Uttar Pradesh

StateCommission

A/35/2016

N I A Co Ltd - Complainant(s)

Versus

Shyam Sunder Singh - Opp.Party(s)

I.P.S. Chaddha

25 Sep 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/35/2016
(Arisen out of Order Dated 28/10/2015 in Case No. C/35/2014 of District Etawah)
 
1. N I A Co Ltd
Etawah
...........Appellant(s)
Versus
1. Shyam Sunder Singh
Etawah
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 25 Sep 2017
Final Order / Judgement

सुरक्षि‍त

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 

                                                                                            अपील संख्‍या 35/2016

 

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, इटावा द्वारा परिवाद संख्‍या-35/2014 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28-10-2015 के विरूद्ध)

 

दि न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0, ब्रांच आफिस स्‍टेशन रोड, इटावा द्वारा ब्रांच मैनेजर।

  अपीलार्थी/विपक्षी

 

बनाम

1- श्‍याम सुन्‍दर सिंह पुत्र मनीराम सिंह  राजावत।

2- अरविन्‍द सिंह पुत्र श्री मनीराम सिंह राजावत, निवासी अड्डा परम सिंह लखना थाना बकेश्‍वर जिला इटावा।

                                                                                                                                                                      प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

 माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :   विद्वान अधिवक्‍ता, श्री आई०पी०एस०

                                                   चड्ढा।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित :  विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार शर्मा।

 

दिनांक: 09-11-2017

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

                                                                                                     निर्णय

 

परिवाद संख्‍या 35 सन् 2014 श्‍याम  सुन्‍दर सिंह व एक अन्‍य  बनाम न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, इटावा  द्वारा  पारित  निर्णय  और  आदेश  दिनांक 28-10-2015 के विरूद्ध यह अपील  धारा 15  उपभोक्‍ता  संरक्षण  अधिनियम  के  अन्‍तर्गत  आयोग  के  समक्ष

 

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परिवाद के विपक्षी दि न्‍य इण्डिया एश्‍योरेंश कम्‍पनी लि0 की ओर से विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्‍तुत की गयी है।

आक्षे‍पि‍त निर्णय और आदेश की प्रमाणित नि:शुल्‍क प्रति अपीलार्थी को दिनांक 29-10-2015 को उपलब्‍ध करायी गयी है और अपील दिनांक         07-01-2016 को मियाद अवधि बीतने के 40 दिन बाद विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्‍तुत की गयी है। अपीलार्थी न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेंश कम्‍पनी के मैनेजर लीगल हब ने शपथपत्र प्रस्‍तुत किया है जिसमें अपील प्रस्‍तुत करने में हुए विलम्‍ब का कारण यह उल्लिखित किया है कि दिनांक 29-10-2015 को आक्षे‍पित निर्णय और आदेश की प्रति प्राप्‍त होने पर बीमा कम्‍पनी ने अपने विद्वान अधिवक्‍ता से विधिक राय मांगी और उसके बाद विधिक राय के साथ पत्रावली इटावा डिवीजनल आफिस को भेजा और वहॉं से पत्रावली रीजनल आफिस को अग्रसारित की गयी। उसके बाद  पत्रावली अपीलार्थी के मैनेजर लीगल हब लखनऊ को प्रेषित की गयी। तब अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपील तैयार की और स्‍ट्रेचरी डिपाजिट के लिए ड्राफ्ट बनवाया और अपील प्रस्‍तुत किया।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री आई0पी0एस0 चड्ढा और प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री उमेश कुमार शर्मा उपस्थित आए हैं।

मैंने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपील प्रस्‍तुत करने में हुए विलम्‍ब का अपीलार्थी ने पर्याप्‍त कारण बताया  है। अत: विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र स्‍वीकार कर अपील का निस्‍तारण गुण-दोष के आधार पर किया जाना उचित है।

 

 

3

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपील प्रस्‍तुत करने में विलम्‍ब का अपीलार्थी द्वारा बताया गया कारण विलम्‍ब माफी हेतु उचित नहीं है। अत: विलम्‍ब क्षमा किये जाने योग्‍य नहीं है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा रूतुराज कंस्‍ट्रक्‍शन बनाम प्रकाश रामचन्‍द्र काले के वाद में दिया गया निर्णय जो        । (2016) सी0पी0जे0 272 (एन0सी0) प्रकाशित है, सन्‍दर्भित किया है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र के साथ अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के मैनेजर लीगल हब ने जो शपथपत्र प्रस्‍तुत किया है उसमें यह उल्‍लेख नहीं किया गया है कि कब और किसी तिथि को उन्‍होंने डिवीजनल आफिस को कानूनी राय के साथ पत्रावली प्रेषित किया है और कब डिवीजनल आफिस  ने रीजनल आफिस को पत्रावली प्रेषित किया है तथा कब पत्रावली अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के लीगल हब लखनऊ में प्राप्‍त हुयी। अत: विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र के साथ जो शपथपत्र अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी की ओर से प्रस्‍तुत किया गया है वह अस्‍पष्‍ट और भ्रामक है। विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र के साथ  संलग्‍न शपथपत्र में अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी की ओर यह भी उल्‍लेख नहीं किया गया है कि किन परिस्थितियों में क्‍यों अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के संबंधित कार्यालयों ने अपील प्रस्‍तुत करने हेतु समय से निर्णय नहीं लिया। धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत अपील प्रस्‍तुत करने हेतु मियाद 30 दिन की रखी गयी है। अत: सामान्‍यतया 30 दिन के अन्‍दर अपील प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए अथवा निर्णय का अनुपालन किया जाना चाहिए। जिला फोरम के निर्णय की प्रति प्राप्‍त होने पर अपील निर्धारित समय पर प्रस्‍तुत न किया जाना और उसका अनुपालन भी न किया जाना उचित नहीं है। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी व उसके अधिकारीगण अधिनियम के प्राविधान से बाधित हैं। बिना

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किसी उचित कारण के उनके द्वारा विधिक प्राविधान की अनदेखी नहीं की जा सकती है। विधि द्वारा निर्धारित समय सीमा के अन्‍दर ही उन्‍हें अपील हेतु निर्णय लेना आवश्‍यक है।

उपरोक्‍त विवेचना एवं सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हॅूं कि अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी ने अपील प्रस्‍तुत करने में हुए विलम्‍ब  का पर्याप्‍त और उचित कारण दर्शित नहीं किया है। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के अधिकारियों द्वारा अपील प्रस्‍तुत करने का निर्णय निर्धारित समय के अन्‍दर न लिया जाना अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के अधिकारियों की उदासीनता व लापरवाही है  और इस अपील प्रस्‍तुत करने में हुए विलम्‍ब को क्षमा करने हेतु पर्याप्‍त आधार नहीं माना जा सकता है।

उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर में इस मत का हूँ कि अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा  प्रस्‍तुत विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र स्‍वीकार करने हेतु उचित आधार नहीं है। अत: अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा प्रस्‍तुत विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र निरस्‍त किया जाता है और अपील विलम्‍ब बाधा के आधार पर अस्‍वीकार की जाती है।

 

                                                                                         (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

अध्‍यक्ष

            

कृष्‍णा, आशु0

कोर्ट 01

 


 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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