राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 596 सन 2000 सुरक्षित
(जिला उपभोक्ता फोरम, इलाहाबाद के परिवाद संख्या-1208/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15-01-2000 के विरूद्ध)
युनियन आफ इंडिया द्वारा जनरल मैनेजर, नार्दन रेलवे बड़ौदा हाऊस न्यू दिल्ली एवं अन्य
....अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
श्री विशालेन्द्र सिंह रघुवंशी पुत्र श्री भानु प्रताप सिंह निवासी-63 एफ/2 बेली कालोनी, स्टेनली रोड़, इलाहाबाद।
..प्रत्यर्थी/परिवादी समक्ष:-
1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2-मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अधिवक्ता अपीलार्थी : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्ता।
अधिवक्ता प्रत्यर्थी : कोई नहीं।
दिनांक30-12-2014
मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी, पीठासीन न्यायिक सदस्य, द्वारा उदघोषित।
निर्णय
प्रस्तुत अपील अपीलार्थी ने विद्वान जिला मंच, इलाहाबाद, द्वारा परिवाद संख्या-1208/1995 श्री विशालेन्द्र सिंह रघुवंशी बनाम द चेयरमैन रेलवे बड़ौदा में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 15-01-2000 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है, जिसमें विपक्षीगण को आदेशित किया गया है कि परिवादी को 8,000-00 रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में निर्णय की जानकारी के 30 दिन के अन्दर भुगतान करें तथा 500-00 रूपये वाद व्यय भी अदा करें।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक-16-06-1995 को 21.30 बजे गोरखपुर-दादर एक्सप्रेस (1028 डाऊन) इलाहाबाद से पुणे जंक्शन की यात्रा किया। यह ट्रेन बिलम्ब से चल रही थी। बर्थ नम्बर 51 सेकेण्ड क्लास बोगी नं0-9133 में उसका आरक्षण था। टिकट पी.एन.आर. नम्बर 730003
(2)
टिकट नम्बर 21744698/698 था। जब डिब्बे में परिवादी प्रवेश किया उस समय बिजली और पानी उपलब्ध नहीं था, इसके लिए रेवले स्टाफ और प्रशासन को सूचित किया गया। स्टेशन सुपरिटेण्डेंट को भी आख्या दी गई। टी.टी.ई. को भी कहा गया, फिर भी बिना पानी और बिजली के ट्रेन छूटी। चेन खींचने पर गाड़ी नहीं रूकी दिनांक-17-08-95 को 5 बजे जबलपुर जंक्शन पर पानी उपलब्ध हुआ। भुसावल जंक्शन पर उसी तिथि को 19-00 बजे विद्युत की व्यवस्था की गई। इससे 10 घंटे बिना पानी और 24 घंटे बिना बिजली के परिवादी ने अन्य यात्रियों के साथ यात्रा किया, जिससे परिवादी व अन्य यात्री शारीरिक, मानसिक और भावानान्तमक रूप से बुरी तरह पीडि़त हुए। यात्रा के समय बहुत असुविधा/कष्ट झेलना पड़ा। रेलवे प्रशासन ने अपनी घोषित सुविधाओं को उपलब्ध नहीं कराया, जिसके फलस्वरूप बिना पानी व बिजली के तमाम परेशानियां एवं तनाम बर्दास्त करना पड़ा। फलस्वरूप परिवाद प्रस्तुत करना पड़ा।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्वान जिला मंच ने अत्याधिक क्षतिपूर्ति की धनराशि दिलाये जाने का आदेश पारित किया है, जो कि औचित्यपूर्ण नहीं है। विद्वान जिला मंच ने यह निष्कर्ष निकाला है कि बिजली की व्यवस्था सम्बन्धित कोच में नहीं था, जिस कोच में परिवादी का आरक्षण था उसमें विद्युत और पानी उपलब्ध कराने का दायित्व विपक्षी/अपीलकर्ता का था। पानी और विद्युत उपलबध न कराये जाने के कारण अपीलकर्ता द्वारा सेवाओं में कमी की गई है।
अत: वर्णित परिस्थितियों में हम अपीलार्थी द्वारा परिवादी को 8,000-00 रूपये की क्षतिपूर्ति के स्थान पर 5,000-00 रूपये दिलाया जाना तथा 500-00 रूपये वाद व्यय दिलाया जाना न्यायोचित समझते है। तद्नुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलार्थी की अपील ऑशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला मंच के द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित-15-01-2000 को संशोधित
(3)
किया जाता है कि वह परिवादी को 8,000-00 रूपये के स्थान पर 5,000-00 रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में तथा 500-00 रूपये वाद व्यय के रूप में अदा करे।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील व्यय स्वयं वहन करेगें।
उभयपक्ष को इस निर्णय की प्रति नियमानुसार नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाय।
( अशोक कुमार चौधरी ) (संजय कुमार )
पीठासीन सदस्य सदस्य
आर0सी0वर्मा, आशु. ग्रेड-2
कोर्ट नं0-3