SATYENDRA SHUKLA filed a consumer case on 12 Jan 2015 against SHRI RAM TRANSPORT in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is CC/610/2011 and the judgment uploaded on 29 Jun 2017.
सत्येन्द्र षुक्ला पुत्र स्व0 उमाषंकर षुक्ला निवासी ग्राम जमालपुर, पोस्ट कोरियां तहसील घाटमपुर जिला कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1.श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कंपनी लि0 स्थित सिटी सेंटर, शश्टम तल, मालरोड, कानपुर नगर द्वारा प्रबन्धक।
2.श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेन्स कंपनी लि0 स्थित 330/273 गीता भवन कलक्टरगंज, फतेहपुर, उ0प्र0 द्वारा षाखा प्रबन्धक।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 10.10.2011
निर्णय तिथिः 06.06.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षीगण से वाहन के बीमा, मूल्यांकन के आधार पर मूलधन में समाहित करते हुए षेश धनराषि रू0 4,00,000.00 दिलाया जाये, नो ड्यूज प्रमाण पत्र दिलाया जाये, वाद व्यय तथा मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0 50,000.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ने एक मैक्स पिकअप जिसका इंजन नं0-जी.ए. 91 एम 29681 व चेचिस नं0-91 एम 67607 व पंजीयन नं0-यू0पी0-71 बी-9160 के लिए विपक्षी सं0-1 से एग्रीमेंट नं0-एफ.टी.एच.ई.पी. 0912090001 के तहत रू0 2,50,000.00 की वित्तीय सहायता ली गयी। परिवादी से विपक्षी सं0-2 द्वारा छपे फार्मेट व स्टाम्प पेपर एवं कुछ सादे कागजों में हस्ताक्षर कराये गये और 8 चेकें प्रत्येक रू0 11,850.00 की हस्ताक्षरित विपक्षी सं0-2 के द्वारा ले ली गयी। जिसमें परिवादी के द्वारा रू0 86,714.00 का भुगतान विपक्षी सं0-2 को किया गया। अनुबन्ध के समय परिवादी को 35 माह का समय प्रदान किया गया, किन्तु अनुबन्ध समय के पूर्व परिवादी से अपने
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अधिकृत एजेंट द्वारा जाजमऊ थाना चकेरी अंतर्गत जबरन बिना नेटिस के व बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेष के छीन लिया गया और इनवेन्ट्री लिस्ट में परिवादी के चालक से जबरन हस्ताक्षर करवा लिये गये, परिवादी के चालक से रू0 11,500.00 किष्त के रूप में नकद ले लिये गये। जबकि वाहन दिसम्बर 2010 से बीमित था। परिवादी को विपक्षीगण द्वारा प्रेशित नोटिस दिनांकित 25.01.11 को प्राप्त हुई, जबकि विपक्षीगण के द्वारा प्रष्नगत वाहन दिनांक 21.01.11 को ही अपने कब्जे में संविदा के विरूद्ध ले लिया। प्रष्नगत वाहन विपक्षीगण के द्वारा परिवादी को बिना कोई सूचना दिये दिनांक 22.02.11 को विक्रय कर दिया गया, जिसकी सूचना परिवादी को दिनांक 24.02.11 को प्राप्त हुई। विपक्षीगण का उपरोक्त कृत्य विधि विरूद्ध है। उक्त विक्रय धन रू0 4,00,000.00 विपक्षीगण द्वारा परिवादी को आष्वासन देने के बावजूद वापस नहीं किया गया। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 से संपर्क करने पर परिवादी को रू0 25,500.00 की चेक दी गयी, जो परिवादी द्वारा अण्डरप्रोटेस्ट प्राप्त की गयी। फलस्वरूप पविदी द्वारा प्रस्तुत योजित किया गया।
3.विपक्षीगण की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि विपक्षी उत्तरदाता कंपनी व्यवसायिक वाहनों पर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का व्यवसाय करती है। परिवादी द्वारा व्यवसायिक वाहन पर ऋण लिया गया है। इसलिए परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। परिवादी और विपक्षी के मध्य दिनांक 10.12.09 को एक अनुबन्ध निश्पादित किया गया था, जो अनुबन्ध के पक्षकारों पर बाध्यकारी है। परिवादी का परिवाद इसी आधार पर सव्यय खारिज किये जाने योग्य है। परिवादी अनुबन्ध के अनुसार किष्तों की अदायगी करने में कासिर रहा है। विपक्षी उत्तरदाता द्वारा वित्तपोशित वाहन को अपनी अभिरक्षा में वापस लिये जाने की तिथि 21.01.11 तक मात्र रू0 80,364.00 स्वयं व उसके अनुरोध पर विपक्षी कंपनी द्वारा अतिरिक्त वित्तीय सहायता रू0 50000.00 के समायोजन द्वारा
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अदा किये गये। जबकि उसके द्वारा उस तिथि तक कुल रू0 3,82,369.84 अदा किये जाने थे। इस प्रकार परिवादी द्वारा अनुबन्ध के प्रतिकूल आचरण कर अवैधानिक कार्य किया गया था। अतः परिवाद इसी आधार पर सव्यय खारिज किये जाने योग्य है। उत्तरदाता कंपनी द्वारा मात्र परिवादी द्वारा ऋण अदायगी में चूक के कारण लोकधन की सुरक्षा हेतु विधि अनुसार उपरोक्त वित्तपोशित वाहन को दिनांक 21.01.11 को अपने पुर्नकब्जे में लिया गया और वाहन की इन्वेन्ट्री लिस्ट की एक प्रति परिवादी के चालक को प्राप्त करायी गयी। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। तत्पष्चात परिवादी द्वारा बकाया देय अदा कर वाहन वापस लेने में कोई रूचि नहीं ली गयी और वाहन खुली नीलामी में अपनी सहमति से उच्चतम बोली पर अनिल कुमार को विक्रीत होने पर वाहन के परिवहन विभाग में हस्तांतरित होने से सम्बन्धित आवष्यक प्रपत्र हस्ताक्षरित कर दिये गये। इस प्रकार परिवादी की सहमति से उच्चतम बाजारी कीमत पर वाहन उपरोक्त विक्रय किये जाने के कारण भी परिवाद सव्यय खारिज किये जाने योग्य है। तत्पष्चात बकाया संपूर्ण देय धनराषि को विक्रय से प्राप्त धनराषि में से विधिक उत्तरदाता कंपनी द्वारा परिवादी के ऋण खाता में समायोजित करने के पष्चात षेश बची राषि रू0 27,500.00 परिवादी को जरिये चेक दिनांकित 22.06.11 उपलब्ध करायी गयी, जो परिवादी द्वारा रजामन्दी से प्राप्त किया गया। परिवादी का यह कथन असत्य है कि विपक्षी द्वारा छपे व सादे अनुबन्ध प्रपत्रों व सादे कागजों व सादी चेकों पर परिवादी के हस्ताक्षर करवा लिये गये हैं। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद झूठे व मनगन्ढंत आधारों पर प्रस्तुत किया गया है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
4.परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है।
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परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 21.02.14 एवं 10.03.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-1 लगायत् 8 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में रवीन्द्र सिंह, सीनियर क्रेडिट एक्जीक्यूटिव का षपथपत्र दिनांकित 12.01.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-2 के साथ संलगन कागज सं0-2/1 लगायत् 2/12 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
7.फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं उभयपक्षों द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-5 व 6 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी से विपक्षीगण द्वारा सादे कागजों पर, सादी चेकों पर अथवा अन्य कागजों पर हस्ताक्षर करवाने से सम्बन्धित कोई प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः परिवादी का उपरोक्त कथन साबित नहीं होता है। परिवादी द्वारा स्वयं ही नीलामी में उपस्थित होकर प्रष्नगत वाहन के हस्तांतरण से सम्बन्धित प्रपत्रों पर हस्ताक्षर किया जाना बताया गया है। जिसका खण्डन परिवादी की ओर से नहीं किया जा सका है। परिवादी की ओर से किये गये यह कथन कि उसके द्वारा प्रष्नगत चेक बावत रू0 27,500.00 अण्डरप्रोटेस्ट ली गयी हैं-से सम्बन्धित टिप्पणी, विपक्षी की ओर से प्रस्तुत स्टेटमेंट कागज संख्या-2/4 में नहीं
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टंकित की गयी है। विपक्षीगण के द्वारा ऋण से सम्बन्धित धनराषि समायोजित करने के पष्चात षेश धनराषि परिवादी को वापस की जा चुकी है। विपक्षीगण के द्वारा अपने कथन के समर्थन में थानाध्यक्ष चकेरी को प्रष्नगत वाहन को अपनी अभिरक्षा में लेने के सम्बन्ध में दिये गये पत्र की छायाप्रति परिवादी को दी गयी पंजीकरण नोटिस दिनांक 19.02.11 की छायाप्रति दाखिल की गयी है। परिवादी को उपलब्ध करायी गयी चेक से सम्बन्धित स्टेटमेंट की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है, जिसमें परिवादी द्वारा कहीं पर भी अपने हस्ताक्षर के साथ अण्डरप्रोटेस्ट नहीं लिया गया है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों से तथा उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श से स्पश्ट होता है कि विपक्षीगण के द्वारा यह साबित किया जा चुका है कि परिवादी ऋण राषि समय से वापस करने में कासिर रहा है। विपक्षीगण के द्वारा अवैधानिक तरीके से थाना हाजा पर सूचना देने के पष्चात उभयपक्षों के मध्य निश्पादित अनुबन्ध की षर्तों के अनुरूप प्रष्नगत वाहन अधिग्रहण किया गया है। प्रष्नगत वाहन को जरिये नीलामी परिवादी की सहमति से विक्रय करके, ऋण राषि में विक्रय धन समायोजित करने के पष्चात षेश बची धनराषि परिवादी को वापस की गयी है। जहां तक विपक्षीगण का यह कथन है कि परिवाद कालबाधित है और परिवादी द्वारा व्यवसायिक ऋण लेने के कारण परिवाद के विनिष्चयन का क्षेत्राधिकार फोरम को प्राप्त नहीं है। इस सम्बन्ध में विपक्षी की ओर से कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः फोरम विपक्षीगण की ओर से किये गये उपरोक्त कथन से सहमत नहीं है। उपरोक्त समस्त तथ्यों, परिस्थितियों से स्पश्ट होता है कि विपक्षीगण के द्वारा प्रष्नगत वाहन को विक्रय करने के पष्चात समस्त ऋण प्राप्त करने के बाद परिवादी को अदेयता प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से परिवादी को अदेयता प्रमाण पत्र दिलाये जाने के
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लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
8. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादी को, नो-ड्यूज प्रमाण पत्र उपलब्ध करायें। अन्यथा स्थिति में विपक्षीगण पर अतिरिक्त हर्जा लगाया जायेगा।
प्रस्तुत मामले के तथ्यों, परिस्थितियों को दृश्टिगत रखते हुए फोरम का यह मत है कि उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
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