सुरक्षित ।
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या 504/2014 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 29.04.2015 के विरूद्ध)
पुनरीक्षण संख्या 54 सन 2015
अनूप जैन, शाखा प्रबन्धक, टाटा मोटर फाइनेंस लि0, तृतीय तल, कुबेर काम्पलेक्स, रथयात्रा, वाराणसी । ............पुनरीक्षणकर्ता
बनाम
श्याम सुन्दर राय, पुत्रश्री दयाशंकर सिंह, निवासी ग्राम मथाना, पो0 हरिहरपुर, पुलिस स्टेशन जमालपुर, जिला मिर्जापुर ।. .............विपक्षी
समक्ष:-
1 मा0 श्री चन्द्र भाल श्रीवास्तव, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री राजकमल गुप्ता , सदस्य।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री राजेश चडढा ।
विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्ता - श्री एस0के0 शर्मा ।
दिनांक:
श्री चन्द्रभाल श्रीवास्तव, सदस्य (न्यायिक) द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्या 504/2014 में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 29.04.2015 के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया है जिसके द्वारा जिला फोरम ने यह निर्देश दिया है कि यदि परिवादी द्वारा दो लाख रू0 जमा कर दिया जाता है कि विपक्षी टाटा मोटर फाइनेंस लि0 प्रश्नगत वाहन को परिवादी के हित में मुक्त कर देगा।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुन ली है एवं अभिलेख का ध्यानपूर्ण अनुशीलन कर लिया है।
अभिलेख के अनुशीलन से स्पष्ट है कि प्रश्नगत वाहन परिवादी ने 19,50,000.00 रू0 का ऋण लेकर खरीदा था। परिवादी का यह कथन है कि उसने 20,55,091.00 रू0 जमा कर दिया है जबकि टाटा मोटर फाइनेंस का यह कहना है कि परिवादी ने अभी तक 17,62,577.00 रू0 ही जमा किए है और परिवादी के ऊपर काफी बकाया है। इसी संदर्भ में जिला फोरम ने प्रश्नगत आदेश पारित किया है।
बहस के स्तर पर पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता ने यह तर्क लिया है कि उभय पक्षों के बीच आर्बीट्रेशन के संबंध में संविदा की गयी थी और परिवादी ने आर्बीट्रेशन अवार्ड पारित होने के उपरांत परिवाद दाखिल किया है, जो कि विधित: अवधारणीय नहीं है। विद्वान अधिवक्ता ने यह भी तर्क लिया है कि परिवादी का यह कथन सही नहीं है कि गाड़ी 11 मार्च 2014 को परिवादी के पास से खींची गयी थी बल्कि टाटा मोटर फाइनेंस द्वारा उक्त गाड़ी परिवादी से 08.11.2014 को प्राप्त की गयी थी और आर्बीट्रेटर के अन्तरिम आदेश दिनांक 18.3.2014 के अनुसरण में परिवादी से उक्त गाड़ी वापस ली गयी थी। 18.3.2014 के आर्बीट्रेशन का आदेश अभिलेख पर दाखिल किया गया है तथा आर्बीट्रेशन अवार्ड दिनांकित 28.6.2014 भी अभिलेख पर दाखिल किया गया है। यह आश्चर्यपूर्ण है कि जिला फोरम ने अपने प्रश्नगत आदेश में इस बिन्दु का कोई विवेचन नहीं किया है और केवल परिवादी के कहने से यह मान लिया है कि गाड़ी जबरदस्ती खींची गयी है, ऐसी स्थिति में अवधार्यता के बिन्दु का पहले निस्तारण किया जाना अपेक्षित है और यह प्रकरण तदनुसार पुनर्निस्तारण किए जाने हेतु प्रति-प्रेषण किए जाने योग्य है।
परिणामत:, यह पुनरीक्षण तदनुसार स्वीकार किया जाता है।
आदेश
प्रस्तुत पुनरीक्षण तदनुसार स्वीकार करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, वाराणसी द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक 29.04.2015 खण्डित किया जाता है तथा जिला फोरम को निर्देशित किया जाता है कि वह विधि एवं इस निर्णय में दिए गए निर्देशों के अनुरूप प्रकरण का पुनर्निस्तारण किया जाना सुनिश्चित करें।
उभय पक्ष इस पुनरीक्षण का अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करा दी जाए।
(चन्द्र भाल श्रीवास्तव) (राज कमल गुप्ता)
पीठा0 सदस्य (न्यायिक) सदस्य
कोर्ट-2
(S.K.Srivastav,PA)