Uttar Pradesh

StateCommission

A/1099/2018

Royal Sundaram General Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Shyam Babu Sirothia - Opp.Party(s)

Dinesh Kumar

22 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1099/2018
( Date of Filing : 11 Jun 2018 )
(Arisen out of Order Dated 02/05/2018 in Case No. C/282/2017 of District Agra-II)
 
1. Royal Sundaram General Insurance Co. Ltd
Head Office Subramaniam Buildingh 2nd Floor No.1 Glub Houee Road Channai 600002 Through its Officer in -Charge
...........Appellant(s)
Versus
1. Shyam Babu Sirothia
S/O Shri Madan Mohan Sirothia R/O Sirothia Gali Meera Nagar Murar and Distt Gwalior (M.P.)
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Jul 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

अपील सं0-१०९९/२०१८

 

(जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-२८२/२०१७ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०२-०५-२०१८ के विरूद्ध)

 

रॉयल सुन्‍दरम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0, शाखा कार्यालय एफ0सी0-६, प्रथम तल, ब्‍लॉक नं0-४/४१ बी, फ्रैण्‍ड्स टावर, संजय प्‍लेस, जिला आगरा एवं हैड आफिस रॉयल सुन्‍दरम जनरल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लि0, सुब्रमण्‍यम बिल्डिंग, द्वितीय तल, नं0-१ क्‍लब हाउस रोड, चेन्‍नई-६००००२ द्वारा आफीसर इन्‍चार्ज।  

                                           ........... अपीलार्थी/विपक्षी।    

बनाम

श्‍याम बाबू श्रोतिया पुत्र श्री मदन मोहन श्रोतिया निवासी श्रोतिया गली, मीरा नगर, मुरार, जिला ग्‍वालियर (म0प्र0)।

............प्रत्‍यर्थी/परिवादी।    

समक्ष:-

१-  मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

२-  मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री दिनेश कुमार विद्वान अधिवक्‍ता।   

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित    : श्री संजय कुमार वर्मा विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक :- १७-०८-२०२२.      

मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

 

यह अपील, उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्‍तर्गत जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-२८२/२०१७ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०२-०५-२०१८ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश त्रुटियुक्‍त, विधि विरूद्ध है और बिना मस्तिष्‍क का उपयोग किए दिया गया है। प्रश्‍नगत निर्णय मात्र सम्‍भावनाओं और परिकल्‍पनाओं पर आधारित है। प्रश्‍नगत निर्णय विधि के स्‍थापित सिद्धान्‍तों के अनुरूप नहीं है। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा वाहन सं0-एमपी-०७/एचबी-३१८३ का बीमा दिनांक ०३-०४-२०१५ से ०२-०४-२०१६ तक वाणिज्यिक वाहन के रूप में हुआ था जो दिनांक १२-०८-२०१५ को थाना जगदीशपुरा जिला आगरा के अन्‍तर्गत गायब हो गया। इस सम्‍बन्‍ध में तात्‍कालिक कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत नहीं करवाई गई।

 

 

-२-

परिवादी ने सोचने-समझने के बाद अन्‍तर्गत धरा-१५६(३) सीआर.पी.सी. प्रार्थना पत्र दिया। वह यह सिद्ध करने में असफल रहा कि उसने तुरन्‍त एफ0आई0आर0 लिखाने का कोई प्रयास किया हो। एफ0आई0आर0 ७८ दिन के बाद अंकित हुई और उसके द्वारा बीमा कम्‍पनी को भी तुरन्‍त सूचना नहीं दी गई जिसके आधार पर उसका दावा बन्‍द कर दिया गया। अत्‍यधिक विलम्‍ब के पश्‍चात् सूचना मिलने पर अन्‍वेषक की नियुक्ति हुई जिसने अपनी रिपोर्ट दिनांक २३-०१-२०१७ को दी जिसमें कई तरह की खामियॉं दिखाई गईं। परिवादी ग्‍वालियर का रहने वाला है और पालिसी ग्‍वालियर से जारी हुई। वाहन से सम्‍बन्धित अभिलेख लेने के लिए काफी प्रयास किया गया किन्‍तु वे प्राप्‍त नहीं हुए।  

परिवादी ने विद्वान जिला फोरम में परिवाद प्रस्‍तुत किया। विद्वान जिला फोरम ने अपीलार्थी को नोटिस भेजी किन्‍तु बिना मौका दिए लिखित कथन प्रस्‍तुत करने का अवसर समाप्‍त कर दिया गया। परिवादी ने अपने विलम्‍ब का कोई कारण नहीं दिया। बीमा की शर्तों का उल्‍लंघन किया गया। विलम्‍ब से दावा प्रस्‍तुत करने के कारण उसे बन्‍द कर दिया गया। बीमा कम्‍पनी ने बार-बार परिवादी से अभिलेख मांगे जो उसे नहीं दिए गए और परिवादी ने जांच में कोई सहयोग नहीं किया। बीमित वाहन को चलाने का उत्‍तर प्रदेश के लिए परमिट नहीं था। विलम्‍ब से एफ0आई0आर0 लिखाई गई तथा बीमा कम्‍पनी को विलम्‍ब से सूचनादी गई। विद्वान जिला फोरम ने एक पक्षीय निर्णय दिया और सम्‍पूर्ण आई0डी0वी0 का दावा डिक्री किया। अत: माननीय राज्‍य आयोग से निवेदन है कि प्रश्‍नगत निर्णय अपास्‍त करते हुए वर्तमान अपील स्‍वीकार की जाए। 

      हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना एवं पत्रावली का सम्‍यक रूप से परिशीलन किया।

      हमने प्रश्‍नगत निर्णय का अवलोकन किया। परिवादी के कथनानुसार वह प्रश्‍नगत वाहन पंजीयन सं0-एम0पी0 ०७ एच0बी0 ३१८३ का पंजीकृत स्‍वामी है। उक्‍त वाहन विपक्षी बीमा कम्‍पनी के यहॉं से दिनांक ०३-०४-२०१५ से ०२-०४-२०१६ तक की अवधि के लिए बीमित था। परिवादी का प्रश्‍नगत वाहन दिनांक १२-०८-२०१५ की रात्रि करीब ११.०० बजे थाना जगदीशपुरा के अन्‍तर्गत चोरी हो गया, जिसका मुकदमा अपराध सं0-६३७/१५, धारा ३७९ आई0पी0सी0 थाना जगदीशपुरा में पंजीकृत हुआ। वाहन की चोरी की सूचना

 

 

-३-

परिवादी द्वारा बीमा कम्‍पनी व ए0आर0टी0ओ0 कार्यालय एवं सम्‍बन्धित कार्यालय को दे दी थी तथा दिनांक २८-०६-२०१६ को न्‍यायालय में अन्तिम आख्‍या प्रस्‍तुत की जा चुकी है, जिस पर न्‍यायालय द्वारा दिनांक ०९-०७-२०१६ को अन्तिम आख्‍या स्‍वीकार की गई। परिवादी द्वारा समस्‍त प्रपत्र बीमा कम्‍पनी को प्रस्‍तुत कर दिए गए किन्‍तु बीमा कम्‍पनी ने जानबूझकर बीमा धनराशि का भुगतान नहीं किया। बीमा कम्‍पनी फाइनेंस कम्‍पनी से मिलकर फाइनेंस कराते समय दिए गए चेकों का इस्‍तेमाल करने की धमकी दे रही है। परिवादी ने कभी बीमाके नियमों का उल्‍लंघन नहीं किया है।   

      विपक्षी की ओर से किसी के उपस्थित न होने के कारण विद्वान जिला फोरम द्वारा एक पक्षीय कार्यवाही की गई। विपक्षी कम्‍पनी अन्‍जान कम्‍पनी नहीं है और ऐसा कोई अभिलेख उसकी ओर से नहीं दिया गया जिससे स्‍पष्‍ट हो कि उसको नोटिस की तामीली नहीं हुई हो। विद्वान जिला फोरम ने कई विधि व्‍यवस्‍थाओं का उल्‍लेख करते हुए निम्‍नलिखित आदेश पारित किया :-

      ‘’ परिवादी का परिवाद विपक्षी बीमा कम्‍पनी के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्‍पनी को ओदशित किया जाता है कि वह प्रश्‍नगत वाहन की बीमित घोषित मूल्‍य मु० १८,००,०००/- रू० तथा इस धनराशि पर परिवाद दायर करने की तिथि से ०६ प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज की दर से ब्‍याज भुगतान की तिथि तक इस निर्णय के एक माह के अन्‍दर अदा करे। विपक्षी बीमा कम्‍पनी को आदेशित किया जाता है कि पहले प्रश्‍नगत वाहन का बकाया लोन राशि का भुगतान सम्‍बन्धित आई0सी0आई0सी0आई0 बैंक को परिवादी के लोन खाते में जमा करे, यदि कोई राशि शेष बचती है, तो वह उसे परिवादी को वास करे। परिवादी मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में मु० ५०००/- रू० विपक्षी बीमा कम्‍पनी से पाने का अधिकारी है। ‘’

      इस मामले में स्‍पष्‍ट है कि वाहन चोरी हुआ। अत: वाहन के रख-रखाव में क्‍या उतनी तत्‍परता और सावधानी बरती गई, जो अपेक्षित थी, इसका कोई उल्‍लेख नहीं है। अगर पुलिस थाने में पुलिस रिपोर्ट नहीं लिखती है तभी धारा-१५६(३) के अन्‍तर्गत कार्यवाही की जाती है। विद्वान जिला फोरम ने मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा दिए गए

 

 

-४-

निर्णय ओम प्रकाश बनाम रिलायन्‍स जनरल इंश्‍योरेंस व अन्‍य का उल्‍लेख किया है, जो उचित है।

      जहॉं तक वाहन चोरी का प्रश्‍न है इस तथ्‍य को ध्‍यान में रखना चाहिए था कि ऐसे मामले में बीमित धनराशि का ७५ प्रतिशत दिया जाना चाहिए था जबकि विद्वान जिला फोरम ने पूरा मूल्‍य प्रदान किया है। ब्‍याज की दर आद विधि सम्‍मत हैं उसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

      अत: हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचते हैं कि इस मामले में परिवादी कुल बीमित धनराशि १८,००,०००/- रू० की ७५ प्रतिशत धनराशि १३,५०,०००/- रू० पाने का अधिकारी है। तद्नुसार वर्तमान अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है। 

आदेश

अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। जिला फोरम/आयोग (द्वितीय), आगरा द्वारा परिवाद सं0-२८२/२०१७ में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०२-०५-२०१८ में आदेशित प्रश्‍नगत वाहन के बीमित घोषित मूल्‍य १८,००,०००/- रू० को घटाकर १३,५०,०००/- रू० किया जाता है। निर्णय के शेष भाग की पुष्टि की जाती है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष पर।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                   (विकास सक्‍सेना)                (राजेन्‍द्र सिंह)

                      सदस्‍य                            सदस्‍य                    

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

                  (विकास सक्‍सेना)                (राजेन्‍द्र सिंह)

                      सदस्‍य                            सदस्‍य                    

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-२.    

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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