Chhattisgarh

Bilaspur

CC/13/15

SHRI SIMA SHRIVASTAV - Complainant(s)

Versus

SHRI SHRIKANT BUDHIYA - Opp.Party(s)

SHRI B.MAJUMDAR

29 May 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/13/15
 
1. SHRI SIMA SHRIVASTAV
FLAT NO. 208/209 BUDHIYA INCLEBH SANKANDA BILASPUR
BILASPUR
CHHATTISGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. SHRI SHRIKANT BUDHIYA
ANTULAL PETROL PUMP MAIN ROAD KORBA
KORBA
CHHATTISGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI B. MAJUMDAR
 
For the Opp. Party:
SHRI MUKESH SHARMA
 
ORDER

//जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम बिलासपुर(छ0ग0)//
 
            
                        प्रकरण क्रमांक:-CC/15/2013
                            प्रस्तुति दिनांक:- 21/01/2013

 
  श्रीमती सीमा श्रीवास्तव 
  पिता स्व0 एस0के0 श्रीवास्तव, उम्र 48 वर्ष,
  फ्लैट नंबर 208/209,
  ’’बुधिया इन्क्लेव,’’ सरकण्डा, बिलासपुर
 तहसील व जिला बिलासपुर छ0ग0         .............  आवेदिका/परिवादिनी    

                    (विरूद्ध)
   
 श्रीकांत बुधिया पिता श्री अन्तुलाल बुधिया उम्र 55 वर्ष,
 निवासी मेन रोड, अन्तुलाल एण्डसंस पेट्रोल पंप कोरबा
 तहसील व जिला कोरबा छ0ग0   ......................... अनावेदक /विरोधी पक्षकार

 
                                                    ///आदेश///
                                  (आज दिनांक  29/05/2015 को पारित)
 
         1. आवेदिका श्रीमती सीमा श्रीवास्तव ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक के विरूद्ध  व्यवसायिक कदाचरण कर सेवा में कमी  के लिए पेश किया है और उससे क्रय किए गए फ़लैट में विद्यमान दोष को सुधार करवाने अन्यथा सुधार के लिए 5,00,000/-रू. क्षतिपूर्ति दिलाए जाने का निवेदन किया है। 
           2. परिवाद  के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदिका दिनांक 15.12.2011 को हुए  अनुबंध के तहत अनावेक से उसके द्वारा सरकण्डा बिलासपुर में निर्मित बहुमंजिला आवासीय परिसर ’’बुधिया इन्क्लेव’’ के प्रथम तल में स्थित 1450 स्केवेयर फीट पर निर्मित  फ्लैटक्रमांक 208/209 को 24,25,000/-रू. में  क्रय कर दिनांक 23.03.2012 को निश्पादित विक्रय पत्र के अधीन फ्लैटपर कब्जा प्राप्त किया, किंतु  अनावेदक द्वारा अनुबंध की शर्त एवं वचन के अनुसार उचित मापदण्ड के अनुरूप फ्लैटनिर्माण न करने से कुछ समय के भीतर ही फ्लैटमें अनेक दोष उत्पन्न हो गया । फ्लैटके सभी दीवारोॅ  में सीपेज के कारण जगह-जगह से प्लास्टर आॅफ पेरिस एवं पेंट पपडी बनकर उखडने लगा । निम्न श्रेणी के सामान के उपयोग के कारण विद्युत मीटर जल गया । बाथरूम में भी अधूरा काम किया गया, नल की भी फिटिंग पूरी नहीं की गई । हवा, प्रकाश की भी समुचित व्यवस्था फ्लैटमें नहीं की गई और न ही पार्किंग की समुचित व्यस्था उपलब्ध करवायी गई आवेदिका द्वारा इस तमाम बातों की शिकायत करने एवं नोटिस देने के बाद भी अनावेदक द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया, फलस्वरूप अनावेदक के इस व्यवसायिक कदाचरण एवं सेवा में कमी के लिए आवेदिका ने यह परिवाद पेश कर उसे वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है ।   
           3. अनावेदक नोटिस तामील उपरांत भी मामले में उपस्थित नहीं हुआ ।  अतः उसके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही करते हुए दिनांक 10.02.2014 को मामले का निराकरण किया गया, जिसके विरूद्ध अपील में माननीय राज्य आयोग द्वारा आदेश को अपास्त करते हुए प्रकरण इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया गया कि अनावेदक को जवाबदावा पेश करने का अवसर प्रदान करते हुए पेश साक्ष्य एवं शपथ पत्र के आधार पर मामले का नये सिरे से निराकरण किया गया, फलस्वरूप आवेदक को जवाब एवं दस्तावेज पेश करने का अवसर प्रदान करते हुए मामले का नये सिरे से निराकरण किया जा रहा है । 
          4. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया । 
        5. देखना यह है कि क्या आवेदिका, अनावेदक से वांछित अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी है ?
 सकारण निष्कर्ष
        6. आवेदिका का कथन है कि उसने दिनांक 15.12.2011 को अनावेदक के साथ उसके द्वारा सरकण्डा बिलासपुर में निर्मित बहुमंजिला आवासीय  परिसर ’’बुधिया इन्क्लेव’’ के प्रथम तल में स्थित 1450 स्केवेयर फीट पर निर्मित  फ्लैटक्रमांक 208/209 को 24,25,000/-रू. में  क्रय का अनुबंध किया था, अनावेदक उसके बाद दिनांक 23.03.2012 को फ्लैटका विक्रय पत्र उसके पक्ष में निष्पादित कर उसका कब्जा सौंपा । फ्लैट के मजबुत निर्माण, उच्च कोटि के सामग्री के उपयोग एवं पर्याप्त पार्किंग सुविधा उपलब्ध कराए जाने के वायदे के तहत उसने अनावेदक से फ्लैट क्रय किया था, किंतु अनावेदक द्वारा निर्माण में निम्न क्वालिटी के सामानों के उपयोग के कारण फ्लैट में अनेक दोष उजागर हो गये । फ्लैट के सभी दीवारोॅ  में सीपेज के कारण जगह-जगह से प्लास्टर आॅफ पेरिस एवं पेंट पपडी बनकर उखडने लगे । हवा, प्रकाश की भी समुचित व्यवस्था फ्लैट में नहीं की गई , बाथरूम में भी अधूरा काम किया गया, नल की भी फिटिंग पूरी नहीं की गई । पर्याप्त पार्किंग सुविधा भी उपलब्ध नहीं करायी गई, जिसकी शिकायत उसने अनेकों बार अनावेदक से किया तथा नोटिस भी भेजा, किंतु अनावेदक द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई । 
       7. इसके विपरीत अनावेदक का जवाब में कथन है कि उसने आवेदिका के पास पूर्ण रूप से निर्मित फ्लैटबिक्री किया था, जिसमें कोई कार्य बाकी नहीं था, जिसे देखकर ही आवेदिका पूर्ण संतुष्टि में फ्लैट क्रय किया था तथा जिसमें उसने अन्य कोई कार्य कराने का आश्वासन आवेदिका को नहीं दिया था । अनावेदक के अनुसार हवा, पानी, पार्किंग, काॅमन पैसेज आदि की स्थिति भी आवेदिका के फ्लैट में पूर्व से विद्यमान थी, जिसे देखकर ही आवेदिका प्रश्नाधीन फ्लैट क्रय किया था, अतः यह नहीं कहा जा सकता कि उनके द्वारा आवेदिका को निर्माण दोष वाला फ्लैट प्रदान कर व्यवसायिक कदाचरण किया गया और सेवा में कमी की गई । 
    8. आवेदिका द्वारा पेश प्रश्नाधीन फ्लैट के फोटोग्राफ के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि उक्त फ्लैट की दीवारों में सीपेज के कारण जगह-जगह से प्लास्टर, पेंट उखड गये है । अनावेदक का ऐसा कथन नहीं है कि जिस समय आवेदिका द्वारा फ्लैट क्रय किया गया था तब भी उसमें वही हालात थी, अतः इस संबंध में अनावेदक की मुक्की तथा फोटोग्राफ के खण्डन का अभाव इस बात को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है कि अनावेदक द्वारा फ्लैट के निर्माण में सामग्री के संबंध में उचित मापदण्ड का अनुसरण नहीं किया गया था, जिसके कारण उसके दोष बाद में उजागर हुए, जब आवेदिका द्वारा उसका उपयोग प्रारंभ किया गया, फलस्वरूप अनावेदक यह कहकर अपने दायित्व से मुकरने को सक्षम नहीं कि उसने आवेदिका को पूर्ण रूप से निर्मित फ्लैट बिक्री किया था, जिसे देख परख कर ही आवेदिका क्रय की थी । 
    9. जहाॅं तक अनावेदक के इस प्रस्ताव का संबंध है कि वे अब भी प्रश्नाधीन फ्लैट को उसी कीमत पर क्रय करने को तैयार है, जिस कीमत पर उन्होंने उसे आवेदिका को बिक्री किया था । हमारा यह निष्कर्ष है कि अनावेदक का यह प्रस्ताव आवेदिका के इस संबंध में स्वीकारोक्ति के अभाव में समस्या का निदान नहीं, जबकि उसका निदान वास्तव में प्रश्नाधीन फ्लैट में आवश्यक मरम्मत से है, किंतु अनावेदक का इस संबंध में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, जबकि यह वैधानिक स्थिति है कि निर्माण त्रुटि से ग्रस्त फ्लैट के लिए बिल्डर ही जिम्मेदार होते हैं, किंतु प्रश्नगत मामले में अनावेदक अपनी इस जिम्मेदारी से बचना चाहता है । 
    10. आवेदिका की ओर से पेश सिविल इंजीनियर सुरेंद्र सिंह चैहान के आंकलन रिपोर्ट के अनुसार प्रश्नाधीन फ्लैट में संभावित मरम्मत व्यय 3,51,536/-रू. बताया गया है, जिसका विरोध अनावेदक की ओर से इस आधार पर किया गया है कि उक्त जाॅंच उसके सामने नहीं की गई । इसके अलावा उसका ऐेसा कथन नहीं है कि उक्त जाॅच पुनः उसके सामने कराई जाय । ऐसी स्थिति में अनावेदक का उक्त इंजीनियर के आंकलन रिपोर्ट के संबंध में विरोध केवल औपचारिक होने से स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है। 
    11. उपरोक्त कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहंुचते हैं कि अनावेदक का प्रश्नगत मामले में आवेदिका के साथ व्यवहार न केवल अनैतिक है, बल्कि अवैध भी है अतः हम यह पाते हुए कि अनावेदक द्वारा आवेदिका के साथ कदाचरण युक्त व्यवसाय किया गया । आवेदिका के पक्ष में अनावेदक के विरूद्ध निम्न आदेश पारित करते हैं:-

अ.  अनावेदक, आवेदिका को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर प्रश्नाधीन फ्लैट में विद्यमान दोषों को सुधारने के लिए 3,50,000/-रू. (तीन लाख पच्चास हजार रूपये) की राशि अदा करेगा तथा चूक करने पर वह उक्त राशि पर ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अदा करेगा। 
ब. अनावेदक, आवेदिका को  क्षतिपूर्ति के रूप में राशि 2,00,000/.रु0 (दो लाख रू0) भी अदा करेगा।
स. अनावेदक, आवेदिका को  क्षतिपूर्ति के रूप में राशि 5,000/.रु0 (पाॅच हजार रू0) भी अदा करेगा।
आदेश पारित

              (अशोक कुमार पाठक)                           (प्रमोद वर्मा)         
                             अध्यक्ष                                      सदस्य              
    

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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