‘’ विशिष्ट लोक अदालत ‘’
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-1237/2017
यूनाइटेड इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0 बनाम श्याम सुन्दर
दिनांक :- 25-01-2023.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित।
निर्णय
प्रस्तुत अपील विगत 06 वर्षों से लम्बित है तथा आज ‘’ विशिष्ट लोक अदालत ‘’ के सम्मुख सूचीबद्ध है।
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी विद्युत विभाग द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग, बॉंदा द्धारा परिवाद सं0-156/2015 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 20-06-2017 के विरूद्ध योजित की गई है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रसून कुमार राय को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों/अभिलेखों तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का सम्यक रूप से परिशीलन व परीक्षण किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
निर्विवादित रूप से परिवादी का वाहन अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा बीमित किया गया था। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथनानुसार वाहन चोरी की घटना की सूचना बीमा कम्पनी को विलम्ब से दी गई। बीमित वाहन की चोरी होने के कारण परिवादी ने बीमा कम्पनी से सम्पूर्ण धनराशि प्राप्त किए जाने हेतु वाद दायर किया। विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार किया गया तथा 3,12,750/- रू0 बीमित धनराशि परिवादी को प्राप्त कराने हेतु आदेशित किया जिससे व्यथित होकर प्रस्तुत अपील बीमा कम्पनी द्वारा योजित की गई।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्वय को सुनने के उपरान्त तथा यह तथ्य कि परिवादी द्वारा वाहन चोरी के सम्बन्ध में जानकारी बीमा कम्पनी को विलम्ब से उपलब्ध न कराया जाना पाया गया तथा उल्लिखित किया गया।
-2-
तदनुसार अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वय की सहमतति से एवं प्रकरण के तथ्यों व परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए सब स्टेण्डर्ड क्लेम के रूप में कुल बीमित धनराशि 33,12,750/- रू0 की 75 प्रतिशत धनराशि अपीलार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को दो माह की अवधि में प्राप्त कराए जाने हेतु आदेशित किया जाता है। यदि देय धनराशि का भुगतान उल्लिखित अवधि में परिवादी को नहीं किया जाएगा तब उपरोक्त 75 प्रतिशत धनराशि के अतिरिक्त बीमा कम्पनी द्वारा 10,000/- रू0 हर्जाना परिवादी को देना होगा। साथ ही ब्याज की देयता भी 06 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज की दर से गणना के अनुसार सुनिश्चित होगी। शेष निर्णय की पुष्टि की जाती है। तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है।
यदि पूर्व में प्रस्तुत अपील में कोई अन्तरिम स्थगन आदेश पारित किया गया हो तो उसे समाप्त किया जाता है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत अपील योजित किए जाते समय अपीलार्थी द्वारा जमा सम्पूर्ण धनराशि मय अर्जित ब्याज के, विधि अनुसार निस्तारण हेतु इस आयोग के निबन्धक द्वारा सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को एक माह की अवधि में प्रेषित की जावे।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड करें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-1,
कोर्ट नं0-1.