राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-881/2001
मारूति उद्योग लि0 11वां तल, जीवन प्रकाश 25, कस्तूरबा
गांधी मार्ग, नई दिल्ली-110001 .....अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम
श्री श्याम बहादुर सिंह पुत्र श्री चंद्र पाल सिंह हाउस नं0 153
मोहल्ला अटल बिहारी नगर उन्नाव सिटी व एक अन्य।
.......प्रत्यर्थीगण/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अंकित श्रीवास्तव, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक रंजन, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 14.03.2023
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 6/95 श्याम बहादुर सिंह बनाम मैसर्स मारूति उद्योग लि0 व एक अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 11.11.97 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला उपभोक्ता मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण को आदेशित किया है कि परिवादी को अंकन रू. 40725/- 08 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करे।
2. परिवाद के तथ्य के अनुसार परिवादी ने जीविकोपार्जन के लिए विपक्षीगण के प्रस्ताव पर ओमनी वैन क्रय किया गया। क्रय के समय पूरी धनराशि का भुगतान किया गया, परन्तु टैक्सी में पंजीकृत होने के पश्चात एक्साइज ड्यूटी की राशि को वापस करने का आदेश दिया गया, परन्तु एक्साइज ड्यूटी की राशि अंकन रू. 37724/- का भुगतान
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नहीं किया, इसलिए उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया। विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गई। यद्यपि विपक्षी संख्या 1 ने लिखित कथन प्रस्तुत किया, परन्तु बाद में कार्यवाही में भाग नहीं लिया, इसलिए परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई साक्ष्य का कोई खंडन विपक्षीगण/अपीलार्थीगण द्वारा नहीं किया गया, तदनुसार उपरोक्त वर्णित आदेश पारित किया गया।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि एक्साइज ड्यूटी की राशि लौटाने का अधिकार भारत सरकार में निहित है और परिवादी का आवेदन अभी भी लंबित है, परन्तु चूंकि एक्साइज ड्यूटी को वापस करने का आश्वासन विपक्षीगण द्वारा दिया गया। परिवादी ने यद्यपि एक दिन पश्चात वाहन के पंजीकृत होने की सूचना दी गई, पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया गया। इस एक दिन की देरी को माफ कर दिया गया, इस तथ्य का कोई खंडन मौजूद नहीं है, इसलिए परिवादी एक्साइज ड्यूटी की छूट प्राप्त करने के लिए अधिकृत है और इस राशि को अदा करने का उत्तरदायित्व विपक्षीगण पर ही है, यद्यपि वे भी इस राशि को भारत सरकार के एक्साइज डिपार्टमेन्ट से वसूल करने के लिए अधिकृत हैं और ऐसा कर सकते हैं, परन्तु परिवादी को जो राशि अदा करने का आदेश दिया गया उस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार उचित प्रतीत नहीं होता। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
4. अपील खारिज की जाती है।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-3