चैराहा फैजाबाद।
3. नोकिया इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड गुड़गांव द्वारा केयर मैनेजर - 5 एफ टावर ए एण्ड बी सायवर ग्रीन डी एल एफ सेक्टर 25ए गुड़गांव हरियाना - 122002
.............. विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 16.06.2015
उद्घोषित द्वारा: श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य।
निर्णय
परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी चिकित्सक एवं वरिश्ठ सर्जन है। परिवादी ने अपनी आवष्यकता के अनुसार विपक्षी संख्या 1 से दिनांक 26.10.2007 को नोकिया कम्पनी का मोबाइल माडल नम्बर 6233 जिसका आई एम ई आई नम्बर 3562830170001 है, रुपये 7,750/- में खरीदा था। सितम्बर 2008 में मोबाइल सेट में कुछ खराबी आ गयी जिसे ले कर परिवादी विपक्षी संख्या 1 की दुकान पर गया वहां विपक्षी संख्या 1 ने दूसरा मोबाइल सेट बदल कर इस षर्त के साथ दिया कि जब परिवादी का मोबाइल ठीक हो कर आ जायेगा तब परिवादी दूसरे मोबाइल को वापस कर देगा। परिवादी ने दो माह बाद अपना मोबाइल प्राप्त कर के विपक्षी संख्या 1 द्वारा दिया गया मोबाइल वापस कर दिया। परिवादी का मोबाइल फिर भी ठीक से नहीं चला तो परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 के निर्देष पर विपक्षी संख्या 2 के यहां मोबाइल दिखाया और दो माह और बीत जाने पर भी मोबाइल ठीक नहीं हुआ। परिवादी का मोबाइल ठीक न होने पर विपक्षी संख्या 2 ने एक दूसरा मोबाइल जिसका आई एम ई आई नम्बर 352915026615330 था परिवादी को नया कह कर दिया मगर वह रिपेयर किया हुआ सेट था जो दिसम्बर 2008 में ही खराब हो गया। जिसे परिवादी ने बनने के लिये नोकिया केयर आर्य कम्यूनिकेषन जायसवाल काम्प्लेक्स लखनऊ को दिनांक 01.01.2009 को बनने के लिये दिया जो रिपेयर हो कर दो दिन बाद मिला जो फिर ठीक नहीं चला तो दिनांक 27.01.2009 को फिर उन्हीं को बनने के लिये दिया जो फिर भी ठीक नहीं हुआ। परिवादी ने अपना मोबाइल पुनः विपक्षी संख्या 2 को बनने के लिये दिनांक 01.04.2009 को दिया जिसका खर्च विपक्षी संख्या 2 ने रुपये 850/- लिया फिर भी मोबाइल ठीक काम नहीं कर रहा है। मोबाइल सेट न बनने की षिकायत परिवादी ने दिनांक 30.06.2009 को पुनः विपक्षी संख्या 1 से की तो उन्होंने कहा कि मोबाइल बेचना मेरा काम है सेवा देना नोकिया केयर सेन्टर का काम है और मोबाइल सेट वापस लेने अथवा मोबाइल को रिपेयर कराने से स्पश्ट मना कर दिया। विपक्षी संख्या 1 के मना कर देने पर परिवादी ने इसकी लिखित सूचना विपक्षी संख्या 3 को रजिस्ट्री पत्र द्वारा दी जिसका कोई उत्तर नहीं मिला। परिवादी का मोबाइल ठीक न होने से मानसिक, आर्थिक व सामाजिक कश्ट उठाना पड़ा। परिवादी को विपक्षीगण से नोकिया का नया मोबाइल सेट माडल नम्बर 6233 कार्यरत अवस्था में दिलाया जाय, मोबाइल का रिपेयर खर्च रुपये 850/- वापस दिलाया जाय, क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 1,62,000/- दिलाया जाय इस प्रकार कुल रकम रुपये 1,62,850/- विपक्षीगण से दिलायी जाय।
विपक्षी संख्या 1 को नोटिस की तामीला हुई मगर विपक्षी संख्या 1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। विपक्षी संख्या 2 ने रजिस्ट्री का लिफाफा लेने से इन्कार कर दिया इसलिये विपक्षी संख्या 2 पर तामीला पर्याप्त मानी गयी और विपक्षी संख्या 1 व 2 के विरुद्ध परिवाद की सुनवाई एक पक्षीय रुप से की गयी।
विपक्षी संख्या 3 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी के परिवाद के कथनों से इन्कार किया है। उत्तरदाता को विपक्षी संख्या 2 से सूचना मिली कि परिवादी का सेट केयर सेन्टर पर आया था और उसके साफ्टवेयर को अपग्रेड किया और पूर्ण संतुश्टि के साथ परिवादी को वापस कर दिया। दूसरी बार 29-12-2008 सेट पुनः रिपेयर में आया तो पाया गया कि रफ प्रयोग के कारण खराबी आयी थी तथा तब तक वारंटी समाप्त हो चुकी थी। परिवादी का मोबाइल मुफ्त में ठीक किया गया था और उसे सावधानी पूर्वक स्तेमाल करने के लिये कहा गया था। मोबाइल में जो भी समस्या आयी वह रफ प्रयोग के कारण आयी थीं। दो बार पुनः परिवादी का मोबाइल रिपेयर मंे आया और उसका साफ्ट वेयर अपग्रेड किया गया। दिनांक 04.06.2009 को परिवादी का मोबाइल विपक्षी संख्या 2 के पास पुनः रिपेयर में आया तब तक वारंटी समाप्त हो चुकी थी और परिवादी से रिपेयर कास्ट अदा करने के लिये कहा गया था जिसे परिवादी देने के लिये सहमत था, तब उक्त सेट लेवल 3 केयर सेन्टर को भेजा गया वहां पर पाया गया कि मोबाइल सेट टेम्पर्ड था और उसमें कुछ अवैधानिक काम किया गया था इसी रिमार्क के साथ परिवादी का सेट विपक्षी संख्या 2 को वापस कर दिया गया। परिवादी से इस बारे में बताया गया और रिपेयर चार्ज के बारे में बताया तो परिवादी ने रिपेयर चार्ज देने से मना कर दिया था, इसलिये परिवादी का सेट परिवादी को वापस कर दिया गया। परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 से पुनः संपर्क किया और सेट रिपेयर करने को कहा जिसे रिपेयर कर दिया गया और उसका नाम मात्र का चार्ज रुपये 850/- परिवादी से लिया गया। उत्तरदाता नोकिया मोबाइल को इम्पोर्ट करती है और उसकी 12 माह की सीमित वारंटी देती है। मोबाइल में खराबी परिवादी द्वारा रफ प्रयोग करने के कारण उत्पन्न हुई। उत्तरदाता ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है जब भी मोबाइल उत्तरदाता के केयर सेन्टर पर आया उसे ठीक कर के दिया गया। परिवादी ने अपना परिवाद उत्तरदाता को हैरान व परेषान करने के लिये दाखिल किया है। परिवादी का परिवाद आधार हीन है। परिवादी ने उपषम बढ़ा चढ़ा कर मांगा है और रुपये 1,62,850/- का कोई आधार नहीं बताया है। परिवादी का परिवाद सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना। विपक्षी संख्या 3 की ओर से बसह के समय कोई उपस्थित नहीं हुआ। विपक्षी संख्या 3 को बहस के लिये समय दिया गया, विपक्षी संख्या 3 की ओर से किसी के बहस न किये जाने के कारण परिवाद का निर्णण गुण दोश के आधार पर पत्रावली का भली भंाति परिषीलन करने के बाद किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना षपथ पत्र, सूची पर विपक्षी संख्या 3 को लिखे गये पत्र दिनांक 16.07.2009 की छाया प्रति, मोबाइल खरीदे जाने की रसीद दिनंाक 26.10.2007 की छाया प्रति तथा मूल रसीद, जाब षीट नोकिया केयर सेन्टर लखनऊ की छाया प्रति तथा मूल जाब षीट दिनांकित 01-01-2009, जाब षीट नोकिया केयर सेन्टर लखनऊ की छाया प्रति तथा मूल जाब षीट दिनांकित 27.01.2009, जाब षीट नोकिया केयर सेन्टर फैजाबाद की छाया प्रति तथा मूल जाब षीट दिनांकित 01.04.2009, परिवादी का साक्ष्य में षपथ पत्र तथा परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है। विपक्षी संख्या 3 ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन, प्रीती वर्मा प्रोसेस एवं गुणवत्ता अधिकारी का षपथ पत्र तथा साक्ष्य में विपक्षी संख्या 3 के कस्टमर केयर मैनेजर विकास षर्मा का षपथ पत्र दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी एवं विपक्षी संख्या 3 द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित है कि परिवादी का मोबाइल ग्यारह माह मंे ही खराब हो गया था। परिवादी ने अपना मोबाइल 26.10.2007 को खरीदा था जो सितम्बर व नवम्बर में विपक्षी संख्या 1 के द्वारा ठीक करा कर दिया गया बाद में दिनांक 01.01.2009, 27-01-2009 व 01.04.2009 को विपक्षीगण के केयर सेन्टर पर दिखाया गया तब तक वारंटी अवधि समाप्त हो गयी थी, जाब षीट में पावर फोन लाकअप नाट रेस्पान्ंिडंग, की पैड नाट वर्किंग, डिस्प्ले ब्लैंक तथा रिंगर प्राब्लम दिखाया गया है। नवम्बर में विपक्षी संख्या 2 ने परिवादी को दूसरा मोबाइल सेट दिया था जिसका आई एम ई आई नम्बर 352915026615330 था परिवादी को नया कह कर दिया मगर वह रिपेयर किया हुआ सेट था जो दिसम्बर 2008 में ही खराब हो गया। इस प्रकार परिवादी द्वारा खरीदे गये मोबाइल में मोबाइल के खरीदे जाने के ग्यारह महीने बाद खराबी आ गयी थी विपक्षी संख्या 2 ने परिवादी को रिपेयर किया हुआ दूसरा मोबाइल नया कह कर दिया था जो चार माह तक ठीक नहीं हुआ और उसे केयर सेन्टर पर तीन बार दिखाना पड़ा और जब मोबाइल ठीक नहीं हुआ तो परिवादी ने विपक्षी संख्या 3 को दिनांक 16.07.2009 को पत्र लिखा। इस प्रकार परिवादी के मोबाइल की वारंटी तो समाप्त हो गयी थी मगर नवम्बर 2008 से जो कि वारंटी अवधि थी तभी से मोबाइल ठीक नहीं हुआ था। विपक्षी संख्या 3 का यह कहना कि मोबाइल रफ प्रयोग के कारण खराब हुआ गलत है क्यों कि एक षिक्षित व्यक्ति जो कि डाक्टर एवं सर्जन है क्या उससे यह उम्मीद की जा सकती है कि उसने मोबाइल को रफ तरीके से प्रयोग किया होगा। विपक्षी संख्या 3 ने ऐसा कोई प्रमाण दाखिल नहीं किया है जो यह प्रमाणित करे कि परिवादी ने मोबाइल का प्रयोग रफ तरीके से किया है। विपक्षीगण ने अपनी सेवा में कमी की है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने मंे सफल रहा है। परिवादी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाषिक रुप से स्वीकार एवं अंाषिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाषिक रुप से स्वीकार एवं अंाषिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षीगण को पृथक पृथक व संयुक्त रुप से आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी को उसके मोबाइल की कीमत रुपये 7,750/- आदेष की दिनांक से 30 दिन के अन्दर भुगतान करें। विपक्षीगण परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद मंे रुपये 1,000/- तथा परिवाद व्यय के मद में रुपये 1,500/- भी भुगतान करेंगे। भुगतान के समय परिवादी विपक्षीगण को पुराना मोबाइल सेट वापस करेगा। विपक्षीगण द्वारा निर्धारित अवधि 30 दिन में भुगतान न किये जाने पर आदेष की दिनांक से विपक्षीगण परिवादी को रुपये 7,750/- पर 6 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भुगतान तारोज वसूली की दिनांक तक करेंगे।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 16.06.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष