Chhattisgarh

Bilaspur

CC/11/191

SMT. NALINI CHANTI - Complainant(s)

Versus

SHRI RATNESH JAISAWAL - Opp.Party(s)

SHRI SHATRUHAN VISVKARMA

12 Mar 2015

ORDER

District Consumer Dispute Redressal Forum
Bilaspur (C.G.)
Judgement
 
Complaint Case No. CC/11/191
 
1. SMT. NALINI CHANTI
VYAPAR VIHAR BILASPUR
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA MEMBER
 
For the Complainant:
SHRI SHATRUHAN VISVKARMA
 
For the Opp. Party:
NA 1 SHRI J.P. SHARMA
NA 2 AND 3 SHRI RATNESH AGRAWAL
NA 4 ABSENT
 
ORDER

/जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर (छ0ग0)/

                                                                                         प्रकरण क्रमांक:- सी.सी./2011/191
                                                                                          प्रस्तुति दिनांक:-    02/11/2011

श्रीमती नलिनी जे. चाटी पति जे.चाटी
उम्र 68 साल, निवासिनी श्रीराम टावर
व्यापार विहार बिलासपुर, 
तह. व जिला बिलासपुर छ.ग.                                            ............आवेदिका/परिवादी

                 (विरूद्ध)

1. रत्नेश जायसवाल उम्र 44 वर्ष,
पिता रमेश जायसवाल,
निवासी असमा मार्केटिंग मंुगेली रोड बिलासपुर,
एवं परिजात एक्सटेंशन नेहरू नगर बिलासपुर, 
तह. व जिला बिलासपुर छ.ग.  

2. रामकेडिया पिता पुरूषोत्तम दास केडिया उम्र 42 वर्ष 
निवासी ऋषि कंुज, 27 खोली बिलासपुर 
तह. व जिला बिलासपुर छ.ग

3. कैलाश खुशलानी पिता जीवन लाल खुशलानी 
उम्र 40 वर्ष, निवासी जबड़ापारा बिलासपुर
तह. व जिला बिलासपुर छ.ग.

4. गजानंद स्टेट, पारिजात कालोनी के पास अमेरी रोड 
बिलासपुर तह. व जिला बिलासपुर छ.ग.
द्वारा अनावेदकगण                                                 ..........अनावेदकगण/विरोधी पक्षकारगण
  

                      ///आदेश///
     (आज दिनांक 12/03/2015 को पारित)

     1. आवेदिका श्रीमती नलिनी जे. चाटी ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदकगण के विरूद्ध कदाचरण का व्यवसाय कर सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदकगण से अनुबंधित फ्लेट की अग्रिम राशि 4,95,000/-रू. को ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है।                                                                                                                                                                                                                                                                                                       
    2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि अनावेदकगण गजानन स्टेट फर्म के नाम से बिल्डिंग बनाने का काम करते हैं, उनके द्वारा फर्म की ओर से नेहरूनगर में फ्लैट बनाने की योजना बताकर आवेदिका से थर्ड फ्लोर में 1100 वर्गफीट पर निर्मित बी0ब्लाॅक का फ्लैट 11,00,000/.रु0 में विक्रय करने का सौदा किये, जिसके एवज में आवेदिका उन्हें दिनांक 12.02.2007 को 2,20,000/.रु0 एवं दिनांक 19.03.2007 को 2,75,000/.रु0 इस प्रकार कुल 4,95,000/.रु0 प्रदान की, किंतु राशि प्राप्त करने के उपरांत अनावेदकगण द्वारा फ्लैट का निर्माण नहीं कराया गया तथा संपर्क करने पर केवल आश्वासन दिया जाता रहा कि उनके भागीदारों के मध्य कुछ विवाद हो गया है, जिसके सुलझते ही भवन निर्माण कर आवेदिका को प्रदान किया जावेगा और इस प्रकार उसे केवल आश्वासन के आधार पर चार वर्ष तक घुमाते रहे, अंत में जब आवेदिका को प्रतीत हुआ कि अनावेदकगण द्वारा उसे भवन प्रदान किया जाना संदेहपूर्ण है, उसने दिनांक 04.08.2011 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से सूचनापत्र प्रेषित किया, जिसका भी जवाब अनावेदकगण की ओर से नहीं दिया गया। अतः उसने अनावेदकगण के इस कदाचरणयुक्त व्यवसाय के लिए सेवा में कमी के आधार पर यह परिवाद पेश कर अनावेदकगण से वांछित अनुतोष दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
    3. अनावेदक क्रमांक 1 जवाब पेश कर गजानन स्टेट फर्म का भागीदार होना तो स्वीकार किया, साथ ही आवेदिका के परिवाद को समयावधि बाह्य होना प्रकट करते हुए यह भी स्वीकार किया कि आवेदिका द्वारा फ्लैट बुकिंग की राशि गजानन स्टेट फर्म को भुगतान की गई । आगे उसने फर्म में केवल 10 प्रतिशत की भागीदारी के आधार पर सेवा में कमी पाए जाने पर उसी के अनुसार भुगतान का उत्तरदायी होना प्रकट किया ।
    4. अनावेदक क्रमांक 2 व 3 संयुक्त जवाबदावा पेश कर यह तो स्वीकार किये कि गजानन स्टेट फर्म बिल्डिंग बनाने का काम करता है, किंतु इस बात से इंकार किये कि आवेदिका द्वारा फर्म को कोई राशि फ्लैट बुकिंग के एवज में प्रदान की गई थी। आगे उन्होंने भी अनावेदक क्रमांक 1 की भाॅति आवेदिका के परिवाद को समयावधि बाह्य होना प्रकट किये, साथ ही कथन किये कि यदि आवेदिका द्वारा कोई राशि अनावेदक क्रमांक 1 को प्रदान की गई हो तो उसके लिए केवल अनावेदक क्रमांक 1 जवाबदार है। उक्त आधार पर उन्होंने आवेदिका को अपने विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होना अभिकथित करते हुए परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किये।
    5. उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया।
     6 देखना यह है कि क्या आवेदिका, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी है ?
                            सकारण निष्कर्ष
    7. प्रश्नगत मामले में अनावेदकगण इस बात से इंकार नहीं किये है कि वे बिल्डिंग बनाने वाले गजानन स्टेट फर्म के भागीदार नहीं है । आवेदिका द्वारा प्रकरण में पेश ’’डीड आॅफ पार्टनरशिप’’ के अवलोकन से भी स्पष्ट होता है अनावेदक क्रमांक 1 से 3, अनावेदक क्रमांक 4 गजानन स्टेट फर्म के भागीदार है ।
    8. आवेदिका का कथन है कि अनावेदकगण नेहरूनगर में अपने फर्म द्वारा निर्मित फ्लैट की योजना बताकर उससे थर्ड फ्लोर में बी0टाइप का मकान 11,00,000/.रु0 में विक्रय करने का सौदा किये, जिसके परिपेक्ष्य में उसने दिनांक 12.02.2007 को 2,20,000/.रु0 एवं दिनांक 19.03.2007 को 2,75,000/.रु0 अनावेदकगण को प्रदान की । आवेदिका अपने इस कथन के समर्थन में गजानन स्टेट फर्म की ओर से दी गई रसीद की काॅपी भी संलग्न की है जिससे भी आवेदिका के इस कथन की पुष्टि होती है कि उसने अनावेदकगण को फ्लैट बुकिंग की अग्रिम राशि 4,95,000/.रु0 को दो किश्तों में अदा की थी, जिस तथ्य को अनावेदक क्रमांक 1 भी अपने जवाब में इंकार नहीं किया है । इस प्रकार यह तथ्य स्पष्ट होता है कि आवेदिका फ्लैट बुकिंग के रूप में अनावेदकगण को 4,95,000/.रु0 की राशि अदा की थी।
     9. अनावेदकगण का ऐसा कथन नहीं है कि उन्होंने अनुबंधित फ्लैट का निर्माण कराया, किंतु शेष रकम का भुगतान नहीं होने की स्थिति में उसका आधिपत्य आवेदिका को प्रदान नहीं किया जा सका,बल्कि उनके कथन से ही यह प्रकट होता है कि उनके द्वारा अनुबंधित फ्लैट का निर्माण कराया ही नहीं गया है, जबकि इस संबंध में उनके द्वारा आवेदिका से फ्लैट बुकिंग के रूप में 4,95,000/.रु0 की राशि प्राप्त कर लिया गया है । 
    10. अनावेदक क्रमांक 1 से 3 आवेदिका द्वारा भुगतान की गई राशि की अदायगी से बचने के लिए इस बात से इंकार किये है कि आवेदिका द्वारा उन्हें कोई राशि भुगतान की गई । जबकि अनावेदक क्रमांक 1 के अनुसार, आवेदिका द्वारा राशि का भुगतान गजानन स्टेट फर्म को किया गया, जो कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि एक फर्म है, जिसका कि शेष अनावेदकगण भागीदार है। फलस्वरूप भागीदार होने के नाते आवेदिका उनसे गजानन स्टेट फर्म को जमा की गई राशि वापस प्राप्त करने की अधिकारिणी है ।
    11. जहां तक अनावेदकगण की ओर से उठाई गई इस आपत्ति का संबंध है कि आवेदिका का परिवाद समयावधि बाह्य होने से पोषणीय नहीं है, इस संबंध में यहां पर यह उल्लेखित किया जाना उचित प्रतीत होता है कि आवेदिका अपने परिवाद में यह स्पष्ट कथन किया है कि उसके द्वारा फ्लैट बुकिंग की राशि अदा करने उपरांत बार-बार संपर्क करने पर उसे अनावेदकगण केवल यह आश्वासन दिया जाता रहा कि उनके भागीदारों के मध्य कुछ विवाद है, जिसके सुलझते ही फ्लैट निर्माण कर उसे प्रदान कर दिया जावेगा । जिस तथ्य को अनावेदक क्रमांक 1 भी अपने जवाब में इंकार नहीं किया है ऐसी स्थिति में आवेदिका द्वारा दिनांक 04.08.2011 को अपने अधिवक्ता जरिये नोटिस भेज कर दिनांक 02.11.2011 को यह परिवाद पेश किया जाना समयावधि बाह्य नहीं माना जा सकता।
    12. उपरोक्त विवेचन के प्रकाश में हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि आवेदिका अनावेदकगण द्वारा सेवा में कमी का मामला स्थापित करने में सफल रही । अतः हम आवेदिका के पक्ष में अनावेदकगण के विरूद्ध निम्न आदेश पारित करते हैं :-
अ. अनावेदकगण, संयुक्त एवं पृथक-पृथक आवेदिका को आदेश दिनांक से एक माह के भीतर 4,95,000/-रू. (चार लाख पन्चान्वे हजार रूपये)  की राशि अदा करेंगे तथा उस पर आवेदन दिनांक 02.11.2011 से ताअदायगी 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज भी अदा करेंगे।    
ब. अनावेदकगण, आवेदिका को क्षतिपूर्ति के रूप में 1,00,000/.रु0 (एक लाख रूपये) की राशि भी अदा करेंगे। 
स. अनावेदकगण, आवेदिका को वादव्यय के रूप में 3,000/.रु0 (तीन हजार रूपये) की राशि भी अदा करेगा। 
आदेश पारित 


(अशोक कुमार पाठक)                         (प्रमोद वर्मा)           
     अध्यक्ष                              सदस्य                   

 

 

    

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR PATHAK]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR VARMA]
MEMBER

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