// जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम,बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक CC/2014/112
प्रस्तुति दिनांक 28/06/2014
लक्ष्मी नारायण सोनी पिता जनक राम सोनी
निवासी होलिका चौक तखतपुर थाना तखतपुर
जिला बिलासपुर छ.ग. ......आवेदक /परिवादी
विरूद्ध
- संतोष कुमार गुप्ता पिता दमडी लाल गुप्ता
उम्र 40 वर्ष साकिन थाना के पास चुलघट रोड
तखतपुर जिला बिलासपुर छ.ग.
- रायल सुन्दरम एलाऐंस इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
पता सुन्दरम टावर्स 46 व्हाइट रोड चेन्नई
पिन नंबर – 400014
- सत्या ऑटो मोबाइल
द्वारा – प्रबंधक सिरगिट्टी इन्डट्रीयल एरिया तिफरा
बिलासपुर छ.ग. ..............अनावेदकगण/विरोधीपक्षकार
आदेश
(आज दिनांक 24/06/2015 को पारित)
१. आवेदक लक्ष्मी नारायण सोनी ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदकगण से वाहन में हुई क्षति के लिए 1,15,549/-रू. की राशि क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक अपने वाहन मारूति वेन क्रमांक सी.जी. 10 एफ 7038 का बीमा अनावेदक क्रमांक 3 के माध्यम से अनावेदक क्रमांक 2 के पास कराया था, जो दिनांक 13.03.2013 से दिनांक 12.03.2014 तक की अवधि के लिए वैध था । दिनांक 27.03.2013 को बीमा अवधि में आवेदक के ड्रायवर अनावेदक क्रमांक 1 बीमित वाहन को चलाते हुए बिलासपुर से तखतपुर जा रहा था, तभी रास्ते में ग्राम जरौंधा के पास अचानक वाहन में आग लग गई, जिसमें वाहन पूरी तरह से जल गया । आवेदक द्वारा इसकी सूचना विधिवत रूप से अनावेदक क्रमांक 2 को दी गई और वाहन की नुकसानी 1,15,549/-रू. की मांग किया, जिसे अनावेदक बीमा कंपनी द्वारा दिनांक 21.03.2014 को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया, कि घटना दिनांक आवेदक के वाहन में बीमित हित नहीं था, साथ ही दुर्घटना की सूचना देने के संबंध में पॉलिसी शर्तों का उल्लंघन किया गया । अत: आवेदक द्वारा परिवाद पेश करते हुए अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया गया है।
3. अनावेदक क्रमांक 1 पृथक जवाबदावा पेश कर आवेदक के परिवाद के समर्थन में यह अभिकथित किया है कि वाहन घटना दिनांक अनावेदक बीमा कंपनी के यहॉं बीमित था, अत: अनावेदक बीमा कंपनी क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए दायित्वाधीन है आगे उसने अपने विरूद्ध परिवाद निरस्त किए जाने का निवेदन किया ।
4. अनावेदक क्रमांक 2 पृथक जवाब पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किया कि आवेदक सही तथ्यों को छुपाते हुए परिवाद पेश किया है, जबकि घटना दिनांक आवेदक के प्रश्नाधीन वाहन के संबंध में कोई बीमा हित नहीं था, उसने उक्त वाहन को अनावेदक क्रमांक 1 को बिक्री कर दिया था। साथ ही यह भी कहा गया है कि आवेदक द्वारा उन्हें घटना की सूचना 27 दिन बाद काफी विलंब से दी गई, उक्त आधार पर उसने आवेदक के परिवाद को निरस्त किए जाने का निवेदन किया ।
5. अनावेदक क्रमांक 3 जवाब पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किया कि परिवाद मुख्य रूप से आवेदक एवं बीमा कंपनी के मध्य है, जिसमें उसकी कोई जवाबदारी नहीं । आवेदक द्वारा उसे औपचारिक रूप से पक्षकार बनाया गया है, उक्त आधार पर उसने अपने विरूद्ध परिवाद निरस्त किए जाने का निवेदन किया ।
6. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
7. देखना यह है कि क्या आवेदक, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्त करने के अधिकारी है \
सकारण निष्कर्ष
8. इस संबंध में कोई विवाद नहीं कि प्रश्नाधीन वाहन दिनांक 13.03.2013 से 12.03.2014 तक अनावेदक क्रमांक 2 के यहॉं बीमित था । उक्त अवधि के दरम्यान दिनांक 27.03.2013 को उक्त वाहन के ग्राम जरौंधा के पास अचानक लगी आग से जल जाने का तथ्य भी मामले में विवादित नहीं है ।
9. आवेदक ने यह परिवाद मुख्य रूप से प्रश्नाधीन वाहन के स्वामी होने के नाते पेश किया है और यह अभिकथित किया है कि अनावेदक बीमा कंपनी विधिवत सूचना देने के बाद भी उसे क्लेम राशि 1,15,549/-रू. का भुगतान नहीं किया और उसे इस आधार पर निरस्त कर दिया कि घटना दिनांक प्रश्नाधीन वाहन के संबंध में उसका कोई बीमा हित नहीं था, जो कि सेवा में कमी की श्रेणी के अंतर्गत आता है, जिसके कारण ही उसने यह परिवाद पेश करना बताया है ।
10. इसके विपरीत अनावेदक बीमा कंपनी का कथन है कि आवेदक द्वारा उन्हें घटना की सूचना काफी विलंब से 27 दिन बाद दी गई । साथ ही कहा गया है कि आवेदक द्वारा घटना के पूर्व ही प्रश्नाधीन वाहन अनावेदक क्रमांक 1 को बिक्री किया जा चुका था और इस तथ्य की उन्हें कोई सूचना नहीं दी गई थी और इस प्रकार घटना दिनांक प्रश्नाधीन वाहन के संबंध में आवेदक का बीमा हित समाप्त हो चुका था, जिसके कारण ही उनके द्वारा आवेदक का बीमा दावा निरस्त किया गया और सेवा में कोई कमी नहीं की गई।
11. अनावेदक बीमा कंपनी अपने कथन के समर्थन में प्रश्नाधीन वाहन की आर.सी.बुक की कॉपी प्रकरण में पेश किया है, जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि आवेदक द्वारा प्रश्नाधीन वाहन घटना के पूर्व ही अनावेदक क्रमांक 1 को बिक्री किया जा चुका था, जिसके कारण प्रश्नाधीन वाहन के आर.सी. बुक में दिनांक 26.07.2012 को वाहन के स्वामी के रूप में अनावेदक क्रमांक 1 का नाम दर्ज किया जा चुका था, जबकि प्रश्नगत मामले में घटना उक्त अवधि के उपरांत दिनांक 27.03.2013 की है । इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि घटना दिनांक को आवेदक प्रश्नाधीन वाहन का स्वामी नहीं रह गया था, बल्कि घटना दिनांक को प्रश्नाधीन वाहन का असली स्वामी अनावेदक क्रमांक 1 था, किंतु उसके द्वारा यह परिवाद पेश करने के बजाए आवेदक द्वारा वाहन स्वामी के रूप में यह परिवाद पेश किया गया है, जो कि चलने योग्य नहीं है ।
12. इस संबंध में कोई विवाद नहीं किया जा सकता कि बीमा पॉलिसी एक संविदा होती है, जो वाहन के संबंध में उसके स्वामी व बीमा कंपनी के बीच निष्पादित किया जाता है । वाहन स्वामी का वाहन पर बीमा हित तब तक बना रहता है, जब तक वह उसे अंतरित न कर दे, जबकि प्रश्नगत मामला घटना दिनांक को अंतरित किए जा चुके वाहन के संबंध में है, तथा वाहन अंतरण की विधिवत सूचना भी अनावेदक बीमा कंपनी को नहीं दी गई थी । ऐसी स्थिति में वाहन अंतरण उपरांत बीमा पॉलिसी में पूर्व स्वामी का नाम अंकित होने मात्र से उसे परिवाद पेश करने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं हो जाता ।
13. उपरोक्त कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि आवेदक द्वारा यह परिवाद सही तथ्यों को छिपाते हुए स्वच्छ हाथों पेश नहीं किया गया है, जबकि अभिलेख पर उपलब्ध सामाग्री से यह स्पष्ट होता है कि घटना दिनांक आवेदक का प्रश्नाधीन वाहन पर कोई बीमाहित शेष नहीं रह गया था, ऐसी स्थिति में उसका परिवाद प्रचलन योग्य नहीं पाया जाता, फलत: निरस्त किया जाता है ।
14. उभय पक्ष अपना-अपना वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे ।
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य