Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

cc/541/2011

Ashok - Complainant(s)

Versus

shri ram - Opp.Party(s)

30 Aug 2016

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. cc/541/2011
 
1. Ashok
visdhan billahur kanpur
...........Complainant(s)
Versus
1. shri ram
the mall road kanpur
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 30 Aug 2016
Final Order / Judgement

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

   अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह.......................................वरि0सदस्य
    सुधा यादव.....................................................सदस्या
    

उपभोक्ता वाद संख्या-541/2011
अषोक पुत्र स्व0 मेढ़ई निवासी रहीमपुर विसधन, पोस्ट रहीमपुर विसधन, तहसील बिल्हौर, जिला कानपुर नगर।
                                  ................परिवादी
बनाम
1.    श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कंपनी लि0 दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय सिटी सेंटर दिमाल कानपुर द्वारा षाखा प्रबन्धक।
2.    श्री महावीर फाइनेन्स-65 बी, 123/287, महावीर मार्केट गडरियन पुरवा, कानपुर-208012 द्वारा प्रबन्धक।
3.    टग्रवाल फाइनेन्स कंपनी-365 हैरिसगंज दुकान नं0-6 टाटमिल चौराहा, कानपुर नगर-208004 द्वारा प्रबन्धक।
                             ...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 25.08.2011
निर्णय की तिथिः 30.08.2016

डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-

ःःःएकपक्षीय-निर्णयःःः
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से षारीरिक, मानसिक व आर्थिक कश्ट के लिए रू0 2,00,000.00, रिकवरी कर्मचारियों ने जो पैसा वसूला उसको वापस कराया जाये और उक्त कश्ट के लिए रू0 1,00,000.00 दिलाया जाये तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय दिलाय जाये।
2.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ने एक लोडर नं0-यू0पी0-77 एन-1853 क्रय किया था, जिसका मूल्य रू0 2,85,000.00 था, जिसमें परिवादी ने रू0 1,35,000.00 जमा किया तथा बकाया रू0 1,50,000.00 विपक्षी सं0-1 द्वारा फाइनेन्स किया गया था और परिवादी को उक्त फाइनेन्स की रकम 23  किष्तों में अदा  करनी थी
...........2
...2...

और प्रत्येक किष्त रू0 8087.00 की बनी थी। विपक्षी सं0-2 व 3 विपक्षी सं0-1 के सहयोगी हैं और विपक्षी सं0-1 के कार्य में पूर्ण सहयोग करते हैं व रकम वसूल करते है तथा वसूली रकम को विपक्षी सं0-1 के पास अभिलेखों में इन्द्राज कराते हैं। इस कारण विपक्षी सं0-1, विपक्षी सं0-2 व 3 के कार्यों के पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं और विपक्षी सं0-2 व 3 भी विपक्षी सं0-1 के कार्यो के प्रति उत्तरदायी हैं। परिवादी ने उक्त फाइनेन्स की धनराषि का भुगतान विपक्षी सं0-1 को विपक्षी सं0-2 व 3 के मार्फत किया, जिसकी रसीदें, विपक्षी सं0-2 व 3 द्वारा जारी की गयी। परिवादी को प्रत्येक किष्त रू0 8087.00 की देनी थी, लेकिन परिवादी ने कुछ किष्तें ज्यादा रकम देकर अदा की। परिवादी ने दिनांक 01.05.08 व दिनांक 30.05.08 को विपक्षी सं0-3 रू0 8087.00 की दो किष्तों को क्रमषः टी0आर0 सं0-110 व 1347 द्वारा अदा किया। परिवादी द्वारा संपूर्ण पैसा अदा करने के बावजूद विपक्षी द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया। बल्कि विपक्षी ने यह बताया कि विपक्षी सं0-3 को जो उक्त धन दिया गया था, उसको विपक्षी सं0-1 के यहां जमा नहीं किया गया। परिवादी द्वारा समय से भुगतान किये जाने के बावजूद परिवादी का उक्त वाहन विपक्षीगण के रिकवरी कर्मचारियों द्वारा जबरन पकड़ लिया गया। जिसमें एक बार परिवादी का उक्त वाहन रिकवरी कर्मियों द्वारा पकड़ लिये जाने पर रू0 1700.00 परिवादी के चालक से छीन लिये तथा रू0 1200.00 मनोज ने लिए तथा दो दिन तक परिवादी का वाहन गडरियन पुरवा कार्यालय में खड़ा रखा गया। परिवादी के उक्त वाहन को विपक्षीगण के कर्मचारियों ने तिर्वा कस्बा में पकड़ लिया और रू0 300.00 परिवादी के चालक से जबरदस्ती वसूल किये और इसी प्रकार परिवादी का वाहन जब चकरपुर मण्डी में गया तो विपक्षीगण के कर्मचारियों ने रू0 500.00 जबरदस्ती चालक से वसूल किये और रू0 300.00 लिए गये तथा तीन चार घंटे परिवादी का वाहन अपने कब्जे में लेकर खड़ा रखा। वसूली कर्मचारियों द्वारा वसूल की गयी रकम की कोई भी रसीद परिवादी व चालक को नहीं दी और परिवादी की गाड़ी  अवरूद्ध होने से परिवादी को 
...........3
...3...

काफी आर्थिक, मानसिक व षारीरिक नुकसान हुआ, जिसके लिए विपक्षीगण पूरी तरह से जिम्मेदार हैं। परिवादी कई बार विपक्षीगण के कार्यालय गया और अनापत्ति की मांग की, लेकिन विपक्षीगण ने अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया। जबकि परिवादी का कोई भी पैसा बकाया नहीं निकलता है और गलत तरीके से विपक्षीगण परिवादी से धन वसूल कर रहे हैं। जबकि विपक्षीगण का यह दायित्व है कि जब फाइनेन्स की गयी रकम का भुगतान हो जाये, तो बिना विलम्ब किये अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर देना चाहिए। विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही न करने पर परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दिनांक 17.06.11 को एक नोटिस जरिये डाक भिजवाई, लेकिन विपक्षीगण द्वारा नोटिस नहीं ली गयी और न ही तो कोई नोटिस प्राप्त करके जवाब दिया गया। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.    परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षी को जरिये रजिस्टर्ड डाक नोटिस भेजी गयी, किन्तु विपक्षी बावजूद विधिक नोटिस फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आया। अतः फोरम द्वारा दिनांक 20.05.13 को विपक्षी के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय चलाये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 21.10.13 व चालक कमलेष कुमार का षपथपत्र दिनांकित     11.02.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-1/1 लगायत् 1/17 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
5.    फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
    परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को एकपक्षीय रूप से सुनने तथा परिवादी की ओर से प्रस्तुत लिखित बहस अवलोकनोपरान्त  तथा पत्रावली 
.........4
...4...

पर उपलब्ध समस्त अभिलेखीय साक्ष्यों के अवलोकनोपरान्त विदित होता है कि परिवादी द्वारा यह कथन किया गया है कि प्रष्नगत लोडर से सम्बन्धित ऋण की समस्त अदायगी परिवादी द्वारा विपक्षी कंपनी को की जा चुकी है। इसके बावजूद विपक्षी ऋणदाता के रिकवरी कर्मचारियों द्वारा जबरन रू0 1700.00, 1200.00, 300.00, 500.00 एवं रू0 300.00 विभिन्न तिथियों में वसूले गये। परिवादी द्वारा उक्त अवधि में की गयी वसूली विपक्षीगण से दिलाये जाने की याचना की गयी है। किन्तु परिवादी की ओर से षपथपत्रीय साक्ष्य के अतिरिक्त अन्य कोई अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः परिवादी का प्रस्तुत परिवाद उपरोक्त आषय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
    परिवादी की ओर से अपने परिवाद पत्र में यह कथन किया गया है कि विपक्षीगण द्वारा, ऋण से सम्बन्धित समस्त धनराषि अदा किये जाने के बावजूद अनापित्त प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया गया है। किन्तु परिवादी द्वारा इस आषय का अनुतोश याचित नहीं किया गया है। परिवादी को विपक्षीगण से अनापत्ति प्रमाण पत्र दिलाय जाये। परिवादी द्वारा मानसिक व आर्थिक कश्ट के लिए रू0 2,00,000.00 तथा विपक्षीगण के रिकवरी कर्मचारियों द्वारा वसूल की गयी अवैधानिक धनराषि के रू0 1,00,000.00 याचित किया गया है। किन्तु परिवादी की ओर से अपने उपरोक्त कथन को साबित करने के लिए भी कोई अभिलेखीय साक्ष्य दाखिल नही किया गया है। विधि का यह प्रतिपादित सिद्धांत है कि जिन तथ्यों को अन्य प्रलेखीय साक्ष्यों से साबित किया जा सकता हो, उन तथ्यों के लिए मात्र षपथपत्रीय साक्ष्य स्वीकार किया जाना न्यायसंगत नहीं है।
    अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में फोरम इस मत का है कि परिवादी द्वारा अपने परिवाद में किये गये कथन को साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य दाखिल नहीं किये गये हैं। यदि विपक्षीगण के रिकवरी कर्मचारियों द्वारा आपराधिक कृत्य के माध्यम से कोई वसूली की गयी है, तो उसके लिए परिवादी दाण्डिक न्यायालय में परिवाद दाखिल कर सकता है।
............5
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    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्त कारणों से फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
6.     उपरोक्त कारणों से, परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से खारिज किया जाता है।

  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


  (पुरूशोत्तम सिंह)       ( सुधा यादव )         (डा0 आर0एन0 सिंह)
     वरि0सदस्य           सदस्या                   अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद        जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम          प्रतितोश फोरम                प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।           कानपुर नगर                 कानपुर नगर।
 

 

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