Rajasthan

Nagaur

39/2014

Shanawaj - Complainant(s)

Versus

Simtronics Semicoductors ltd. - Opp.Party(s)

Sh. SC Pareek

22 Jun 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. 39/2014
 
1. Shanawaj
Nagaur
...........Complainant(s)
Versus
1. Simtronics Semicoductors ltd.
Rudki,Utrakhand
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:Sh. SC Pareek, Advocate
For the Opp. Party: Sh. Pawan Shrimali no.3, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 39/2014

 

षाहनवाज पुत्र श्री मकबूल अहमद, जाति-मुसलमान, निवासी-मौहल्ला बाजरवाडा, नागौर षहर, तहसील व जिला-नागौर, नाबालिग जरिये संरक्षक पिता श्री मकबूल अहमद पुत्र अब्दुल जब्बार, जाति-मुसलमान, निवासी-बाजरवाडा, नागौर (राज.)।                                                                                                                                                                                                                                           -परिवादी     

बनाम

 

1.            सिमट्रोनिक सेमीकन्डक्टर्स लिमिटेड, जरिये एम.डी./चेयरमैन, के एच-1101-1102 सालमपुर राजपूताना, रूडकी-247667 (उतराखण्ड)।

2.            प्रबन्धक/मालिक, गोविन्द टेलीकाॅम, एसबीआई एटीएम के पास, करणी काॅम्पलेक्स, फोर्ट रोड, नागौर (राज.)।

3.            प्रबन्धक/मालिक, सोनी इलेक्ट्राॅनिक्स, फोर्ट रोड, नागौर (राज.)।

               

                                          -अप्रार्थीगण     

 

समक्षः

1.            श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।

2.            श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3.            श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री षिवचन्द पारीक, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।

2.            श्री पवन श्रीमाली, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी संख्या 2 एवं श्री ओमप्रकाष फुलफगर, अधिवक्ता, वास्ते अप्रार्थी संख्या 3 तथा अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से कोई उपस्थित नहीं।

 

    अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                              आ  दे  ष                      दिनांक 22.06.2016

 

1.            यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादी ने अप्रार्थी संख्या 3 से, अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा निर्मित एक टेबलेट सिमट्रोनिक्स एक्सपेड माॅडल-51 एमएम एक्स 801 ( सीरियल नम्बर एस वाई 8011211016994) मय की-बोर्ड व स्पीकर के दिनांक 31.05.2013 को 8,000/- रूपये नकद देकर खरीद किया। इस दौरान अप्रार्थी संख्या 3 ने परिवादी व उसके पिता को आष्वस्त किया कि उक्त उत्पाद वर्तमान में सबसे बेहतर क्वालिटी के है, इनकी सेवाएं भी संतोशप्रद है तथा इस उत्पाद पर अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा एक वर्श की गारंटी भी दी जा रही है। इस अवधि में यदि उत्पाद में कोई खराबी या दोश आ जाये तो निर्माता कम्पनी व विक्रेता अपनी जिम्मेदारी पर दुरूस्त करेंगे। उक्त आष्वासन पर परिवादी ने उक्त उत्पाद खरीद लिया तथा अप्रार्थी संख्या 3 के दिषा-निर्देषों अनुसार परिवादी ने इसका उपयोग-उपभोग षुरू किया। लेकिन खरीद के साथ ही इस टेबलेट में खराबी आ गई। उक्त उत्पाद में विनिर्माण सम्बन्धी दोश के चलते यह बार-बार डेड होने लग गया तथा चार्ज करने पर भी चार्ज नहीं होता। परिवादी व उसके पिता ने इसकी षिकायत अप्रार्थी संख्या 3 को की तो उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इस बीच दिनांक 17.09.2013 को उक्त टेबलेट पूर्ण रूप से डेड हो गया तो परिवादी अपने पिता के साथ अप्रार्थी संख्या 3 के पास पहुंचा तथा उक्त टेबलेट को रिपेयर/रिप्लेस करने का निवेदन किया। इस दौरान अप्रार्थी संख्या 3 ने बताया कि उनकी कम्पनी का अधिकृत सर्विस सेंटर अप्रार्थी संख्या 2 है। तब परिवादी व उसके पिता टेबलेट लेकर अप्रार्थी संख्या 2 के पास गये तो अप्रार्थी संख्या 2 ने टेबलेट अपने पास रख लिया तथा परिवादी को जाॅब कार्ड नम्बर 2310 उपलब्ध करवाकर टेबलेट प्राप्त करने की रसीद दी तथा कहा कि दस-पन्द्रह दिन की अवधि में या तो टेबलेट को पूर्णतया रिपेयर कर दुरूस्त कर दिया जायेगा या अप्रार्थी संख्या 1 को भिजवाकर टेबलेट रिप्लेस कर दिया जायेगा। परिवादी व उसके पिता दस-पन्द्रह दिन बाद टेबलेट लेने अप्रार्थी संख्या 2 के पास गये तो अप्रार्थी संख्या 2 ने बताया कि टेबलेट रिपेयर होने के काबिल नहीं था, इसलिए उक्त उत्पाद को रिप्लेसमेंट के लिए अप्रार्थी संख्या 1 को भिजवा दिया गया है, वहां से जैसे ही टेबलेट प्राप्त होगा तो परिवादी को सूचित कर दिया जायेगा। इसके बाद परिवादी व उसके पिता तीन-चार बार अप्रार्थी संख्या 2 के पास गये मगर उन्होंने एक ही बात कही कि अभी तक कम्पनी से टेबलेट प्राप्त नहीं हुआ है। इसके बाद अप्रार्थी संख्या 2 ने परिवादी को अपने संस्थान पर बुलाया तथा कहा कि उक्त टेबलेट आ गया है। परिवादी व उसके पिता अप्रार्थी संख्या 2 के पास गये तो अप्रार्थी संख्या 2  ने टेबलेट उनके सामने रखा और वे हतप्रभ रह गये। कारण कि टेबलेट की स्क्रीन क्षतिग्रस्त हो रखी थी तथा उक्त टेबलेट पूर्णतया नकारा हो रखा था। परिवादी ने उक्त टेबलेट अप्रार्थी संख्या 2 से प्राप्त नहीं किया। इस दौरान अप्रार्थी संख्या 2 ने यह भी कहा कि उसने कम्पनी से बात कर ली है, टेबलेट जिस स्थिति में है, उसी स्थिति में परिवादी को लेना होगा। इस प्रकार अप्रार्थीगण द्वारा विनिर्माण दोश से ग्रसित उत्पाद विक्रय करने, विनिर्माण दोश से ग्रस्त उत्पाद की कमी उजागर हो जाने के उपरान्त भी विनिर्माण दोश को दूर नहीं करने तथा गारंटी अवधि में विनिर्माण दोश से ग्रस्त उत्पाद को दुरूस्त नहीं करने व विनिर्माण दोश से ग्रस्त उत्पाद के स्थान पर नया उत्पाद उपलब्ध नहीं करवाया गया। अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी एवं अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की परिभाशा में आता है। अतः परिवादी को विक्रय किया गया टेबलेट रिपेयर करवाकर पूर्णतः दुरूस्त हालत में दिलाने का आदेष प्रदान किया जावे। विकल्प में यदि परिवादी का टेबलेट रिपेयर योग्य नहीं हो तो उसी माॅडल का नया टेबलेट बदलकर परिवादी को दिलाया जावे। यह भी संभव न हो तो परिवादी को टेबलेट क्रय करने में व्यय की गई राषि 8,000/- रूपये 12 प्रतिषत ब्याज के साथ दिलाई जावे। इसके अलावा परिवाद में अंकितानुसार अन्य अनुतोश दिलाये जावे।

 

2.            अप्रार्थी संख्या 1 की ओर से बावजूद तामिल कोई भी उपस्थित नहीं आया और न ही जवाब प्रस्तुत किया।

 

3.            अप्रार्थी संख्या 2 की ओर से परिवाद में अंकित अभिकथनों को अस्वीकार कर गलत बताते हुए अपना जवाब इस आषय का प्रस्तुत किया कि अप्रार्थी संख्या 2 विनिर्माण, विक्रय या सर्विस का कार्य नहीं करता है बल्कि मात्र क्लेक्षन पाॅइंट का कार्य करता है, जिसके अन्तर्गत अप्रार्थी संख्या 2 ने टेबलेट प्राप्त होने पर कम्पनी को कोरियर से भिजवाया तथा कम्पनी से वापिस आने पर जिस स्थिति में प्राप्त हुआ, वैसा ही परिवादी को दिखाया गया जिसे परिवादी ने लेने से इन्कार कर दिया, ऐसी स्थिति में अप्रार्थी संख्या 2 का कृत्य सेवा दोश की परिभाशा में नहीं आता है तथा परिवादी अप्रार्थी संख्या 2 का उपभोक्ता भी नहीं है। ऐसी स्थिति में अप्रार्थी संख्या 2 के विरूद्ध परिवाद मय खर्चा खारिज किया जावे।

 

4.            अप्रार्थी संख्या 3 की ओर से दिनांक 31.05.2013 को अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा विनिर्मित टेबलेट परिवादी को विक्रय करना स्वीकार करते हुए कथन किया है कि विक्रय के समय परिवादी को बता दिया गया था कि कम्पनी का सर्विस सेंटर, नागौर में स्थित है तथा यदि कोई समस्या आती है तो वहां पर टेबलेट को रिपेयर/रिप्लेस करवा सकते हैं। अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा यह भी बताया गया है कि परिवादी ने अपना टेबलेट अप्रार्थी संख्या 2 के पास रिपेयर करने के लिए दिया था, जिसने ही उक्त टेबलेट रिप्लेस करने के लिए अप्रार्थी संख्या 1 के पास भेजा था जो वापिस भी अप्रार्थी संख्या 2 को प्राप्त हुआ है। अप्रार्थी ने बताया है कि अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा ही अप्रार्थी संख्या 2 को नियुक्त किया जाता है, ऐसी स्थिति में अप्रार्थी संख्या 2 के किसी कृत्य हेतु अप्रार्थी संख्या 3 जिम्मेवार नहीं है। यह भी बताया गया है कि अप्रार्थी संख्या 3 केवल टेबलेट की गारंटी षर्तों अनुसार कार्य करने को तैयार है लेकिन टूट फूट या स्क्रीन की क्षति गारंटी में नहीं आती। ऐसी स्थिति में परिवाद खारिज किया जावे।

 

5.            पक्षकारान की ओर से षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात प्रस्तुत किये गये।

 

6.            बहस अंतिम योग्य अधिवक्ता पक्षकारान सुनी गई। परिवादी की ओर से परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथ-पत्र प्रस्तुत करने के साथ ही टेबलेट करने का बिल प्रदर्ष 1, वारंटी कार्ड प्रदर्ष 2, जाॅब कार्ड प्रदर्ष 3, अप्रार्थीगण को भिजवाये गये नोटिस की प्रति प्रदर्ष 4 एवं पोस्टल रसीदें/प्राप्ति रसीदें प्रदर्ष 5 से 9 की फोटो प्रतियां प्रस्तुत की गई है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क रहा है कि अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा विनिर्मित एवं अप्रार्थी संख्या 3 द्वारा विक्रय किया गया टेबलेट विनिर्माण दोश से ग्रसित रहा है जो रिपेयर के बावजूद ठीक नहीं हुआ, ऐसी स्थिति में परिवाद स्वीकार कर परिवादी को उसी माॅडल का नया टेबलेट दिलाया जावे अथवा उसकी कीमत मय ब्याज दिलाने के साथ ही मानसिक संताप की क्षतिपूर्ति भी दिलवाई जावे। जबकि अप्रार्थी संख्या 2 व 3 के अधिवक्तागण का तर्क रहा है कि उनके द्वारा किसी प्रकार का सेवा दोश नहीं किया गया है, ऐसी स्थिति में परिवाद मय खर्चा खारिज किया जावे।

 

7.            पक्षकारान के विद्वान अधिवक्तागणों द्वारा दिये तर्कों पर मनन कर पत्रावली का अवलोकन किया गया। पक्षकारान में यह स्वीकृत स्थिति है कि परिवादी ने दिनांक 31.05.2013 को अप्रार्थी संख्या 3 से एक टेबलेट सिमट्रोनिक्स एक्सपेड माॅडल-51 एमएम एक्स 801 ( सीरियल नम्बर एस वाई 8011211016994) मय की-बोर्ड व स्पीकर के 8,000/- रूपये नकद देकर खरीद किया था तथा यह टेबलेट अप्रार्थी संख्या 1 की कम्पनी द्वारा विनिर्मित था। अप्रार्थी संख्या 2 व 3 द्वारा दिये गये जवाब अनुसार यह भी स्वीकृत स्थिति है कि परिवादी द्वारा क्रय किया गया टेबलेट खराब होने की स्थिति में अप्रार्थी संख्या 2 के पास रिपेयर हेतु दिया गया था लेकिन टेबलेट सही न होने की स्थिति में रिप्लेस करने के लिए अप्रार्थी संख्या 1 के पास भी भेजा गया लेकिन उसके बावजूद न तो परिवादी का टेबलेट पूर्ण रूप से ठीक किया गया तथा न ही उसे रिप्लेस कर परिवादी को दूसरा टेबलेट ही दिया गया। यह उल्लेखनीय है कि अप्रार्थी संख्या 1 बावजूद तामिल न तो उपस्थित आया तथा न ही परिवाद के खण्डन में किसी प्रकार का कोई जवाब या साक्ष्य ही पेष की गई है। ऐसी स्थिति में अप्रार्थी संख्या 2 व 3 द्वारा अपने जवाब में परोक्ष रूप से स्वीकार किये गये तथ्यों को देखते हुए परिवाद में अंकित अभिकथनों पर अविष्वास नहीं किया जा सकता। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री से स्पश्ट है कि परिवादी द्वारा क्रय किया गया टेबलेट किसी न किसी विनिर्माण दोश से ग्रसित रहा है, इसी कारण बार-बार खराब हुआ तथा सर्विस सेंटर भिजवाये जाने एवं अप्रार्थी संख्या 2 द्वारा निर्माता कम्पनी अप्रार्थी संख्या 1 को भिजवाया जाने के बावजूद भी रिपेयर या रिप्लेस नहीं हुआ, जो कि स्पश्टतया अप्रार्थीगण के सेवा दोश की श्रेणी में आता है।

 

8.            पत्रावली के अवलोकन पर यह भी स्पश्ट है कि परिवादी द्वारा टेबलेट को रिपेयर हेतु बार-बार दिया गया लेकिन उसके बावजूद अप्रार्थीगण द्वारा न तो टेबलेट को पूर्णरूप से ठीक किया गया तथा न ही रिप्लेस किया गया। पत्रावली पर उपलब्ध नोटिस प्रदर्ष 4 एवं पोस्टल रसीदें तथा प्राप्ति रसीदें क्रमषः प्रदर्ष 5 से 9 के अवलोकन पर स्पश्ट है कि परिवादी द्वारा अप्रार्थीगण को विधिक नोटिस भी दिया गया लेकिन उसके बावजूद अप्रार्थीगण द्वारा परिवादी का निवेदन स्वीकार नहीं किया गया, अंततः परेषान होकर परिवादी को इस जिला मंच के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करना पडा। ऐसी स्थिति मंे परिवादी को हुई मानसिक एवं षारीरिक परेषानी हेतु 3,000/- रूपये प्रतिकर राषि दिलाये जाने के साथ ही परिवाद व्यय के रूप में 2,000/- रूपये भी दिलाया जाना न्यायोचित होगा।

 

          आदेश

 

 

9.            परिणामतः परिवादी षाहनवाज जरिये पिता श्री मकबूल अहमद की ओर से प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा-12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का अप्रार्थीगण के विरूद्ध एकल-एकल एवं संयुक्त तौर पर स्वीकार कर आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादी को उसके खराब टेबलेट के स्थान पर उसी माॅडल/कीमत का नया टेबलेट प्रदान करें तथा यह संभव न हो तो अप्रार्थीगण परिवादी को उसके टेबलेट के बिल की राषि 8,000/- रूपये मय ब्याज 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण दर से परिवाद-पत्र प्रस्तुत करने की दिनांक 12.02.2014 से अदा करें। यह भी आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादी को मानसिक संताप पेटे 3,000/- रूपये एवं वाद परिव्यय के 2,000/- रूपये भी अदा करें। आदेष की पालना एक माह में की जावे।

 

10.          आदेष आज दिनांक 22.06.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।

 

 

नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने या दोनों से दण्डनीय अपराध है।

 

 

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।         ।ईष्वर जयपाल।            ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।                 सदस्य                    अध्यक्ष                   सदस्या   

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Shri Ishwardas Jaipal]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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