Uttar Pradesh

StateCommission

A/763/2019

Ramvir - Complainant(s)

Versus

Shri Roshan Lal Ice & Cold Storage pvt. Ltd. - Opp.Party(s)

Naveen Kumar Tiwari

21 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/763/2019
( Date of Filing : 14 Jun 2019 )
(Arisen out of Order Dated 08/05/2019 in Case No. cc/259/2011 of District Agra-II)
 
1. Ramvir
Dhaulpur
Dhaulpur
Rajasthan
...........Appellant(s)
Versus
1. Shri Roshan Lal Ice & Cold Storage pvt. Ltd.
Agra
Agra
UP
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Sep 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-763/2019

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्वितीय, आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या 259/2011 में पारित आदेश दिनांक 08.05.2019 के विरूद्ध)

श्री रामवीर, पुत्र श्री रामेश्‍वर, निवासी- भागीरथपुर, पुलिस स्‍टेशन- सलेमपुर, तहसील व जिला-धौलपुर (राजस्‍थान)

........................अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

श्री रोशन लाल आइस एण्‍ड कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0, सैंया रोड, महुआ खेड़ा, तहसील-खेरागढ़, जिला-आगरा द्वारा प्रोपराइटर

                                      ...................प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री नवीन कुमार तिवारी, 

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर0के0 मिश्रा, 

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 21.09.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री नवीन कुमार तिवारी को सुना। प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता               श्री आर0के0 मिश्रा को सुना।

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्वितीय, आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-259/2011 श्री रामवीर बनाम श्री रोशन लाल आइस एण्‍ड कोल्‍ड स्‍टोरेज प्रा0लि0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.05.2019 के विरूद्ध योजित की गयी है।

प्रश्‍नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपरोक्‍त परिवाद निरस्‍त किया है।

संक्षेप  में  वाद  के  तथ्‍य  इस  प्रकार  हैं  कि  परिवादी   द्वारा                  

 

 

 

 

 

-2-

दिनांक 09.03.2011 को 121 पैकेट आलू व दिनांक 10.03.2011 को 112 पैकेट आलू विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखे गये, जिसमें एक पैकेट का वजन  50 से 55 किलोग्राम था। विपक्षी द्वारा परिवादी को उक्‍त 233 पैकेट आलू के जमा की स्लिप दी गयी।  

परिवादी का कथन है कि परिवादी जब दिनांक 05.09.2011 को अपने उक्‍त आलू निकालने विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज गया तब वहॉं मौजूद मुनीम ने कहा कि शीतगृह में परिवादी का आलू सड़ चुका है तथा परिवादी द्वारा सड़ा हुआ आलू लेने से इन्‍कार कर दिया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी से आलू के सड़ने से हुए नुकसान के लिए 70,000/-रू0 की मांग की, जिसे विपक्षी द्वारा देने से इन्‍कार कर दिया गया। परिवादी द्वारा इस‍की शिकायत लिखित रूप से जिला उद्यान अधिकारी, आगरा को  दिनांक 11.10.2011 को की गयी, परन्‍तु विपक्षी के विरूद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादी द्वारा एक लिखित नोटिस अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विपक्षी को दिनांक 12.10.2011 को क्षतिपूर्ति मांग हेतु भिजवाया, परन्‍तु विपक्षी द्वारा क्षतिपूर्ति अदा नहीं की गयी तथा न ही कोई जवाब दिया गया। अत: क्षुब्‍ध परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया तथा कथन किया गया कि परिवादी द्वारा विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में कुल 233 पैकेट आलू रखे गये थे। परिवादी उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है तथा परिवाद को सुनने का क्षेत्र‍ाधिकार फोरम को नहीं है।  

विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा विपक्षी को ब्‍लैकमेल कर धन प्राप्‍त करने के इरादे से परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। परिवादी द्वारा विपक्षी से आलू भण्‍डारण के समय मु0 5000/-रू0 नकद कर्जा/ऋण प्राप्‍त किया गया तथा मय 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के वापस करने का वचन दिया गया, जो कि‍ वापस नहीं किया गया। परिवादी द्वारा जानबूझकर भीगा तथा धूप खाया हुआ आलू विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखा गया तथा

 

 

-3-

विपक्षी को जब यह जानकारी हुई कि परिवादी का आलू सड़ रहा है तब विपक्षी द्वारा परिवादी के पड़ोसी श्री निवास पुत्र रामगोपाल को फोन पर सूचना दी गयी, परन्‍तु परिवादी द्वारा आलू निकालने की कोई पहल नहीं की गयी। परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य को सुनने के उपरान्‍त तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग के निर्णय एवं आदेश का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्‍त मेरे विचार से विपक्षी द्वारा परिवादी को उसके द्वारा जमा आलू के 233 पैकेट खराब होने की सूचना पर्याप्‍त रूप से नहीं दी गयी क्‍योंकि विपक्षी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रतिवाद पत्र में कथन किया गया कि उक्‍त आलू खराब होने की सूचना परिवादी के पड़ोसी श्री निवास पुत्र रामगोपाल को फोन पर दी गयी, प‍रन्‍तु विपक्षी की ओर से ऐसा कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया कि उक्‍त आलू खराब होने की सूचना परिवादी को दी गयी।

मेरे विचार से परिवादी को विपक्षी से 233 पैकेट आलू का मूल्‍य 200/-रू0 प्रति पैकेट के हिसाब से कुल 46,600/-रू0 दिलाया जाना उचित है। साथ ही परिवादी को विपक्षी से मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट हेतु 2000/-रू0 एवं वाद व्‍यय हेतु 1000/-रू0 भी दिलाया जाना उचित है। तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार किये जाने तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश अपास्‍त किये जाने योग्‍य है।

आदेश

     प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.05.2019 अपास्‍त करते हुए प्रत्‍यर्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज को आदेशित किया जाता है कि वह अपीलार्थी/परिवादी को 233 पैकेट आलू का मूल्‍य 200/-रू0 प्रति पैकेट के हिसाब से कुल 46,600/-रू0 (छियालिस हजार छ: सौ रूपया मात्र) इस निर्णय की तिथि से 02 माह के अन्‍दर अदा करे। साथ ही प्रत्‍यर्थी/विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज द्वारा अपीलार्थी/परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट हेतु 2000/-रू0 (दो हजार रूपया मात्र) एवं वाद व्‍यय हेतु 1000/-रू0 (एक हजार रूपया मात्र) इस निर्णय की तिथि से 02 माह के अन्‍दर अदा  किया

 

 

-4-

जावे।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

                           (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)           

                         अध्‍यक्ष             

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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