Uttar Pradesh

StateCommission

A/2000/1967

Sadhan Sahkari Samiti Ltd. - Complainant(s)

Versus

Shyam Lal - Opp.Party(s)

S K Singh

11 Feb 2002

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2000/1967
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Sadhan Sahkari Samiti Ltd.
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Shyam Lal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

               अपील संख्‍या- 1967/2000            (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, श्रावस्‍ती द्वारा परिवाद संख्‍या-172/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 31-01-2000 के विरूद्ध)

साधन सहकारी समिति लि0, लेंगड़ी गूलर ब्‍लाक गिलौला, पर0 बहराइच, तहसील- इकौना, जिला- श्रावस्‍ती।

                                       ....अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

  1. श्‍याम लाल,
  2. श्‍यामता प्रसाद,    पुत्रगण गुद्दन
  3. मिश्री लाल  

     सभी निवासीगण- कोकलवारा, पर0 बहराइच, तहसील- इकौना जिला- श्रावस्‍ती।

                                            ... प्रत्‍यर्थीगण/परिवादीगण

समक्ष:-

1. माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठा0 सदस्‍य।

2. माननीय श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित    : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित      : कोई नहीं।

दिनांक: 07-05-2015

माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उदघोषित

निर्णय

     अपीलार्थी ने यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम श्रावस्‍ती द्वारा परिवाद संख्‍या-172/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 31-01-2000 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है। जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा अपने आदेश में यह कहा गया है कि:- परिवाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादीगण के तथाकथित ऋण के सम्‍बन्‍ध में अपने स्‍तर से जॉच करें एवं यदि परिवादी के खाते में कोई ऋण राशि पायी जाती है, तो उसकी वसूली दोषी कर्मचारी/अधिकारी से करें तथा आदेश की प्रति प्राप्‍त करने के 30 दिन के अन्‍दर परिवादीगण को हुए मानसिक कष्‍ट की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000-00 रूपये व वाद व्‍यय के रूप में  रूपया 500-00 अदा करें तथा परिवादीगण को नो-ड्यूज प्रमाण पत्र जारी करें।

(2)

     संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से हैं कि परिवादीगण विपक्षी की समिति में खाता धारक सदस्‍य है। विपक्षी अपने खाता धारक सदस्‍यों को ऋण देने का कार्य करता है और खाता धारकों की मांग पर खाद व बीज ऋण के रूप में उपलब्‍ध कराता है। परिवादी लिये गये सम्‍पूर्ण ऋण की अदायगी कर दी है, उसके जिम्‍मे कोई बकाया धनराशि नहीं है, परन्‍तु विपक्षी द्वारा अधिकृत कुर्क अमीन ऋण राशि वसूलने के लिए परिवादी के पास आये तब उसे ऋण के सम्‍बन्‍ध में जानकारी हुई। परिवादी के नाम से फर्जी चेक द्वारा धनराशि आहरित किया गया है। किसी भी ऋण प्रपत्र और आहरण प्रपत्र पर वादीगण के हस्‍ताक्षर नहीं है और न ही पासबुक में कोई ऋण के सम्‍बन्‍ध में धनराशि अंकित किया गया है। परिवादीगण ने विपक्षी के उच्‍चाधिकारियों के समक्ष मुकदमा किया, परन्‍तु वहॉ कोई सुनवाई नहीं हुई। अत: परिवादीगण ने तथाकथित फर्जी ऋण राशि से मुक्‍त करने हेतु परिवाद योजित किया है।

     धारा-13 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अर्न्‍तगत विपक्षी को  पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस दिनांक 10-12-1999 को भेजी गई जो विपक्षी पर तामील हो गई। तत्‍पश्‍चात दिनांक 15-01-2000, 22-01-2000 और 25-01-2000 की तिथियां सुनवाई हेतु नियत की गई। दिनांक 22-01-2000 को विपक्षी अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से उपस्थित होकर प्रार्थना पत्र अवसर दिया जो स्‍वीकार किया गया एवं बहस हेतु दिनांक  25-01-200 नियत की गई। इसी बीच प्रतिवादी को अपना प्रतिवाद पत्र एवं साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करना था, परन्‍तु विपक्षी की ओर से कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत नहीं किया गया और पुन: एक प्रार्थना पत्र वास्‍ते अवसर दिया गया, जो आधारहीन होने के कारण निरस्‍त हुआ।

 

(3)

     जिला उपभोक्‍ता फोरम ने यह पाया कि परिवादीगण विपक्षी साधन सहकारी समिति के कृषक खाताधारक है, उन्‍होने विपक्षी से कोई ऋण प्राप्‍त नहीं किया है। विपक्षी द्वारा उनके खाते में मनमानें तौर पर ऋण राशि अंकित कर दी गई है और वसूली बिना किसी सूचना के कुर्क अमीन द्वारा कराया जाना सेवाओं में ह्रास सिद्ध करता है और विपक्षी के इस कृत्‍य से परिवादीगण को मानसिक कष्‍ट हुआ है और जिला उपभोक्‍ता फोरम ने उपरोक्‍त आदेश पारित किया है।

     केस के तथ्‍यों परिस्थितियों में हम यह पाते है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा जो उपरोक्‍त निर्णय पारित किया गया है, वह विधि सम्‍मत् है, उसमें हस्‍तक्षेप किये जाने की कोई गुंजाइश नहीं है और अपीलकर्ता की अपील खारिज होने योग्‍य है।  

आदेश

     अपीलकर्ता की अपील खारिज की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम श्रावस्‍ती द्वारा परिवाद संख्‍या-172/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 31-01-2000 की पुष्टि की जाती है।

     उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वयं वहन करें।

 

 

 (राम चरन चौधरी)                              (राजकमल गुप्‍ता) 

  पीठासीन सदस्‍य                                  सदस्‍य

आर.सी. वर्मा, आशु. कोर्ट नं0-5

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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