प्रकरण क्र.सी.सी./14/143
प्रस्तुती दिनाँक 30.04.2014
इरफान खान आ. हसन खान पता-वार्ड नं.18, थाना एवं पो.कुम्हारी, भिलाई तह व जिला-दुर्ग (छ.ग.) - - - - परिवादी
विरूद्ध
1. शिखा एस.आई.एस. पता-शाप क्र.4, संजारी काम्पलेक्स, आकाश गंगा, सुपेला, भिलाई तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
2. स्टार कस्टमर केयर, पता-जी.ई.रोड, भिलाई, नगर निगम आफिस के सामनें, भिलाई तह. व जिला-दुर्ग (छ.ग.)
3. स्टार कस्टमर केयर, पता-शाप नं.1/2 गुरू गोविंद सिंह नगर, होटल गुरूलेन, पंडरी, रायपुर (छ.ग.)
4. सोनी इंडिया प्रायवेट लिमि., मोहन को-आपरेटिव्ह इंडस्ट्रियल स्टेट, मथुरा रोड, नई दिल्ली 110044
- - - - अनावेदकगण
आदेश
(आज दिनाँक 02 मार्च 2015 को पारित)
श्रीमती मैत्रेयी माथुर-अध्यक्ष
परिवादी द्वारा अनावेदकगण से मोबाइल या विकल्प में मोबाइल की कीमत 20,800रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 10,000रू. एवं आर्थिक क्षति 10,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत किया है।
(2) प्रकरण अनावेदक क्र.1 के विरूद्ध एकपक्षीय हैं।
परिवाद-
(3) परिवादी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दि.25.04.2013 को अनावेदक क्र.4 द्वारा निर्मित मोबाइल राशि 20,800रू. में अनावेदक क्र.1 से खरीदा, जिसमें एक वर्ष की वारंटी थी। उक्त अभिकथित मोबाइल में दि.19.03.2014 को खराबी आने पर अनावेदक क्र.2 के सर्विस सेंटर में शिकायत की गई। अनावेदक क्र.2 ने जाबशीट में वारंटी कैटेगरी के कालम में ’’आउट वारंटी’’ प्रदर्शित किया और कंडिशन आॅफ सेट में स्क्रेच्ड उल्लेखित किया, जो छल पूर्वक कार्य किया गया तथा परिवादी को अभिकथित मोबाइल सेट की डिलवरी नहीं दी गयी अथवा दूसरी मोबाइल सेट प्रदान किये जाने के संबंध में भी कोई उत्तर नहीं दिया गया। परिवादी, अनावेदकगण के कृत्य से व्यथित होकर अधिवक्ता के माध्यम से दि.21.04.2014 को रजिस्टर्ड नोटिस भेजी गई। इस प्रकार अनावेदकगण का उपरोक्त कृत्य व्यवसायिक दुराचरण की श्रेणी में आता है। अतः परिवादी को अनावेदकगण से मोबाइल या विकल्प में मोबाइल की कीमत 20,800रू. मय ब्याज, मानसिक कष्ट हेतु 10,000रू. एवं आर्थिक क्षति 10,000रू., वाद व्यय व अन्य अनुतोष दिलाया जावे।
जवाबदावाः-
(4) अनावेदक क्र.2, 3 व 4 का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि परिवादी ने उक्त मोबाइल 10 माह तक उपयोग किया था, उसके पश्चात् जब सुधारने दिया था उस समय बिल पेश नहीं किया था, इसलिए उसे आउट वारंटी लिखा था तथा अनावेदक ने मोबाइल बना दिया था और परिवादी को सूचित भी किया था कि वह अपना मोबाइल ले जाये, परंतु परिवादी ने अनावेदकगण को परेशान करने के आशय से नये मोबाइल की मांग की, परिवादी मोबाइल लेने स्वंय ही नहीं आया और अनावेदकगण के विरूद्ध असत्य आधारों पर दावा प्रस्तुत कर दिया है, अतः असत्य आधार पर प्रस्तुत दावा खारिज किया जाये।
(5) उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण मे निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं, जिनके निष्कर्ष निम्नानुसार हैं:-
1. क्या परिवादी, अनावेदकगण से मोबाइल या विकल्प में मोबाइल की कीमत 20,800रू. मय ब्याज प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ
2. क्या परिवादी, अनावेदक से मानसिक परेशानी के एवज में 10,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है? हाँ
3. क्या परिवादी, अनावेदक से आर्थिक क्षति के एवज में 10,000रू. प्राप्त करने का अधिकारी है? नहीं
4. अन्य सहायता एवं वाद व्यय? आदेशानुसार परिवाद स्वीकृत
निष्कर्ष के आधार
(6) प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है।
फोरम का निष्कर्षः-
(7) प्रकरण का अवलोकन करने पर हम यह पाते है कि दि.25.04.2013 को परिवादी ने एनेक्चर-4 अनुसार अभिकथित मोबाइल खरीदा था, उक्त मोबाइल दि.10.03.201 को काम करना बंद कर दिया था, तब एनेक्चर-2 अनुसार दि.20.03.2014 को जब परिवादी, अनावेदक क्र.2 के पास जाकर शिकायत की तो एनेक्चर-2 की जाॅब शीट बनी।
(8) एनेक्चर-2 की जाॅब शीट दि.20.03.2014 से यह स्पष्ट है कि उक्त दस्तावेज में आउट वारंटी लिखा है और कंडिशन आफ सेट में स्क्रेच्ड उल्लेखित है, परंतु अनावेदक ने ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है कि मोबाइल मे खरोच के निशान थे, निर्विवादित रूप से जब मोबाइल दि.25.04.13 को खरीदा तो एनेक्चर-2 की जाब शीट में वारंटी आउट लिखा ही नहीं जाना था। अनावेदक ने बचाव लिया कि चूंकि परिवादी एनेक्चर-2 की एंट्री के समय बिल प्रस्तुत नहीं किया था, इसलिए उसमें आउट वारंटी लिखा था। या तो अनावेदक क्र.2 को जाब शीट ही नहीं बनानी थी या फिर परिवादी को कहते कि पहले बिल लाये, फिर जाबशीट बनाता, जाबशीट पर आउट वारंटी लिख देना निश्चित तौर पर घोर व्यवसायिक कदाचरण की श्रेणी में आता है, स्क्रेच्ड भी किस आधार पर लिखा गया, यह भी अनावेदक ने सिद्ध नहीं किया है।
(9) परिवादी का तर्क है कि जब अनावेदक ने मोबाइल बना कर नहीं दिया और न ही संतोषप्रद उत्तर दिया तब व्यथित होकर उसने एनेक्चर-3 अधिवक्ता मार्फत नोटिस दि.21.04.2014 को दी, परंतु अनावेदक क्र.1 और 2 ने लेने से इंकार कर दिया, तत्संबंध में अनावेदकगण ने बचाव लिया है कि उन्होंने नोटिस लेने से इंकार नहीं किया, जबकि प्रकरण के अवलोकन से स्पष्ट है कि नोटिस पोस्टल विभाग के मार्फत भेजी गई थी, रजिस्टर्ड नोटिस थी, अतः यह माना ही नहीं जा सकता कि अनावेदकगण का बचाव सही है।
(10) अनावेदकगण ने कहीं भी यह सिद्ध नहीं किया है कि उन्होंने परिवादी को मोबाइल सुधार कर सभी समस्या का निराकरण कर परिवादी को प्रदान कर दिया है, अनावेदकगण ने बचाव लिया है कि परिवादी ने 10 माह तक मोबाइल उपयोग किया और जब सुधारने दिया तो सुधार कर परिवादी को सूचित किया, परंतु परिवादी नया मोबाइल लेने पर अड़ा हुआ है, इसलिए मोबाइल लेने नहीं आया। उक्त संबंध में अनावेदकगण ने कोई सम्पुष्टिकारक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की है, ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया, जिसके मार्फत अनावेदकगण ने परिवादी को मोबाइल ले जाने के संबंध में सूचित किया हो, अतः अनावेदकगण का बचाव स्वीकार योग्य नहीं पाया जाता है।
(11) एनेक्चर-2 जाॅबशीट के अवलोकन से यह भी सिद्ध होता है कि किस प्रकार अनावेदकगण अपने प्रोडक्ट को बेच तो देते हैं, परंतु कोई समस्या आने पर अपने ग्राहकों को उच्च शिष्टाचार की सेवाएं नहीं देते है, यदि हम जाॅबशीट एनेक्चर-2 का अवलोकन करें तो उसके इम्पाॅरटेन्ट नोट्स में बड़े ही सूक्ष्म फाॅन्ट से लिखा है कि फोन को लेटेस्ट वर्जन अपडेट किया जायेगा और जितना यूज़र डाटा है वह इरेज़ हो जायेगा और ग्राहक को मोबाइल सुधारवाने के पहले डाटा बेकअप खुद लेना चाहिए, उसके लिए अनावेदकगण जिम्मेदार नहीं होंगें, परंतु अनावेदक क्र.2 ने यह कहीं भी सिद्ध नहीं किया है कि ऐसी शर्त और ऐसी सूचना उसने परिवादी को मोबाइल सुधार कार्य देने के पहले बताई थी और उसका विकल्प लिखित में लिया था इस तथ्य से भी सिद्ध होता है कि किस प्रकार आजकल निर्माता कंपनी के कस्टमर केयर, ग्राहकों को दिग्भ्रमित करते हैं, क्योंकि उच्च सेवाएं यही है कि ग्राहक कस्टमर केयर को अपना मोबाइल सुधार कर देने के पश्चात् निश्चिंत हो जाये कि उसका मोबाइल सुधार कर पुराने अवस्था में डाटा समेत मिलेगा, यह एक दुःखद स्थिति है कि कस्टमर केयर अनावेदक क्र.2 ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया कि आजकल की स्थिति में उपभोक्ता मोबाइल में बहुत सारे डेटास विवरण सेव करके रखते हैं और परिवादी को स्थिति साफ नहीं कराये जाने के कारण और सेव डेटा इरेज हो जाने से परिवादी को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ेगा, इस बात की अच्छी सोच नहीं रखते हैं। एनेक्चर-2 में ही अनावेदक क्र.2 को परिवादी की हस्तलिपि में यह विकल्प लिखवाना था कि वह मोबाइल में सेव किये गये डेटा का बैकअप ले चुका है या उसे इरेज होने में उसे कोई आपत्ति नहीं है।
(12) अनावेदकगण ने कहीं भी यह सिद्ध नहीं किया है कि उन्होंने अभिकथित मोबाइल सभी समस्या से रहित कर सुधार कार्य किया है बल्कि अपने जवाबदावा में ही अनेक न्यायदृष्टांत का वर्णन कर दिया है, परंतु मुख्य मुद्दे की बात नहीं किया है कि यदि मोबाइल सुधार दिया था तो उससे उनके ग्राहकों को संतोष क्यों नहीं हुआ? जबकि यही उच्च सेवाएं थी कि अनावेदकगण त्वरित मोबाइल में सुधार कर परिवादी को सुधरा हुआ मोबाइल उपलब्ध कराते और परिवादी से लिखित में यह अभिस्वीकृति प्राप्त करते कि मोबाइल उक्त समस्या रहित है। अनावेदकगण द्वारा अभिकथित जाॅबशीट में आउट वारंटी और स्क्रेच्ड लिख देना भी घोर व्यवसायिक दुराचरण की श्रेणी में आता है।
(13) यह उल्लेख करना आवश्यक होगा कि आज की प्रतिस्थितियों में मोबाइल अति आवश्यक वस्तु हो गई है, जिसके बिना दिन प्रतिदिन की कार्यवाही में अत्यधिक बाधा आती है और यदि ग्राहक अपनी मेहनत की मोटी गाढ़ी कमाई से इतनी मंहगा मोबाइल खरीदता है और अनावेदकगण उसे त्रुटिपूर्ण मोबाइल बेचकर और सुधार कर भी नहीं देते हैं तो ग्राहकों को निश्चित रूप से मानसिक वेदना होना स्वभाविक है जिसके एवज में यदि परिवादी ने 10,000रू. की मांग की है तो उसे अत्यधिक नहीं माना जा सकता है।
(14) उपरोक्त स्थिति में हम यह निष्कर्षित करते हैं कि अनावेदक क्र.4 ने त्रुटिपूर्ण मोबाइल बाजार में विक्रय हेतु रखा, अनावेदक क्र.1 ने उक्त त्रुटिपूर्ण मोबाइल परिवादी को बेचा और शेष अनावेदकगण ने उक्त मोबाइल सुधार कर परिवादी को नहीं दिया, जबकि उक्त मोबाइल वारंटी अवधि के अंदर था और इस प्रकार अनावेदकगण ने घोर सेवा में निम्नता और व्यवसायिक दुराचरण किया है।
(15) फलस्वरूप हम परिवादी का दावा स्वीकार करने का समुचित आधार पाते है और दावा स्वीकार करते है, चूंकि अनावेदक क्र.4 निर्माता कंपनी है, अनावेदक क्र.1 से परिवादी ने अभिकथित मोबाइल खरीदा था तथा अनावेदकगण कस्टमर केयर है, अतः सभी अनावेदकगण संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से जिम्मेदार माने जाते हैं।
(16) अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार करते है और यह आदेश देते हैं कि अनावेदक क्र.1, 2, 3 एवं 4 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर निम्नानुसार राशि अदा करेंगे:-
(अ) अनावेदक क्र.1, 2, 3 एवं 4 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को मोबाइल की कीमत 20,800रू. (बीस हजार आठ सौ रूपये) अदा करेंगे।
(ब) अनावेदक क्र.1, 2, 3 एवं 4 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को उक्त राशि पर परिवाद प्रस्तुती दिनांक 30.04.2014 से भुगतान दिनांक तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी प्रदान करें।
(स) अनावेदक क्र.1, 2, 3 एवं 4 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 10,000रू. (दस हजार रूपये) अदा करेंगे।
(द) अनावेदक क्र.1, 2, 3 एवं 4 संयुक्त एवं अलग-अलग रूप से, परिवादी को वाद व्यय के रूप में 5,000रू. (पांच हजार रूपये) भी अदा करेंगे।