Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/261/2009

Shri Vinod Kumar - Complainant(s)

Versus

Shri Tasleem - Opp.Party(s)

21 May 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/261/2009
 
1. Shri Vinod Kumar
R/0 Deputy Ganj Near Nari Niketan, Thana Naagfani Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Shri Tasleem
R/0 Himgiri Colony Near G.S.N Public School, Thana Civil Lines Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. P.K Jain PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Azra Khan MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

                   

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने अनुरोध किया है विपक्षी को निर्देशित किया जाऐ कि या तो वह परिवादी के मकान का निर्माण सम्‍बन्‍धी कार्य पूरा करे अ‍थवा 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित 50,000/- रूपया की धनराशि परिवादी को दे। 2,000/- रूपया परिवाद व्‍यय अतिरिक्‍त मॉंगा गया है।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी और विपक्षी के मध्‍य मकान बनाने का एक एग्रीमेन्‍ट दिनांक 24/2/2009 को 1,40,500/- रूपया में हुआ था। इस एग्रीमेन्‍ट के तहत निर्माण के साथ-साथ विन्‍डो, दरवाजे, बिजली की फिटिंग इत्‍यादि भी की जानी थी और काम दिनांक 15/4/2009 तक पूरा होना था। एग्रीमेन्‍ट के तहत विपक्षी को परिवादी ने 85,000/- रूपया चैक द्वारा तथा 55,500/- रूपया नकद दिऐ। परिवादी का आरोप है कि विपक्षी ने पूरा काम समय के अन्‍तर्गत नहीं कराया और जो काम कराया भी है उसकी गुणवत्‍ता खराब है। अभी भी लगभग 50,000/- रूपये का काम बाकी है जो विपक्षी नहीं कर रहा। परिवादी ने विपक्षी से काम पूरा करने अथवा 50,000/- रूपया वापिस देने का अनुरोध किया, उसे लिखित नोटिस भी दिया किन्‍तु न तो वह काम कर रहा है और न ही शेष काम पूरा करने में आने वाले खर्च हेतु 50,000/- रूपया परिवादी को दे रहा है। मजबूर होकर परिवादी को यह परिवाद योजित करना पड़ा।
  3.   विपक्षी ने प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 14/1 लगायत 14/3 प्रस्‍तुत किया जिसमें परिवाद कथनों से इ्रन्‍कार करते हुऐ कहा गया कि परिवादी को वाद कारण उत्‍पन्‍न  नहीं हुआ। विशेष कथनों में विपक्षी ने कहा कि परिवादी से मकान बनाने का ठेका 2,10,000/- रूपये में तय हुआ था। परिवादी ने विपक्षी को केवल 85,000/- रूपया भिन्‍न-भिन्‍न चैकों के माध्‍यम से दिऐ और शेष धनराशि काम पूरा होने के बाद देने का आश्‍वासन दिया था। विपक्षी ने काम पूरा कर दिया किन्‍तु बावजूद तलब व तकाजा परिवादी ने शेष 1,25,000/- रूपया विपक्षी को अब तक अदा नहीं किऐ। विपक्षी ने यह भी कहा कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के प्राविधानों के अधीन परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता और विपक्षी ने सेवा में किसी प्रकार की कोई कमी अथवा लापरवाही नहीं की है। मामला संविदा भंग का है जिसे सुनने का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है। विपक्षी ने परिवाद को विशेष व्‍यय सहित खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  4.   परिवादी ने परिवाद के साथ प्रस्‍तावित निर्माण के मानचित्र, पासबुक तथा विपक्षी को दिऐ गऐ नोटिस की प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रलेख पत्रावली के कागज सं0- 2 लगायत कागज सं0-5 हैं।
  5.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-15/1 लगायत 15/3 दाखिल किया। विपक्षी ने जबाब में अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/2 प्रस्‍तुत किया। परिवादी ने अपनी लिखित बहस भी दाखिल की। विपक्षी की और से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
  6.   पत्रावली दिनांक 19/5/2015 को बहस हेतु नियत थी। परिवादी की ओर से बहस हेतु कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
  7.   हमने विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता की बहस सुनी और पत्रावली का अवलोकन किया।
  8.   विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2(1)(0) की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित किया और तर्क दिया कि परिवाद कथनों के अनुसार चँकि विवाद व्‍यक्तिगत सेवा संविदा के अधीन अभिकथित रूप से सेवा में कमी का बताया गया है ऐसी दशा में परिवादी ‘’ उपभोक्‍ता ’’ की श्रेणी में नहीं आता और परिवाद फोरम के समक्ष पोषणीय नहीं है। हम विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के उक्‍त तर्क से सहमत हैं।
  9.   परिवाद कथनों के अनुसार परिवादी एवं विपक्षी के मध्‍म इस आशय का करार हुआ था कि विपक्षी परिवादी का मकान एक निर्धारित समय सीमा में बनायेगा। इस कार्य हेतु परिवादी द्वारा विपक्षी को कुल 1,40,500/- रूपया दिया जाना तय पाया गया था। परिवादी के आरोप हैं कि विपक्षी ने निर्धारित समय सीमा के अन्‍दर कार्य पूरा नहीं किया और किऐ गऐ कार्य की गुणवत्‍ता भी ठीक नहीं थी। कदाचित यह मामला व्‍यक्तिगत सेवा संविदा के अधीन सेवा का है जो उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2(1((0) के अधीन ‘’ सेवा ’’ की श्रेणी में नहीं आता। हम इस सुविचारित मत के हैं कि  परिवादी  उपभोक्‍ता  संरक्षण  अधिनियम  के  अधीन ‘’ उपभोक्‍ता ‘’ नहीं है और इसी आधार पर परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

परिवाद खारिज किया जाता है।

 

                                                      (सुश्री अजरा खान)                 (पवन कुमार जैन)

                                                            सदस्‍य                                  अध्‍यक्ष

  •                                  0उ0फो0-।। मुरादाबाद              जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

                                                       21.05.2015                        21.05.2015

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 21.05.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

                                             (सुश्री अजरा खान)                 (पवन कुमार जैन)

                                                  सदस्‍य                                      अध्‍यक्ष

  •                          0उ0फो0-।। मुरादाबाद              जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

                                           21.05.2015                        21.05.2015

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. P.K Jain]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Azra Khan]
MEMBER

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