(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :-1679/2012
(जिला उपभोक्ता आयोग, बुलंदशहर द्वारा परिवाद सं0-157/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19/04/2012 के विरूद्ध)
Life Insurance Corporation of India (LIC)
- Appellant
Vs
Smt. Sushila, aged 60 years W/O Sri Rajveer Sharma, R/O LIG-247, Avas Vikas-2, Anoop Shahar road, Bulandshahar.
………… Respondent
समक्ष
- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री संजय जायसवाल
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-कोई नहीं
दिनांक:-05.06.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, बुलन्दशहर द्वारा परिवाद सं0-157/2007 श्रीमती सुशीला बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19/04/2012 के विरूद्ध में यह अपील प्रस्तुत की गयी है। जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादिनी के मृतक पुत्र धर्मेन्द्र शर्मा द्वारा ली गयी बीमा पॉलिसी सं0 562504902 एवं 562504903 पर क्रमश: 5,00,000/-रू0 तथा 1,02,000/-रू0 कुल 6,02,000/-रू0 का भुगतान करने हेतु आदेशित किया गया है।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी के पुत्र द्वारा उपरोक्त वर्णित बीमा पॉलिसी दिनांक 26.03.2004 को प्राप्त की थी। दिनांक 09.01.2005 को अचानक सीने में दर्द होने के कारण बीमा धारक को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। बीमा कम्पनी को सूचना दी गयी और बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, परंतु कोई कार्यवाही नहीं की गयी।
- बीमा कम्पनी का कथन है कि बीमा कराने से पूर्व ही बीमा धारक Cardio respiratory Arrest नामक बीमारी से ग्रसित था, जिसका वह इलाज करा रहा था। बीमा प्रस्ताव भरते समय इस तथ्य को छिपाया गया, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है।
- दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि बीमा कम्पनी द्वारा यह तथ्य स्थापित नहीं किया गया है कि यथार्थ में बीमा प्रस्ताव भरते समय बीमा धारक Cardio respiratory Arrest नामक बीमारी से ग्रसित था और उसे उस रोग की जानकारी थी। तदनुसार बीमित राशि अदा करने का आदेश पारित किया गया।
- बीमा कम्पनी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि बीमा धारक को अपनी बीमारी की जानकारी थी। इस जानकारी को छिपाते हुए बीमा पॉलिसी प्राप्त की गयी थी।
- बीमा कम्पनी की ओर से इस पीठ के समक्ष भी पूर्व से इलाज कराने का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा दिये गये निष्कर्ष एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है कि बीमा धारक द्वारा बीमा प्रस्ताव भरते समय किसी बीमारी से ग्रसित होने के तथ्य को छिपाया गया। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार)(राजेन्द्र सिंह)
निर्णय/आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उदघोषित किया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह) सदस्य सदस्य
05.06.2024
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2