राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील सं0-१३१७/२००२
(जिला उपभोक्ता फोरम अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या-३६१/२००० में पारित आदेश दिनांक २९/०४/२००२ के विरूद्ध)
- मै0 फर्स्ट फलाईट कोरियर्स लि0 द्वारा ब्रांच मैनेजर श्री एम0के0 वार्ष्णेय ५४ मालवीय मार्केट जीटी रोड अलीगढ़।
- मै0 फर्स्ट फलाईट कोरियर्स लि0 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर कारपोरेट आफिस १५/१६/ वीरेन्द्र मेटल एस्टेट चांदीवली जंक्शन सकी विहार रोड मुंबई।
............अपीलकर्तागण
बनाम
श्री श्याम सुंदर शर्मा पुत्र श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा निवासी १/९८, मोहल्ला सुरेन्द्र नगर परगना एवं तहसील कोल अलीगढ़।
............प्रत्यर्थी
समक्ष:-
1 मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2 मा0 श्री जुगुल किशोर, सदस्य।
अपीलकर्तागण की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित:- कोई नहीं।
दिनांक: २०/०८/२०१५
मा0 श्री जुगुल किशोर सदस्य द्वारा उद्घोषित।
निर्णय
उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित नहीं हैं। पक्षकारों को नोटिस भेजी गयी परन्तु उपस्थित नहीं हुए। केस अत्यंत पुराना है। न्यायहित में निस्तारित किया जाता है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रार्थी ने विपक्षी सं0-1 के माध्यम से एक पैकिट अपने भाई राजकुमार शर्मा को दिनांक १४/०७/२००० को चेन्नई भेजा। इस पैकिट में मार्कशीट डिग्री आदि थी और विपक्षीगण ने यह आश्वासन दिया कि वह दिनांक १५/०७/२००० को यह पैकिट पहुंच जायेगा किन्तु उसके द्वारा भेजा गया पत्र उसके भाई को प्राप्त नहीं हुआ। विपक्षीगण द्वारा घोर लापरवाही की गयी। प्रार्थी ने दिनांक ०८/०९/२००० को एक नोटिस भेजा। प्रत्यर्थी को जगह-जगह से डुप्लीकेट दस्तावेज तैयार करने पड़े और उसको काफी क्षति हुई।
विपक्षीगण ने अपने लिखित उत्तर में कहा है कि प्रार्थी ने जो दिनांक १४/०७/२००१ को लिफाफा भेजा था उसमें असल दस्तावेज नहीं हैं। विपक्षी पत्र के साथ करेंसी नोटिस दस्तावेज आदि बुक नहीं करते हैं। इस प्रकार का पत्र यदि प्राप्त किया जाता है, बुक किया जाता है तो इन कागजों का उल्लेख रसीद में किया जाता है। विपक्षीगण ने इस प्रकार की कोई रसीद नहीं दी। दिनांक
2
१५/०७/२००० को पैकिट डिलीवर करा दिया गया। दिनांक १७/०७/२००१ को पत्र पहुंच गया था और कोई विलम्ब नहीं हुआ है। विपक्षी ने इस संबंध में पूरी जानकारी प्रार्थी को दी है।
जिला मंच द्वारा यह पाया गया कि प्रतिवादी की ओर से कोई शपथपत्र दाखिल नहीं किया गया था और परिवादी की ओर से प्रार्थना पत्र के समर्थन में शपथ पत्र दिया गया था। जिला उपभोक्ता फोरम ने दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत परिवादी के पक्ष में १० हजार रूपये, ५०००/-रू0 वाद व्यय के दिलाए जाने हेतु आदेश पारित किया।
केस के तथ्यों एवं परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा जो निर्णय पारित किया गया है वह विधि सम्मत है जिसमें कोई हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील निरस्त की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
उभयपक्ष को इस आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार निर्गत की जाए।
(राम चरन चौधरी) (जुगुल किशोर)
पीठासीन सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र कुमार
कोर्ट नं0-5