राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1955/2015
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या-108/2003 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13-05-2015 के विरूद्ध)
Mahindra & Mahindra Financial Services Ltd. Mahindra Tower Faizabad Road, Lucknow.
अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
Singari Kunwar W/o Vikrmaditya Pandey, R/o Village-Bari Dala Post Dala, Police Station Chopan District-Sonebhadra..
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
1- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - श्री ए0 के0 पाण्डेय।
दिनांक : 24-04-2017
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय :
परिवाद संख्या-108/2013 सिंगारीकुवर बनाम् महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा फाइनेन्स सर्विसेज लि0 व एक अन्य व एक अन्य में जिला उपभोक्ता फोरम, सोनभद्र द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 13-05-2015 के विरूद्ध यह अपील उपरोक्त परिवाद के विपक्षी Mahindra & Mahindra Financial Services Ltd. Mahindra Tower Faizabad Road, Lucknow. की ओर से धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
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आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया है कि वे परिवादी के वाहन संख्या-यू0पी0-64एम0/3972 का नो ड्यूज प्रमाण पत्र एक महीने के अंदर जारी करें। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया है कि वे परिवादिनी को शारीरिक एवं मानसिक क्षति के लिए मु0 500/-रू0 तथा वादव्यय के लिए मु0 500/-रू0 भी एक महीने के अंदर परिवादिनी को अदा करें। उपरोक्त आदेश के पालन के लिए विपक्षीगण संयुक्त रूप से तथा पृथक-पृथक रूप से जिम्मेदार होंगे।
संक्षेप में इस केस के सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादिनी के पुत्र ने विपक्षी संख्या-2 की कम्पनी से महेन्द्रा ट्रैक्टर-495 डी0आई0 जिसका चेचिस नम्बर-आर0ए0क्यू0-000927 दिनांक 11-07-2011 को फाइनेंस कराया था। परिवादिनी के पुत्र की मृत्यु दिनांक 21-12-2011 को हो गयी। परिवादिनी ने एक मात्र उत्तराधिकारी की हैसियत वाद पत्र प्रस्तुत कर रही है। उक्त ट्रैक्टर विपक्षी संख्या-2 की प्रतिष्ठान से क्रय किया गया था। विपक्षीसंख्या-2 द्वारा विपक्षी संख्या-1 के माध्यम से उक्त वाहन को फाइनेंस करातेसमय मु0 1,93,500/-रू0 मार्जिन मनी मु0 17,610/-रू0 अग्रिम किश्त तथा 1406/-रू0 महेन्द्रा लोन सुरक्षा प्रीमियम कुल 2,16,000/-रू0 अदा कर ट्रैक्टर को फाइनेंस कराया था जिसके अनुसार कुल 3,00,000/-रू0 ऋण धनराशि थी जिस पर दो वर्षों में 52,200/-रू0 ब्याज स्वरूप देना था अर्थात कुल 20 किश्तों में मु0 17,610/-रू0 मासिक के हिसाब से मु0 3,52,200/-रू0 विपक्षी संख्या-1 को अदा किया जाना था। विपक्षी संख्या-1 द्वारा ऋण के भुगतान संबंधी सुरक्षा के लिए एम0एल0एस0 बीमा जो कि दौरान अदायगी ऋण ग्रहिता की मृत्यु हो
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जाने पर ऋणधन की सुरक्षा के लिए बीमा योजना था। के प्रीमियम के रूप में 14,600/-रू0 प्राप्त किया गया था। विपक्षी संख्या-2 के उक्त ट्रैक्टर फाइनेंस कराये जाने के उपरान्त दिनांक 21-12-2011 को एकाएक परिवादिनी के पुत्र किशोर कुमार पाण्डेय की मृत्यु हो गयी जिसकी सूचना विपक्षी संख्या-1 को तत्काल दी गयी थी सूचना दिये जाने के उपरान्त विपक्षीसंख्या-1 के कर्मचारियों,एजेन्टों द्वारा कहा गया कि उक्त धनराशि को जमा किये जाने की जिम्मेदारी परिवादिनी की या उसके परिवार की नहीं रह गयी है तथा उक्त बकाया ऋण धनराशि के भुगतान की जिम्मेदारी संबंधित बीमा कम्पनी की है और परिवादिनी को उक्त कर्ज की अदेयता प्रमाण पत्र जल्दी ही मिल जायेगा, परन्तु काफी दिन बीत जाने के बाद विपक्षी संख्या-1 के द्वारा अदेयता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया साथ ही परिवादिनी के पुत्र ने विपक्षी संख्या-1 से कान्ट्रैक्टर नम्बर-1117159 के माध्यम से एक ट्रैक्टर यू0पी0-64एम0-3972 भी फाइनेन्स कराया था जिसकी सम्पूर्ण किश्तों की अदायगी की जा चुकी है। बावजूद उसकेभीउक्त कान्ट्रैक्टर नं0-1117159 के संबंध में भी अदेयता प्रमाण पत्र प्रदान नहीं किया जा रहा है। दोनों ट्रैक्टरों के अदेयता प्रमाण पत्र दिये जाने के लिए विपक्षी संख्या-1 के कर्मचारियों, एजेन्टों से बार-बार निवेदन करने के बावजूद भी जब अदेयता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हो सका तब मजबूर होकर दिनांक06-08-2013 को परिवादिनी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से रजिस्टर्ड नोटिस विपक्षीगण को भेजा। परन्तु विपक्षीगण द्वारा न तो किसी प्रकार का जवाब दिया गया और न ही अदेयता प्रमाण पत्र ही प्रदान किया गया इसलिए विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद योजित किया गया है।
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विपक्षीगण को नोटिस जारी की गयी किन्तु विपक्षी संख्या-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई आपत्ति अथवा लिखित कथन दाखिल किया गया जिससे विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध दिनांक 27-09-2014 को वाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से किये जाने का आदेश पारित किया गया।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से जवाब तहरीरी कागज संख्या-10/1 एवं 10/2 दाखिल करके परिवाद पत्र की धारा-1 लगायत-7 से इंकार करते हुए अतिरिक्त कथन किया गया है कि परिवाद पत्र खिलाफ कानून वाक्यात असलके है, अत: परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है। विपक्षी संख्या-2 द्वारा परिवादी को उपरोक्त ट्रैक्टर दिखाया गया था तथा ट्रैक्टर लेन-देन तथा बनने बिगड़ने का कोई विवाद नहीं है। विपक्षी संख्या-2 को अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है तथा परिवाद से विपक्षी संख्या-2 को उन्मोचित किया जावे। परिवादी का विपक्षी संख्या-2 के विरूद्ध कोई वाद का कारण नहीं बनता है। अत: परिवाद निरस्त किया जावे। वर्तमान परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला फोरम सोनभद्र को प्राप्त नहीं है तथा विपक्षी के पार्ट पर कोई सेवा में कमी नहीं है अत: परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं। प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री ए0 के0 पाण्डेय उपस्थित आए।
हमने प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना है तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 ने यह अपील योजित की है और कथन किया है कि ट्रेक्टर विपक्षी संख्या-2 के यहॉं से खरीदा गया था तथा विपक्षी संख्या-1 से फाइनेंस कराया था। इस ऋण की सुरक्षा के तहत कोटक महिन्द्रा इंश्योरेंस कम्पनी से बीमा कराया गया था। जिला फोरम ने बिना उसे सुनवाई व साक्ष्य
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का अवसर दिये ही एक पक्षीय आदेश विधि विरूद्ध पारित किया है। दिनांक 21-12-2011 को ही परिवादिनी के पुत्र ने उक्त ट्रैक्टर का बीमा कोटक महिन्द्रा इंश्योरेंस कम्पनी से करा दिया था ताकि किसी तरह की दुर्घटना होने पर बीमा कम्पनी लोन की धनराशि अदा करने को जिम्मेदार होगी और परिवादिनी ने बीमा कम्पनी को पक्षकार भी नहीं बनाया है अत: जिला फोरम द्वारा पारित आदेश को निरस्त कर अपील स्वीकार की जाए।
विपक्षी संख्या-2 को इस परिवाद से मुक्त करने का भी आग्रह किया गया और कथन किया है कि विपक्षी संख्या-2 को बिना वजह परिवाद में पार्टी बनाया गया है।
प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश विधि के अनुसार है इसलिए अपील निरस्त की जाए।
पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि विपक्षी संख्या-1 जिला फोरम में उपस्थित नहीं हुआ है और न उसने कोई साक्ष्य व लिखित कथन ही दाखिल किया। बीमा कम्पनी कोटक महिन्द्रा को पक्षकार नहीं बनाया गया है अत: उसे भी जिला फोरम में साक्ष्य और सुनवाई का अवसर नहीं मिला है और सुनवाई के समय अपीलकर्ता के विद्धान अधिवक्ता अनुपस्थित रहे है फिर भी न्याय के दृष्टिकोण से यह उचित प्रतीत होता है कि विपक्षी संख्या-1 को साक्ष्य और सुनवाई का एक अवसर प्रदान किया जाना उचित होगा तथा बीमा कम्पनी को भी पक्षकार बनाया जाए।
अत: उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर हम इस मत के है कि अपील स्वीकार करते हुए जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश निरस्त करते हुए पत्रावली जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की
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जाए कि वह विपक्षी संख्या-1 फाइनेंसर व कोटक महिन्द्रा को साक्ष्य और सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर किया जाना सुनिश्चित करें।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुए पत्रावली जिला मंच को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का समुचित अवसर देते हुए परिवाद का निस्तारण गुणदोष के आधार पर यथाशीघ्र तीन माह में करें।
उभयपक्ष जिला फोरम के समक्ष दिनांक 30-06-2017 को उपस्थित हों।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा कोर्ट नं0-1