JAKI AANVAR KHA filed a consumer case on 05 Aug 2013 against SHRI RAMDEV BABA AND PADMAWATI DEVELOPERS SEONI in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/37/2013 and the judgment uploaded on 26 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमां- 372013 प्रस्तुति दिनांक-12.04.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
जकी अनवर खान, आत्मज स्वर्गीय एच.डी.
खान, आयु लगभग 49 वर्श, निवासी-संजय
वार्ड, सिवनी, जिला सिवनी (म0प्र0)।.....................आवेदक परिवादी।
:-विरूद्ध-:
श्री रामदेव बाबा एण्ड पदमावती, डेव्हलपर्स
सिवनी द्वारा-श्री पंकज मालू, आत्मज
स्वर्गीय पूरनचंद मालू, निवासी-बारापत्थर
सिवनी (म0प्र0)।...................................................अनावेदक विपक्षी।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 05/08/2013 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक द्वारा, बीमित कटंगी रोड, सिवनी में विकसित की जा रही कालोनी ड्रीम लैंड सिटी में प्लाट नंबर-ए-29 व ए-30 मार्च- 2008 में बुक कराये जाने के आधार पर, विज्ञापन में दिये अनुसार कालोनी में आवष्यक व मूलभूत सुविधायें विकसित न किये जाने के फलस्वरूप, परिवादी को हो रही असुविधा व हानि बाबद हर्जाना दिलाने तथा उक्त मूलभूत सुविधायें निर्मित करने के निर्देष देने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) यह स्वीकृत तथ्य है कि-अनावेदक श्री रामदेव बाबा एण्ड पदमावती डेव्हलपर्स के द्वारा, कटंगी रोड, सिवनी में ड्रीम लैंड सिटी के नाम से कालोनी विकसित की जा रही है। यह भी विवादित नहीं है कि- परिवादी के द्वारा, उक्त कालोनी में दो प्लाट क्रमष: ए-29 एवं ए-30 बुक कराये गये थे और यह भी स्पश्टत: विवादित नहीं कि-कालोनी में डामरीकृत सड़कें बनाये जाने, प्लाट धारियों के लिए विधुत व पानी की लार्इन, कालोनी में इलेकिट्रक पोल्स, आदि कार्यवाही पूर्ण नहीं की गर्इं हैं।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- अनावेदक द्वारा, उक्त कालोनी के भूखण्डों का विक्रय करने के पूर्व एक व्हाउषर भी प्रकाषित किया गया था, जिसमें अनावेदक ने कालोनी में दी जा रही विभिन्न सुविधाओं का उल्लेख किया था और जिसमें मुख्य रूप में डामरीकृत सड़कें, समस्त प्लाट धारकों को 24 घण्टे भरपूर पानी की सुविधा, इलेकिट्रक पोल्स, पानी निकासी के लिए सीमेंट, कांक्रीट की मजबूत नालियां, उधान, लान व्हालीबाल व बास्केटवाल के प्लेग्राउंड, जिम सेक्षन, षाला, स्वीनिंग पुल आदि के निर्माण की सुविधाओं का वचन दिया गया था, लेकिन उक्त सुविधायें ड्रीमलैंड सिटी में उपलब्ध नहीं करार्इ गइर्ं हैं और उक्त लुभावनी घोशणाओं से प्रभावित होकर और कालोनी में दी जा रही सुविधाओं को दृशिटगत रखते हुये, परिवादी ने उक्त कालोनी में प्लाट नंबर-ए-29 और ए-30 बुक कराये थे और इस हेतु दिनांक-11.03.2008 को एक अनुबंध भी निश्पादित कराया था, जो कि-परिवादी भी अपनी आवष्यकता अनुसार उक्त प्रस्तावित ड्रीम लैंड सिटी में अपने बंगले का निर्माण करने का इच्छुक है, परन्तु कालोनी में उक्त सुविधायें उपलब्ध न होने से परिवादी व अन्य उपभोक्ता, कालोनी में भवन निर्माण नहीं करा पा रहे हैं और कालोनी के समीप से ही प्राकृतिक जलस्त्रोत के रूप में बहने वाले मोतीनाला में कालोनी की सीवर लार्इन उक्त प्राकृतिक जलस्त्रोत में लाकर मिला दी है, जिसके लिए कोर्इ ट्रीटमेन्ट प्लांट नहीं लगाया है, जो कि-परिवादी द्वारा दिनांक-30.06.2012 और 14.08.2012 को अनावेदक को नोटिस प्रेशित किये गये, पर उनका कोर्इ उत्तर अनावेदक द्वारा नहीं दिया गया, जो कि-अनावेदक, परिवादी से उक्त भूखण्ड विक्रय करने बाबद लगभग ढ़ार्इ लाख रूपये एडवांस के रूप में प्राप्त कर चुका है, अन्य उपभोक्ताओं से भी राषि प्राप्त कर चुका है, फिर भी अन्य सुविधायें उपलब्ध नहीं करार्इ गर्इं हैं, जिससे कालोनी में भवन निर्माण संभव नहीं हो पा रहा है।
(3) अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-बुकिंग की षर्तों के अनुसार, परिवादी को प्लाट नंबर-ए-29 के लिए प्रत्येक माह की 20 तारिख को 4,208-रूपये की मासिक किष्त 30 माह तक जमा करना था और इसी तरह प्लाट नंबर-ए-30 के लिए परिवादी को प्रतिमाह 6,733-रूपये की मासिक किष्त जमा करना था, जो कि-परिवादी द्वारा प्लाट नंबर-ए-29 की एक भी किष्त जमा न किये जाने पर, षर्तों के अनुसार बुकिंग स्वत: निरस्त हो गर्इ और परिवादी का प्लाट नंबर-ए-29 पर कोर्इ दावा षेश नहीं रहा है। इसी तरह प्लाट नंबर-ए-30 की परिवादी द्वारा दिनांक-21.03.2009 तक कुल छै किष्तें अदा की गर्इं, जो कि-इकरारनामें में लिखित षर्तों के अनुसार, उक्त इकरारनामा निरस्त हो गया था, लेकिन परिवादी के निवेदन को स्वीकार कर दिनांक-28.02.2013 को उक्त प्लाट नंबर-ए-30 के बाबद परिवादी द्वारा जमा किये गये 15,000-रूपये स्वीकार कर लिये गये, जिससे ऐसा लगता है कि-परिवादी ने उक्त 15,000-रूपये मात्र इसलिए जमा किये, ताकि अनुचित रूप से अनावेदक को तंग कर सके और उक्त दिनांक के बाद से परिवादी द्वारा, अब-तक अन्य कोर्इ किष्त अदा नहीं की गर्इ है, अनावेदक द्वारा विधिवत विकास अनुमति, अनुविभागीय अधिकारी, सिवनी से प्राप्त कर, कालोनी का विकास किया जा रहा है, जिसमें अनावेदक को विकास हेतु दिनांक-18.10.2015 तक का समय दिया गया है, जो कि-नियमानुसार कालोनी की षर्तों का पूर्णत: पालन किया जा रहा है। परिवाद झूठे आधारों पर तंग व परेषान करने के लिए पेष किया गया है, जो समय पूर्व होकर सुनवार्इ योग्य नहीं है और स्वयं परिवादी ने बुकिंग व इकरारनामा की षर्तों का उल्लघंन किया है, इसलिए उसका पेष परिवाद निरस्त योग्य है।
(4) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह है कि:-
(अ) क्या परिवाद में बताये अनुतोश बाबद, परिवादी
उपभोक्ता व अनावेदक सेवाप्रदाता होने से
परिवाद संधारणीय है?
(ब) क्या अनावेदक ने उक्त कालोनी में विकास की
मूलभूत सुविधाओं की अधोसंरचना निर्मित करने
में अनुचित विलम्ब कर, परिवादी के प्रति-सेवा
में कमी किया है?
(ब) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(5) प्रदर्ष सी-9 के कालोनी विकास हेतु अनावेदक फर्म की ओर से अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व को पेष किये गये आवेदन दिनांक-20.08.2007 की प्रति में पंकज मालू उक्त फर्म का कार्यकारी पार्टनर होना और उक्त फर्म पारिवारिक निजी फर्म होना दर्षाया गया है, जो कि-उक्त आवेदन पंकज मालू द्वारा ही फर्म की ओर से प्रस्तुत किया जाना दर्षित है। और प्रदर्ष सी-11 का सहायक संचालन नगर तथा ग्राम निवेष जिला कार्यालय, छिंदवाड़ा का विकास नियोजन अनुज्ञा दिनांक-16.07.2007 ने भी अनावेदक फर्म की ओर से पंकज मालू पार्टनर को ही, उक्त कार्यवाही बाबद संबोधन रहा है तथा प्रदर्ष सी-12 का जो खरीददार तारा पटले के नाम विक्रय-पत्र की प्रति दिनांक-1 अक्टूबर-2010 की जो पेष हुर्इ है, उसमें बेचने वाले का नाम गणेष चांडक और सहमतिदाता अनावेदक फर्म की तरफ से पंकज मालू और खरीददार तारा पटले होना दर्षार्इ गर्इ है, उक्त विक्रय-पत्र के भाग के रूप में जो भू अधिकार पुसितका की प्रति संलग्न है, उसमें गणेष चांडक को खसरा नंबर-2002 और 2103 का भूस्वामी दर्षाया गया है और भू अधिकार पुसितका में जो भूमि हस्तान्तरण का विवरण दर्ज है, उससे अन्य व्यकितयों आभा जैन, षहीद पाठक, वहीद अहमद व अनवास खान, अंजना साहू, बलकरण, सुधा साहू, रानी श्रीवास्तव आदि की भी वर्श-2008 में अलग-अलग प्लाट का विक्रय किया जाना उल्लेख है। और विक्रय-पत्र के साथ जो षपथ-पत्र आदि हैं, वे पंकज मालू के हैं, जिनमें उसके नाम हस्तान्तरण बाबद मुख्तयारआम होने और मुख्तयारआम की हैसियत से पंकज मालू के द्वारा ही उक्त विक्रय-पत्र निश्पादित, हस्ताक्षरित किया जाना दर्षित है।
(6) जो कि-अनावेदक-पक्ष की ओर से अनुविभागीय अधिकारी, सिवनी ग्रामीण के विकास अनुमति आदेष दिनांक-18.10.2012 की जो प्रति प्रदर्ष आर-1 पेष की गर्इ है, उक्त आदेष में यह वर्णित है कि-फर्म मेसर्स रामदेव बाबा एण्ड पदमावती डेव्हलपर्स कालोनार्इजर रजिस्ट्रीकरण क्रमांक- 12007 में कार्यकारी भागीदार पंकज मालू है और अन्य भागीदार विजय बोरूंदिया, ज्योति बोरूंदिया निवासी-यवतमाल, गणेष बी चांडक निवासी- वर्धा, गोपाल चांडक निवासी-आर्वी (महाराश्ट्र) है और उन भागीदारों की ही फर्म के द्वारा विकास अनुमति विविध राजस्व प्रकरण क्रमांक-24बी 121 सन-2007-2008 के प्रकरण में प्राप्त की गर्इ है और परिवादी की ओर से जो प्रदर्ष सी-9 का कालोनी विकास हेतु अनावेदक के आवेदन की प्रति पेष हुर्इ है, वह उक्त प्रकरण में पेष आवेदन की ही प्रति है।
(7) तो उक्त अभिलेख से सिथति यह दर्षित है कि-वास्तव में अलग-अलग भूमियों के अलग-अलग स्वामियों को फर्म पार्टनर बनाकर उनकी भूमियों में कालोनी विकसित किये जाने की कार्यवाही फर्म के द्वारा की जा रही है और पंकज मालू उक्त अनावेदक फर्म का कार्यकारी पार्टनर है जिसके द्वारा ही उक्त फर्म के भागीदार भूस्वामियों से मुख्तयारआम प्राप्त कर कालोनी में प्लाट व मकान बुक करने वाले व्यकितयों से इकरारनामा कर, फिर उन्हें प्लाट आदि विक्रय किये जा रहे हैं। प्रदर्ष सी-14 का व्हाउषर जो उक्त ड्रीम लैंड सिटी के संबंध में अनावेदक फर्म द्वारा कालोनी में दी जा रही सुविधायें व अन्य विषिश्ट सुविधायें ड्रीम लैंड सिटी कालोनी में कालोनी वासियों को दी जायेंगी उनका उल्लेख है और अन्य भी प्रदर्ष आर-1 की विकास अनुमति आदेष में और प्रदर्ष सी-11 के सहायक, संचालक नगर व ग्राम निवेष की विकास नियोजन अनुज्ञा में षर्तें रहीं हैं, उसमें अभिन्यास को अनुमोदित किये जाने बाबद षर्तें व निर्देष अनिवार्य नियमों के पालन बाबद अभिन्यास के अनुसार ही किये जाने के स्पश्ट उल्लेख हैं, जो कि-प्लाट नंबर-ए-30 के संबंध में परिवादी व अनावेदक का इकरारनामा की प्रति प्रदर्ष सी-3 में षर्त क्रमांक-6 में भी यह अनावेदक-पक्ष से स्पश्ट उल्लेख है कि-वह प्लाट बेचने वाला सड़क, नाली, लार्इट, पानी की व्यवस्था बगीचा, मंदिर आदि मूलभूत सुविधायें विकसित करके देगा, पर इस संबंध में जो उक्त बाबद खरीददार का कोर्इ हस्तक्षेप का अधिकार न होने बाबद एकतरफा षर्त लेख की गर्इ है वह अवैध है।
(8) तब बहुत ही स्पश्ट है कि-अनावेदक कालोनी में मूलभूत सुविधाओं और व्हाउषर में दर्षार्इ गर्इ सुविधाओं के अधोसंरचना विकास का समय पर कार्य, प्लाट विक्रय करने के पूर्व करने हेतु बादध्य रहा है और इसलिए प्लाट विक्रय का जिन लोगों से करार किया गया है और उक्त बाबद करार के अनुसार जिनसे किष्तों में राषियां प्राप्त की जा रहीं हैं वे सब व्यकित उपभोक्ता की श्रेणी में हैं और अनावेदक उनका उक्त सुविधायें विकसित कर देने बाबद सेवाप्रदाता है।
(9) जो कि-प्रदर्ष सी-1ए से सी-1जी तक की रसीदें प्लाट क्रमांक-ए-30 के संबंध में किष्तें अदा करने बाबद हैं तथा प्रदर्ष सी-3 के इकरारनामा से स्पश्ट है कि-उक्त किष्तों के अलावा, 60,000-रूपये बुकिंग राषि व 73,000-रूपये इकरारनामा के समय परिवादी द्वारा, उक्त प्लाट के संबंध में अदा किये गये। इस तरह लगभग डेढ़ लाख रूपये के करीब, उक्त प्लाट के संबंध में परिवादी बुकिंग राषि इकरारनामा के समय जमा राषि व अन्य किष्तों के रूप में अदा कर चुका है, उक्त प्लाट का कुल मूल 3,52,500-रूपये 2500 स्क्वेयर फिट के लिये तय होना इकरारनामा से दर्षित है। ऐसे में जबकि-उक्त कथित मूलभूत सुविधाओं कालोनी की आंतरिक सड़क, नालियों, विधुत लार्इन, जलप्रदाय व्यवस्था आदि ही कालोनी में विकसित नहीं की गर्इं और व्हाउषर में दर्षार्इ अन्य सुविधायें कथित इकरारनामा निश्पादित हुये पांच वर्श बाद भी विकसित नहीं की गर्इं हैं, तो इकरारनामा निश्पादन के बाद कुछ किष्तें जमा न किये जाने के आधार पर, परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी से बाहर नहीं हो जाता। जबकि-परिवाद पेष होने के लगभग सवा माह पूर्व ही अनावेदक ने, परिवादी की ओर से अदा की गर्इ 15,000-रूपये किष्त दिनांक-28.02.2013 को स्वीकार कर, प्रदर्ष सी-1ए की रसीद भी जारी किया है, तो प्रस्तावित प्लाट क्रमांक-ए-30 का करारधारी होने से परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में है।
(10) लेकिन जहां तक प्लाट नंबर-ए-29 का प्रष्न है, तो उसके संबंध में मात्र बुकिंग राषि 7,000-रूपये प्रदर्ष सी-2 की रसीद के द्वारा परिवादी ने दिनांक-24.02.2008 को जमा किया था, लेकिन उसमें जो इकरारनामा हेतु दिनांक-05.03.2008 लेख किया गया था, उसके अनुसार बाद में कोर्इ इकरारनामा परिवादी ने निश्पादित किया हो, ऐसा कोर्इ प्रमाण पेष नहीं, तो प्लाट नंबर-ए-29 के संबंध में न ही कोर्इ इकरारनामा होना दर्षित है, न ही एक भी किष्त अदा की गर्इं, इसलिए उक्त प्लाट के संबंध में परिवादी का कोर्इ क्लेम पांच वर्श बाद हो सकना संभव नहीं।
(11) परन्तु प्रस्तावित प्लाट नंबर ए-30 के संबंध में परिवादी उपभोक्ता है और इसलिए कालोनी में मूलभूत सुविधाओं की अधोसंरचना विकसित कराकर प्राप्त कर पाने की अनावेदक से प्राप्त होने वाली सेवाओं के संबंध में परिवादी उपभोक्ता और अनावेदक सेवाप्रदाता की श्रेणी में है, इसलिए पेष परिवाद संधारणीय है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(12) अनावेदक-पक्ष की ओर से अनुविभागीय अधिकारी, सिवनी ग्रामीण के विविध राजस्व प्रकरण क्रमांक-84बी 121 वर्श-2007-2008 में जारी विकास अनुमति दिनांक-18.10.2012 की प्रति प्रदर्ष आर-1 से यह स्पश्ट है कि-उक्त आदेष अनावेदक के मूल आवेदन दिनांक-20.08.2007 प्रदर्ष सी-9 के निराकरण का आदेष नहीं है, बलिक उक्त प्रकरण में अनावेदक-पक्ष द्वारा पेष किये गये आवेदन दिनांक-08.05.201229.05.2012 एवं कलेक्टर सिवनी द्वारा प्रदत्त पुनर्विलोकन अनुमति दिनांक-26.07.2012 के आधार पर पारित किया गया आदेष है, जो कि-आवासीय अभिन्यास पार्ट-ए जिसे सहायक संचालक नगर तथा ग्राम निवेष, छिन्दवाड़ा के पत्र दिनांक-11.07.2012 के माध्यम से आवासीय प्रयोजन के लिए अनुमोदित है, उस पर उपरोक्त नियमों के नियम-12 के अन्तर्गत षर्तों सहित, नियमानुसार समस्त आंतरिक व बाहय विकास कार्य प्रारम्भ करने के लिए उक्त विकास अनुमति रही है और प्रदर्ष आर-1 की षर्त क्रमांक-5 से यह स्पश्ट हो रहा है कि-अनावेदक फर्म उक्त भूमि के अनुमोदित आवासीय अभिन्यास पार्ट-बी के नियमानुसार समस्त विकास कार्य पूर्ण करने के लिए भी बाधित होंगे और अनुमोदित आवासीय अभिन्यास पार्ट-ए के लिए भी नियमानुसार विकास अनुमति प्राप्त करने के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी होंगे।
(13) तो उक्त विकास अनुमति आदेष प्रदर्ष आर-1 मात्र उसमें दर्षार्इ गर्इ खसरा नंबर की भूमियों बाबद आवासीय अभिन्यास पार्ट-ए के संबंध में है और परिवादी का उक्त प्लाट आवासीय अभिन्यास पार्ट-ए में सिथत है या पार्ट-बी में, यह अनावेदक के द्वारा अपने जवाब में या दस्तावेज पेष कर स्पश्ट नहीं किया गया है। जबकि-यह स्पश्ट प्रकट हो रहा है कि-अनुविभागीय अधिकारी, सिवनी ग्रामीण (सक्षम प्राधिकारी) से विकास अनुमति प्राप्त होने के कर्इ वर्शों पूर्व ही अनावेदक ने, परिवादी व अन्य उपभोक्ताओं से प्लाट बुकिंग की राषि प्राप्त कर व इकरारनामा निश्पादित कर, विक्रय मूल्य की किष्तों को 30 माह में अदा करने के इकरारनामा कर लिये और प्रदर्ष सी-12 के विक्रय-पत्र व उसके साथ लगे दस्तावेजों की प्रतियां (भू अधिकार पुसितका) में दिये भूमि हस्तान्तरण के विवरण से यह स्पश्ट हो रहा है कि-अनावेदक ने बहुत सारे प्लाट वर्श- 2008 से 2010 के बीच ही विक्रय कर, विक्रय-पत्र निश्पादित करा दिये, लेकिन कालोनी की भूमि व सुविधाओं के विकास का कार्य अब-तक भी पांच वर्शों में नहीं किया गया और परिवादी-पक्ष का यह तर्क है कि-जिस तरह कालोनी के प्लाटों के अन्य क्रेतागण प्लाट खरीदने के बाद भी कालोनी के मूलभूत विकास कार्य पूर्ण न हो पाने के कारण, भवन निर्माण करा पाना उनके लिये दुश्कर है। और अनावेदक, परिवादी को भी वैसी ही सिथति में फंसाना चाहता है, क्योंकि परिवादी को भी कालोनी के मूलभूत सुविधाओं विधुत लार्इन, पानी और पक्के मार्ग की सुविधा के बिना अपना आवासीय भवन निर्माण कर पाना अति कठिन कार्य हो जायेगा और भवन निर्माण हो जाने पर भी उक्त सुविधाओं के बिना आवासीय भवन उपयोग लायक नहीं रहेगा।
(14) तो स्पश्ट है कि-अनुबंध के बावजूद, अनावेदक ने, परिवादी को उसके कथित प्लाट से संबंधित कालोनी की आंतरिक सड़कों, नाली, लार्इट और पानी की व्यवस्था बाबद मूलभूत सुविधाओं की अधोसंरचना पांच वर्शों में भी विकसित न कर, अनुचित विलम्ब किया है। इस तरह परिवादी के प्रति सेवा में कमी किया है। जबकि-प्रदर्ष सी-14(2) के व्हाउषर में दर्षार्इ अन्य सुविधाओं को विकसित करने हेतु भी अनावेदक दायित्वाधीन है।
(15) लेकिन जहां तक बैनगंगा प्रदूशण निवारण समिति के सदस्य की हैसियत से परिवादी ने कालोनी के सीवर लार्इन में ट्रीटमेंट प्लांट की जो मांग परिवाद में की है, तो इस संबंध में परिवादी की हैसियत अलग है और यह उपभोक्ता विवाद नहीं है। और इस संबंध में कोर्इ आष्वासन या प्रकाषन अनावेदक-पक्ष का न तो व्हाउषर में रहा है, न ही परिवादी से हुये अनुबंध में है।
(16) तब जहां कि-अनावेदक ने, परिवादी से हुये अनुबंध के अनुसार व प्रदर्ष सी-14 के जारी किये गये व्हाउषर के अनुसार, कालोनी में सुविधा बाबद, कालोनी के आंतरिक व बाहय विकास की मूलभूत सुविधायें परिवादी को उपलब्ध न कर, सेवा में कमी किया है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(17) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ और 'ब के निश्कर्शो के आधार पर, मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) अनावेदक, परिवादी को विक्रय हेतु अनुबंधित प्लाट
क्रमांक-ए-30 से होकर गुजरने वाले कालोनी के
आंतरिक रास्ते जो-जो भी कालोनी से बाहर जाने
के लिये हों, उनमें डामरीकृत सड़क बनाने और
परिवादी के प्लाट तक उक्त रास्ते के किनारे की
पक्की कांक्रीट नालियां व परिवादी के प्लाट तक
विधुत पोल व विधुत कनेक्षन की लार्इन व व्हाउषर
में बताये अनुसार, परिवादी के प्लाट तक पानी के
कनेक्षन की लार्इन की मूलभूत अधोसंरचनायें विकसित
कर, परिवादी के प्लाट तक पहुंच की और पानी व
लार्इट की समुचित व्यवस्था अनावेदक आदेष दिनांक
से नौ माह की अवधि के अंदर निर्मित करे व प्रदर्ष
सी-14 के व्हाउषर में दर्षार्इ गर्इ षेश सुविधाओं का
सारभूत रूप से निर्माण, आदेष दिनांक से 15 माह के
अंदर अनावेदक करेगा।
(ब) परिवादी उक्त नौ माह की अवधि पूर्ण होने के एक माह
के अंदर प्लाट के षेश मूल्य की राषि अनावेदक को
अदा करभेजकर अनावेदक के विरूद्ध अपालन या
पालन में खामी बाबद कार्यवाही कर सकेगा।
(स) अनावेदक द्वारा, कालोनी की अधोसंरचना विकास में
किये गये विलम्ब के फलस्वरूप, परिवादी को जो
असुविधा हुर्इ है और आर्थिक हानि संभावित हुर्इ है,
उन सबको देखते हुये, अनावेदक, परिवादी को
20,000-रूपये (बीस हजार रूपये) हर्जाना इस रूप में
अदा करेगा कि-हर्जाने की राषि प्लाट के बकाया रहे,
षेश मूल्य में मुजरा होगी।
(द) अनावेदक स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा और
परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में 2,000-रूपये
(दो हजार रूपये) अदा करेगा।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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