(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-715/2010
The New India Assurance Company Limited
Versus
Sidh Narain Tewari Son of Late Samlahi Prasad Tewari
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री जफर अजीज, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :17.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद सं0-467/2007, सिद्ध नारायण तिवारी बनाम दि न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0 में विद्धान जिला आयोग, इलाहाबाद द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 07.01.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। पत्रावली एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमित वाहन सं0 यू0पी0 70एस-9338 के दुर्घटनाग्रस्त होने पर मरम्मत में खर्च राशि अंकन 82,974/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
- बीमा कम्पनी द्वारा उपरोक्त वर्णित वाहन का बीमा करना, दुर्घटना के पश्चात बीमा क्लेम प्राप्त होना, बीमा कम्पनी द्वारा नो क्लेम करना स्वीकृत तथ्य है। अत: इन बिन्दुओं पर अतिरिक्त विचार की आवश्यकता नहीं है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का मुख्य तर्क यह है कि बीमा क्लेम ट्रेक्टर के लिए किया गया था, जबकि ट्रेक्टर का प्रयोग ट्राली लगाकर किया जा रहा था तथा उसमें बांस, बल्ली लेकर आ रहा था। अत: बीमा पॉलिसी का उल्लंघन किया गया क्योंकि ट्रैक्टर का प्रयोग यदि ट्राली में बांस, बल्ली लेकर किया जाता है तब दुर्घटना का खतरा प्रबल होता है। अत: इस स्थिति में कुल बीमित राशि में 25 प्रतिशत कटौती के पश्चात बीमाधन अदा करने का आदेश पारित किया जाना चाहिए था।
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अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी अंकन 82,974/-रू0 में से 25 प्रतिशत की कटौती के पश्चात अवशेष राशि का भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादी को किया जाए। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2