Final Order / Judgement | 1 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि- 24-12-2020 अन्तिम सुनवाई की तिथि- 22-11-2022 निर्णय आदेश की तिथि- 05-12-2022 जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नैनीताल। उपभोक्ता परिवाद संख्या-123/2020 श्री मोहन सिंह पुत्रा श्री भवान सिंह, निवासी ग्राम रिखोली, ऊॅचाकोट, बेतालघाट, जिला नैनीताल, उत्तराखण्ड।..................... परिवादी/परिवादीगण द्वारा-अधिवक्ता -श्री डी0एस0मनराल, श्री आर0एस0रौतेला। बनाम श्रीराम जनरल इन्श्यौरेन्स कम्पनी लि0, द्वारा प्रबन्धक(क्लेम लीगल) कारपोरेट कार्यालय-ई-8,म्च्प्च्ए त्प्प्ब्व्ए इन्डस्ट्रियल स्टेट, सीतापुरा. जयपुर, राजस्थान। ... विपक्षी/विपक्षीगण द्वारा-अधिवक्ता -श्री प्रभात पाण्डे। निर्णय कोरम- श्री रमेश कुमार जायसवाल- अध्यक्ष श्रीमती विजयलक्ष्मी थापा- सदस्या श्री लक्ष्मण सिंह रावत- सदस्य (द्वारा-श्री रमेश कुमार जायसवाल) अध्यक्ष प्रस्तुत परिवाद परिवादी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा-35 के अन्तर्गत विपक्षी श्रीराम जनरल इन्श्यौरेन्स कम्पनी लि0,द्वारा प्रबन्धक(क्लेम लीगल), कारपोरेट कार्यालय-ई-8, म्च्प्च्ए त्प्प्ब्व्ए इन्डस्ट्रियल स्टेट, सीतापुरा. जयपुर, राजस्थान के विरूद्ध निम्न अनुतोष दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है। 1- परिवादी को विपक्षी से जमा पिकअप की मरम्मत का मूल्य मुव 5,68,728/-रू0 दिलवाया जावे। 2-परिवादी को उत्पन्न मानसिक पीड़ा पत्राचार तथा वाद व्यय के लिए मुव 3,31,272/-रू0 विपक्षीगण से दिलवाया जावे। 3- परिवादी को विपक्षीगण से अन्य अनुतोष जो माननीय फोरम/आयोग उचित समझे दिलवाया जावे। 2 संक्षेप में परिवादी का कथन इस प्रकार है कि वह पिकअप वाहन संख्या-यू0के-19 सी0ए0-0167 का पंजीकृत स्वामी है। परिवादी का उक्त वाहन विपक्षी की बीमा पालिसी संख्या-107014/31/20/004290 द्वारा दिनांक 09-10-2019 से दिनांक 08-10-2020 तक सम्पूर्ण जोखिमों के लिए मुव 5,19,000/-रू0 में बीमित था। दिनांक-10-11-2019 को उक्त वाहन सायं 9.30 बजे खैरना से बेतालघाट आते हुए 500 मीटर नीचे खाई में गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया और पूर्णतः क्षतिग्रस्त हो गया। जिसकी सूचना थाना बेतालघाट में दिनांक-11-11-2.019 को दर्ज कराई गयी थी। दुर्घटना के समय वाहन को बैध एवं प्रभावी दस्तावाजों के साथ संचालित किया जा रहा था। पिकअप के नुकसान के लिए विपक्षी द्वारा सर्वेयर नियुक्त किया गया और दो बार स्पाट सर्वे कराया गया जिसके बाद विपक्षी के निर्देशानुसार वाहन को वर्कशाप में खडा करवाया गया। उक्त वाहन टोटल लाॅस की श्रेणी में आता है लेकिन विपक्षी द्वारा दबाव डालकर वाहन की मरम्मत करवाने को कहा गया। परिवादी को वाहन के पाट्र्स उपलब्ध कराने के लिए काफी भाग-दौड करनी पडी जिसमें काफी समय लग गया। उक्त वाहन मरम्मत करने के बाद बनकर वर्कशाप में खडा है। वर्कशाप द्वारा वाहन की मरम्मत का व्यय मुव 5,68,728/-रू0 भुगतान करने को कहा गया और बिना भुगतान के वाहन को हैण्डओवर करने से मना कर दिया गया जिसकी सूचना बीमा कम्पनी को दी गयी जिसके बाद सर्वेयर द्वारा पुनः वाहन का सर्वे किया गया। परिवादी द्वारा बीमा कम्पनी को समस्त अभिलेखों के साथ क्लेम फार्म भरकर दिया गया लेकिन परिवादी को अभी तक क्लेम के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं दी गयी है। बीमा कम्पनी से सम्पर्क करने पर उनके द्वारा टालमटोली की जा रही है। परिवादी को प्रतिदिन 1000/-रू0 का नुकसान हो रहा है। उक्त वाहन परिवादी की आजीविका का एकमांत्रा साधन है। इसके अतिरिक्त वर्कशाप द्वारा पार्किंग शुल्क भी मांगा जा रहा है। दिनांक 27-02-2020 को बीमा कम्पनी का एक पत्रा परिवादी को प्राप्त हुआ जिसमें सूचित किया गया कि ’’दावा अस्वीकार, फाईल बन्द की जाती है’’। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा उसके क्लेम को मनमाने ढंग से निरस्त किया गया है जो सेवा में कमी को दर्शाता है तथा पिकअप पूर्णतः रोडवर्दी कण्डीशन में थी। परिवादी द्वारा बीमा पालिसी की शर्तों व दशाओं का कभी उलंघन नहीं किया गया है और न ही कोई असत्य कथन किया गया है। क्लेम का भुगतान न होने के कारण परिवादी द्वारा यह परिवाद योजित किया गया है जो समयसीमा व माननीय आयोग के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत प्रस्तुत किया गया है और परिवादी परिवादपत्रा में चाहा गया अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है। विपक्षी द्वारा जबाबदावा कागज संख्या-11-11/3 दाखिल किया गया है। जिसमें बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के वाहन का बीमित होना एवं वाहन की दुर्घटना की सूचना दिनांक 10-11-2019 को प्राप्त होने पर स्पाट सर्वे हेतु श्री जे0सी0 जोशी को नियुक्त करना स्वीकार किया है। विपक्षी ने आगे कहा है कि सर्वेयर द्वारा वाहन की क्षति का आंकलन करने के बाद वाहन की रिपेरेबल क्षति मुव 1,83,922/-रू0 आंकलित की गयी जिसके बाद परिवादी से वाहन की मरम्मत करने व रिपेयर बिल दाखिल करने को कहा गया तांकि क्लेम का भुगतान हो सके। परिवादी से कुछ अभिलेखों की भी मांग की गयी लेकिन परिवादी द्वारा 3 काफी लम्बे समय तक वाहन की मरम्मत का कार्य प्रारम्भ नहीं कराया गया और ना ही अभिलेख उपलब्ध कराये। सर्वेयर द्वारा इस सम्बन्ध में अनेकों पंजीकृत पत्रा भी परिवादी को लिखे गये। वाहन की मरम्मत का कार्य सर्वेयर की देखरेख में होना चाहिए था तांकि कार्य पूरा होने के बाद वाहन का रि-इस्पेक्शन करने के बाद क्लेम का भुगतान किया जा सके लेकिन परिवादी द्वारा वाहन की मरम्मत के बारे में कभी भी बीमा कम्पनी को सूचित नहीं किया गया और ना ही रिपेयर बिल प्रदान किये गये। कैसलैस पालिसी ना होने की दशा में गैराज के बिल सीधे भुगतान का प्राविधान बीमा पालिसी में नहीं है। परिवाद की परिस्थितियों को देखते हुए विपक्षी द्वारा परिवादी को दी जाने वाली सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में शपथपत्रा कागज संख्या-4-4/4, तथा फेहरिस्त कागज संख्या-5 द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट, बीमा पालिसी, आर0सी0 पिकअप, डी0एल0 चालक , वर्कशाप के बिल,क्लेम पत्रा क्रमशः कागज संख्या-5/1-5/12, व साक्ष्य शपथपत्रा कागज संख्या-13-13/4 व श्री मोहसिन खान पुत्रा श्री अजीज खान का शपथपत्रा कागज संख्या-16-16/2 दाखिल किये गये हैं। विपक्षी द्वारा अपने कथन के समर्थन में श्री अतुल पाठक, ब्रान्च मैनेजर का श्पथपत्रा कागज संख्या-15-15/4, सर्वे रिपोर्ट कागज संख्या-15/5-15/7, परिवादी को लिखे चार पत्रा कागज संख्या-15/8-15/11 दाखिल किये गये हैं। परिवादी द्वारा लिखित बहस दिनांक-08-04-2022 को कागज संख्या-17-17/4 दाखिल किया गया है। विपक्षी द्वारा लिखित बहस दिनांकित 08-04-2022 कागज संख्या-18-18/3 दाखिल किये गये हैं। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में माननीय उच्चतम न्यायालय की विधि व्यवस्था 2020(2) यू0सी0-1226 गुरमेल सिंह बनाम ब्रान्च मैनेजर नेशनल इन्श्यौरेन्स कम्पनी लि0 दाखिल की गयी है। हमने परिवादी व विपक्षी के अधिवक्तागण को विस्तार से सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखीय साक्ष्य का विस्तार से अवलोकन व परिशीलन किया। विपक्षी के अधिवक्ता महोदय द्वारा मौखिक बहस के दौरान यह स्वीकार किया गया है कि परिवादी का वाहन पिकअप संख्या-यू0के-19-सीए-0167 विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा मुव 5,19,000/-रू0 के लिए बीमित था तथा दिनांक-10-11-2019 को उक्त वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विपक्षी बीमा कम्पनी को दुर्घटना की सूचना दिनांक-11-11-2019 को प्राप्त हो गयी थी तथा उनके द्वारा दिनांक-11-11-2019 को प्रश्नगत वाहन की मौके पर जाॅच करवाने के लिए सर्वेयर की नियुक्ति कर दी गयी थी। विपक्षी बीमा कम्पनी के सर्वेयर द्वारा दिनांक-12-11-2019 को मौके पर जाकर प्रश्नगत वाहन की जाॅच की गयी थी तथा सर्वेयर द्वारा उसे गैराज में शिफ्ट करवाकर उसकी मरम्मत करवाने हेतु परिवादी को कहा गया था। स्पाट इन्सपैक्सन रिपोर्ट पत्रावली में प्रस्तुत की गयी है। प्रश्नगत वाहन की मरम्मत 4 परिवादी को ही करवानी थी। सर्वेयर द्वारा अपनी रिपोर्ट में प्रश्नगत वाहन को पहुॅची कुल क्षति का आंकलन 2,25,500/-रू0 किया गया था जिसमें मुव 5,500/-रू0 साल्वेज की कीमत घटाकर 2,19,500/-रू0 का भुगतान परिवादी को अदा किये जाने की सर्वेयर द्वारा संस्तुति की गयी थी। परिवादी द्वारा प्रश्नगत दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत स्वयं करवायी गयी। विपक्षी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता महोदय द्वारा मौखिक बहस के दौरान तर्क प्रस्तुत किया गया कि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को दिनांक-13-11-2019 को एक पत्रा प्रेषित कर उनसे प्रश्नगत वाहन व दुर्घटना के सम्बन्ध में आवश्यक कागजात मांगे गये थे। उनके द्वारा मौखिक बहस के दौरान यह भी तर्क दिया गया कि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रश्नगत वाहन की मरम्मत करवाने के लिए कई पत्रा प्रेषित किये गये थे तथा परिवादी को मरम्मत करवाने के लिए कहा गया था। परन्तु परिवादी द्वारा ना तो मरम्मत करवाने से पूर्व सूचना बीमा कम्पनी को देने तथा सर्वेयर की मौजूदगी में मरम्मत करवाने की सूचना बीमा कम्पनी को दी गयी और ना ही मरम्मत करवाते समय सर्वेयर को ही बुलाया गया। यहाॅं तक कि प्रश्नगत वाहन की मरम्मत करवाने के बाद भी परिवादी द्वारा उसके बारे में बीमा कम्पनी को अवगत नहीं कराया गया था। अतः विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को दिनांक-27-02-2020 को अंतिम पत्रा प्रेषित कर सूचित किया गया कि उसके द्वारा प्रश्नगत वाहन की मरम्मत ना करवाने की वजह से परिवादी के क्लेम को क्लोज किया जा रहा है इसके बाद परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद योजित कर दिया गया तथा परिवाद पत्रा के साथ परिवादी द्वारा प्रश्नगत वाहन की मरम्मत करने की बाबत कई बिल लगाये गये। जिसमें शम्सी मोटर पार्टस का बिल दिनांकित 02-10-2019 मुव 27,130/-रू0 का है तथा अन्य सभी बिल दिनांक 25-11-2019 के लगाये गये हैं जिसमें डेन्टिंग व पाॅलिस का बिल 12000/-रू0 का है तथा बिल नम्बर 985 मुव 60,100/-रू0 बिल नम्बर 984 मुव 2,17,810 रू0, बिल नम्बर 988 मुव 1,66,688/-रू0 का तथा बिल नम्बर-986 मुव 28,200/-रू0 का है किन्तु इन बिलों में बिल संख्या-985, 984, 988 का योग गलत किया गया है। हमारे द्वारा परिवादपत्रा में प्रस्तुत उपरोक्त बिलों की जाॅच कर दोबारा उनका योग जोडने पर पाया गया कि बिल नम्बर 985 में कुल योग 60,110/-रू0 वर्णित है जबकि उसका कुल योग 52,900/-रू0 ही बनता है। इसी प्रकार बिल संख्या-988 में कुल योग 1,66,688/-रू0 वर्णित है जबकि हमारे द्वारा जोडने पर उसका कुल योग 1,44,188/-रू0 ही पाया गया है। बिल संख्या-984 का वर्णित योग विपक्षी अधिवक्ता द्वारा मौखिक बहस के दौरान 2,27,810/-रू0 बताया गया किन्तु उसका पत्रावली में अवलोकन करने पर उसमें उल्लिखित योग 2,18,616/-रू0 पाया गया जो कि हमारे द्वारा जोडने पर सही पाया गया। इसके अतिरिक्त पत्रावली में मौजूद बिल संख्या-989 मुव 56,000/-रू0 का मौखिक बहस के दौरान विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता महोदय द्वारा अपनी मौखिक बहस के दौरान उल्लेख करने से छूट गया स्पष्ट होता है। परिवादी द्वारा प्रश्नगत वाहन की मरम्मत से सम्बन्धित पत्रावली में प्रस्तुत किये गये सभी बिलों का कुल योग हमारे द्वारा मुव 5,39,028/-रू0 ही पाया गया है। 5 परिवादी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता महोदय द्वारा अपनी मौखिक बहस में कहा गया कि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रेषित एक पत्रा दिनांकित 29-02-2020 ही परिवादी को प्राप्त हुआ था। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अन्य कोई तथाकथित पत्रा अथवा उसकी कोई डाॅक रसीद या पावती पत्रावली में प्रस्तुत भी नहीं की गयी है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता महोदय द्वारा मौखिक बहस के दौरान कहा गया कि उनके प्रश्नगत वाहन की दुर्घटनाग्रस्त होने के दौरान किसी भी व्यक्ति को किसी प्रकार की कोई शाररिक चोट नहीं पहुॅची थी। किन्तु फिर भी विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा एवं उनके द्वारा नियुक्त सर्वेयर महोदय द्वारा परिवादी से थर्ड पार्टी व इन्जरी की डिटेल मांगी गयी जिसकी कोई जरूरत या औचित्य नहीं बनता था। परिवादी के अधिवक्ता महोदय द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि सर्वेयर रिपोर्ट कागज संख्या-15/7 सर्वेयर रिपोर्ट के अन्त में लिखा भी हुआ है कि श्छव प्प्प्तक चंतजल सवेे पदअवसअमक दवत बसंपउमकश् सर्वेयर महोदय द्वारा स्पाॅट इस्पैक्सन के समय प्रश्नगत वाहन की दुर्घटना से सम्बन्धित प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति मांगी गयी थी जो उन्हें परिवादी द्वारा उसी समय प्रदान कर दी गयी थी। प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति परिवादी द्वारा अपना ओ0डी0 क्लेम प्रस्तुत करते समय भी विपक्षी बीमा कम्पनी को प्रदान की गयी थी तथा परिवादी के ओ0डी0क्लेम की फाईल विपक्षी बीमा कम्पनी के पास ही है जो कि उनके द्वारा प्रस्तुत परिवाद की पत्रावली में प्रस्तुत नहीं की गयी है। विपक्षी की ओर से उपस्थित अधिवक्ता महोदय द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता महोदय द्वारा प्रस्तुत किये गये तर्को का कोई खण्डन नहीं किया गया। उनके द्वारा मांत्रा यह कहा गया कि वह परिवादी को बीमा कम्पनी द्वारा प्रेषित किये गये अन्य पत्रों तथा उनकी डाॅक रसीद/पावती आदि के बारे में बीमा कम्पनी से बात करेंगे तथा उनके उपलब्ध होने पर उसे पत्रावली में आदेश की नियत तिथि से पूर्व ही प्रस्तुत कर दिया जायेगा। किन्तु विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से आदेश की आज की तिथि तक ऐसे कोई/कागजात प्रस्तुत नहीं किये गये हैं। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता महोदय द्वारा मौखिक बहस के दौरान कथन किया गया कि परिवादी के आधार/पैन कार्ड व निफ्ट की डिटेल उसके द्वारा क्लेम सैटल होने के समय बीमा कम्पनी को दी जानी थी जोकि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का बीमा क्लेम सटैल ना किये जाने के कारण नहीं दी जा सकी थी। विपक्षी बीमा कम्पनी तथा सर्वेयर द्वारा प्रश्नगत वाहन की रनिंग/मूवमेन्ट रिकार्ड तथा डीलर का बिल मांगा गया था जिनका कोई सीधा सम्बन्ध अथवा औचित्य परिवादी के बीमा क्लेम को सैटल किये जाने से नहीं बनता है। इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा अपनी ओर से साक्ष्य स्वरूप श्री मोहसिन खान जोकि खान डेन्टिंग व पैंटिंग वक्र्स रामनगर (नैनीताल) के प्रौपराईटर है तथा जिनके यहाॅं परिवादी द्वारा अपने प्रश्नगत दुर्घटनाग्र्रस्त वाहन की मरम्मत का कार्य करवाया गया था एवं पत्रावली में प्रस्तुत बिल संख्या-991,984,985,989,988,व 986 सभी दिनांकित 25-11-2019 निर्गत किये गये थे, का साक्ष्य शपथपत्रा पत्रावली में दिनांक-16-03-2022 को प्रस्तुत किया गया है जोकि पत्रावली में उपलब्ध कागज संख्या-16 से 16/2 है तथा जिनकी प्रति विपक्षी के अधिवक्ता महोदय द्वारा दिनांक 30-03-2022 को प्राप्त की गयी थी, का कोई रिवटल/ 6 प्रतिउत्तर/आपत्ति विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत नहीं की गयी है। परिवादी द्वारा अपने दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत के सभी बिल पत्रावली में लगाये गये हैं जिनका कोई रिबटल विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से कभी नहीं किया गया है। मौखिक बहस के दौरान परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क किया गया कि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा जानबूझकर परिवादी के ओ0डी0क्लेम की फाईल को पत्रावली में प्रस्तुत ना करके साक्ष्य अधिनियम की धारा-114 का उलंघन किया है जिसके लिए उनके विरूद्ध कार्यवाही भी की जानी चाहिए। इसका कोई प्रतिकार/विरोध अथवा खण्डन विपक्षी बीमा कम्पनी के अधिवक्ता महोदय द्वारा नहीं किया गया। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता महोदय द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया है कि विपक्षी बीमा कम्पनी को यदि परिवादी द्वारा मोटर बैहिकल एक्ट के किसी प्रावधान का उलंघन किये जाने पर ही उसका बीमा क्लेम निरस्त करना चाहिए था किन्तु उनके द्वारा अनावश्यक कागजातों की मांग पूरी ना किये जाने के आधार पर परिवादी के बीमा क्लेम को निरस्त किया गया है जो कि गलत व विधि विरूद्ध है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता महोदय द्वारा यह भी कथन किया गया है कि बीमा कम्पनी के गठन का उद्देश्य मांत्रा फायदा कमाने के लिए नहीं होता। विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को दी जाने वाली सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापारिक व्यवहार किया गया है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता महोदय द्वारा पत्रावली में विधि व्यवस्था ळनतउमस ैपदही अे ठतंदबी डंदंहमतए छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्वण्स्जकण् ैब् 2022;2द्ध न्जजतंदबींस ब्ंेमे च्ंहम दवण् 1226ए ैमजजमसउमदज व िब्संपउ कमदपमक पद ंइेमदबम व िकवबनउमदजेध् कमदपंस व िबसंपउ पे मससमहंसण् भी प्रस्तुत की गयी है जिसमें मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट प्रतिपादित किया गया है कि मांत्रा कागजातों के अभाव में बीमा क्लेम को पूरी तरह से निरस्त किया जाना अवैधानिक व विधि विरूद्ध है। उपरोक्त वर्णित तथ्यों एवं परिस्थितियों के आधार पर एवं उभय पक्षकारों की ओर से विद्वान अधिवक्ताओं द्वारा प्रस्तुत मौखिक बहस में किये गये कथनों के आधार पर हम पाते हैं कि विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बिना किसी समुचित आधार व बैध कारण के परिवादी के बीमा क्लेम को क्लोज/निरस्त कर दिया गया था तथा हम विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा पारित बीमा क्लेम के निरस्तीकरण आदेश को औचित्यहीन व निराधार मानकर अपास्त व खारिज किया जाना पूरी तरह से न्यायोचित मानते हैं। हमारी समक्ष में परिवादी को उसके प्रश्नगत दुर्घटनाग्र्रस्त वाहन की सम्पूर्ण बीमित रकम 5,19,000/रु0 का भुगतान विपक्षी बीमा कम्पनी से दिलवाया जाना पूरी तरह से उचित व न्यायसंगत होगा। इसके अतिरिक्त परिवादी को मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के लिए मुव 20,000/-रू0 तथा वाद व्यय का भुगतान मुव 5000/-रू0 भी विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अलग से दिलवाया जाना पूरी तरह से न्यायोचित होगा। प्रस्तुत परिवाद तदानुसार निस्तारित किया जाता है। आदेश प्रस्तुत परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाता है। विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह इस आदेश के डेढ़ माह (45 दिनांें) की अवधि के भीतर परिवादी को 7 उसके प्रश्नगत बीमित वाहन की सम्पूर्ण बीमित राशि मुव 5,19,000/-रू0 (पाॅच लाख उन्नीस हजार) का भुगतान एकमुस्त रूप में अदा कर दे। इसके अतिरिक्त विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को पहुॅची मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति के लिए मुव 20,000/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में मुव 5000/-रू0 परिवादी को उपरोक्त निर्धारित समयावधि के भीतर ही अलग से अदा करेगी। इस आदेश की निर्धारित समयावधि के भीतर परिवादी को उपरोक्त वर्णित बीमित रकम का भुगतान अदा ना किये जाने पर विपक्षी बीमा कम्पनी से उक्त रकम पर परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 8 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित जोडकर प्राप्त करने का परिवादी अधिकारी होगा। पत्रावली में इस अन्तिम निर्णय आदेश से पूर्व पारित अन्तरिम आदेश स्वतः निरस्त समझे जायेंगे। निर्णय आदेश की एक-एक सत्यापित प्रति पक्षकारों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जावे। निर्णय आदेश को पक्षकारों के अवलोकनार्थ विभागीय वैबसाईट में अपलोड किया जावे। उपरोक्त आदेश का अनुपालन समयावधि के भीतर सुनिश्चित न करने की दशा में विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 71 व धारा-72 के तहत वसूली/कारावास/अर्थदण्ड की कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। पत्रावली इस निर्णय आदेश की प्रति सहित दाखिल दफ्तर की जावे। (लक्ष्मण सिंह रावत) ( विजयलक्ष्मी थापा) (रमेश कुमार जायसवाल) सदस्य सदस्या अध्यक्ष उद्घोषित करने की तिथि-05-12-2022 | |