Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/38/2016

Shri Babu Hussain - Complainant(s)

Versus

Shri Ram General Insruance Company - Opp.Party(s)

Shri Santpal Sigh

02 May 2018

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद

परिवाद संख्‍या-38/2016  

बाबू हुसैन पुत्र श्री साबिर हुसैन निवासी ग्राम ताहरपुर थाना मैनाठेर तहसील बिलारी जिला मुरादाबाद।                                             …....परिवादी

बनाम

1-श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कंपनी लि. द्वारा लीगल प्रबन्‍धक ई-8 ईपीआईपी आरआईआईसीओ इण्‍डस्‍ट्रीयल एरिया, सीतापुरा जयपुर(राजस्‍थान)।

2-श्रीराम जनरल इंश्‍योरेंस कंपनी लि. द्वारा प्रबनधक रामपुर रोड, लवीना रैस्‍टोरेंट के सामने, मुरादाबाद।                                        …..विपक्षीगण

वाद दायरा तिथि: 13-06-2016                                  निर्णय तिथि: 02.05.2018         

उपस्थिति

श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष

श्री सत्‍यवीर सिंह, सदस्‍य

 (श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

  1. इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे ट्रक की अवशेष बीमा राशि अंकन-5,97,600/-रूपये 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलायी जाये। परिवाद व्‍यय की मद अंकन-5000/-रूपये और क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-10,000/-रूपये परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।     
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ट्रक सं.-यूपी-21एन-4477 का पंजीकृत स्‍वामी है। यह ट्रक विपक्षीगण से दिनांक 18-11-2013 से 17-11-2014 तक की अवधि हेतु बीमित था। परिवादी के अनुसार दिनांक 12-4-2014 को थाना भोजपुर जिला मुरादाबाद के क्षेत्रान्‍तर्गत मिलक, हुमायॅूंपुर गांव के पास अचानक शॉर्ट सर्किट से ट्रक में आग लग गई, ट्रक और उसमें भरी पेपर रद्दी पूरी तरह जल गई, घटना के समय ट्रक को चालक जोगेन्‍द्र सिंह चला रहा था। परिवादी ने उसी दिन घटना की रिपोर्ट थाना भोजपुर में दर्ज करायी और तत्‍काल अग्निशमन अधिकारी को सूचित किया। परिवादी ने क्‍लेम हेतु समस्‍त औपचारिकतायें पूरी करके बीमा कंपनी को उपलब्‍ध करा दी। कंपनी ने परिवादी की सहमति के बिना ट्रक और रद्दी के नुकसान का आंकलन तीन लाख रूपये करके उक्‍त राशि परिवादी के खाते में ट्रांसफर कर दी। परिवादी इससे सहमत नहीं है। परिवादी ने अपनी असहमति दर्शाते हुए विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भिजवाये किन्‍तु विपक्षीगण ने उनका कोई उत्‍तर नहीं दिया। परिवादी ने अग्रेत्‍तर कथन किया है कि बीमा कराते समय ट्रक का मूल्‍य बीमा कंपनी ने अंकन-7,50,000/-रूपये आंका था। ट्रक में अंकन-1,47,600/-रूपये की रद्दी भरी हुई थी। इस प्रकार आग से कुल अंकन-8,97,600/-रूपये का नुकसान हुआ जबकि विपक्षीगण ने केवल अंकन-3,00,000/-रूपये का भुगतान किया है, जो गलत है। परिवादी के ट्रक के सारे कागज वैध हैं। विपक्षीगण ने नियमानुसार भुगतान न करके सेवा में कमी की है। उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
  3. परिवाद के साथ परिवादी द्वारा थाना भोजपुर में दी गई तहरीरी रिपोर्ट की रिसीविंग कापी, ट्रक की आर.सी., बीमा सर्टिफिकेट, परमिट, फिटनेस, ट्रक में ले जायी जा रही रद्दी का चालान, ट्रक चालक के ड्राईविंग लाइेसेंस विषयक आरटीओ कार्यालय मुरादाबाद की रिपोर्ट, अग्निशमन अधिकारी की आख्‍या तथा विपक्षीगण को भिजवाये गये नोटिसों की नकलों को दाखिल किया गया है, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/4 लगायत 3/9 हैं।
  4. विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं.-9/1 लगायत 9/5 दाखिल किया गया है, जिसमें अभिकथित घटना के समय ट्रक का विपक्षीगण की ओर से बीमा होना स्‍वीकार करते हुए अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि विपक्षीगण ने परिवादी की सहमति के आधार पर ट्रक में हुए नुकसान की मद में फुल एण्‍ड फाईनल सैटेलमेंट करते हुए परिवादी को अंकन-3,00,000/-रूपये दे दिये हैं, जो परिवादी स्‍वीकार कर चुका है। अब परिवादी उक्‍त धनराशि पर विवाद उठाने से विबन्धित है। अग्रेत्‍तर यह भी कथन किया गया कि विपक्षीगण के सर्वेयर ने परिवादी से ट्रक की आर.सी., डी.एल., रोड परमिट इत्‍यादि प्रपत्रों की मांग की थी और पत्र दिनांकित 28-4-2014, 15-5-2014 एवं 11-6-2014 द्वारा उक्‍त प्रपत्र उपलब्‍ध कराने हेतु परिवादी को लिखित में भी सूचित किया किन्‍तु परिवादी ने उक्‍त प्रपत्रों से अपेक्षित औपचारिकतायें पूरी नहीं की। अंतिम बार परिवादी से पत्र दिनांकित 05-8-2014 द्वारा कागजात की मांग की गई किन्‍तु परिवादी ने उसकी भी पूर्ति नहीं की। बीमा कंपनी ने परिवादी के समक्ष कैशलैश बेसेस पर फुल एण्‍ड फाईनल सैटेलमेंट के रूप में अंकन-3,00,000/-रूपये देने का प्रस्‍ताव किया, जिसे परिवादी ने स्‍वेच्‍छा से स्‍वीकार कर लिया और स्‍वेच्‍छा से डिस्‍चार्ज बाउचर पर अपने हस्‍ताक्षर करके बीमा कंपनी को दे दिया तब बीमा कंपनी ने परिवादी के खाते में तीन लाख रूपये ट्रांसफर किये थे। विपक्षीगण ने अग्रेत्‍तर यह भी कथन किया है कि ट्रक में भरी हुई रद्दी का कोई बीमा विपक्षीगण से नहीं था, ऐसी दशा में रद्दी के नुकसान की मद में बीमा कंपनी कोई भुगतान करने की उत्‍तरदायी नहीं है। उक्‍त कथनों के अतिरिक्‍त यह भी कहते हुए कि विपक्षीगण ने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी नहीं की, परिवाद को सव्‍यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
  5. परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-10/1 लगायत 10/3 दाखिल किया।
  6. विपक्षीगण की ओर से बीमा कंपनी के लीगल आफिसर श्री सिद्धार्थ पाण्‍डेय का साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-12/1 लगायत 12/5 दाखिल हुआ, जिसके साथ प्रतिवाद पत्र में उल्लिखित प्रपत्रों की मांग करते  हुए परिवादी को भेजे गये पत्रों, तीन लाख रूपये फुल एण्‍ड फाईनल सैटेलमेंट के रूप में प्राप्‍त करने हेतु परिवादी द्वारा हस्‍ताक्षरित सहमती पत्र, डिस्‍चार्ज बाउचर तथा ब्‍लैंक चेक की छायाप्रतियों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया है, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-12/6 लगायत 12/15 हैं।
  7. परिवादी की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं की गई। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई।
  8. हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  9. पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी का ट्रक अभिकथित दुर्घटना की तिथि अर्थात दिनांक 12-4-2014 को विपक्षीगण से बीमित था। बीमा कवरनोट के अनुसार ट्रक की बीमित राशि अंकन-7,50,000/-रूपये थी। विपक्षीगण की ओर से ट्रक में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगने से भी इंकार नहीं किया गया है। पत्रावली में अवस्थित रद्दी की रसीद कागज सं.-3/10 और चालान कागज सं.-3/11 के अवलोकन से प्रकट है कि अभिकथित घटना के समय ट्रक में रद्दी भरी हुई थी। विपक्षीगण ने ट्रक में हुए नुकसान की मद में फुल एण्‍ड फाईनल सैटेलमेंट के रूप में परिवादी के खाते में तीन लाख रूपये जमा किये थे, इस बिन्‍दु पर भी कोई विवाद नहीं है।
  10. विवाद इस बिन्‍दु पर है कि क्‍या विपक्षीगण द्वारा क्‍लेम के रूप में परिवादी को जमा धनराशि दी गई थी, वह ट्रक में हुए नुकसान के अनुरूप पर्याप्‍त थी अथवा नहीं। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि परिवादी को हुए नुकसान के सापेक्ष क्‍लेम राशि कम दी गई, जबकि विपक्षीगण का कथन है कि परिवादी को क्‍लेम राशि क्षति के अनुरूप सही दी गई और यह धनराशि परिवादी की सहमति से फुल एण्‍ड फाईनल सैटेलमेंट के रूप में दी गई। विपक्षीगण का तर्क है कि परिवादी अदा की गई धनराशि की पर्याप्‍तता पर विवाद उठाने से विबन्धित है।
  11. माननीय राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा I(2018)सीपीजे पृष्‍ठ-492(एनसी), अरफात पट्रो कैमिकल्‍स प्रा.लि. बनाम न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी लि. की निर्णयज विधि में यह अवधारित किया गया है कि क्‍लेम के फुल एण्‍ड फाईनल सैटेलमेंट में डिस्‍चार्ज बाउचर पर हस्‍ताक्षर कर देने और सैटेलमेंट राशि प्राप्‍त कर लेने के बाद भी परिवादी क्‍लेम की पर्याप्‍तता पर फोरम के समक्ष गुणावगुण(मेरिट) पर परिवाद ला सकता है। इस निर्णयज विधि के दृष्टिगत विपक्षीगण यह कहने से विबन्धित हैं कि डिस्‍चार्ज बाउचर हस्‍ताक्षरित करके और पूर्ण संतुष्टि में तीन लाख रूपये क्‍लेम प्राप्‍त कर लेने के बाद परिवादी फोरम के समक्ष क्‍लेम राशि की अपर्याप्‍तता पर विवाद नहीं उठा सकता। परिवादी को यह दर्शाने के लिए कि उसे अदा की गई धनराशि अपर्याप्‍त थी, कारण दर्शाने होंगे। परिवादी ने क्‍लेम राशि अपर्याप्‍त होने का आधार अग्निशमन अधिकारी की रिपोर्ट कागज सं.-3/13 लगायत 3/15 को बनाया है। परिवादी के अनुसार अग्निशमन अधिकारी ने दुर्घटना स्‍थल का मुआयना करने तथा ट्रक में लगी आग से हुए नुकसान का आंकलन करने के बाद ट्रक में हुई क्षति अनुमानित पाँच लाख रूपये होना बताया है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि इसके बावजूद उसे केवल तीन लाख रूपये दिये गये, जो अपर्याप्‍त हैं। हम परिवादी पक्ष के उक्‍त कथन से सहमत नहीं हैं। अग्निशमन अधिकारी द्वारा ट्रक में हुई क्षति का जो आंकलन किया गया था, वह ‘’अनुमानित’’  आंकलन था, ‘’अनुमान’’ निश्‍चयात्‍मक नहीं होता। हम इस तथ्‍य का भी न्‍यायिक संज्ञान ले रहे हैं कि आग से ट्रक के जो पार्टस डैमेज हुए थे, उनकी डेप्रीशिएट वैल्‍यू दी जानी अपेक्षित थी और इस दृष्टिकोण से भी यदि देखा जाये तो परिवादी को बीमा कंपनी द्वारा अदा की गई तीन लाख रूपय की धनराशि अपर्याप्‍त दिखायी नहीं देती। एक तथ्‍य यह भी उल्‍लेखनीय है कि परिवादी ने ऐसा कोई प्रमाण पत्रावली में दाखिल नहीं किया है, जिसके आधार पर यह माना जाये कि उसे विपक्षीगण द्वारा अदा की गई क्‍लेम राशि ट्रक में हुए नुकसान के सापेक्ष अपर्याप्‍त थी।
  12. उपरोक्‍त विवेचन के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं कि परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है और उसका परिवाद खारिज होने योग्‍य है।    
  13.  

परिवाद खारिज किया जाता है। परिवाद परिस्थिति में उभयपक्ष अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •       अध्‍यक्ष

आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •           अध्‍यक्ष

दिनांक: 02-05-2018

 

 

 परिवाद संख्‍या-38/2016

  1.  

  निर्णय घोषित। आदेश हुआ कि परिवाद खारिज किया जाता है। परिवाद परिस्थिति में उभयपक्ष अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

  • ,                                                          अध्‍यक्ष,

 

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