राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-2246/2009
सेक्रेटरी, को-आपरेटिव केन डेवलेपमेंट यूनियन लि0, ऐरा, परगना व तहसील धौराहा, पोस्ट ऐरा,
जिला खीरी।
...........................अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1।
बनाम्
1. श्यामवति पत्नी स्व0 श्री राम नरेश।
2. कुमारी संगीता पुत्री स्व0 श्री राम नरेश।
3. कुमारी लक्ष्मी देवी पुत्री स्व0 श्री राम नरेश।
4. महेश राम पुत्र स्व0 श्री राम नरेश।
5. सालिक राम।
6. राम बाबू।
7. गुड्डु
8. छोटु।
9. गंगा देवी पत्नी भगिरथ, निवासीगण ग्राम रंजीत गंज, परगना फिरोजाबाद, तहसील धौराहा,
जिला खीरी
10, दि न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी लि0, लखीमपुर खीरी, द्वारा ब्रांच मैनेजर।
.................प्रत्यर्थीगण/परिवादीगण/विपक्षी सं0-2।
समक्ष:-
1. माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-1 लगायत 9 की ओर से : कोई नहीं।
प्रत्यर्थी सं0-10 की ओर से उपस्थित : श्री आशीष कुमार श्रीवास्तव, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 17.10.2014
माननीय श्री जुगुल किशोर, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय/आदेश
आज यह पत्रावली प्रस्तुत हुई। पुकार करवाये जाने पर अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। प्रत्यर्थी संख्या-1 लगायत 9 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थी संख्या-10 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आशीष कुमार श्रीवास्तव उपस्थित हैं। यह अपील, लगभग 05 वर्ष से निस्तारण हेतु लम्बित है। अत: पीठ द्वारा यह समीचीन पाया गया कि इसका निस्तारण कर दिया जाय।
पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि यह अपील, जिला फोरम, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद संख्या-143/2004 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 19.11.2009 के विरूद्ध दिनांक 23.12.2009 को प्रस्तुत की गयी है। प्रस्तुत प्रकरण में अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता दिनांक 29.12.2009 को पीठ के समक्ष अपील के अंगीकरण के स्तर पर उपस्थित हुए थे और सुनवाई के दौरान पीठ द्वारा अपील को अंगीकृत करते हुए जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का क्रियान्वयन स्थगित कर दिया गया था। स्थगन आदेश प्राप्त करने
-2-
के पश्चात से आज तक अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही उनकी ओर से तिथि स्थगन हेतु कोई प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-30 की उपधारा (2) के अन्तर्गत निर्मित उत्तर प्रदेश उपभोक्ता संरक्षण नियमावली 1987 के नियम 8 के उप नियम (6) में निम्नवत् प्राविधान है :-
‘’ नियम-8 (6) : सुनवाई के दिनांक को या किसी अन्य दिनांक को जब तक के लिये सुनवायी स्थगित की जाये, पक्षकारों या उनके प्राधिकृत अभिकर्त्ताओं को राज्य आयोग के समक्ष उपस्थित होना बाध्यकर होगा। यदि अपीलार्थी या उसका प्राधिकृत अभिकर्ता ऐसे दिनांक को उपस्थित होने में असफल रहता है तो राज्य आयोग, स्व विवेकानुसार या तो अपील को खारिज कर सकता है या मामले के गुणावगुण के आधार पर उसे विनिश्चित कर सकता है। यदि प्रत्यर्थी या उसका प्राधिकृत अभिकर्ता ऐसे दिनांक को उपस्थित होने में असफल रहता है तो राज्य आयोग एक पक्षीय कार्यवाही करेगा और मामले के गुणावगुण के आधार पर अपील का एक पक्षीय विनिश्चय करेगा। ‘’
उपरोक्त विधिक प्राविधान के अनुसार अपीलार्थी का यह दायित्व था कि वह अपील दायर करने के उपरान्त प्रत्येक नियत तिथि पर स्वयं अथवा उसके द्वारा प्राधिकृत अभिकर्त्ता उपस्थित होते, परन्तु उसके द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया गया। अत: अपीलार्थी की अनुपस्थिति में यह अपील निर्णीत किये जाने योग्य है। परिणामत: अभिलेखों का भलीभांति अनुशीलन किया गया।
अपीलार्थी द्वारा यह अपील योजित करने के बाद कोई उपस्थित नहीं हो रहा है। उपरोक्त विधिक प्राविधानों के आलोक में पीठ इस निष्कर्ष पर पहुँची है कि अपीलार्थी को इस अपील में कोई रूचि नहीं है। अत: अपीलार्थी की अनुपस्थिति में यह अपील निरस्त होने योग्य है।
वर्णित परिस्थितियों में यह अपील अपीलार्थी की अनुपस्थिति में निरस्त की जाती है। इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये। पत्रावली दाखिल अभिलेखागार हो।
(राम चरन चौधरी) (जुगुल किशोर)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0-2
कोर्ट-5